< لُوقا 5 >
وَإِذْ كَانَ ٱلْجَمْعُ يَزْدَحِمُ عَلَيْهِ لِيَسْمَعَ كَلِمَةَ ٱللهِ، كَانَ وَاقِفًا عِنْدَ بُحَيْرَةِ جَنِّيسَارَتَ. | ١ 1 |
जिब यीशु गन्नेसरत की झील कै किनारे पै खड्या था, तो भीड़ परमेसवर का वचन सुणण कै खात्तर उस ताहीं घेरे खड़ी थी, तो इसा होया
فَرَأَى سَفِينَتَيْنِ وَاقِفَتَيْنِ عِنْدَ ٱلْبُحَيْرَةِ، وَٱلصَّيَّادُونَ قَدْ خَرَجُوا مِنْهُمَا وَغَسَلُوا ٱلشِّبَاكَ. | ٢ 2 |
के उसनै झील कै किनारे दो किस्ती लाग्गी होड़ देक्खी, अर मछुआरे उनपै तै उतरकै मच्छियाँ के जाळ नै धोवै थे।
فَدَخَلَ إِحْدَى ٱلسَّفِينَتَيْنِ ٱلَّتِي كَانَتْ لِسِمْعَانَ، وَسَأَلَهُ أَنْ يُبْعِدَ قَلِيلًا عَنِ ٱلْبَرِّ. ثُمَّ جَلَسَ وَصَارَ يُعَلِّمُ ٱلْجُمُوعَ مِنَ ٱلسَّفِينَةِ. | ٣ 3 |
उन किस्तियाँ म्ह तै एक पै, जो शमौन की थी, चढ़कै यीशु नै उसतै बिनती करी के किनारे तै माड़ा सा डिगा ले चाल्लै। फेर वो किस्ती पै बैठकै माणसां नै उपदेश देण लागग्या।
وَلَمَّا فَرَغَ مِنَ ٱلْكَلَامِ قَالَ لِسِمْعَانَ: «ٱبْعُدْ إِلَى ٱلْعُمْقِ وَأَلْقُوا شِبَاكَكُمْ لِلصَّيْدِ». | ٤ 4 |
जिब यीशु नै माणसां तै ये बात कर ली, तो शमौन तै बोल्या, “डुंघ्घे म्ह ले चाल, अर मच्छी पकड़ण खात्तर अपणा जाळ गेर।”
فَأَجَابَ سِمْعَانُ وَقَالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، قَدْ تَعِبْنَا ٱللَّيْلَ كُلَّهُ وَلَمْ نَأْخُذْ شَيْئًا. وَلَكِنْ عَلَى كَلِمَتِكَ أُلْقِي ٱلشَّبَكَةَ». | ٥ 5 |
शमौन नै उसतै जवाब दिया, “हे गुरु, हमनै सारी रात मेहनत करी अर कुछ न्ही मिल्या, फेरभी तेरे कहण तै जाळ गेरूँगा।”
وَلَمَّا فَعَلُوا ذَلِكَ أَمْسَكُوا سَمَكًا كَثِيرًا جِدًّا، فَصَارَتْ شَبَكَتُهُمْ تَتَخَرَّقُ. | ٦ 6 |
जिब पतरस अर उसके साथियाँ नै इसा करया, तो घणी मच्छी घेर ल्याए, अर उनके जाळ पाट्टण नै होण लाग्गे।
فَأَشَارُوا إِلَى شُرَكَائِهِمُ ٱلَّذِينَ فِي ٱلسَّفِينَةِ ٱلْأُخْرَى أَنْ يَأْتُوا وَيُسَاعِدُوهُمْ. فَأَتَوْا وَمَلَأُوا ٱلسَّفِينَتَيْنِ حَتَّى أَخَذَتَا فِي ٱلْغَرَقِ. | ٧ 7 |
इस करकै उननै दुसरी किस्ती म्ह बेठ्ठे अपणे साथियाँ ताहीं भी इशारा करकै मदद खात्तर बुलाया, वे आ ग्ये अर उननै आकै दोन्नु किस्ती उरै ताहीं भर ली के डूबण लाग्गी।
فَلَمَّا رَأَى سِمْعَانُ بُطْرُسُ ذَلِكَ خَرَّ عِنْدَ رُكْبَتَيْ يَسُوعَ قَائِلًا: «ٱخْرُجْ مِنْ سَفِينَتِي يَارَبُّ، لِأَنِّي رَجُلٌ خَاطِئٌ!». | ٨ 8 |
न्यू देखकै शमौन पतरस यीशु कै पायां म्ह पड़ग्या, अर बोल्या, “हे प्रभु, मेरै धोरै तै जा, क्यूँके मै पापी माणस सूं!”
