< لُوقا 22 >

وَقَرُبَ عِيدُ ٱلْفَطِيرِ، ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ ٱلْفِصْحُ. ١ 1
अखमीरी रोटी को त्यौहार जो फसह कहलावय हय, जवर होतो;
وَكَانَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةُ يَطْلُبُونَ كَيْفَ يَقْتُلُونَهُ، لِأَنَّهُمْ خَافُوا ٱلشَّعْبَ. ٢ 2
अऊर मुख्य याजक अऊर धर्मशास्त्री यो बात की खोज म होतो कि यीशु को कसो मार डाल्बो, पर हि लोगों सी डरत होतो।
فَدَخَلَ ٱلشَّيْطَانُ فِي يَهُوذَا ٱلَّذِي يُدْعَى ٱلْإِسْخَرْيُوطِيَّ، وَهُوَ مِنْ جُمْلَةِ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ. ٣ 3
तब शैतान यहूदा म समायो, जो इस्करियोती कहलावय होतो अऊर बारा चेलावों म गिन्यो जात होतो।
فَمَضَى وَتَكَلَّمَ مَعَ رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَقُوَّادِ ٱلْجُنْدِ كَيْفَ يُسَلِّمُهُ إِلَيْهِمْ. ٤ 4
यहूदा न जाय क मुख्य याजकों अऊर मन्दिर को पहरेदारों को मुखिया को संग बातचीत करी कि ओख कसो तरह सी उन्को हाथ पकड़वाबो।
فَفَرِحُوا وَعَاهَدُوهُ أَنْ يُعْطُوهُ فِضَّةً. ٥ 5
हि खुश भयो, अऊर ओख रुपये देन लायी राजी भय गयो।
فَوَاعَدَهُمْ. وَكَانَ يَطْلُبُ فُرْصَةً لِيُسَلِّمَهُ إِلَيْهِمْ خِلْوًا مِنْ جَمْعٍ. ٦ 6
ओन मान लियो, अऊर मौका ढूंढन लग्यो कि जब भीड़ नहीं होय त यीशु ख उन्को हाथ पकड़वाय दे।
وَجَاءَ يَوْمُ ٱلْفَطِيرِ ٱلَّذِي كَانَ يَنْبَغِي أَنْ يُذْبَحَ فِيهِ ٱلْفِصْحُ. ٧ 7
तब अखमीरी रोटी को त्यौहार को दिन आयो, जेको म फसह को मेम्ना बलि करनो जरूरी होतो।
فَأَرْسَلَ بُطْرُسَ وَيُوحَنَّا قَائِلًا: «ٱذْهَبَا وَأَعِدَّا لَنَا ٱلْفِصْحَ لِنَأْكُلَ». ٨ 8
यीशु न पतरस अऊर यूहन्ना ख यो कह्य क भेज्यो: “जाय क हमरो खान लायी फसह को भोज की तैयार करो।”
فَقَالَا لَهُ: «أَيْنَ تُرِيدُ أَنْ نُعِدَّ؟». ٩ 9
उन्न ओको सी पुच्छ्यो, “तय कित चाहवय हय कि हम येख तैयार करबोंन?”
فَقَالَ لَهُمَا: «إِذَا دَخَلْتُمَا ٱلْمَدِينَةَ يَسْتَقْبِلُكُمَا إِنْسَانٌ حَامِلٌ جَرَّةَ مَاءٍ. اِتْبَعَاهُ إِلَى ٱلْبَيْتِ حَيْثُ يَدْخُلُ، ١٠ 10
ओन ओको सी कह्यो, “देखो, नगर म सिरतोच एक आदमी पानी को घड़ा उठायो हुयो तुम्ख मिलेंन; जो घर म ऊ जायेंन तुम ओको पीछू चली जाजो,
وَقُولَا لِرَبِّ ٱلْبَيْتِ: يَقُولُ لَكَ ٱلْمُعَلِّمُ: أَيْنَ ٱلْمَنْزِلُ حَيْثُ آكُلُ ٱلْفِصْحَ مَعَ تَلَامِيذِي؟ ١١ 11
अऊर ऊ घर को मालिक सी कहजो: ‘गुरु तोरो सी कहू हय कि ऊ पहुंनायी की जागा कित हय जेको म मय अपनो चेलावों को संग फसह को भोज खाऊ?’
