< مَتَّى 17 >
وَبَعْدَ سِتَّةِ أَيَّامٍ أَخَذَ يَسُوعُ بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا أَخَاهُ وَصَعِدَ بِهِمْ إِلَى جَبَلٍ عَالٍ مُنْفَرِدِينَ. | ١ 1 |
इस घटना के छः दिन बाद येशु पेतरॉस, याकोब और उनके भाई योहन को अन्यों से अलग एक ऊंचे पर्वत पर ले गए.
وَتَغَيَّرَتْ هَيْئَتُهُ قُدَّامَهُمْ، وَأَضَاءَ وَجْهُهُ كَٱلشَّمْسِ، وَصَارَتْ ثِيَابُهُ بَيْضَاءَ كَٱلنُّورِ. | ٢ 2 |
वहां उन्हीं के सामने येशु का रूपान्तरण हो गया. उनका चेहरा सूर्य के समान अत्यंत चमकीला हो उठा तथा उनके वस्त्र प्रकाश के समान उज्जवल हो उठे.
وَإِذَا مُوسَى وَإِيلِيَّا قَدْ ظَهَرَا لَهُمْ يَتَكَلَّمَانِ مَعَهُ. | ٣ 3 |
उसी समय उन्हें मोशेह तथा एलियाह येशु से बातें करते हुए दिखाई दिए.
فَجَعَلَ بُطْرُسُ يَقُولُ لِيَسُوعَ: «يَارَبُّ، جَيِّدٌ أَنْ نَكُونَ هَهُنَا! فَإِنْ شِئْتَ نَصْنَعْ هُنَا ثَلَاثَ مَظَالَّ: لَكَ وَاحِدَةٌ، وَلِمُوسَى وَاحِدَةٌ، وَلِإِيلِيَّا وَاحِدَةٌ». | ٤ 4 |
यह देख पेतरॉस येशु से बोल उठे, “प्रभु! हमारा यहां होना कैसे आनंद का विषय है! यदि आप कहें तो मैं यहां तीन मंडप बनाऊं—एक आपके लिए, एक मोशेह के लिए तथा एक एलियाह के लिए.”
وَفِيمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ إِذَا سَحَابَةٌ نَيِّرَةٌ ظَلَّلَتْهُمْ، وَصَوْتٌ مِنَ ٱلسَّحَابَةِ قَائِلًا: «هَذَا هُوَ ٱبْنِي ٱلْحَبِيبُ ٱلَّذِي بِهِ سُرِرْتُ. لَهُ ٱسْمَعُوا». | ٥ 5 |
पेतरॉस अभी यह कह ही रहे थे कि एक उजला बादल उन पर छा गया और उसमें से एक शब्द सुनाई दिया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा प्रिय, जिसमें मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं; इसकी आज्ञा का पालन करो.”
وَلَمَّا سَمِعَ ٱلتَّلَامِيذُ سَقَطُوا عَلَى وُجُوهِهِمْ وَخَافُوا جِدًّا. | ٦ 6 |
यह सुन भय के कारण शिष्य भूमि पर मुख के बल गिर पड़े.
فَجَاءَ يَسُوعُ وَلَمَسَهُمْ وَقَالَ: «قُومُوا، وَلَا تَخَافُوا». | ٧ 7 |
येशु उनके पास गए, उन्हें स्पर्श किया और उनसे कहा, “उठो! डरो मत!”
فَرَفَعُوا أَعْيُنَهُمْ وَلَمْ يَرَوْا أَحَدًا إِلَّا يَسُوعَ وَحْدَهُ. | ٨ 8 |
जब वे उठे, तब वहां उन्हें येशु के अलावा कोई दिखाई न दिया.
وَفِيمَا هُمْ نَازِلُونَ مِنَ ٱلْجَبَلِ أَوْصَاهُمْ يَسُوعُ قَائِلًا: «لَا تُعْلِمُوا أَحَدًا بِمَا رَأَيْتُمْ حَتَّى يَقُومَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ». | ٩ 9 |
जब वे पर्वत से उतर रहे थे येशु ने उन्हें कठोर आज्ञा दी, “मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जीवित किए जाने तक इस घटना का वर्णन किसी से न करना.”
وَسَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ قَائِلِينَ: «فَلِمَاذَا يَقُولُ ٱلْكَتَبَةُ: إِنَّ إِيلِيَّا يَنْبَغِي أَنْ يَأْتِيَ أَوَّلًا؟». | ١٠ 10 |
शिष्यों ने येशु से प्रश्न किया, “शास्त्री ऐसा क्यों कहते हैं कि पहले एलियाह का आना अवश्य है?”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ إِيلِيَّا يَأْتِي أَوَّلًا وَيَرُدُّ كُلَّ شَيْءٍ. | ١١ 11 |
येशु ने उत्तर दिया, “एलियाह आएंगे और सब कुछ सुधारेंगे
وَلَكِنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ إِيلِيَّا قَدْ جَاءَ وَلَمْ يَعْرِفُوهُ، بَلْ عَمِلُوا بِهِ كُلَّ مَا أَرَادُوا. كَذَلِكَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ أَيْضًا سَوْفَ يَتَأَلَّمُ مِنْهُمْ». | ١٢ 12 |
किंतु सच तो यह है कि एलियाह पहले ही आ चुके है, और उन्होंने उन्हें न पहचाना. उन्होंने एलियाह के साथ मनमाना व्यवहार किया. ठीक इसी प्रकार वे मनुष्य के पुत्र को भी यातना देंगे.”
حِينَئِذٍ فَهِمَ ٱلتَّلَامِيذُ أَنَّهُ قَالَ لَهُمْ عَنْ يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانِ. | ١٣ 13 |
इस पर शिष्य समझ गए कि येशु बपतिस्मा देनेवाले योहन का वर्णन कर रहे हैं.
وَلَمَّا جَاءُوا إِلَى ٱلْجَمْعِ تَقَدَّمَ إِلَيْهِ رَجُلٌ جَاثِيًا لَهُ | ١٤ 14 |
जब वे भीड़ के पास आए, एक व्यक्ति येशु के सामने घुटने टेककर उनसे विनती करने लगा,
وَقَائِلًا: «يَا سَيِّدُ، ٱرْحَمِ ٱبْنِي فَإِنَّهُ يُصْرَعُ وَيَتَأَلَّمُ شَدِيدًا، وَيَقَعُ كَثِيرًا فِي ٱلنَّارِ وَكَثِيرًا فِي ٱلْمَاءِ. | ١٥ 15 |
“प्रभु! मेरे पुत्र पर कृपा कीजिए. उसे दौरे पड़ते हैं और वह बहुत कष्ट में है. वह कभी आग में जा गिरता है, तो कभी जल में.
وَأَحْضَرْتُهُ إِلَى تَلَامِيذِكَ فَلَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَشْفُوهُ». | ١٦ 16 |
मैं उसे आपके शिष्यों के पास लाया था किंतु वे उसे स्वस्थ न कर सके.”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْجِيلُ غَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِ، ٱلْمُلْتَوِي، إِلَى مَتَى أَكُونُ مَعَكُمْ؟ إِلَى مَتَى أَحْتَمِلُكُمْ؟ قَدِّمُوهُ إِلَيَّ هَهُنَا!». | ١٧ 17 |
येशु कह उठे, “अरे ओ अविश्वासी और बिगड़ी हुई पीढ़ी!” प्रभु येशु ने कहा, “मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा, कब तक धीरज रखूंगा? यहां लाओ अपने पुत्र को!”
فَٱنْتَهَرَهُ يَسُوعُ، فَخَرَجَ مِنْهُ ٱلشَّيْطَانُ. فَشُفِيَ ٱلْغُلَامُ مِنْ تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ. | ١٨ 18 |
येशु ने उस दुष्टात्मा को फटकारा और वह उस बालक में से निकल गया और बालक उसी क्षण स्वस्थ हो गया.
ثُمَّ تَقَدَّمَ ٱلتَّلَامِيذُ إِلَى يَسُوعَ عَلَى ٱنْفِرَادٍ وَقَالُوا: «لِمَاذَا لَمْ نَقْدِرْ نَحْنُ أَنْ نُخْرِجَهُ؟». | ١٩ 19 |
जब येशु अकेले थे तब शिष्य उनके पास आए और उनसे पूछने लगे, “प्रभु! हम उस दुष्टात्मा को क्यों नहीं निकाल सके?”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «لِعَدَمِ إِيمَانِكُمْ. فَٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَوْ كَانَ لَكُمْ إِيمَانٌ مِثْلُ حَبَّةِ خَرْدَلٍ لَكُنْتُمْ تَقُولُونَ لِهَذَا ٱلْجَبَلِ: ٱنْتَقِلْ مِنْ هُنَا إِلَى هُنَاكَ فَيَنْتَقِلُ، وَلَا يَكُونُ شَيْءٌ غَيْرَ مُمْكِنٍ لَدَيْكُمْ. | ٢٠ 20 |
“अपने विश्वास की कमी के कारण,” येशु ने उत्तर दिया, “एक सच मैं तुम पर प्रकट कर रहा हूं: यदि तुममें राई के एक बीज के तुल्य भी विश्वास है और तुम इस पर्वत को आज्ञा दो, ‘यहां से हट जा!’ तो यह पर्वत यहां से हट जाएगा—असंभव कुछ भी न होगा.