إِذِ ٱعْتَرَتْهُ وَجمِيعَ ٱلَّذِينَ مَعَهُ دَهْشَةٌ عَلَى صَيْدِ ٱلسَّمَكِ ٱلَّذِي أَخَذُوهُ. | ٩ 9 |
क्यूँके इतनी मच्छियाँ कै पकड़े जाण तै उसनै अर उसके साथियाँ नै घणा अचम्भा होया,
وَكَذَلِكَ أَيْضًا يَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا ٱبْنَا زَبَدِي ٱللَّذَانِ كَانَا شَرِيكَيْ سِمْعَانَ. فَقَالَ يَسُوعُ لِسِمْعَانَ: «لَاتَخَفْ! مِنَ ٱلْآنَ تَكُونُ تَصْطَادُ ٱلنَّاسَ!». | ١٠ 10 |
अर उस्से तरियां जब्दी के बेट्टे याकूब अर यूहन्ना नै भी, जो शमौन के दुसरे साथी थे, अचम्भा होया। फेर यीशु नै शमौन तै कह्या, “मतना डरो, इब तै मै थमनै माणसां ताहीं कठ्ठे करण आळे बणाऊँगा ताके वो मेरे चेल्लें बणे।”
وَلَمَّا جَاءُوا بِٱلسَّفِينَتَيْنِ إِلَى ٱلْبَرِّ تَرَكُوا كُلَّ شَيْءٍ وَتَبِعُوهُ. | ١١ 11 |
अर वे किस्तियाँ नै किनारे पै लियाए अर वे जिब्बे सब कुछ छोड़कै उसके चेल्लें बणण खात्तर उसकै पाच्छै हो लिये।।
وَكَانَ فِي إِحْدَى ٱلْمُدُنِ، فَإِذَا رَجُلٌ مَمْلُوءٌ بَرَصًا. فَلَمَّا رَأَى يَسُوعَ خَرَّ عَلَى وَجْهِهِ وَطَلَبَ إِلَيْهِ قَائِلًا: «يَا سَيِّدُ، إِنْ أَرَدْتَ تَقْدِرْ أَنْ تُطَهِّرَنِي». | ١٢ 12 |
जिब वो किसे नगर म्ह था, तो उड़ै कोढ़ तै भरया होया एक माणस आया, अर उसनै यीशु ताहीं देखकै अर मोध्धा पड़कै बिनती करी, “हे प्रभु, जै तू चाहवै तो मन्नै ठीक कर सकै सै।”
فَمَدَّ يَدَهُ وَلَمَسَهُ قَائِلًا: «أُرِيدُ، فَٱطْهُرْ!». وَلِلْوَقْتِ ذَهَبَ عَنْهُ ٱلْبَرَصُ. | ١٣ 13 |
उसनै हाथ बढ़ाकै उस ताहीं छुया अर बोल्या, “मै चाहूँ सूं, तू इस बीमारी तै ठीक हो ज्या।” अर उसका कोढ़ जिब्बे जान्दा रह्या।
فَأَوْصَاهُ أَنْ لَا يَقُولَ لِأَحَدٍ. بَلِ «ٱمْضِ وَأَرِ نَفْسَكَ لِلْكَاهِنِ، وَقَدِّمْ عَنْ تَطْهِيرِكَ كَمَا أَمَرَ مُوسَى شَهَادَةً لَهُمْ». | ١٤ 14 |
फेर उसनै उस ताहीं समझाकै कह्या, “किसे तै ना कहिए, पर जाकै अपणे-आपनै याजक ताहीं दिखा, अर अपणे कोढ़ तै ठीक होण कै बारै म्ह जो कुछ मूसा नबी नै जो पवित्र ग्रन्थ म्ह चढ़ावा बताया सै उसनै चढ़ा, के माणसां खात्तर या गवाही हो, के तू ठीक होग्या सै।”
فَذَاعَ ٱلْخَبَرُ عَنْهُ أَكْثَرَ. فَٱجْتَمَعَ جُمُوعٌ كَثِيرَةٌ لِكَيْ يَسْمَعُوا وَيُشْفَوْا بِهِ مِنْ أَمْرَاضِهِمْ. | ١٥ 15 |
पर यीशु का जिक्र हरेक जगहां फैल्दा गया, अर भीड़ की भीड़ उसकी सुणण कै खात्तर अर अपणी बिमारियाँ तै ठीक होण कै खात्तर कठ्ठी होई।
