< لُوقا 8 >
وَعَلَى أَثَرِ ذَلِكَ كَانَ يَسِيرُ فِي مَدِينَةٍ وَقَرْيَةٍ يَكْرِزُ وَيُبَشِّرُ بِمَلَكُوتِ ٱللهِ، وَمَعَهُ ٱلِٱثْنَا عَشَرَ. | ١ 1 |
येको बाद यीशु नगर-नगर अऊर गांव-गांव प्रचार करतो हुयो, अऊर परमेश्वर को राज्य को सुसमाचार सुनावतो हुयो फिरन लग्यो, अऊर हि बारा चेला ओको संग होतो,
وَبَعْضُ ٱلنِّسَاءِ كُنَّ قَدْ شُفِينَ مِنْ أَرْوَاحٍ شِرِّيرَةٍ وَأَمْرَاضٍ: مَرْيَمُ ٱلَّتِي تُدْعَى ٱلْمَجْدَلِيَّةَ ٱلَّتِي خَرَجَ مِنْهَا سَبْعَةُ شَيَاطِينَ، | ٢ 2 |
अऊर कुछ बाईयां भी होती जो दुष्ट आत्मावों सी अऊर बीमारियों सी छुड़ायी गयी होती, अऊर हि यो आय: मरियम जो मगदलीनी कहलावत होती, जेको म सी सात दुष्ट आत्मायें निकली होती,
وَيُوَنَّا ٱمْرَأَةُ خُوزِي وَكِيلِ هِيرُودُسَ، وَسُوسَنَّةُ، وَأُخَرُ كَثِيرَاتٌ كُنَّ يَخْدِمْنَهُ مِنْ أَمْوَالِهِنَّ. | ٣ 3 |
अऊर हेरोदेस को भण्डारी खुजा की पत्नी योअन्ना, अऊर सूसन्नाह, अऊर बहुत सी दूसरी बाईयां। जो अपनी जायजाद सी यीशु अऊर ओको चेलावों की सेवा करत होती।
فَلَمَّا ٱجْتَمَعَ جَمْعٌ كَثِيرٌ أَيْضًا مِنَ ٱلَّذِينَ جَاءُوا إِلَيْهِ مِنْ كُلِّ مَدِينَةٍ، قَالَ بِمَثَلٍ: | ٤ 4 |
जब बड़ी भीड़ जमा भयी अऊर नगर-नगर को लोग ओको जवर आवत होतो, त ओन दृष्टान्त म कह्यो।
«خَرَجَ ٱلزَّارِعُ لِيَزْرَعَ زَرْعَهُ. وَفِيمَا هُوَ يَزْرَعُ سَقَطَ بَعْضٌ عَلَى ٱلطَّرِيقِ، فَٱنْدَاسَ وَأَكَلَتْهُ طُيُورُ ٱلسَّمَاءِ. | ٥ 5 |
“एक बोवन वालो बीज बोवन निकल्यो। बोवतो हुयो कुछ बीज रस्ता को किनार गिरयो, अऊर खुंद्यो गयो, अऊर आसमान को पक्षिंयों न ओख खाय लियो।
وَسَقَطَ آخَرُ عَلَى ٱلصَّخْرِ، فَلَمَّا نَبَتَ جَفَّ لِأَنَّهُ لَمْ تَكُنْ لَهُ رُطُوبَةٌ. | ٦ 6 |
कुछ गोटाड़ी जागा पर गिरयो, अऊर उग्यो पर ओल नहीं मिलनो सी सूख गयो।
وَسَقَطَ آخَرُ فِي وَسْطِ ٱلشَّوْكِ، فَنَبَتَ مَعَهُ ٱلشَّوْكُ وَخَنَقَهُ. | ٧ 7 |
कुछ बीज काटा को बीच म गिरयो, अऊर झाड़ियों न संग-संग बढ़ क ओख दबाय दियो।
وَسَقَطَ آخَرُ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلصَّالِحَةِ، فَلَمَّا نَبَتَ صَنَعَ ثَمَرًا مِئَةَ ضِعْفٍ». قَالَ هَذَا وَنَادَى: «مَنْ لَهُ أُذْنَانِ لِلسَّمْعِ فَلْيَسْمَعْ!». | ٨ 8 |
कुछ बीज अच्छी जमीन पर गिरयो, अऊर उग क सौ गुना फर लायो।” यो कह्य क यीशु न ऊचो आवाज सी कह्यो, “जेको सुनन को कान हय ऊ सुन ले!”
فَسَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ قَائِلِينَ: «مَا عَسَى أَنْ يَكُونَ هَذَا ٱلْمَثَلُ؟». | ٩ 9 |
यीशु को चेलावों न ओको सी पुच्छ्यो कि यो दृष्टान्त को अर्थ का हय?
فَقَالَ: «لَكُمْ قَدْ أُعْطِيَ أَنْ تَعْرِفُوا أَسْرَارَ مَلَكُوتِ ٱللهِ، وَأَمَّا لِلْبَاقِينَ فَبِأَمْثَالٍ، حَتَّى إِنَّهُمْ مُبْصِرِينَ لَا يُبْصِرُونَ، وَسَامِعِينَ لَا يَفْهَمُونَ. | ١٠ 10 |
ओन कह्यो, “तुम ख परमेश्वर को राज्य को भेदो की समझ दियो हय, पर दूसरों ख दृष्टान्तों म सुनायो जावय हय, येकोलायी कि ‘हि देखतो हुयो भी नहीं देखय, अऊर सुनतो हुयो भी नहीं समझय।’
وَهَذَا هُوَ ٱلْمَثَلُ: ٱلزَّرْعُ هُوَ كَلَامُ ٱللهِ، | ١١ 11 |
“दृष्टान्त को अर्थ यो हय: बीज परमेश्वर को वचन हय।
وَٱلَّذِينَ عَلَى ٱلطَّرِيقِ هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ، ثُمَّ يَأْتِي إِبْلِيسُ وَيَنْزِعُ ٱلْكَلِمَةَ مِنْ قُلُوبِهِمْ لِئَلَّا يُؤْمِنُوا فَيَخْلُصُوا. | ١٢ 12 |
रस्ता को किनार को हि आय, जिन्न सुन्यो, तब शैतान आय क उन्को मन म सी वचन उठाय लेवय हय कि कहीं असो नहीं होय कि हि विश्वास कर क् उद्धार पायेंन।
وَٱلَّذِينَ عَلَى ٱلصَّخْرِ هُمُ ٱلَّذِينَ مَتَى سَمِعُوا يَقْبَلُونَ ٱلْكَلِمَةَ بِفَرَحٍ، وَهَؤُلَاءِ لَيْسَ لَهُمْ أَصْلٌ، فَيُؤْمِنُونَ إِلَى حِينٍ، وَفِي وَقْتِ ٱلتَّجْرِبَةِ يَرْتَدُّونَ. | ١٣ 13 |
चट्टान पर को हि आय कि जब सुनय हंय, त खुशी सी वचन ख स्वीकार त करय हंय, पर जड़ी नहीं पकड़न सी हि थोड़ी देर तक विश्वास रखय हंय अऊर परीक्षा को समय बहक जावय हंय।
وَٱلَّذِي سَقَطَ بَيْنَ ٱلشَّوْكِ هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ، ثُمَّ يَذْهَبُونَ فَيَخْتَنِقُونَ مِنْ هُمُومِ ٱلْحَيَاةِ وَغِنَاهَا وَلَذَّاتِهَا، وَلَا يُنْضِجُونَ ثَمَرًا. | ١٤ 14 |
काटो की झाड़ियों म गिरयो, यो हि आय जो सुनय हंय, पर आगु चल क, चिन्ता अऊर धन, अऊर जीवन को सूख विलाश म फस जावय हंय अऊर उन्को फर नहीं पकय।
وَٱلَّذِي فِي ٱلْأَرْضِ ٱلْجَيِّدَةِ، هُوَ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ ٱلْكَلِمَةَ فَيَحْفَظُونَهَا فِي قَلْبٍ جَيِّدٍ صَالِحٍ، وَيُثْمِرُونَ بِٱلصَّبْرِ. | ١٥ 15 |
पर अच्छी जमीन म को हि आय, जो वचन सुन क अच्छो अऊर शुद्ध मन म सम्भाल्यो रह्य हंय, अऊर धीरज सी फर लावय हंय।
«وَلَيْسَ أَحَدٌ يُوقِدُ سِرَاجًا وَيُغَطِّيهِ بِإِنَاءٍ أَوْ يَضَعُهُ تَحْتَ سَرِيرٍ، بَلْ يَضَعُهُ عَلَى مَنَارَةٍ، لِيَنْظُرَ ٱلدَّاخِلُونَ ٱلنُّورَ. | ١٦ 16 |
“कोयी दीया जलाय क बर्तन सी नहीं झाकय, अऊर नहीं खटिया को खल्लो रखय हय, पर दीवट पर रखय हय कि अन्दर आवन वालो प्रकाश पाये।
لِأَنَّهُ لَيْسَ خَفِيٌّ لَا يُظْهَرُ، وَلَا مَكْتُومٌ لَا يُعْلَمُ وَيُعْلَنُ. | ١٧ 17 |
