< لُوقا 23 >
فَقَامَ كُلُّ جُمْهُورِهِمْ وَجَاءُوا بِهِ إِلَى بِيلَاطُسَ، | ١ 1 |
इस पर सारी सभा उठ खड़ी हुई और वे प्रभु येशु को राज्यपाल पिलातॉस के पास ले गए.
وَٱبْتَدَأُوا يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ قَائِلِينَ: «إِنَّنَا وَجَدْنَا هَذَا يُفْسِدُ ٱلْأُمَّةَ، وَيَمْنَعُ أَنْ تُعْطَى جِزْيَةٌ لِقَيْصَرَ، قَائِلًا: إِنَّهُ هُوَ مَسِيحٌ مَلِكٌ». | ٢ 2 |
पिलातॉस के सामने वे यह कहते हुए प्रभु येशु पर दोष लगाने लगे, “हमने यह पाया है कि यह व्यक्ति हमारे राष्ट्र को भरमा रहा है. यह कयसर को कर देने का विरोध करता है तथा यह दावा करता है कि वह स्वयं ही मसीह, राजा है.”
فَسَأَلَهُ بِيلَاطُسُ قَائِلًا: «أَنْتَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ؟». فَأَجَابَهُ وَقَالَ: «أَنْتَ تَقُولُ». | ٣ 3 |
इसलिये पिलातॉस ने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” “सच वही है, जो आपने कहा है.” प्रभु येशु ने उत्तर दिया.
فَقَالَ بِيلَاطُسُ لِرُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْجُمُوعِ: «إِنِّي لَا أَجِدُ عِلَّةً فِي هَذَا ٱلْإِنْسَانِ». | ٤ 4 |
इस पर पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों और भीड़ को संबोधित करते हुए घोषणा की, “मुझे इस व्यक्ति में ऐसा कोई दोष नहीं मिला कि इस पर मुकद्दमा चलाया जाए.”
فَكَانُوا يُشَدِّدُونَ قَائِلِينَ: «إِنَّهُ يُهَيِّجُ ٱلشَّعْبَ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي كُلِّ ٱلْيَهُودِيَّةِ مُبْتَدِئًا مِنَ ٱلْجَلِيلِ إِلَى هُنَا». | ٥ 5 |
किंतु वे दृढतापूर्वक कहते रहे, “यह सारे यहूदिया प्रदेश में लोगों को अपनी शिक्षाओं द्वारा भड़का रहा है. यह सब इसने गलील प्रदेश में प्रारंभ किया और अब यहां भी आ पहुंचा है.”
فَلَمَّا سَمِعَ بِيلَاطُسُ ذِكْرَ ٱلْجَلِيلِ، سَأَلَ: «هَلِ ٱلرَّجُلُ جَلِيلِيٌّ؟» | ٦ 6 |
यह सुनते ही पिलातॉस ने प्रश्न किया, “क्या यह व्यक्ति गलीलवासी है?”
وَحِينَ عَلِمَ أَنَّهُ مِنْ سَلْطَنَةِ هِيرُودُسَ، أَرْسَلَهُ إِلَى هِيرُودُسَ، إِذْ كَانَ هُوَ أَيْضًا تِلْكَ ٱلْأَيَّامَ فِي أُورُشَلِيمَ. | ٧ 7 |
यह मालूम होने पर कि प्रभु येशु हेरोदेस के अधिकार क्षेत्र के हैं, उसने उन्हें हेरोदेस के पास भेज दिया, जो इस समय येरूशलेम नगर में ही था.
وَأَمَّا هِيرُودُسُ فَلَمَّا رَأَى يَسُوعَ فَرِحَ جِدًّا، لِأَنَّهُ كَانَ يُرِيدُ مِنْ زَمَانٍ طَوِيلٍ أَنْ يَرَاهُ، لِسَمَاعِهِ عَنْهُ أَشْيَاءَ كَثِيرَةً، وَتَرَجَّى أَنْ يَرَي آيَةً تُصْنَعُ مِنْهُ. | ٨ 8 |
प्रभु येशु को देखकर हेरोदेस अत्यंत प्रसन्न हुआ क्योंकि बहुत दिनों से उसे प्रभु येशु को देखने की इच्छा थी. उसने प्रभु येशु के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था. उसे आशा थी कि वह प्रभु येशु द्वारा किया गया कोई चमत्कार देख सकेगा.