فَذَاكَ يُرِيكُمَا عِلِّيَّةً كَبِيرَةً مَفْرُوشَةً. هُنَاكَ أَعِدَّا». ١٢ 12
ऊ तुम्ख एक सजी–सजायी बड़ो ऊपर को कमरा दिखायी देयेंन; उतच तैयार करजो।”
فَٱنْطَلَقَا وَوَجَدَا كَمَا قَالَ لَهُمَا، فَأَعَدَّا ٱلْفِصْحَ. ١٣ 13
उन्न जाय क जसो यीशु न उन्को सी कह्यो होतो, वसोच पायो अऊर फसह को भोज तैयार करयो।
وَلَمَّا كَانَتِ ٱلسَّاعَةُ ٱتَّكَأَ وَٱلِٱثْنَا عَشَرَ رَسُولًا مَعَهُ، ١٤ 14
जब समय आय पहुंच्यो, त ऊ प्रेरितों को संग जेवन करन बैठ्यो।
وَقَالَ لَهُمْ: «شَهْوَةً ٱشْتَهَيْتُ أَنْ آكُلَ هَذَا ٱلْفِصْحَ مَعَكُمْ قَبْلَ أَنْ أَتَأَلَّمَ، ١٥ 15
अऊर ओन उन्को सी कह्यो, “मोख बड़ी इच्छा होती कि दु: ख भोगन सी पहिले यो फसह को भोज तुम्हरो संग खाऊ।
لِأَنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنِّي لَا آكُلُ مِنْهُ بَعْدُ حَتَّى يُكْمَلَ فِي مَلَكُوتِ ٱللهِ». ١٦ 16
कहालीकि मय तुम सी कहू हय कि जब तक ऊ परमेश्वर को राज्य म पूरो नहीं होय तब तक मय ओख कभी नहीं खाऊं।”
ثُمَّ تَنَاوَلَ كَأْسًا وَشَكَرَ وَقَالَ: «خُذُوا هَذِهِ وَٱقْتَسِمُوهَا بَيْنَكُمْ، ١٧ 17
तब यीशु न कटोरा लेय क धन्यवाद करयो अऊर कह्यो, “येख लेवो अऊर आपस म बाट लेवो।
لِأَنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنِّي لَا أَشْرَبُ مِنْ نِتَاجِ ٱلْكَرْمَةِ حَتَّى يَأْتِيَ مَلَكُوتُ ٱللهِ». ١٨ 18
कहालीकि मय तुम सी कहू हय कि जब तक परमेश्वर को राज्य नहीं आवय तब तक मय अंगूररस अब सी कभी नहीं पीऊं।”
وَأَخَذَ خُبْزًا وَشَكَرَ وَكَسَّرَ وَأَعْطَاهُمْ قَائِلًا: «هَذَا هُوَ جَسَدِي ٱلَّذِي يُبْذَلُ عَنْكُمْ. اِصْنَعُوا هَذَا لِذِكْرِي». ١٩ 19
तब ओन रोटी लियो, अऊर धन्यवाद कर क् तोड़ी, अऊर उन्ख यो कह्य क दियो, “यो मोरो शरीर हय जो तुम्हरो लायी दियो जावय हय: मोरी याद म असोच करतो रह।”
وَكَذَلِكَ ٱلْكَأْسَ أَيْضًا بَعْدَ ٱلْعَشَاءِ قَائِلًا: «هَذِهِ ٱلْكَأْسُ هِيَ ٱلْعَهْدُ ٱلْجَدِيدُ بِدَمِي ٱلَّذِي يُسْفَكُ عَنْكُمْ. ٢٠ 20
योच रीति सी ओन जेवन को बाद कटोरा भी यो कह्य क दियो, “यो कटोरा मोरो ऊ खून म नयी वाचा हय जो तुम्हरो लायी बहायो जावय हय।
وَلَكِنْ هُوَذَا يَدُ ٱلَّذِي يُسَلِّمُنِي هِيَ مَعِي عَلَى ٱلْمَائِدَةِ. ٢١ 21
“पर देखो! मोरो पकड़ावन वालो को हाथ मोरो संग मेज पर हय।
وَٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ مَاضٍ كَمَا هُوَ مَحْتُومٌ، وَلَكِنْ وَيْلٌ لِذَلِكَ ٱلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي يُسَلِّمُهُ!». ٢٢ 22
कहालीकि आदमी को बेटा त जसो ओको लायी ठहरायो गयो, वसोच मरेंन भी पर हाय ऊ आदमी पर जेकोसी ऊ पकड़वायो जावय हय!”
