< نَحَمْيَا 13 >
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ قُرِئَ فِي سِفْرِ مُوسَى فِي آذَانِ ٱلشَّعْبِ، وَوُجِدَ مَكْتُوبًا فِيهِ أَنَّ عَمُّونِيًّا وَمُوآبِيًّا لَا يَدْخُلُ فِي جَمَاعَةِ ٱللهِ إِلَى ٱلْأَبَدِ. | ١ 1 |
उस दिन उन्होंने लोगों को मूसा की किताब में से पढ़कर सुनाया, और उसमें ये लिखा मिला कि 'अम्मोनी और मोआबी ख़ुदा की जमा'अत में कभी न आने पाएँ;
لِأَنَّهُمْ لَمْ يُلَاقُوا بَنِي إِسْرَائِيلَ بِٱلْخُبْزِ وَٱلْمَاءِ، بَلِ ٱسْتَأْجَرُوا عَلَيْهِمْ بَلْعَامَ لِكَيْ يَلْعَنَهُمْ، وَحَوَّلَ إِلَهُنَا ٱللَّعْنَةَ إِلَى بَرَكَةٍ. | ٢ 2 |
इसलिए कि वह रोटी और पानी लेकर बनी — इस्राईल के इस्तक़बाल को न निकले, बल्कि बल'आम को उनके ख़िलाफ़ मज़दूरी पर बुलाया ताकि उन पर ला'नत करे — लेकिन हमारे ख़ुदा ने उस ला'नत को बरकत से बदल दिया।
وَلَمَّا سَمِعُوا ٱلشَّرِيعَةَ فَرَزُوا كُلَّ ٱللَّفِيفِ مِنْ إِسْرَائِيلَ. | ٣ 3 |
और ऐसा हुआ कि शरी'अत को सुनकर उन्होंने सारी मिली जुली भीड़ को इस्राईल से जुदा कर दिया।
وَقَبْلَ هَذَا كَانَ أَلْيَاشِيبُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْمُقَامُ عَلَى مِخْدَعِ بَيْتِ إِلَهِنَا قَرَابَةُ طُوبِيَّا، | ٤ 4 |
इससे पहले इलियासब काहिन ने जो हमारे ख़ुदा के घर की कोठरियों का मुख़्तार था, तूबियाह का रिश्तेदार होने की वजह से,
قَدْ هَيَّأَ لَهُ مِخْدَعًا عَظِيمًا حَيْثُ كَانُوا سَابِقًا يَضَعُونَ ٱلتَّقْدِمَاتِ وَٱلْبَخُورَ وَٱلْآنِيَةَ، وَعُشْرَ ٱلْقَمْحِ وَٱلْخَمْرِ وَٱلزَّيْتِ، فَرِيضَةَ ٱللَّاَوِيِّينَ وَٱلْمُغَنِّينَ وَٱلْبَوَّابِينَ، وَرَفِيعَةَ ٱلْكَهَنَةِ. | ٥ 5 |
उसके लिए एक बड़ी कोठरी तैयार की थी जहाँ पहले नज़्र की क़ुर्बानियाँ और लुबान और बर्तन, और अनाज की और मय की और तेल की दहेकियाँ, जो हुक्म के मुताबिक़ लावियों और गानेवालों और दरबानों को दी जाती थीं, और काहिनों के लिए उठाई हुई क़ुर्बानियाँ भी रख्खी जाती थीं।
وَفِي كُلِّ هَذَا لَمْ أَكُنْ فِي أُورُشَلِيمَ، لِأَنِّي فِي ٱلسَّنَةِ ٱلِٱثْنَتَيْنِ وَٱلثَّلَاثِينَ لِأَرْتَحْشَسْتَا مَلِكِ بَابِلَ دَخَلْتُ إِلَى ٱلْمَلِكِ، وَبَعْدَ أَيَّامٍ ٱسْتَأْذَنْتُ مِنَ ٱلْمَلِكِ | ٦ 6 |
लेकिन इन दिनों में मैं येरूशलेम में न था, क्यूँकि शाह — ए — बाबुल अरतख़शशता के बत्तीसवें बरस में बादशाह के पास गया था। और कुछ दिनों के बाद मैंने बादशाह से रुख़्सत की दरख़्वास्त की,