وَأَمَّا هُوَ فَكَانَ يَعْتَزِلُ فِي ٱلْبَرَارِي وَيُصَلِّي. | ١٦ 16 |
पर वो सुनसान जगहां म्ह न्यारा जाकै प्रार्थना करया करै था।
وَفِي أَحَدِ ٱلْأَيَّامِ كَانَ يُعَلِّمُ، وَكَانَ فَرِّيسِيُّونَ وَمُعَلِّمُونَ لِلنَّامُوسِ جَالِسِينَ وَهُمْ قَدْ أَتَوْا مِنْ كُلِّ قَرْيَةٍ مِنَ ٱلْجَلِيلِ وَٱلْيَهُودِيَّةِ وَأُورُشَلِيمَ. وَكَانَتْ قُوَّةُ ٱلرَّبِّ لِشِفَائِهِمْ. | ١٧ 17 |
एक दिन इसा होया के यीशु उपदेश देण लागरया था अर ठीक करण खात्तर प्रभु की सामर्थ उसकै गेल्या थी, अर फरीसी अर शास्त्री उड़ैए बेठ्ठे थे, जो गलील अर यहूदिया परदेस कै हरेक गाम अर यरुशलेम नगर तै आए थे।
وَإِذَا بِرِجَالٍ يَحْمِلُونَ عَلَى فِرَاشٍ إِنْسَانًا مَفْلُوجًا، وَكَانُوا يَطْلُبُونَ أَنْ يَدْخُلُوا بِهِ وَيَضَعُوهُ أَمَامَهُ. | ١٨ 18 |
उस बखत कई माणस एक माणस नै जो लकवे का बीमार था, खाट पै ल्याए, अर वे उसनै भीत्त्तर ले जाण अर यीशु कै स्याम्ही धरण का जुगाड़ टोह्ण लागरे थे।
وَلَمَّا لَمْ يَجِدُوا مِنْ أَيْنَ يَدْخُلُونَ بِهِ لِسَبَبِ ٱلْجَمْعِ، صَعِدُوا عَلَى ٱلسَّطْحِ وَدَلَّوْهُ مَعَ ٱلْفِرَاشِ مِنْ بَيْنِ ٱلْأَجُرِّ إِلَى ٱلْوَسْطِ قُدَّامَ يَسُوعَ. | ١٩ 19 |
पर जिब भीड़ कै कारण उसनै भीत्त्तर कोनी ले जा सके तो उननै छात पै चढ़कै अर टाट्टी हटाकै, उस ताहीं बिस्तर समेत बिचाळै यीशु कै स्याम्ही उतार दिया।
فَلَمَّا رَأَى إِيمَانَهُمْ قَالَ لَهُ: «أَيُّهَا ٱلْإِنْسَانُ، مَغْفُورَةٌ لَكَ خَطَايَاكَ». | ٢٠ 20 |
उसनै उनका बिश्वास देखकै उसतै बोल्या, “हे भाई, मन्नै तेरे पाप माफ कर दिये।”
فَٱبْتَدَأَ ٱلْكَتَبَةُ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ يُفَكِّرُونَ قَائِلِينَ «مَنْ هَذَا ٱلَّذِي يَتَكَلَّمُ بِتَجَادِيفَ؟ مَنْ يَقْدِرُ أَنْ يَغْفِرَ خَطَايَا إِلَّا ٱللهُ وَحْدَهُ؟». | ٢١ 21 |
फेर शास्त्री अर फरीसी बहस करण लाग्गे, “यो कौण सै जो परमेसवर की बुराई करै सै? परमेसवर नै छोड़ और कौण पाप माफ कर सकै सै?”
فَشَعَرَ يَسُوعُ بِأَفْكَارِهِمْ، وَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «مَاذَا تُفَكِّرُونَ فِي قُلُوبِكُمْ؟ | ٢٢ 22 |
यीशु नै उनकै मन की बात जाणकै, उनतै कह्या, “थम अपणे मन म्ह क्यूँ विवाद करण लागरे सो की मै परमेसवर की बुराई करुँ सूं?