فَٱبْتَدَأُوا يَتَسَاءَلُونَ فِيمَا بَيْنَهُمْ: «مَنْ تَرَى مِنْهُمْ هُوَ ٱلْمُزْمِعُ أَنْ يَفْعَلَ هَذَا؟». ٢٣ 23
तब हि आपस म पूछताछ करन लग्यो कि हम म सी कौन हय, जो यो काम करेंन।
وَكَانَتْ بَيْنَهُمْ أَيْضًا مُشَاجَرَةٌ مَنْ مِنْهُمْ يُظَنُّ أَنَّهُ يَكُونُ أَكْبَرَ. ٢٤ 24
उन्म यो वाद–विवाद भी भयो कि उन म सी कौन बड़ो समझ्यो जावय हय।
فَقَالَ لَهُمْ: «مُلُوكُ ٱلْأُمَمِ يَسُودُونَهُمْ، وَٱلْمُتَسَلِّطُونَ عَلَيْهِمْ يُدْعَوْنَ مُحْسِنِينَ. ٢٥ 25
यीशु न उन्को सी कह्यो, “गैरयहूदी को राजा उन पर प्रभुता करय हंय; अऊर जो उन पर अधिकार रखय हंय, उन्ख हि परोपकारी असो कह्य हंय।
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَلَيْسَ هَكَذَا، بَلِ ٱلْكَبِيرُ فِيكُمْ لِيَكُنْ كَٱلْأَصْغَرِ، وَٱلْمُتَقَدِّمُ كَٱلْخَادِمِ. ٢٦ 26
पर तुम असो नहीं होनो चाहिये; बल्की जो तुम म बड़ो हय, ऊ छोटो को जसो अऊर जो मुख्य हय, ऊ सेवक को जसो बने।
لِأَنْ مَنْ هُوَ أَكْبَرُ: أَلَّذِي يَتَّكِئُ أَمِ ٱلَّذِي يَخْدُمُ؟ أَلَيْسَ ٱلَّذِي يَتَّكِئُ؟ وَلَكِنِّي أَنَا بَيْنَكُمْ كَٱلَّذِي يَخْدُمُ. ٢٧ 27
कहालीकि बड़ो कौन हय, ऊ जो जेवन करन बैठ्यो हय, यां जो जेवन परोसय हय? का ऊ नहीं जो जेवन करन बैठ्यो हय? पर मय तुम्हरो बीच म सेवक को जसो हय।
أَنْتُمُ ٱلَّذِينَ ثَبَتُوا مَعِي فِي تَجَارِبِي، ٢٨ 28
“तुम ऊ हय, जो मोरी परीक्षावों म लगातार मोरो संग रह्यो;
وَأَنَا أَجْعَلُ لَكُمْ كَمَا جَعَلَ لِي أَبِي مَلَكُوتًا، ٢٩ 29
अऊर जसो मोरो बाप न मोरो लायी राज्य पर अधिकार दियो हय, वसोच मय भी तुम्हरो लायी अधिकार देऊ,
لِتَأْكُلُوا وَتَشْرَبُوا عَلَى مَائِدَتِي فِي مَلَكُوتِي، وَتَجْلِسُوا عَلَى كَرَاسِيَّ تَدِينُونَ أَسْبَاطَ إِسْرَائِيلَ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ». ٣٠ 30
ताकि तुम मोरो राज्य म मोरी मेज पर खावो–पीवो, बल्की सिंहासनों पर बैठ क इस्राएल को बारा पीढ़ी को न्याय करो।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ: «سِمْعَانُ، سِمْعَانُ، هُوَذَا ٱلشَّيْطَانُ طَلَبَكُمْ لِكَيْ يُغَرْبِلَكُمْ كَٱلْحِنْطَةِ! ٣١ 31