وَأَتَيْتُ إِلَى أُورُشَلِيمَ. وَفَهِمْتُ ٱلشَّرَّ ٱلَّذِي عَمِلَهُ أَلْيَاشِيبُ لِأَجْلِ طُوبِيَّا، بِعَمَلِهِ لَهُ مِخْدَعًا فِي دِيَارِ بَيْتِ ٱللهِ. | ٧ 7 |
और मैं येरूशलेम में आया, और मा'लूम किया कि ख़ुदा के घर के सहनों में तूबियाह के वास्ते एक कोठरी तैयार करने से इलियासब ने कैसी ख़राबी की है।
وَسَاءَنِي ٱلْأَمْرُ جِدًّا، وَطَرَحْتُ جَمِيعَ آنِيَةِ بَيْتِ طُوبِيَّا خَارِجَ ٱلْمِخْدَعِ، | ٨ 8 |
इससे मैं बहुत रंजीदा हुआ इसलिए मैंने तूबियाह के सब ख़ानगी सामान को उस कोठरी से बाहर फेंक दिया।
وَأَمَرْتُ فَطَهَّرُوا ٱلْمَخَادِعَ، وَرَدَدْتُ إِلَيْهَا آنِيَةَ بَيْتِ ٱللهِ مَعَ ٱلتَّقْدِمَةِ وَٱلْبَخُورِ. | ٩ 9 |
फिर मैंने हुक्म दिया और उन्होंने उन कोठरियों को साफ़ किया, और मैं ख़ुदा के घर के बर्तनों और नज़्र की क़ुर्बानियों और लुबान को फिर वहीं ले आया।
وَعَلِمْتُ أَنَّ أَنْصِبَةَ ٱللَّاَوِيِّينَ لَمْ تُعْطَ، بَلْ هَرَبَ ٱللَّاَوِيُّونَ وَٱلْمُغَنُّونَ عَامِلُو ٱلْعَمَلِ، كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى حَقْلِهِ. | ١٠ 10 |
फिर मुझे मा'लूम हुआ कि लावियों के हिस्से उनको नहीं दिए गए, इसलिए ख़िदमतगुज़ार लावी और गानेवाले अपने अपने खेत को भाग गए हैं।
فَخَاصَمْتُ ٱلْوُلَاةَ وَقُلْتُ: «لِمَاذَا تُرِكَ بَيْتُ ٱللهِ؟» فَجَمَعْتُهُمْ وَأَوْقَفْتُهُمْ فِي أَمَاكِنِهِمْ. | ١١ 11 |
तब मैंने हाकिमों से झगड़कर कहा कि ख़ुदा का घर क्यूँ छोड़ दिया गया है? और मैंने उनको इकट्ठा करके उनको उनकी जगह पर मुक़र्रर किया।
وَأَتَى كُلُّ يَهُوذَا بِعُشْرِ ٱلْقَمْحِ وَٱلْخَمْرِ وَٱلزَّيْتِ إِلَى ٱلْمَخَازِنِ، | ١٢ 12 |
तब सब अहल — ए — यहूदाह ने अनाज और मय और तेल का दसवाँ हिस्सा ख़ज़ानों में दाख़िल किया।
وَأَقَمْتُ خَزَنَةً عَلَى ٱلْخَزَائِنِ: شَلَمْيَا ٱلْكَاهِنَ وَصَادُوقَ ٱلْكَاتِبَ وَفَدَايَا مِنَ ٱللَّاَوِيِّينَ، وَبِجَانِبِهِمْ حَانَانَ بْنُ زَكُّورَ بْنِ مَتَّنْيَا لِأَنَّهُمْ حُسِبُوا أُمَنَاءَ، وَكَانَ عَلَيْهِمْ أَنْ يَقْسِمُوا عَلَى إِخْوَتِهِمْ. | ١٣ 13 |
और मैंने सलमियाह काहिन और सदोक़ फ़क़ीह, और लावियों में से फ़िदायाह को ख़ज़ानों के ख़ज़ांची मुक़र्रर किया; और हनान बिन ज़क्कूर बिन मत्तनियाह उनके साथ था; क्यूँकि वह दियानतदार माने जाते थे, और अपने भाइयों में बाँट देना उनका काम था।