وَسَأَلَهُ بِكَلَامٍ كَثِيرٍ فَلَمْ يُجِبْهُ بِشَيْءٍ. | ٩ 9 |
उसने प्रभु येशु से अनेक प्रश्न किए किंतु प्रभु येशु ने कोई भी उत्तर न दिया.
وَوَقَفَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةُ يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ بِٱشْتِدَادٍ، | ١٠ 10 |
प्रधान पुरोहित और शास्त्री वहीं खड़े हुए थे और पूरे ज़ोर शोर से प्रभु येशु पर दोष लगा रहे थे.
فَٱحْتَقَرَهُ هِيرُودُسُ مَعَ عَسْكَرِهِ وَٱسْتَهْزَأَ بِهِ، وَأَلْبَسَهُ لِبَاسًا لَامِعًا، وَرَدَّهُ إِلَى بِيلَاطُسَ. | ١١ 11 |
हेरोदेस और उसके सैनिकों ने अपमान करके प्रभु येशु का मज़ाक उड़ाया और उन पर भड़कीला वस्त्र डालकर वापस पिलातॉस के पास भेज दिया.
فَصَارَ بِيلَاطُسُ وَهِيرُودُسُ صَدِيقَيْنِ مَعَ بَعْضِهِمَا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّهُمَا كَانَا مِنْ قَبْلُ فِي عَدَاوَةٍ بَيْنَهُمَا. | ١٢ 12 |
उसी दिन से हेरोदेस और पिलातॉस में मित्रता हो गई—इसके पहले वे एक दूसरे के शत्रु थे.
فَدَعَا بِيلَاطُسُ رُؤَسَاءَ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْعُظَمَاءَ وَٱلشَّعْبَ، | ١٣ 13 |
पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों, नायकों और लोगों को पास बुलाया
وَقَالَ لَهُمْ: «قَدْ قَدَّمْتُمْ إِلَيَّ هَذَا ٱلْإِنْسَانَ كَمَنْ يُفْسِدُ ٱلشَّعْبَ. وَهَا أَنَا قَدْ فَحَصْتُ قُدَّامَكُمْ وَلَمْ أَجِدْ فِي هَذَا ٱلْإِنْسَانِ عِلَّةً مِمَّا تَشْتَكُونَ بِهِ عَلَيْهِ. | ١٤ 14 |
और उनसे कहा, “तुम इस व्यक्ति को यह कहते हुए मेरे पास लाए हो कि यह लोगों को विद्रोह के लिए उकसा रहा है. तुम्हारी ही उपस्थिति में मैंने उससे पूछताछ की और मुझे उसमें तुम्हारे द्वारा लगाए आरोप के लिए कोई भी आधार नहीं मिला—न ही हेरोदेस को उसमें कोई दोष मिला है.
وَلَا هِيرُودُسُ أَيْضًا، لِأَنِّي أَرْسَلْتُكُمْ إِلَيْهِ. وَهَا لَا شَيْءَ يَسْتَحِقُّ ٱلْمَوْتَ صُنِعَ مِنْهُ. | ١٥ 15 |
उसने उसे हमारे पास ही भेज दिया है. तुम देख ही रहे हो कि उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अपराध नहीं किया है.
فَأَنَا أُؤَدِّبُهُ وَأُطْلِقُهُ». | ١٦ 16 |
इसलिये मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.” [
وَكَانَ مُضْطَرًّا أَنْ يُطْلِقَ لَهُمْ كُلَّ عِيدٍ وَاحِدًا، | ١٧ 17 |
उत्सव के अवसर पर एक बंदी को मुक्त कर देने की प्रथा थी.]
فَصَرَخُوا بِجُمْلَتِهِمْ قَائِلِينَ: «خُذْ هَذَا! وَأَطْلِقْ لَنَا بَارَابَاسَ!». | ١٨ 18 |
भीड़ एक शब्द में चिल्ला उठी, “उसे मृत्यु दंड दीजिए और हमारे लिए बार-अब्बास को मुक्त कर दीजिए!”
وَذَاكَ كَانَ قَدْ طُرِحَ فِي ٱلسِّجْنِ لِأَجْلِ فِتْنَةٍ حَدَثَتْ فِي ٱلْمَدِينَةِ وَقَتْلٍ. | ١٩ 19 |
(बार-अब्बास को नगर में विद्रोह भड़काने और हत्या के आरोप में बंदी बनाया गया था.)