“शिमोन, हे शिमोन! सुनो, शैतान न तुम सब लोगों ख परखन लायी मांग्यो हय कि बुरो म सी अच्छो अलग करय जसो किसान गहूं म सी भूसा अलग करय हय,
وَلَكِنِّي طَلَبْتُ مِنْ أَجْلِكَ لِكَيْ لَا يَفْنَى إِيمَانُكَ. وَأَنْتَ مَتَى رَجَعْتَ ثَبِّتْ إِخْوَتَكَ». ٣٢ 32
पर मय न तोरो लायी प्रार्थना करी कि तोरो विश्वास कमजोर नहीं होय; अऊर जब तय वापस फिरजो, त अपनो भाऊ ख हिम्मत देजो।”
فَقَالَ لَهُ: «يَارَبُّ، إِنِّي مُسْتَعِدٌّ أَنْ أَمْضِيَ مَعَكَ حَتَّى إِلَى ٱلسِّجْنِ وَإِلَى ٱلْمَوْتِ!». ٣٣ 33
पतरस न ओको सी कह्यो, “हे प्रभु, मय तोरो संग जेलखाना जान लायी, अऊर मरन लायी भी तैयार हय।”
فَقَالَ: «أَقُولُ لَكَ يَابُطْرُسُ: لَا يَصِيحُ ٱلدِّيكُ ٱلْيَوْمَ قَبْلَ أَنْ تُنْكِرَ ثَلَاثَ مَرَّاتٍ أَنَّكَ تَعْرِفُنِي». ٣٤ 34
यीशु न कह्यो, “हे पतरस, मय तोरो सी कहू हय कि अज रात मुर्गा बाग नहीं देयेंन जब तक कि तय तीन बार मोरो इन्कार नहीं कर लेजो कि तय मोख नहीं जानय।”
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «حِينَ أَرْسَلْتُكُمْ بِلَا كِيسٍ وَلَا مِزْوَدٍ وَلَا أَحْذِيَةٍ، هَلْ أَعْوَزَكُمْ شَيْءٌ؟». فَقَالُوا: «لَا». ٣٥ 35
तब यीशु न चेलावों सी कह्यो, “जब मय न तुम्ख बटवा, झोली, अऊर जूता को बिना भेज्यो होतो, त का तुम्ख कोयी चिज की कमी भयी होती?” उन्न कह्यो, “कोयी चिज की नहीं।”
فَقَالَ لَهُمْ: «لَكِنِ ٱلْآنَ، مَنْ لَهُ كِيسٌ فَلْيَأْخُذْهُ وَمِزْوَدٌ كَذَلِكَ. وَمَنْ لَيْسَ لَهُ فَلْيَبِعْ ثَوْبَهُ وَيَشْتَرِ سَيْفًا. ٣٦ 36
यीशु न उन्को सी कह्यो, “पर अब जेको जवर बटवा हय ऊ ओख लेवो अऊर वसोच झोली भी, अऊर जेको जवर तलवार नहीं हय ऊ अपनो कपड़ा बिक क एक लेय लेवो।
لِأَنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ يَنْبَغِي أَنْ يَتِمَّ فِيَّ أَيْضًا هَذَا ٱلْمَكْتُوبُ: وَأُحْصِيَ مَعَ أَثَمَةٍ. لِأَنَّ مَا هُوَ مِنْ جِهَتِي لَهُ ٱنْقِضَاءٌ». ٣٧ 37