ٱذْكُرْنِي ياإِلَهِي مِنْ أَجْلِ هَذَا، وَلَا تَمْحُ حَسَنَاتِي ٱلَّتِي عَمِلْتُهَا نَحْوَ بَيْتِ إِلَهِي وَنَحْوَ شَعَائِرِهِ. | ١٤ 14 |
ऐ मेरे ख़ुदा इसके लिए याद कर और मेरे नेक कामों को जो मैंने अपने ख़ुदा के घर और उसके रसूम के लिए किये मिटा न डाल।
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ رَأَيْتُ فِي يَهُوذَا قَوْمًا يَدُوسُونَ مَعَاصِرَ فِي ٱلسَّبْتِ، وَيَأْتُونَ بِحُزَمٍ وَيُحَمِّلُونَ حَمِيرًا، وَأَيْضًا يَدْخُلُونَ أُورُشَلِيمَ فِي يَوْمِ ٱلسَّبْتِ بِخَمْرٍ وَعِنَبٍ وَتِينٍ وَكُلِّ مَا يُحْمَلُ، فَأَشْهَدْتُ عَلَيْهِمْ يَوْمَ بَيْعِهِمِ ٱلطَّعَامَ. | ١٥ 15 |
उन ही दिनों में मैंने यहूदाह में कुछ को देखा, जो सबत के दिन हौज़ों में पाँव से अंगूर कुचल रहे थे, और पूले लाकर उनको गधों पर लादते थे। इसी तरह मय और अंगूर और अंजीर, और हर क़िस्म के बोझ सबत को येरूशलेम में लाते थे; और जिस दिन वह खाने की चीज़ें बेचने लगे मैंने उनको टोका।
وَٱلصُّورِيُّونَ ٱلسَّاكِنُونَ بِهَا كَانُوا يَأْتُونَ بِسَمَكٍ وَكُلِّ بِضَاعَةٍ، وَيَبِيعُونَ فِي ٱلسَّبْتِ لِبَنِي يَهُوذَا وَفِي أُورُشَلِيمَ. | ١٦ 16 |
वहाँ सूर के लोग भी रहते थे, जो मछली और हर तरह का सामान लाकर सबत के दिन येरूशलेम में यहूदाह के लोगों के हाथ बेचते थे।
فَخَاصَمْتُ عُظَمَاءَ يَهُوذَا وَقُلْتُ لَهُمْ: «مَا هَذَا ٱلْأَمْرُ ٱلْقَبِيحُ ٱلَّذِي تَعْمَلُونَهُ وَتُدَنِّسُونَ يَوْمَ ٱلسَّبْتِ؟ | ١٧ 17 |
तब मैंने यहूदाह के हाकिम से झगड़कर कहा, ये क्या बुरा काम है जो तुम करते, और सबत के दिन की बेहुरमती करते हो?
أَلَمْ يَفْعَلْ آبَاؤُكُمْ هَكَذَا فَجَلَبَ إِلَهُنَا عَلَيْنَا كُلَّ هَذَا ٱلشَّرِّ، وَعَلَى هَذِهِ ٱلْمَدِينَةِ؟ وَأَنْتُمْ تَزِيدُونَ غَضَبًا عَلَى إِسْرَائِيلَ إِذْ تُدَنِّسُونَ ٱلسَّبْتَ». | ١٨ 18 |
क्या तुम्हारे बाप — दादा ने ऐसा ही नहीं किया? और क्या हमारा ख़ुदा हम पर और इस शहर पर ये सब आफ़तें नहीं लाया? तो भी तुम सबत की बेहुरमती करके इस्राईल पर ज़्यादा ग़ज़ब लाते हो।
وَكَانَ لَمَّا أَظْلَمَتْ أَبْوَابُ أُورُشَلِيمَ قَبْلَ ٱلسَّبْتِ، أَنِّي أَمَرْتُ بِأَنْ تُغْلَقَ ٱلْأَبْوَابُ، وَقُلْتُ أَنْ لَا يَفْتَحُوهَا إِلَى مَا بَعْدَ ٱلسَّبْتِ. وَأَقَمْتُ مِنْ غِلْمَانِي عَلَى ٱلْأَبْوَابِ حَتَّى لَا يَدْخُلَ حِمْلٌ فِي يَوْمِ ٱلسَّبْتِ. | ١٩ 19 |