“कुछ लूक्यो नहाय जो जान्यो नहीं जाये, अऊर नहीं कुछ लूक्यो हय जो जाननो नहीं पाये अऊर दिख नहीं जाय।
فَٱنْظُرُوا كَيْفَ تَسْمَعُونَ، لِأَنَّ مَنْ لَهُ سَيُعْطَى، وَمَنْ لَيْسَ لَهُ فَٱلَّذِي يَظُنُّهُ لَهُ يُؤْخَذُ مِنْهُ». | ١٨ 18 |
“येकोलायी चौकस रहो कि तुम कौन्सो तरह सी सुनय हय? कहालीकि जेको जवर हय ओख दियो जायेंन, अऊर जेको जवर नहाय ओको सी ऊ भी ले लियो जायेंन, जेक ऊ अपनो समझय हय।”
وَجَاءَ إِلَيْهِ أُمُّهُ وَإِخْوَتُهُ، وَلَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَصِلُوا إِلَيْهِ لِسَبَبِ ٱلْجَمْعِ. | ١٩ 19 |
यीशु की माय अऊर ओको भाऊ ओको जवर आयो, पर भीड़ को वजह ओको सी मुलाखात नहीं कर सक्यो।
فَأَخْبَرُوهُ قَائِلِينَ: «أُمُّكَ وَإِخْوَتُكَ وَاقِفُونَ خَارِجًا، يُرِيدُونَ أَنْ يَرَوْكَ». | ٢٠ 20 |
ओको सी कह्यो गयो, “तोरी माय अऊर तोरो भाऊ बाहेर खड़ो हुयो, तोरो सी मिलनो चाहवय हंय।”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «أُمِّي وَإِخْوَتِي هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ كَلِمَةَ ٱللهِ وَيَعْمَلُونَ بِهَا». | ٢١ 21 |
यीशु न येको उत्तर म उन्को सी कह्यो, “मोरी माय अऊर मोरो भाऊ हि आय, जो परमेश्वर को वचन सुनय अऊर मानय हंय।”
وَفِي أَحَدِ ٱلْأَيَّامِ دَخَلَ سَفِينَةً هُوَ وَتَلَامِيذُهُ، فَقَالَ لَهُمْ: «لِنَعْبُرْ إِلَى عَبْرِ ٱلْبُحَيْرَةِ». فَأَقْلَعُوا. | ٢٢ 22 |
फिर एक दिन यीशु अऊर ओको चेला डोंगा पर चढ़्यो, अऊर ओन उन्को सी कह्यो, “आवो, झील को ओन पार चलबो।” येकोलायी उन्न डोंगा खोल दियो अऊर निकल गयो।
وَفِيمَا هُمْ سَائِرُونَ نَامَ. فَنَزَلَ نَوْءُ رِيحٍ فِي ٱلْبُحَيْرَةِ، وَكَانُوا يَمْتَلِئُونَ مَاءً وَصَارُوا فِي خَطَرٍ. | ٢٣ 23 |
पर जब डोंगा चल रह्यो होतो, त यीशु सोय गयो: अऊर झील म अचानक आन्धी आयी, अऊर डोंगा पानी सी भरन लग्यो अऊर हि खतरा म पड़ गयो।
فَتَقَدَّمُوا وَأَيْقَظُوهُ قَائِلِينَ: «يَا مُعَلِّمُ، يَا مُعَلِّمُ، إِنَّنَا نَهْلِكُ!». فَقَامَ وَٱنْتَهَرَ ٱلرِّيحَ وَتَمَوُّجَ ٱلْمَاءِ، فَٱنْتَهَيَا وَصَارَ هُدُوُّ. | ٢٤ 24 |
तब उन्न जवर आय क ओख जगायो, अऊर कह्यो, “मालिक! मालिक! हम नाश होय रह्यो हंय।” तब यीशु न उठ क आन्धी ख अऊर पानी की लहरो ख डाट्यो अऊर हि थम गयी अऊर चैन मिल गयो।
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «أَيْنَ إِيمَانُكُمْ؟». فَخَافُوا وَتَعَجَّبُوا قَائِلِينَ فِيمَا بَيْنَهُمْ: «مَنْ هُوَ هَذَا؟ فَإِنَّهُ يَأْمُرُ ٱلرِّيَاحَ أَيْضًا وَٱلْمَاءَ فَتُطِيعُهُ!». | ٢٥ 25 |
तब ओन उन्को सी कह्यो, “तुम्हरो विश्वास कित हय?” पर हि डर गयो अऊर अचम्भित होय क आपस म कहन लग्यो, “यो कौन आय जो आन्धी अऊर पानी ख भी आज्ञा देवय हय, अऊर हि ओकी मानय हंय?”
