< نَاحُوم 2 >
قَدِ ٱرْتَفَعَتِ ٱلْمِقْمَعَةُ عَلَى وَجْهِكِ. ٱحْرُسِ ٱلْحِصْنَ. رَاقِبِ ٱلطَّرِيقَ. شَدِّدِ ٱلْحَقْوَيْنِ. مَكِّنِ ٱلْقُوَّةَ جِدًّا. | ١ 1 |
बिखेरने वाला तुझ पर चढ़ आया है, क़िले' को महफ़ूज़ रख: राह की निगहबानी कर: कमर बस्ता हो और ख़ूब मज़बूत रह।
فَإِنَّ ٱلرَّبَّ يَرُدُّ عَظَمَةَ يَعْقُوبَ كَعَظَمَةِ إِسْرَائِيلَ، لِأَنَّ ٱلسَّالِبِينَ قَدْ سَلَبُوهُمْ وَأَتْلَفُوا قُضْبَانَ كُرُومِهِمْ. | ٢ 2 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द या'क़ूब की रौनक़ को इस्राईल की रौनक़ की तरह, फिर बहाल करेगा: अगरचे ग़ारतगरों ने उनको ग़ारत किया है, और उनकी ताक की शाख़ें तोड़ डालीं हैं।
تُرْسُ أَبْطَالِهِ مُحَمَّرٌ. رِجَالُ ٱلْجَيْشِ قِرْمِزِيُّونَ. ٱلْمَرْكَبَاتُ بِنَارِ ٱلْفُولَاذِ فِي يَوْمِ إِعْدَادِهِ. وَٱلسَّرْوُ يَهْتَزُّ. | ٣ 3 |
उसके बहादुरों की ढालें सुर्ख़ हैं; जंगी मर्द क़िरमिज़ी वर्दी पहने हैं। उसकी तैयारी के वक़्त रथ फ़ौलाद से झलकते हैं, और देवदार के नेज़े बशिद्दत हिलते हैं।
تَهِيجُ ٱلْمَرْكَبَاتُ فِي ٱلْأَزِقَّةِ. تَتَرَاكَضُ فِي ٱلسَّاحَاتِ. مَنْظَرُهَا كَمَصَابِيحَ. تَجْرِي كَٱلْبُرُوقِ. | ٤ 4 |
रथ सड़कों पर तुन्दी से दौड़ते, और मैदान में बेतहाशा जाते हैं; वह मशा'लों की तरह चमकते, और बिजली की तरह कोंदते हैं।
يَذْكُرُ عُظَمَاءَهُ. يَتَعَثَّرُونَ فِي مَشْيِهِمْ. يُسْرِعُونَ إِلَى سُورِهَا، وَقَدْ أُقِيمَتِ ٱلْمِتْرَسَةُ. | ٥ 5 |
वह अपने सरदारों को बुलाता है, वह टक्करें खाते आते हैं; वह जल्दी — जल्दी फ़सील पर चढ़ते हैं, और अड़तला तैयार किया जाता है।
أَبْوَابُ ٱلْأَنْهَارِ ٱنْفَتَحَتْ، وَٱلْقَصْرُ قَدْ ذَابَ. | ٦ 6 |
नहरों के फाटक खुल जाते हैं, और क़स्र गुदाज़ हो जाता है;
وَهُصَّبُ قَدِ ٱنْكَشَفَتْ. أُطْلِعَتْ. وَجَوَارِيهَا تَئِنُّ كَصَوْتِ ٱلْحَمَامِ ضَارِبَاتٍ عَلَى صُدُورِهِنَّ. | ٧ 7 |
हुस्सब बेपर्दा हुई और ग़ुलामी में चली गई; उसकी लौंडियाँ कुमारियों की तरह कराहती हुई मातम करती और छाती पीटती हैं।
وَنِينَوَى كَبِرْكَةِ مَاءٍ مُنْذُ كَانَتْ، وَلَكِنَّهُمُ ٱلْآنَ هَارِبُونَ. «قِفُوا، قِفُوا!» وَلَا مُلْتَفِتٌ. | ٨ 8 |
नीनवा तो पहले ही से हौज़ की तरह है, तोभी वह भागे चले जाते हैं। वह पुकारते हैं, “ठहरो, ठहरो!”, लेकिन कोई मुड़कर नहीं देखता।
اِنْهَبُوا فِضَّةً. اِنْهَبُوا ذَهَبًا، فَلَا نِهَايَةَ لِلتُّحَفِ لِلْكَثْرَةِ مِنْ كُلِّ مَتَاعٍ شَهِيٍّ. | ٩ 9 |
चाँदी लूटो! सोना लूटो! क्यूँकि माल की कुछ इन्तिहा नहीं सब नफ़ीस चीज़ें कसरत से हैं।
فَرَاغٌ وَخَلَاءٌ وَخَرَابٌ، وَقَلْبٌ ذَائِبٌ وَٱرْتِخَاءُ رُكَبٍ وَوَجَعٌ فِي كُلِّ حَقْوٍ. وَأَوْجُهُ جَمِيعِهِمْ تَجْمَعُ حُمْرَةً. | ١٠ 10 |
वह ख़ाली, सुनसान और वीरान है! उनके दिल पिघल गए और घुटने टकराने लगे हर एक की कमर में शिद्दत से दर्द है और इन सबके चेहरे जर्द हो गए।
أَيْنَ مَأْوَى ٱلْأُسُودِ وَمَرْعَى أَشْبَالِ ٱلْأُسُودِ؟ حَيْثُ يَمْشِي ٱلْأَسَدُ وَٱللَّبُوَةُ وَشِبْلُ ٱلْأَسَدِ، وَلَيْسَ مَنْ يُخَوِّفُ. | ١١ 11 |
शेरों की माँद, और जवान बबरों की खाने की जगह कहाँ है जिसमें शेर — ए — बबर और शेरनी और उनके बच्चे बेख़ौफ़ फिरते थे?
ٱلْأَسَدُ ٱلْمُفْتَرِسُ لِحَاجةِ جِرَائِهِ، وَٱلْخَانِقُ لِأَجْلِ لَبُوَاتِهِ حَتَّى مَلَأَ مَغَارَاتِهِ فَرَائِسَ وَمَآوِيَهُ مُفْتَرَسَاتٍ. | ١٢ 12 |
शेर — ए — बबर अपने बच्चों की ख़ुराक के लिए फाड़ता था, और अपनी शेरनियों के लिए गला घोंटता था; और अपनी माँदों को शिकार से, और ग़ारों को फाड़े हुओं से भरता था।
«هَا أَنَا عَلَيْكِ، يَقُولُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. فَأُحْرِقُ مَرْكَبَاتِكِ دُخَانًا، وَأَشْبَالُكِ يَأْكُلُهَا ٱلسَّيْفُ، وَأَقْطَعُ مِنَ ٱلْأَرْضِ فَرَائِسَكِ، وَلَا يُسْمَعُ أَيْضًا صَوْتُ رُسُلُكِ». | ١٣ 13 |
रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, देख, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ और उसके रथों को जलाकर धुवाँ बना दूँगा और तलवार तेरे जवान बबरों को खा जाएगी। और मैं तेरा शिकार ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, और तेरे क़ासिदों की आवाज़ फिर कभी सुनाई न देगी।