इसलिए जब सबत से पहले येरूशलेम के फाटकों के पास अन्धेरा होने लगा, तो मैंने हुक्म दिया कि फाटक बन्द कर दिए जाएँ, और हुक्म दे दिया कि जब तक सबत गुज़र न जाए, वह न खुलें, और मैंने अपने कुछ नौकरों को फाटकों पर रख्खा कि सबत के दिन कोई बोझ अन्दर आने न पाए।
فَبَاتَ ٱلتُّجَّارُ وَبَائِعُو كُلِّ بِضَاعَةٍ خَارِجَ أُورُشَلِيمَ مَرَّةً وَٱثْنَتَيْنِ. | ٢٠ 20 |
इसलिए ताजिर और तरह — तरह के माल के बेचनेवाले एक या दो बार येरूशलेम के बाहर टिके।
فَأَشْهَدْتُ عَلَيْهِمْ وَقُلْتُ لَهُمْ: «لِمَاذَا أَنْتُمْ بَائِتُونَ بِجَانِبِ ٱلسُّورِ؟ إِنْ عُدْتُمْ فَإِنِّي أُلْقِي يَدًا عَلَيْكُمْ». وَمِنْ ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ لَمْ يَأْتُوا فِي ٱلسَّبْتِ. | ٢١ 21 |
तब मैंने उनको टोका, और उनसे कहा कि तुम दीवार के नज़दीक क्यूँ टिक जाते हो? अगर फिर ऐसा किया तो मैं तुम को गिरफ़्तार कर लूँगा। उस वक़्त से वह सबत को फिर न आए।
وَقُلْتُ لِلَّاوِيِّينَ أَنْ يَتَطَهَّرُوا وَيَأْتُوا وَيَحْرُسُوا ٱلْأَبْوَابَ لِأَجْلِ تَقْدِيسِ يَوْمِ ٱلسَّبْتِ. بِهَذَا أَيْضًا ٱذْكُرْنِي يَا إِلَهِي، وَتَرَأَفْ عَلَيَّ حَسَبَ كَثْرَةِ رَحْمَتِكَ. | ٢٢ 22 |
और मैंने लावियों को हुक्म किया कि अपने आपको पाक करें, और सबत के दिन की तक़्दीस की ग़रज़ से आकर फाटकों की रखवाली करें। ऐ मेरे ख़ुदा, इसे भी मेरे हक़ में याद कर, और अपनी बड़ी रहमत के मुताबिक़ मुझ पर तरस खा।
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ أَيْضًا رَأَيْتُ ٱلْيَهُودَ ٱلَّذِينَ سَاكَنُوا نِسَاءً أَشْدُودِيَّاتٍ وَعَمُّونِيَّاتٍ وَمُوآبِيَّاتٍ. | ٢٣ 23 |
उन्ही दिनों में मैंने उन यहूदियों को भी देखा, जिन्होंने अशदूदी और 'अम्मोनी और मोआबी 'औरतें ब्याह ली थीं।
وَنِصْفُ كَلَامِ بَنِيهِمْ بِٱللِّسَانِ ٱلْأَشْدُودِيِّ، وَلَمْ يَكُونُوا يُحْسِنُونَ ٱلتَّكَلُّمَ بِٱللِّسَانِ ٱلْيَهُودِيِّ، بَلْ بِلِسَانِ شَعْبٍ وَشَعْبٍ. | ٢٤ 24 |
और उनके बच्चों की ज़बान आधी अशदूदी थी और वह यहूदी ज़बान में बात नहीं कर सकते थे, बल्कि हर क़ौम की बोली के मुताबिक़ बोलते थे।
فَخَاصَمْتُهُمْ وَلَعَنْتُهُمْ وَضَرَبْتُ مِنْهُمْ أُنَاسًا وَنَتَفْتُ شُعُورَهُمْ، وَٱسْتَحْلَفْتُهُمْ بِٱللهِ قَائِلًا: «لَا تُعْطُوا بَنَاتِكُمْ لِبَنِيهِمْ، وَلَا تَأْخُذُوا مِنْ بَنَاتِهِمْ لِبَنِيكُمْ، وَلَا لِأَنْفُسِكُمْ. | ٢٥ 25 |