कहालीकि मय तुम सी कहू हय, कि यो जो शास्त्र म लिख्यो हय: ‘ऊ अपराधियों को संग गिन्यो गयो,’ ओको मोरो म पूरो होनो जरूरी हय; कहालीकि मोरो बारे म लिख्यो बाते पूरी होन पर हंय।”
فَقَالُوا: «يَارَبُّ، هُوَذَا هُنَا سَيْفَانِ». فَقَالَ لَهُمْ: «يَكْفِي!». ٣٨ 38
चेलावों न कह्यो, “हे प्रभु! इत दोय तलवारे हंय।” ओन उन्को सी कह्यो, “बहुत हंय।”
وَخَرَجَ وَمَضَى كَٱلْعَادَةِ إِلَى جَبَلِ ٱلزَّيْتُونِ، وَتَبِعَهُ أَيْضًا تَلَامِيذُهُ. ٣٩ 39
तब ऊ बाहेर निकल क अपनी रीति को अनुसार जैतून को पहाड़ी पर गयो, अऊर चेलावों ओको पीछू भय गयो।
وَلَمَّا صَارَ إِلَى ٱلْمَكَانِ قَالَ لَهُمْ: «صَلُّوا لِكَيْ لَا تَدْخُلُوا فِي تَجْرِبَةٍ». ٤٠ 40
ऊ जागा पहुंच क ओन उन्को सी कह्यो, “प्रार्थना करो कि तुम परीक्षा म नहीं पड़ो।”
وَٱنْفَصَلَ عَنْهُمْ نَحْوَ رَمْيَةِ حَجَرٍ وَجَثَا عَلَى رُكْبَتَيْهِ وَصَلَّى ٤١ 41
अऊर ऊ उन्को सी अलग लगभग गोटा फेकन की दूरी भर गयो, अऊर घुटना टेक क प्रार्थना करन लग्यो,
قَائِلًا: «يَا أَبَتَاهُ، إِنْ شِئْتَ أَنْ تُجِيزَ عَنِّي هَذِهِ ٱلْكَأْسَ. وَلَكِنْ لِتَكُنْ لَا إِرَادَتِي بَلْ إِرَادَتُكَ». ٤٢ 42
“हे मोरो बाप, यदि तय चाहवय त यो दु: ख सी भरयो कटोरा ख मोरो जवर सी हटाय ले, तब भी मोरी नहीं पर तोरीच इच्छा पूरी होय।”
وَظَهَرَ لَهُ مَلَاكٌ مِنَ ٱلسَّمَاءِ يُقَوِّيهِ. ٤٣ 43
तब स्वर्ग सी एक दूत ओख दिखायी दियो जो ओख सामर्थ देत होतो।
وَإِذْ كَانَ فِي جِهَادٍ كَانَ يُصَلِّي بِأَشَدِّ لَجَاجَةٍ، وَصَارَ عَرَقُهُ كَقَطَرَاتِ دَمٍ نَازِلَةٍ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٤٤ 44
ऊ व्याकुल होय क अऊर भी जादा प्रार्थना करन लग्यो; अऊर ओको पसीना खून की बड़ी बड़ी थेम्ब को जसो जमीन पर गिर रह्यो होतो।
ثُمَّ قَامَ مِنَ ٱلصَّلَاةِ وَجَاءَ إِلَى تَلَامِيذِهِ، فَوَجَدَهُمْ نِيَامًا مِنَ ٱلْحُزْنِ. ٤٥ 45
तब ऊ प्रार्थना सी उठ्यो अऊर अपनो चेलावों को जवर आय क उन्ख उदास को मारे म सोतो पायो।
فَقَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا أَنْتُمْ نِيَامٌ؟ قُومُوا وَصَلُّوا لِئَلَّا تَدْخُلُوا فِي تَجْرِبَةٍ». ٤٦ 46
अऊर उन्को सी कह्यो, “कहालीकि सोवय हय? उठो, प्रार्थना करो कि परीक्षा म मत पड़ो।”
وَبَيْنَمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ إِذَا جَمْعٌ، وَٱلَّذِي يُدْعَى يَهُوذَا، أَحَدُ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ، يَتَقَدَّمُهُمْ، فَدَنَا مِنْ يَسُوعَ لِيُقَبِّلَهُ. ٤٧ 47
यीशु यो कह्यच रह्यो होतो कि एक भीड़ आयी, अऊर उन बारा म सी एक जेको नाम यहूदा होतो उन्को आगु–आगु आय रह्यो होतो। ऊ यीशु को जवर आयो कि ओको चुम्मा ले।
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «يَا يَهُوذَا، أَبِقُبْلَةٍ تُسَلِّمُ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ؟». ٤٨ 48
यीशु न ओको सी कह्यो, “हे यहूदा, का तय चुम्मा ले क आदमी को बेटा ख पकड़ावय हय?”
فَلَمَّا رَأَى ٱلَّذِينَ حَوْلَهُ مَا يَكُونُ، قَالُوا: «يَارَبُّ، أَنَضْرِبُ بِٱلسَّيْفِ؟». ٤٩ 49
ओको चेलावों न जो संग होतो जब देख्यो कि का होन वालो हय, त कह्यो, “हे प्रभु, का हम तलवार चलायबो?”
وَضَرَبَ وَاحِدٌ مِنْهُمْ عَبْدَ رَئِيسِ ٱلْكَهَنَةِ فَقَطَعَ أُذْنَهُ ٱلْيُمْنَى. ٥٠ 50
अऊर उन्म सी एक न महायाजक को सेवक पर तलवार चलाय क ओको दायो कान उड़ाय दियो।
فَأَجَابَ يَسُوعُ وقَالَ: «دَعُوا إِلَى هَذَا!». وَلَمَسَ أُذْنَهُ وَأَبْرَأَهَا. ٥١ 51
येको पर यीशु न कह्यो, “अब बस करो।” अऊर ओको कान छूय क ओख ठीक कर दियो।
ثُمَّ قَالَ يَسُوعُ لِرُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَقُوَّادِ جُنْدِ ٱلْهَيْكَلِ وَٱلشُّيُوخِ ٱلْمُقْبِلِينَ عَلَيْهِ: «كَأَنَّهُ عَلَى لِصٍّ خَرَجْتُمْ بِسُيُوفٍ وَعِصِيٍّ! ٥٢ 52
तब यीशु न मुख्य याजकों अऊर मन्दिर को पहरेदारों को मुखिया अऊर बुजूर्गों सी, जो ओको पर चढ़ आयो होतो, कह्यो, “का तुम मोख विद्रोही जान क तलवारे अऊर लाठियां धर क निकल्यो हय?