فَنَادَاهُمْ أَيْضًا بِيلَاطُسُ وَهُوَ يُرِيدُ أَنْ يُطْلِقَ يَسُوعَ، | ٢٠ 20 |
प्रभु येशु को मुक्त करने की इच्छा से पिलातॉस ने उनसे एक बार फिर विनती की,
فَصَرَخُوا قَائِلِينَ: «ٱصْلِبْهُ! ٱصْلِبْهُ!». | ٢١ 21 |
किंतु वे चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ! क्रूस पर चढ़ाओ!”
فَقَالَ لَهُمْ ثَالِثَةً: «فَأَيَّ شَرٍّ عَمِلَ هَذَا؟ إِنِّي لَمْ أَجِدْ فِيهِ عِلَّةً لِلْمَوْتِ، فَأَنَا أُؤَدِّبُهُ وَأُطْلِقُهُ». | ٢٢ 22 |
पिलातॉस ने तीसरी बार उनसे प्रश्न किया, “क्यों? क्या है उसका अपराध? मुझे तो उसमें मृत्यु दंड देने योग्य कोई दोष नहीं मिला. मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.”
فَكَانُوا يَلِجُّونَ بِأَصْوَاتٍ عَظِيمَةٍ طَالِبِينَ أَنْ يُصْلَبَ. فَقَوِيَتْ أَصْوَاتُهُمْ وَأَصْوَاتُ رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ. | ٢٣ 23 |
किंतु वे हठ करते हुए ऊंचे शब्द में चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ उसे!” तब हारकर उसे उनके आगे झुकना ही पड़ा.
فَحَكَمَ بِيلَاطُسُ أَنْ تَكُونَ طِلْبَتُهُمْ. | ٢٤ 24 |
पिलातॉस ने अनुमति दे दी कि उनकी मांग पूरी की जाए
فَأَطْلَقَ لَهُمُ ٱلَّذِي طُرِحَ فِي ٱلسِّجْنِ لِأَجْلِ فِتْنَةٍ وَقَتْلٍ، ٱلَّذِي طَلَبُوهُ، وَأَسْلَمَ يَسُوعَ لِمَشِيئَتِهِمْ. | ٢٥ 25 |
और उसने उस व्यक्ति को मुक्त कर दिया, जिसे विद्रोह तथा हत्या के अपराधों में बंदी बनाया गया था, जिसे छोड़ देने की उन्होंने मांग की थी और उसने प्रभु येशु को भीड़ की इच्छा अनुसार उन्हें ही सौंप दिया.
وَلَمَّا مَضَوْا بِهِ أَمْسَكُوا سِمْعَانَ، رَجُلًا قَيْرَوَانِيًّا كَانَ آتِيًا مِنَ ٱلْحَقْلِ، وَوَضَعُوا عَلَيْهِ ٱلصَّلِيبَ لِيَحْمِلَهُ خَلْفَ يَسُوعَ. | ٢٦ 26 |
जब सैनिक प्रभु येशु को लेकर जा रहे थे, उन्होंने सायरीनवासी शिमओन को पकड़ा, जो अपने गांव से आ रहा था. उन्होंने प्रभु येशु के लिए निर्धारित क्रूस उस पर लाद दिया कि वह उसे लेकर प्रभु येशु के पीछे-पीछे जाए.
وَتَبِعَهُ جُمْهُورٌ كَثِيرٌ مِنَ ٱلشَّعْبِ، وَٱلنِّسَاءِ ٱللَّوَاتِي كُنَّ يَلْطِمْنَ أَيْضًا وَيَنُحْنَ عَلَيْهِ. | ٢٧ 27 |
बड़ी संख्या में लोग उनके पीछे चल रहे थे. उनमें अनेक स्त्रियां भी थी, जो प्रभु येशु के लिए विलाप कर रही थी.
فَٱلْتَفَتَ إِلَيْهِنَّ يَسُوعُ وَقَالَ: «يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ، لَا تَبْكِينَ عَلَيَّ بَلِ ٱبْكِينَ عَلَى أَنْفُسِكُنَّ وَعَلَى أَوْلَادِكُنَّ، | ٢٨ 28 |
मुड़कर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “येरूशलेम की पुत्रियो! मेरे लिए रोना छोड़कर स्वयं अपने लिए तथा अपनी संतान के लिए रोओ.