أَيُّمَا أَيْسَرُ: أَنْ يُقَالَ: مَغْفُورَةٌ لَكَ خَطَايَاكَ، أَمْ أَنْ يُقَالَ: قُمْ وَٱمْشِ؟ | ٢٣ 23 |
आसान के सै? के यो कहणा के ‘तेरे पाप माफ होए’, या यो कहणा के ‘उठ अर हाँड-फिर’?
وَلَكِنْ لِكَيْ تَعْلَمُوا أَنَّ لِٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ سُلْطَانًا عَلَى ٱلْأَرْضِ أَنْ يَغْفِرَ ٱلْخَطَايَا»، قَالَ لِلْمَفْلُوجِ: «لَكَ أَقُولُ: قُمْ وَٱحْمِلْ فِرَاشَكَ وَٱذْهَبْ إِلَى بَيْتِكَ!». | ٢٤ 24 |
पर इस करकै के थम जाणो, के मुझ माणस कै बेट्टे नै धरती पै पाप माफ करण का भी हक सै।” उसनै उस लकवे के मरीज तै कह्या, “मै तेरे तै कहूँ सूं के अपणे बिस्तर ठाकै अपणे घरां चल्या जा।”
فَفِي ٱلْحَالِ قَامَ أَمَامَهُمْ، وَحَمَلَ مَا كَانَ مُضْطَجِعًا عَلَيْهِ، وَمَضَى إِلَى بَيْتِهِ وَهُوَ يُمَجِّدُ ٱللهَ. | ٢٥ 25 |
वो जिब्बे उनकै स्याम्ही उठ्या, अर जिस खाट पै पड्या था उसनै ठाकै, परमेसवर की बड़ाई करदा होया अपणे घरां चल्या गया।
فَأَخَذَتِ ٱلْجَمِيعَ حَيْرَةٌ وَمَجَّدُوا ٱللهَ، وَٱمْتَلَأُوا خَوْفًا قَائِلِينَ: «إِنَّنَا قَدْ رَأَيْنَا ٱلْيَوْمَ عَجَائِبَ!». | ٢٦ 26 |
फेर सारे हैरान होए अर परमेसवर की बड़ाई करण लाग्गे अर घणे डरकै बोल्ले, “आज हमनै अनोक्खी बात देक्खी सै।”
وَبَعْدَ هَذَا خَرَجَ فَنَظَرَ عَشَّارًا ٱسْمُهُ لَاوِي جَالِسًا عِنْدَ مَكَانِ ٱلْجِبَايَةِ، فَقَالَ لَهُ: «ٱتْبَعْنِي». | ٢٧ 27 |
इसकै बाद यीशु बाहरणै गया अर लेवी नाम के एक चुंगी लेण आळे ताहीं चौकी पै बेठ्ठे देख्या, अर उसतै बोल्या, “मेरा चेल्ला बणण खात्तर मेरै पाच्छै हो ले।”
فَتَرَكَ كُلَّ شَيْءٍ وَقَامَ وَتَبِعَهُ. | ٢٨ 28 |
फेर वो सारा कुछ छोड़कै उसकै पाच्छै हो लिया।
وَصَنَعَ لَهُ لَاوِي ضِيَافَةً كَبِيرَةً فِي بَيْتِهِ. وَٱلَّذِينَ كَانُوا مُتَّكِئِينَ مَعَهُمْ كَانُوا جَمْعًا كَثِيرًا مِنْ عَشَّارِينَ وَآخَرِينَ. | ٢٩ 29 |
फेर लेवी नै अपणे घरां उसकै खात्तर बड्ड़ा जिम्मण का न्योंदा दिया, अर चुंगी लेण आळे अर दुसरे माणसां की जो उसकै गेल्या खाणा खाण नै बेठ्ठे थे, एक बड्डी भीड़ थी।
فَتَذَمَّرَ كَتَبَتُهُمْ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ عَلَى تَلَامِيذِهِ قَائِلِينَ: «لِمَاذَا تَأْكُلُونَ وَتَشْرَبُونَ مَعَ عَشَّارِينَ وَخُطَاةٍ؟». | ٣٠ 30 |
इसपै फरीसी अर उनके शास्त्री उसके चेल्यां तै न्यू कहकै बिरड़ाण लाग्गे, “थम चुंगी लेण आळे अर जिननै लोग पापी कहवै सै, उनकै गेल्या खाओ-पीओ सो?”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «لَا يَحْتَاجُ ٱلْأَصِحَّاءُ إِلَى طَبِيبٍ، بَلِ ٱلْمَرْضَى. | ٣١ 31 |