وَأَمَّا هَذَا ٱلْجِنْسُ فَلَا يَخْرُجُ إِلَّا بِٱلصَّلَاةِ وَٱلصَّوْمِ». | ٢١ 21 |
[यह जाति बिना प्रार्थना और उपवास के बाहर नहीं निकाली जा सकती.]”
وَفِيمَا هُمْ يَتَرَدَّدُونَ فِي ٱلْجَلِيلِ قَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ سَوْفَ يُسَلَّمُ إِلَى أَيْدِي ٱلنَّاسِ | ٢٢ 22 |
जब वे गलील प्रदेश में इकट्ठा हो रहे थे, येशु ने उनसे कहा, “अब मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों में पकड़वा दिया जाएगा.
فَيَقْتُلُونَهُ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ يَقُومُ». فَحَزِنُوا جِدًّا. | ٢٣ 23 |
वे उसकी हत्या कर देंगे. तीसरे दिन वह मरे हुओं में से जीवित किया जाएगा.” शिष्य अत्यंत दुःखी हो गए.
وَلَمَّا جَاءُوا إِلَى كَفْرَنَاحُومَ تَقَدَّمَ ٱلَّذِينَ يَأْخُذُونَ ٱلدِّرْهَمَيْنِ إِلَى بُطْرُسَ وَقَالُوا: «أَمَا يُوفِي مُعَلِّمُكُمُ ٱلدِّرْهَمَيْنِ؟». | ٢٤ 24 |
जब वे कफ़रनहूम नगर पहुंचे, तब उन्होंने, जो मंदिर के लिए निर्धारित कर इकट्ठा करते थे, पेतरॉस के पास आकर पूछा, “क्या तुम्हारे गुरु निर्धारित कर नहीं देते?”
قَالَ: «بَلَى». فَلَمَّا دَخَلَ ٱلْبَيْتَ سَبَقَهُ يَسُوعُ قَائِلًا: «مَاذَا تَظُنُّ يا سِمْعَانُ؟ مِمَّنْ يَأْخُذُ مُلُوكُ ٱلْأَرْضِ ٱلْجِبَايَةَ أَوِ ٱلْجِزْيَةَ، أَمِنْ بَنِيهِمْ أَمْ مِنَ ٱلْأَجَانِبِ؟». | ٢٥ 25 |
“हां, वह देते हैं,” पेतरॉस ने उन्हें उत्तर दिया. घर में प्रवेश करते हुए येशु ने ही पेतरॉस से प्रश्न किया, “शिमओन, मुझे यह बताओ, राजा किससे कर तथा शुल्क लेते हैं—अपनी संतान से या प्रजा से?”
قَالَ لَهُ بُطْرُسُ: «مِنَ ٱلْأَجَانِبِ». قَالَ لَهُ يَسُوعُ: «فَإِذًا ٱلْبَنُونَ أَحْرَارٌ. | ٢٦ 26 |
“प्रजा से,” पेतरॉस ने उत्तर दिया. “अर्थात् संतान कर मुक्त है.” येशु ने पेतरॉस से कहा;
وَلَكِنْ لِئَلَّا نُعْثِرَهُمُ، ٱذْهَبْ إِلَى ٱلْبَحْرِ وَأَلْقِ صِنَّارَةً، وَٱلسَّمَكَةُ ٱلَّتِي تَطْلُعُ أَوَّلًا خُذْهَا، وَمَتَى فَتَحْتَ فَاهَا تَجِدْ إِسْتَارًا، فَخُذْهُ وَأَعْطِهِمْ عَنِّي وَعَنْكَ». | ٢٧ 27 |
“फिर भी, ऐसा न हो कि वे हमसे क्रुद्ध हो जाएं, झील में जाओ, और अपना कांटा फेंक, जो पहले मछली पकड़ में आए उसका मुख खोलना. वहां तुम्हें एक सिक्का प्राप्त होगा. वही सिक्का उन्हें अपनी तथा मेरी ओर से कर-स्वरूप दे देना.”