لِأَنَّهُ هُوَذَا أَيَّامٌ تَأْتِي يَقُولُونَ فِيهَا: طُوبَى لِلْعَوَاقِرِ وَٱلْبُطُونِ ٱلَّتِي لَمْ تَلِدْ وَٱلثُّدِيِّ ٱلَّتِي لَمْ تُرْضِعْ! | ٢٩ 29 |
क्योंकि वे दिन आ रहे हैं जब लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे स्त्रियां, जो बांझ हैं, वे गर्भ, जिन्होंने संतान पैदा नहीं किए और वे स्तन, जिन्होंने दूध नहीं पिलाया!’
حِينَئِذٍ يَبْتَدِئُونَ يَقُولُونَ لِلْجِبَالِ: ٱسْقُطِي عَلَيْنَا! وَلِلْآكَامِ: غَطِّينَا! | ٣٠ 30 |
“‘तब वे पर्वतों से कहेंगे, “हम पर आ गिरो!” और पहाड़ियों से कहेंगे, “हमें ढांप लो!”’
لِأَنَّهُ إِنْ كَانُوا بِٱلْعُودِ ٱلرَّطْبِ يَفْعَلُونَ هَذَا، فَمَاذَا يَكُونُ بِٱلْيَابِسِ؟». | ٣١ 31 |
क्योंकि जब वे एक हरे पेड़ के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं तब क्या होगी सूखे पेड़ की दशा?”
وَجَاءُوا أَيْضًا بِٱثْنَيْنِ آخَرَيْنِ مُذْنِبَيْنِ لِيُقْتَلَا مَعَهُ. | ٣٢ 32 |
राजद्रोह के अपराधी दो व्यक्ति भी प्रभु येशु के साथ मृत्यु दंड के लिए ले जाए जा रहे थे.
وَلَمَّا مَضَوْا بِهِ إِلَى ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي يُدْعَى «جُمْجُمَةَ» صَلَبُوهُ هُنَاكَ مَعَ ٱلْمُذْنِبَيْنِ، وَاحِدًا عَنْ يَمِينِهِ وَٱلْآخَرَ عَنْ يَسَارِهِ. | ٣٣ 33 |
जब वे कपाल नामक स्थल पर पहुंचे उन्होंने प्रभु येशु तथा उन दोनों राजद्रोहियों को भी क्रूसित कर दिया—एक को प्रभु येशु की दायीं ओर दूसरे को उनकी बायीं ओर.
فَقَالَ يَسُوعُ: «يَا أَبَتَاهُ، ٱغْفِرْ لَهُمْ، لِأَنَّهُمْ لَا يَعْلَمُونَ مَاذَا يَفْعَلُونَ». وَإِذِ ٱقْتَسَمُوا ثِيَابَهُ ٱقْتَرَعُوا عَلَيْهَا. | ٣٤ 34 |
प्रभु येशु ने प्रार्थना की, “पिता, इनको क्षमा कर दीजिए क्योंकि इन्हें यह पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं.” उन्होंने पासा फेंककर प्रभु येशु के वस्त्र आपस में बांट लिए.
وَكَانَ ٱلشَّعْبُ وَاقِفِينَ يَنْظُرُونَ، وَٱلرُّؤَسَاءُ أَيْضًا مَعَهُمْ يَسْخَرُونَ بِهِ قَائِلِينَ: «خَلَّصَ آخَرِينَ، فَلْيُخَلِّصْ نَفْسَهُ إِنْ كَانَ هُوَ ٱلْمَسِيحَ مُخْتَارَ ٱللهِ!». | ٣٥ 35 |
भीड़ खड़ी हुई यह सब देख रही थी. यहूदी राजा यह कहते हुए प्रभु येशु का ठट्ठा कर रहे थे, “इसने अन्य लोगों की रक्षा की है. यदि यह परमेश्वर का मसीह, उनका चुना हुआ है, तो अब अपनी रक्षा स्वयं कर ले.”
وَٱلْجُنْدُ أَيْضًا ٱسْتَهْزَأُوا بِهِ وَهُمْ يَأْتُونَ وَيُقَدِّمُونَ لَهُ خَلًّا، | ٣٦ 36 |
सैनिक भी उनका ठट्ठा किये. वे प्रभु येशु के पास आकर उन्हें घटिया दाखरस प्रस्तुत करके कहे,
قَائِلِينَ: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ مَلِكَ ٱلْيَهُودِ فَخَلِّصْ نَفْسَكَ!». | ٣٧ 37 |
“यदि यहूदियों के राजा हो तो स्वयं को बचा लो.”