وَسَارُوا إِلَى كُورَةِ ٱلْجَدَرِيِّينَ ٱلَّتِي هِيَ مُقَابِلَ ٱلْجَلِيلِ. | ٢٦ 26 |
तब यीशु अऊर ओको चेला गिरासेनियों को देश म पहुंच्यो, जो गलील की झील को ओन पार होतो।
وَلَمَّا خَرَجَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱسْتَقْبَلَهُ رَجُلٌ مِنَ ٱلْمَدِينَةِ كَانَ فِيهِ شَيَاطِينُ مُنْذُ زَمَانٍ طَوِيلٍ، وَكَانَ لَا يَلْبَسُ ثَوْبًا، وَلَا يُقِيمُ فِي بَيْتٍ، بَلْ فِي ٱلْقُبُورِ. | ٢٧ 27 |
जब ऊ किनार पर उतरयो त ऊ नगर को एक आदमी ओख मिल्यो जेको म दुष्ट आत्मायें होती। ऊ बहुत दिनो सी कपड़ा नहीं पहिनत होतो अऊर घर म नहीं रहत होतो बल्की कब्रस्थान म रहत होतो।
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعَ صَرَخَ وَخَرَّ لَهُ، وَقَالَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «مَا لِي وَلَكَ يَا يَسُوعُ ٱبْنَ ٱللهِ ٱلْعَلِيِّ؟ أَطْلُبُ مِنْكَ أَنْ لَا تُعَذِّبَنِي!». | ٢٨ 28 |
ऊ यीशु ख देख क चिल्लायो अऊर ओको आगु गिर क ऊंचो आवाज सी कह्यो, “हे परमेश्वर को बेटा यीशु! मोख तोरो सी का काम? मय तोरो सी बिनती करू हय, मोख सजा मत दे।”
لِأَنَّهُ أَمَرَ ٱلرُّوحَ ٱلنَّجِسَ أَنْ يَخْرُجَ مِنَ ٱلْإِنْسَانِ. لِأَنَّهُ مُنْذُ زَمَانٍ كَثِيرٍ كَانَ يَخْطَفُهُ، وَقَدْ رُبِطَ بِسَلَاسِلٍ وَقُيُودٍ مَحْرُوسًا، وَكَانَ يَقْطَعُ ٱلرُّبُطَ وَيُسَاقُ مِنَ ٱلشَّيْطَانِ إِلَى ٱلْبَرَارِي. | ٢٩ 29 |
कहालीकि यीशु ऊ दुष्ट आत्मा ख ऊ आदमी म सी निकालन की आज्ञा दे रह्यो होतो, येकोलायी कि ऊ ओख पर बार बार हावी होत होती। लोग ओख संकली अऊर बेड़ियों सी हाथ पाय बान्धत होतो अऊर पहरा देत होतो तब भी ऊ बन्धनों ख तोड़ डालत होतो, अऊर दुष्ट आत्मा ओख जंगल म भटकावत फिरत होती।
فَسَأَلَهُ يَسُوعُ قَائِلًا: «مَا ٱسْمُكَ؟». فَقَالَ: «لَجِئُونُ». لِأَنَّ شَيَاطِينَ كَثِيرَةً دَخَلَتْ فِيهِ. | ٣٠ 30 |
यीशु न ओको सी पुच्छ्यो, “तोरो का नाम हय?” ओन कह्यो, “सेना,” कहालीकि बहुत सी दुष्ट आत्मायें ओको म घुस गयी होती।
وَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ لَا يَأْمُرَهُمْ بِٱلذَّهَابِ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ. (Abyssos ) | ٣١ 31 |
उन्न यीशु सी बिनती करी कि हम्ख अधोलोक म जान की आज्ञा मत दे। (Abyssos )
وَكَانَ هُنَاكَ قَطِيعُ خَنَازِيرَ كَثِيرَةٍ تَرْعَى فِي ٱلْجَبَلِ، فَطَلَبُوا إِلَيْهِ أَنْ يَأْذَنَ لَهُمْ بِٱلدُّخُولِ فِيهَا، فَأَذِنَ لَهُمْ. | ٣٢ 32 |