إِذْ كُنْتُ مَعَكُمْ كُلَّ يَوْمٍ فِي ٱلْهَيْكَلِ لَمْ تَمُدُّوا عَلَيَّ ٱلْأَيَادِيَ. وَلَكِنَّ هَذِهِ سَاعَتُكُمْ وَسُلْطَانُ ٱلظُّلْمَةِ». ٥٣ 53
जब मय मन्दिर म हर दिन तुम्हरो संग होतो, त तुम न मोख पकड़न लायी कोशिश नहीं करयो; पर यो तुम्हरो समय हय, अऊर अन्धारो को अधिकार हय।”
فَأَخَذُوهُ وَسَاقُوهُ وَأَدْخَلُوهُ إِلَى بَيْتِ رَئِيسِ ٱلْكَهَنَةِ. وَأَمَّا بُطْرُسُ فَتَبِعَهُ مِنْ بَعِيدٍ. ٥٤ 54
तब हि ओख पकड़ क ले गयो, अऊर महायाजक को घर म लायो। पतरस दूरच दूर ओको पीछू–पीछू चलत होतो;
وَلَمَّا أَضْرَمُوا نَارًا فِي وَسْطِ ٱلدَّارِ وَجَلَسُوا مَعًا، جَلَسَ بُطْرُسُ بَيْنَهُمْ. ٥٥ 55
अऊर जब हि आंगन म आगी जलाय क एक संग बैठ्यो, त पतरस भी उन्को बीच म बैठ गयो।
فَرَأَتْهُ جَارِيَةٌ جَالِسًا عِنْدَ ٱلنَّارِ فَتَفَرَّسَتْ فِيهِ وَقَالَتْ: «وَهَذَا كَانَ مَعَهُ!». ٥٦ 56
तब एक दासी ओख आगी को प्रकाश म बैठ्यो देख क अऊर ओको तरफ जवर सी देख क कहन लग्यो, “यो भी त यीशु को संग होतो।”
فَأَنْكَرَهُ قَائِلًا: «لَسْتُ أَعْرِفُهُ يَا ٱمْرَأَةُ!». ٥٧ 57
पर पतरस न यो कह्य क इन्कार करयो, “हे नारी, मय ओख नहीं जानु हय।”
وَبَعْدَ قَلِيلٍ رَآهُ آخَرُ وَقَالَ: «وَأَنْتَ مِنْهُمْ!». فَقَالَ بُطْرُسُ: «يَا إِنْسَانُ، لَسْتُ أَنَا!». ٥٨ 58
थोड़ी देर बाद कोयी अऊर न ओख देख क कह्यो, “तय भी त उन्म सी एक आय।” पतरस न कह्यो, “हे आदमी, मय नहीं आय।”
وَلَمَّا مَضَى نَحْوُ سَاعَةٍ وَاحِدَةٍ أَكَّدَ آخَرُ قَائِلًا: «بِٱلْحَقِّ إِنَّ هَذَا أَيْضًا كَانَ مَعَهُ، لِأَنَّهُ جَلِيلِيٌّ أَيْضًا!». ٥٩ 59
लगभग एक घंटा बीत जान को बाद एक आदमी जोर दे क कहन लग्यो, “निश्चय यो भी त ओको संग होतो कहालीकि यो भी गलीली हय।”
فَقَالَ بُطْرُسُ: «يَا إِنْسَانُ، لَسْتُ أَعْرِفُ مَا تَقُولُ!». وَفِي ٱلْحَالِ بَيْنَمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ صَاحَ ٱلدِّيكُ. ٦٠ 60
पतरस न कह्यो, “हे आदमी, मय नहीं जानु कि तय का कह्य हय!” ऊ कह्यच रह्यो होतो कि तुरतच मुर्गा न बाग दियो।
فَٱلْتَفَتَ ٱلرَّبُّ وَنَظَرَ إِلَى بُطْرُسَ، فَتَذَكَّرَ بُطْرُسُ كَلَامَ ٱلرَّبِّ، كَيْفَ قَالَ لَهُ: «إِنَّكَ قَبْلَ أَنْ يَصِيحَ ٱلدِّيكُ تُنْكِرُنِي ثَلَاثَ مَرَّاتٍ». ٦١ 61
तब प्रभु न मुड़ क पतरस को तरफ देख्यो, अऊर पतरस ख प्रभु की ऊ बात याद आयी जो ओन कहीं होती: “अज भुन्सारे ख मुर्गा को बाग देन सी पहिले, तय तीन बार मोरो इन्कार करेंन।”
فَخَرَجَ بُطْرُسُ إِلَى خَارِجٍ وَبَكَى بُكَاءً مُرًّا. ٦٢ 62
अऊर ऊ बाहेर निकल क सिसक-सिसक क रोयो।
وَٱلرِّجَالُ ٱلَّذِينَ كَانُوا ضَابِطِينَ يَسُوعَ كَانُوا يَسْتَهْزِئُونَ بِهِ وَهُمْ يَجْلِدُونَهُ، ٦٣ 63
हि लोग जो यीशु ख पकड़्यो हुयो होतो, ओख ठट्ठा कर क् पीट रह्यो होतो;
وَغَطَّوْهُ وَكَانُوا يَضْرِبُونَ وَجْهَهُ وَيَسْأَلُونَهُ قَائِلِينَ: «تَنَبَّأْ! مَنْ هُوَ ٱلَّذِي ضَرَبَكَ؟». ٦٤ 64
अऊर ओकी आंखी झाक क ओको सी पुच्छ्यो, “पता कर क् बता कि तोख कौन न मारयो!”