وَكَانَ عُنْوَانٌ مَكْتُوبٌ فَوْقَهُ بِأَحْرُفٍ يُونَانِيَّةٍ وَرُومَانِيَّةٍ وَعِبْرَانِيَّةٍ: «هَذَا هُوَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ». | ٣٨ 38 |
क्रूस पर उनके सिर के ऊपर सूचना पत्र के रूप में यह लिखा था: यही वह यहूदियों का राजा है.
وَكَانَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلْمُذْنِبَيْنِ ٱلْمُعَلَّقَيْنِ يُجَدِّفُ عَلَيْهِ قَائِلًا: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحَ، فَخَلِّصْ نَفْسَكَ وَإِيَّانَا!». | ٣٩ 39 |
वहां लटकाए गए राजद्रोहियों में से एक ने प्रभु येशु पर अपशब्दों की बौछार करते हुए कहा: “अरे! क्या तुम मसीह नहीं हो? स्वयं अपने आपको बचाओ और हमको भी!”
فَأجَابَ ٱلْآخَرُ وَٱنْتَهَرَهُ قَائِلًا: «أَوَلَا أَنْتَ تَخَافُ ٱللهَ، إِذْ أَنْتَ تَحْتَ هَذَا ٱلْحُكْمِ بِعَيْنِهِ؟ | ٤٠ 40 |
किंतु दूसरे राजद्रोही ने डपटते हुए उससे कहा, “क्या तुझे परमेश्वर का थोड़ा भी भय नहीं है? तुझे भी तो वही दंड दिया जा रहा है!
أَمَّا نَحْنُ فَبِعَدْلٍ، لِأَنَّنَا نَنَالُ ٱسْتِحْقَاقَ مَا فَعَلْنَا، وَأَمَّا هَذَا فَلَمْ يَفْعَلْ شَيْئًا لَيْسَ فِي مَحَلِّهِ». | ٤١ 41 |
हमारे लिए तो यह दंड सही ही है क्योंकि हमें वही मिल रहा है, जो हमारे बुरे कामों के लिए सही है किंतु इन्होंने तो कुछ भी गलत नहीं किया.”
ثُمَّ قَالَ لِيَسُوعَ: «ٱذْكُرْنِي يَارَبُّ مَتَى جِئْتَ فِي مَلَكُوتِكَ». | ٤٢ 42 |
तब प्रभु येशु की ओर देखकर उसने उनसे विनती की, “आदरणीय येशु! अपने राज्य में मुझ पर दया कीजिएगा.”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: إِنَّكَ ٱلْيَوْمَ تَكُونُ مَعِي فِي ٱلْفِرْدَوْسِ». | ٤٣ 43 |
प्रभु येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं तुम पर यह सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: आज ही तुम मेरे साथ स्वर्गलोक में होगे.”
وَكَانَ نَحْوُ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ، فَكَانَتْ ظُلْمَةٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا إِلَى ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ. | ٤٤ 44 |
यह दिन का मध्याह्न था. सारे क्षेत्र पर अंधकार छा गया और यह तीन बजे तक छाया रहा.
وَأَظْلَمَتِ ٱلشَّمْسُ، وَٱنْشَقَّ حِجَابُ ٱلْهَيْكَلِ مِنْ وَسْطِهِ. | ٤٥ 45 |
सूर्य अंधियारा हो गया, मंदिर का पर्दा फटकर दो भागों में बांट दिया गया.
وَنَادَى يَسُوعُ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ وَقَالَ: «يَا أَبَتَاهُ، فِي يَدَيْكَ أَسْتَوْدِعُ رُوحِي». وَلَمَّا قَالَ هَذَا أَسْلَمَ ٱلرُّوحَ. | ٤٦ 46 |
प्रभु येशु ने ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “पिता! मैं अपनी आत्मा आपके हाथों में सौंपता हूं.” यह कहते हुए उन्होंने प्राण त्याग दिए.
فَلَمَّا رَأَى قَائِدُ ٱلْمِئَةِ مَا كَانَ، مَجَّدَ ٱللهَ قَائِلًا: «بِٱلْحَقِيقَةِ كَانَ هَذَا ٱلْإِنْسَانُ بَارًّا!». | ٤٧ 47 |
वह शताधिपति, जो यह सब देख रहा था, यह कहते हुए परमेश्वर की वंदना करने लगा, “सचमुच यह व्यक्ति निर्दोष था.”