उत पहाड़ी पर डुक्कर को एक बड़ो झुण्ड चर रह्यो होतो, येकोलायी उन्न ओको सी बिनती करी कि हम्ख उन्म घुसन दे। ओन उन्ख जान दियो।
فَخَرَجَتِ ٱلشَّيَاطِينُ مِنَ ٱلْإِنْسَانِ وَدَخَلَتْ فِي ٱلْخَنَازِيرِ، فَٱنْدَفَعَ ٱلْقَطِيعُ مِنْ عَلَى ٱلْجُرُفِ إِلَى ٱلْبُحَيْرَةِ وَٱخْتَنَقَ. | ٣٣ 33 |
तब दुष्ट आत्मायें ऊ आदमी म सी निकल क डुक्कर म गयी अऊर ऊ झुण्ड ढलान पर सी झपट क झील म जाय गिरयो अऊर डुब मरयो।
فَلَمَّا رَأَى ٱلرُّعَاةُ مَا كَانَ هَرَبُوا وَذَهَبُوا وَأَخْبَرُوا فِي ٱلْمَدِينَةِ وَفِي ٱلضِّيَاعِ، | ٣٤ 34 |
चरावन वालो न यो जो भयो होतो देख क भग्यो, अऊर नगर म अऊर गांव म जाय क ओको खबर दियो।
فَخَرَجُوا لِيَرَوْا مَا جَرَى. وَجَاءُوا إِلَى يَسُوعَ فَوَجَدُوا ٱلْإِنْسَانَ ٱلَّذِي كَانَتِ ٱلشَّيَاطِينُ قَدْ خَرَجَتْ مِنْهُ لَابِسًا وَعَاقِلًا، جَالِسًا عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ، فَخَافُوا. | ٣٥ 35 |
लोग यो जो भयो होतो ओख देखन ख निकल्यो, अऊर यीशु को जवर आय क जो आदमी सी दुष्ट आत्मायें निकली होती, ओख यीशु को पाय को जवर कपड़ा पहिन्यो सुदबुद म बैठ्यो हुयो देख्यो अऊर डर गयो;
فَأَخْبَرَهُمْ أَيْضًا ٱلَّذِينَ رَأَوْا كَيْفَ خَلَصَ ٱلْمَجْنُونُ. | ٣٦ 36 |
अऊर देखन वालो न लोगों ख बतायो कि ऊ दुष्ट आत्मावों को सतायो हुयो आदमी कसो तरह सी अच्छो भयो।
فَطَلَبَ إِلَيْهِ كُلُّ جُمْهُورِ كُورَةِ ٱلْجَدَرِيِّينَ أَنْ يَذْهَبَ عَنْهُمْ، لِأَنَّهُ ٱعْتَرَاهُمْ خَوْفٌ عَظِيمٌ. فَدَخَلَ ٱلسَّفِينَةَ وَرَجَعَ. | ٣٧ 37 |
तब गिरासेनियों को आजु बाजू को सब लोगों न यीशु सी बिनती करी कि हमरो इत सी चली जा; कहालीकि उन पर बड़ो डर छाय गयो होतो। येकोलायी ऊ डोंगा पर चढ़ क लौट गयो।
أَمَّا ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي خَرَجَتْ مِنْهُ ٱلشَّيَاطِينُ فَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ يَكُونَ مَعَهُ، وَلَكِنَّ يَسُوعَ صَرَفَهُ قَائِلًا: | ٣٨ 38 |
जो आदमी म सी दुष्ट आत्मायें निकली होती ऊ ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोख अपनो संग रहन दे, पर यीशु न ओख बिदा कर क् कह्यो।
«ٱرْجِعْ إِلَى بَيْتِكَ وَحَدِّثْ بِكَمْ صَنَعَ ٱللهُ بِكَ». فَمَضَى وَهُوَ يُنَادِي فِي ٱلْمَدِينَةِ كُلِّهَا بِكَمْ صَنَعَ بِهِ يَسُوعُ. | ٣٩ 39 |
“अपनो घर ख लौट जा अऊर लोगों सी बताव कि परमेश्वर न तोरो लायी कसो बड़ो बड़ो काम करयो हंय।” ऊ जाय क पूरो नगर म प्रचार करन लग्यो कि यीशु न मोरो लायी कसो बड़ो-बड़ो काम करयो।