इसलिए मैंने उनसे झगड़कर उनको ला'नत की, और उनमें से कुछ को मारा, और उनके बाल नोच डाले, और उनको ख़ुदा की क़सम खिलाई, कि तुम अपनी बेटियाँ उनके बेटों को न देना, और न अपने बेटों के लिए और न अपने लिए उनकी बेटियाँ लेना।
أَلَيْسَ مِنْ أَجْلِ هَؤُلَاءِ أَخْطَأَ سُلَيْمَانُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ وَلَمْ يَكُنْ فِي ٱلْأُمَمِ ٱلْكَثِيرَةِ مَلِكٌ مِثْلُهُ؟ وَكَانَ مَحْبُوبًا إِلَى إِلَهِهِ، فَجَعَلَهُ ٱللهُ مَلِكًا علَى كُلِّ إِسْرَائِيلَ. هُوَ أَيْضًا جَعَلَتْهُ ٱلنِّسَاءُ ٱلْأَجْنَبِيَّاتُ يُخْطِئُ. | ٢٦ 26 |
क्या शाह — ए — इस्राईल सुलेमान ने इन बातों से गुनाह नहीं किया? अगरचे अकसर क़ौमों में उसकी तरह कोई बादशाह न था, और वह अपने ख़ुदा का प्यारा था, और ख़ुदा ने उसे सारे इस्राईल का बादशाह बनाया, तो भी अजनबी 'औरतों ने उसे भी गुनाह में फँसाया।
فَهَلْ نَسْكُتُ لَكُمْ أَنْ تَعْمَلُوا كُلَّ هَذَا ٱلشَّرِّ ٱلْعَظِيمِ بِٱلْخِيَانَةِ ضِدَّ إِلَهِنَا بِمُسَاكَنَةِ نِسَاءٍ أَجْنَبِيَّاتٍ؟» | ٢٧ 27 |
इसलिए क्या हम तुम्हारी सुनकर ऐसी बड़ी बुराई करें कि अजनबी 'औरतों को ब्याह कर अपने ख़ुदा का गुनाह करें?
وَكَانَ وَاحِدٌ مِنْ بَنِي يُويَادَاعَ بْنِ أَلْيَاشِيبَ ٱلْكَاهِنِ ٱلْعَظِيمِ صِهْرًا لِسَنْبَلَّطَ ٱلْحُورُونِيِّ، فَطَرَدْتُهُ مِنْ عِنْدِي. | ٢٨ 28 |
और इलियासब सरदार काहिन के बेटे यूयदा' के बेटों में से एक बेटा, हूरोनी सनबल्लत का दामाद था, इसलिए मैंने उसको अपने पास से भगा दिया
ٱذْكُرْهُمْ يَاإِلَهِي، لِأَنَّهُمْ نَجَّسُوا ٱلْكَهَنُوتَ وَعَهْدَ ٱلْكَهَنُوتِ وَٱللَّاَوِيِّينَ. | ٢٩ 29 |
ऐ मेरे ख़ुदा, उनको याद कर, इसलिए कि उन्होंने कहानत को और कहानत और लावियों के 'अहद को नापाक किया है।
فَطَهَّرْتُهُمْ مِنْ كُلِّ غَرِيبٍ، وَأَقَمْتُ حِرَاسَاتِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱللَّاَوِيِّينَ، كُلَّ وَاحِدٍ عَلَى عَمَلِهِ، | ٣٠ 30 |
यूँ ही मैंने उनको कुल अजनबियों से पाक किया, और काहिनों और लावियों के लिए उनकी ख़िदमत के मुताबिक़,
وَلِأَجْلِ قُرْبَانِ ٱلْحَطَبِ فِي أَزْمِنَةٍ مُعَيَّنَةٍ وَلِلْبَاكُورَاتِ. فَٱذْكُرْنِي يَا إِلَهِي بِٱلْخَيْرِ. | ٣١ 31 |
और मुक़र्ररा वक़्तों पर लकड़ी के हदिए और पहले फलों के लिए हल्क़े मुक़र्रर कर दिए। ऐ मेरे ख़ुदा, भलाई के लिए मुझे याद कर।