وَكُلُّ ٱلْجُمُوعِ ٱلَّذِينَ كَانُوا مُجْتَمِعِينَ لِهَذَا ٱلْمَنْظَرِ، لَمَّا أَبْصَرُوا مَا كَانَ، رَجَعُوا وَهُمْ يَقْرَعُونَ صُدُورَهُمْ. | ٤٨ 48 |
इस घटना को देखने के लिए इकट्ठा भीड़ यह सब देख छाती पीटकर विलाप करती हुई घर लौट गयी.
وَكَانَ جَمِيعُ مَعَارِفِهِ، وَنِسَاءٌ كُنَّ قَدْ تَبِعْنَهُ مِنَ ٱلْجَلِيلِ، وَاقِفِينَ مِنْ بَعِيدٍ يَنْظُرُونَ ذَلِكَ. | ٤٩ 49 |
प्रभु येशु के परिचित और गलील प्रदेश से प्रभु येशु के साथ आई स्त्रियां कुछ दूर खड़ी हुई ये सब देख रही थी.
وَإِذَا رَجُلٌ ٱسْمُهُ يُوسُفُ، وَكَانَ مُشِيرًا وَرَجُلًا صَالِحًا بَارًّا. | ٥٠ 50 |
योसेफ़ नामक एक व्यक्ति थे. वह महासभा के सदस्य, सज्जन तथा धर्मी थे.
هَذَا لَمْ يَكُنْ مُوافِقًا لِرَأْيِهِمْ وَعَمَلِهِمْ، وَهُوَ مِنَ ٱلرَّامَةِ مَدِينَةٍ لِلْيَهُودِ. وَكَانَ هُوَ أَيْضًا يَنْتَظِرُ مَلَكُوتَ ٱللهِ. | ٥١ 51 |
वह न तो यहूदी अगुओं की योजना से और न ही उसके कामों से सहमत थे. योसेफ़ यहूदियों के एक नगर अरिमथिया के निवासी थे और वह परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे.
هَذَا تَقَدَّمَ إِلَى بِيلَاطُسَ وَطَلَبَ جَسَدَ يَسُوعَ، | ٥٢ 52 |
योसेफ़ ने पिलातॉस के पास जाकर प्रभु येशु का शरीर के लिए विनती की.
وَأَنْزَلَهُ، وَلَفَّهُ بِكَتَّانٍ، وَوَضَعَهُ فِي قَبْرٍ مَنْحُوتٍ حَيْثُ لَمْ يَكُنْ أَحَدٌ وُضِعَ قَطُّ. | ٥٣ 53 |
उन्होंने शरीर को क्रूस से उतारकर मलमल के वस्त्र में लपेटा और चट्टान में खोदकर बनाई गई एक कब्र की गुफ़ा में रख दिया. इस कब्र में अब तक कोई भी शरीर रखा नहीं गया था.
وَكَانَ يَوْمُ ٱلِٱسْتِعْدَادِ وَٱلسَّبْتُ يَلُوحُ. | ٥٤ 54 |
यह शब्बाथ की तैयारी का दिन था. शब्बाथ प्रारंभ होने पर ही था.
وَتَبِعَتْهُ نِسَاءٌ كُنَّ قَدْ أَتَيْنَ مَعَهُ مِنَ ٱلْجَلِيلِ، وَنَظَرْنَ ٱلْقَبْرَ وَكَيْفَ وُضِعَ جَسَدُهُ. | ٥٥ 55 |
गलील प्रदेश से आई हुई स्त्रियां भी उनके साथ वहां गईं. उन्होंने उस कब्र को देखा तथा यह भी कि शरीर को वहां कैसे रखा गया था.
فَرَجَعْنَ وَأَعْدَدْنَ حَنُوطًا وَأَطْيَابًا. وَفِي ٱلسَّبْتِ ٱسْتَرَحْنَ حَسَبَ ٱلْوَصِيَّةِ. | ٥٦ 56 |
तब वे सब घर लौट गए और उन्होंने अंत्येष्टि के लिए उबटन-लेप तैयार किए. व्यवस्था के अनुसार उन्होंने शब्बाथ पर विश्राम किया.