وَلَمَّا رَجَعَ يَسُوعُ قَبِلَهُ ٱلْجَمْعُ لِأَنَّهُمْ كَانُوا جَمِيعُهُمْ يَنْتَظِرُونَهُ. | ٤٠ 40 |
जब यीशु लौट्यो त लोग ओको सी खुशी को संग मिल्यो, कहालीकि हि सब ओकी रस्ता देख रह्यो होतो।
وَإِذَا رَجُلٌ ٱسْمُهُ يَايِرُسُ قَدْ جَاءَ، وَكَانَ رَئِيسَ ٱلْمَجْمَعِ، فَوَقَعَ عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ وَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ يَدْخُلَ بَيْتَهُ، | ٤١ 41 |
इतनो म याईर नाम को एक आदमी जो यहूदियों को आराधनालय को मुखिया होतो, आयो अऊर यीशु को पाय पर गिर क ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोरो घर चल।
لِأَنَّهُ كَانَ لَهُ بِنْتٌ وَحِيدَةٌ لَهَا نَحْوُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، وَكَانَتْ فِي حَالِ ٱلْمَوْتِ. فَفِيمَا هُوَ مُنْطَلِقٌ زَحَمَتْهُ ٱلْجُمُوعُ. | ٤٢ 42 |
कहालीकि ओकी बारा साल की एकलौती बेटी होती, अऊर वा मरन पर होती। जब यीशु जाय रह्यो होतो, तब लोग ओको पर गिरत पड़त होतो।
وَٱمْرَأَةٌ بِنَزْفِ دَمٍ مُنْذُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، وَقَدْ أَنْفَقَتْ كُلَّ مَعِيشَتِهَا لِلْأَطِبَّاءِ، وَلَمْ تَقْدِرْ أَنْ تُشْفَى مِنْ أَحَدٍ، | ٤٣ 43 |
एक बाई जेक बारा साल सी खून बहन को रोग होतो, अऊर जो अपनी पूरी जीवन की कमायी बैद्धो को पीछू कुछ खर्चा कर लियो होती, तब भी कोयी को हाथ सी चंगी नहीं भय सकी,
جَاءَتْ مِنْ وَرَائِهِ وَلَمَسَتْ هُدْبَ ثَوْبِهِ. فَفِي ٱلْحَالِ وَقَفَ نَزْفُ دَمِهَا. | ٤٤ 44 |
भीड़ को पीछू सी आय क ओको कपड़ा को कोना ख छूयो, अऊर तुरतच ओको खून बहन की बीमारी सी ठीक भय गयी।
فَقَالَ يَسُوعُ: «مَنِ ٱلَّذِي لَمَسَنِي؟». وَإِذْ كَانَ ٱلْجَمِيعُ يُنْكِرُونَ، قَالَ بُطْرُسُ وَٱلَّذِينَ مَعَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱلْجُمُوعُ يُضَيِّقُونَ عَلَيْكَ وَيَزْحَمُونَكَ، وَتَقُولُ: مَنِ ٱلَّذِي لَمَسَنِي؟». | ٤٥ 45 |
येख पर यीशु न कह्यो, “मोख कौन छूयो?” जब सब मुकरन लग्यो, त पतरस न कह्यो। “हे मालिक, तोख त भीड़ दबाय रही हय अऊर तोरो पर गिर पड़य हय।”
فَقَالَ يَسُوعُ: «قَدْ لَمَسَنِي وَاحِدٌ، لِأَنِّي عَلِمْتُ أَنَّ قُوَّةً قَدْ خَرَجَتْ مِنِّي». | ٤٦ 46 |
पर यीशु न कह्यो, “कोयी न मोख छूयो हय, कहालीकि मय न जान लियो हय कि मोरो म सी सामर्थ निकली हय।”