यीशु नै उनतै जवाब दिया, “वैद आच्छे-बिच्छयां खात्तर कोनी, पर बिमारां खात्तर जरूरी सै।
لَمْ آتِ لِأَدْعُوَ أَبْرَارًا بَلْ خُطَاةً إِلَى ٱلتَّوْبَةِ». | ٣٢ 32 |
मै धर्मियाँ नै न्ही, पर पापियाँ नै मन पलटन कै खात्तर बुलाण आया सूं।”
وَقَالُوا لَهُ: «لِمَاذَا يَصُومُ تَلَامِيذُ يُوحَنَّا كَثِيرًا وَيُقَدِّمُونَ طَلَبَاتٍ، وَكَذَلِكَ تَلَامِيذُ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ أَيْضًا، وَأَمَّا تَلَامِيذُكَ فَيَأْكُلُونَ وَيَشْرَبُونَ؟». | ٣٣ 33 |
उननै उसतै कह्या, “यूहन्ना के चेल्लें तो बराबर ब्रत अर प्रार्थना करया करै सै अर उस्से तरियां फरीसियाँ के चेल्लें भी, पर तेरे चेल्लें तो खावै-पीवै सै।”
فَقَالَ لَهُمْ: «أَتَقْدِرُونَ أَنْ تَجْعَلُوا بَنِي ٱلْعُرْسِ يَصُومُونَ مَا دَامَ ٱلْعَرِيسُ مَعَهُمْ؟ | ٣٤ 34 |
यीशु नै उनतै कह्या, “के थम बरातियाँ तै, जिब्बताहीं बन्दड़ा उनकै गेल्या रहवैं, ब्रत करा सको सो?”
وَلَكِنْ سَتَأْتِي أَيَّامٌ حِينَ يُرْفَعُ ٱلْعَرِيسُ عَنْهُمْ، فَحِينَئِذٍ يَصُومُونَ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ». | ٣٥ 35 |
“पर वे दिन भी आवैगें, जिब बन्दड़ा न्यारा करया जावैगा, फेर वे उन दिनां म्ह ब्रत करैगें।”
وَقَالَ لَهُمْ أَيْضًا مَثَلًا: «لَيْسَ أَحَدٌ يَضَعُ رُقْعَةً مِنْ ثَوْبٍ جَدِيدٍ عَلَى ثَوْبٍ عَتِيقٍ، وَإِلَّا فَٱلْجَدِيدُ يَشُقُّهُ، وَٱلْعَتِيقُ لَا تُوافِقُهُ ٱلرُّقْعَةُ ٱلَّتِي مِنَ ٱلْجَدِيدِ. | ٣٦ 36 |
यीशु नै एक और उदाहरण दिया, “कोए माणस नये लत्यां म्ह तै पाड़कै पुराणे लत्यां पै थेग्ळी न्ही लगान्दा, न्ही तो नया पाट ज्यागा अर वा थेग्ळी पुराणे पै मेळ भी न्ही खावैगी।
وَلَيْسَ أَحَدٌ يَجْعَلُ خَمْرًا جَدِيدَةً فِي زِقَاقٍ عَتِيقَةٍ لِئَلَّا تَشُقَّ ٱلْخَمْرُ ٱلْجَدِيدَةُ ٱلزِّقَاقَ، فَهِيَ تُهْرَقُ وَٱلزِّقَاقُ تَتْلَفُ. | ٣٧ 37 |
अर कोए नया अंगूर का रस पुराणी मश्क म्ह न्ही भरदा, न्ही तो नया अंगूर का रस पुराणी मशकां नै पाड़कै बह ज्यागा, अर मश्क फूट ज्या सै।
بَلْ يَجْعَلُونَ خَمْرًا جَدِيدَةً فِي زِقَاقٍ جَدِيدَةٍ، فَتُحْفَظُ جَمِيعًا. | ٣٨ 38 |
पर नया अंगूर का रस नई मशकां म्ह भरणा चाहिए।
وَلَيْسَ أَحَدٌ إِذَا شَرِبَ ٱلْعَتِيقَ يُرِيدُ لِلْوَقْتِ ٱلْجَدِيدَ، لِأَنَّهُ يَقُولُ: ٱلْعَتِيقُ أَطْيَبُ». | ٣٩ 39 |
कोए माणस पुराणा अंगूर का रस पीकै नया अंगूर का रस कोनी चाह्न्दा क्यूँके वो कहवै सै, के पुराणा-ए बढ़िया सै।”