وَأَشْيَاءَ أُخَرَ كَثِيرَةً كَانُوا يَقُولُونَ عَلَيْهِ مُجَدِّفِينَ. ٦٥ 65
अऊर उन्न बहुत सी अऊर भी निन्दा की बाते ओको विरोध म कहीं।
وَلَمَّا كَانَ ٱلنَّهَارُ ٱجْتَمَعَتْ مَشْيَخَةُ ٱلشَّعْبِ: رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةُ، وَأَصْعَدُوهُ إِلَى مَجْمَعِهِمْ ٦٦ 66
जब दिन भयो त महासभा को बुजूर्ग अऊर मुख्य याजक अऊर धर्मशास्त्री जमा हुयो, अऊर ओख अपनी महासभा म लायो,
قَائِلِينَ: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ ٱلْمسِيحَ، فَقُلْ لَنَا!». فَقَالَ لَهُمْ: «إِنْ قُلْتُ لَكُمْ لَا تُصَدِّقُونَ، ٦٧ 67
उन्न पुच्छ्यो हम्ख बताव, “का तय मसीह आय?” त हम सी कह्य दे यीशु न उन्ख उत्तर दियो; “यदि मय तुम सी कहूं फिर भी तुम विश्वास नहीं करो!” ओन उन्को सी कह्यो, “यदि मय तुम सी कहूं, त विश्वास नहीं करजो;
وَإِنْ سَأَلْتُ لَا تُجِيبُونَنِي وَلَا تُطْلِقُونَنِي. ٦٨ 68
अऊर यदि मय प्रश्न पूछू, त तुम उत्तर नहीं दे सको।
مُنْذُ ٱلْآنَ يَكُونُ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ جَالِسًا عَنْ يَمِينِ قُوَّةِ ٱللهِ». ٦٩ 69
पर अब सी आदमी को बेटा सर्वशक्तिमान परमेश्वर को दायो तरफ बैठ्यो रहेंन।”
فَقَالَ ٱلْجَمِيعُ: «أَفَأَنْتَ ٱبْنُ ٱللهِ؟». فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَقُولُونَ إِنِّي أَنَا هُوَ». ٧٠ 70
उन्न कह्यो, “त का तय परमेश्वर को बेटा हय?” ओन उत्तर दियो, “मय हय असो खुदच कह्य हय, कहालीकि मय उच हय।”
فَقَالُوا: «مَا حَاجَتُنَا بَعْدُ إِلَى شَهَادَةٍ؟ لِأَنَّنَا نَحْنُ سَمِعْنَا مِنْ فَمِهِ». ٧١ 71
तब उन्न कह्यो, “अब हम्ख गवाही की का जरूरत हय; कहालीकि हम न खुदच ओको मुंह सी सुन लियो हय।”

< لُوقا 22 >