فَلَمَّا رَأَتِ ٱلْمَرْأَةُ أَنَّهَا لَمْ تَخْتَفِ، جَاءَتْ مُرْتَعِدَةً وَخَرَّتْ لَهُ، وَأَخْبَرَتْهُ قُدَّامَ جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ لِأَيِّ سَبَبٍ لَمَسَتْهُ، وَكَيْفَ بَرِئَتْ فِي ٱلْحَالِ. | ٤٧ 47 |
जब बाई न देख्यो कि मय लूक नहीं सकू, तब कापती हुयी आयी अऊर ओको पाय पर गिर क सब लोगों को आगु बतायो कि ओन कौन्सो वजह सी ओख छूयो, अऊर कसी तुरतच चंगी भय गयी।
فَقَالَ لَهَا: «ثِقِي يَا ٱبْنَةُ، إِيمَانُكِ قَدْ شَفَاكِ، اِذْهَبِي بِسَلَامٍ». | ٤٨ 48 |
यीशु न ओको सी कह्यो, “बेटी, तोरो विश्वास न तोख चंगो करयो हय, शान्ति सी चली जा।”
وَبَيْنَمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ، جَاءَ وَاحِدٌ مِنْ دَارِ رَئِيسِ ٱلْمَجْمَعِ قَائِلًا لَهُ: «قَدْ مَاتَتِ ٱبْنَتُكَ. لَا تُتْعِبِ ٱلْمُعَلِّمَ». | ٤٩ 49 |
यीशु यो कहतच रह्यो होतो कि कोयी न यहूदी आराधनालय को मुखिया को तरफ सी आय क कह्यो, “तोरी बेटी मर गयी: गुरु ख दु: ख मत दे।”
فَسَمِعَ يَسُوعُ، وَأَجَابَهُ قَائِلًا: «لَاتَخَفْ! آمِنْ فَقَطْ، فَهِيَ تُشْفَى». | ٥٠ 50 |
यीशु न यो सुन क याईर ख कह्यो, “मत डर; केवल विश्वास रख, त वा ठीक होय जायेंन।”
فَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلْبَيْتِ لَمْ يَدَعْ أَحَدًا يَدْخُلُ إِلَّا بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا، وَأَبَا ٱلصَّبِيَّةِ وَأُمَّهَا. | ٥١ 51 |
घर म आय क ओन पतरस, यूहन्ना, याकूब, अऊर बेटी को माय-बाप ख छोड़ दूसरों कोयी ख अपनो संग अन्दर आवन नहीं दियो।
وَكَانَ ٱلْجَمِيعُ يَبْكُونَ عَلَيْهَا وَيَلْطِمُونَ. فَقَالَ: «لَا تَبْكُوا. لَمْ تَمُتْ لَكِنَّهَا نَائِمَةٌ». | ٥٢ 52 |
सब ओको लायी विलाप कर क् रोय रह्यो होतो, पर यीशु न कह्यो, “रोवो मत; वा मरी नहाय पर सोय रही हय।”
فَضَحِكُوا عَلَيْهِ، عَارِفِينَ أَنَّهَا مَاتَتْ. | ٥٣ 53 |
हि यो जान क कि वा मर गयी हय ओकी हसी करन लग्यो।
فَأَخْرَجَ ٱلْجَمِيعَ خَارِجًا، وَأَمْسَكَ بِيَدِهَا وَنَادَى قَائِلًا: «يَا صَبِيَّةُ، قُومِي!». | ٥٤ 54 |
पर यीशु न ओको हाथ पकड़्यो, अऊर पुकार क कह्यो, “हे बेटी, उठ!”
فَرَجَعَتْ رُوحُهَا وَقَامَتْ فِي ٱلْحَالِ. فَأَمَرَ أَنْ تُعْطَى لِتَأْكُلَ. | ٥٥ 55 |
तब ओको जीव लौट आयो अऊर वा तुरतच उठ क खड़ी भय गयी। तब यीशु न आज्ञा दियो कि ओख कुछ खान ख दे।
فَبُهِتَ وَالِدَاهَا. فَأَوْصَاهُمَا أَنْ لَا يَقُولَا لِأَحَدٍ عَمَّا كَانَ. | ٥٦ 56 |
ओको माय-बाप अचम्भित भयो, पर यीशु न उन्ख चितायो कि यो जो भयो हय कोयी सी मत कहजो।