< اَللَّاوِيِّينَ 25 >
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى فِي جَبَلِ سِينَاءَ قَائِلًا: | ١ 1 |
१फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,
«كَلِّمْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: مَتَى أَتَيْتُمْ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنَا أُعْطِيكُمْ تَسْبِتُ ٱلْأَرْضُ سَبْتًا لِلرَّبِّ. | ٢ 2 |
२“इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।
سِتَّ سِنِينَ تَزْرَعُ حَقْلَكَ، وَسِتَّ سِنِينَ تَقْضِبُ كَرْمَكَ وَتَجْمَعُ غَلَّتَهُمَا. | ٣ 3 |
३छः वर्ष तो अपना-अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी-अपनी दाख की बारी छाँट छाँटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;
وَأَمَّا ٱلسَّنَةُ ٱلسَّابِعَةُ فَفِيهَا يَكُونُ لِلْأَرْضِ سَبْتُ عُطْلَةٍ، سَبْتًا لِلرَّبِّ. لَا تَزْرَعْ حَقْلَكَ وَلَا تَقْضِبْ كَرْمَكَ. | ٤ 4 |
४परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना।
زِرِّيعَ حَصِيدِكَ لَا تَحْصُدْ، وَعِنَبَ كَرْمِكَ ٱلْمُحْوِلِ لَا تَقْطِفْ. سَنَةَ عُطْلَةٍ تَكُونُ لِلْأَرْضِ. | ٥ 5 |
५जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगें उसे न काटना, और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
وَيَكُونُ سَبْتُ ٱلْأَرْضِ لَكُمْ طَعَامًا. لَكَ وَلِعَبْدِكَ وَلِأَمَتِكَ وَلِأَجِيرِكَ وَلِمُسْتَوْطِنِكَ ٱلنَّازِلِينَ عِنْدَكَ، | ٦ 6 |
६भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
وَلِبَهَائِمِكَ وَلِلْحَيَوَانِ ٱلَّذِي فِي أَرْضِكَ تَكُونُ كُلُّ غَلَّتِهَا طَعَامًا. | ٧ 7 |
७और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।
«وَتَعُدُّ لَكَ سَبْعَةَ سُبُوتِ سِنِينَ. سَبْعَ سِنِينَ سَبْعَ مَرَّاتٍ. فَتَكُونُ لَكَ أَيَّامُ ٱلسَّبْعَةِ ٱلسُّبُوتِ ٱلسَّنَوِيَّةِ تِسْعًا وَأَرْبَعِينَ سَنَةً. | ٨ 8 |
८“सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।
ثُمَّ تُعَبِّرُ بُوقَ ٱلْهُتَافِ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلسَّابِعِ فِي عَاشِرِ ٱلشَّهْرِ. فِي يَوْمِ ٱلْكَفَّارَةِ تُعَبِّرُونَ ٱلْبُوقَ فِي جَمِيعِ أَرْضِكُمْ. | ٩ 9 |
९तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित के दिन, जय जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना।
وَتُقَدِّسُونَ ٱلسَّنَةَ ٱلْخَمْسِينَ، وَتُنَادُونَ بِٱلْعِتْقِ فِي ٱلْأَرْضِ لِجَمِيعِ سُكَّانِهَا. تَكُونُ لَكُمْ يُوبِيلًا، وَتَرْجِعُونَ كُلٌّ إِلَى مُلْكِهِ، وَتَعُودُونَ كُلٌّ إِلَى عَشِيرَتِهِ. | ١٠ 10 |
१०और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहाँ जुबली कहलाए; उसमें तुम अपनी-अपनी निज भूमि और अपने-अपने घराने में लौटने पाओगे।
يُوبِيلًا تَكُونُ لَكُمُ ٱلسَّنَةُ ٱلْخَمْسُونَ. لَا تَزْرَعُوا وَلَا تَحْصُدُوا زِرِّيعَهَا، وَلَا تَقْطِفُوا كَرْمَهَا ٱلْمُحْوِلَ. | ١١ 11 |
११तुम्हारे यहाँ वह पचासवाँ वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उसमें तुम न बोना, और जो अपने आप उगें उसे भी न काटना, और न बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।
إِنَّهَا يُوبِيلٌ. مُقَدَّسَةً تَكُونُ لَكُمْ. مِنَ ٱلْحَقْلِ تَأْكُلُونَ غَلَّتَهَا. | ١٢ 12 |
१२क्योंकि वह तो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेकर खाना।
فِي سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ هَذِهِ تَرْجِعُونَ كُلٌّ إِلَى مُلْكِهِ. | ١٣ 13 |
१३“इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी-अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।
فَمَتَى بِعْتَ صَاحِبَكَ مَبِيعًا، أَوِ ٱشْتَرَيْتَ مِنْ يَدِ صَاحِبِكَ، فَلَا يَغْبِنْ أَحَدُكُمْ أَخَاهُ. | ١٤ 14 |
१४और यदि तुम अपने भाई-बन्धु के हाथ कुछ बेचो या अपने भाई-बन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर उपद्रव न करना।
حَسَبَ عَدَدِ ٱلسِّنِينَ بَعْدَ ٱلْيُوبِيلِ تَشْتَرِي مِنْ صَاحِبِكَ، وَحَسَبَ سِنِي ٱلْغَلَّةِ يَبِيعُكَ. | ١٥ 15 |
१५जुबली के बाद जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।
عَلَى قَدْرِ كَثْرَةِ ٱلسِّنِينَ تُكَثِّرُ ثَمَنَهُ، وَعَلَى قَدْرِ قِلَّةِ ٱلسِّنِينَ تُقَلِّلُ ثَمَنَهُ، لِأَنَّهُ عَدَدَ ٱلْغَلَّاتِ يَبِيعُكَ. | ١٦ 16 |
१६जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज की संख्या जितनी हो उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।
فَلَا يَغْبِنْ أَحَدُكُمْ صَاحِبَهُ، بَلِ ٱخْشَ إِلَهَكَ. إِنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. | ١٧ 17 |
१७तुम अपने-अपने भाई-बन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
فَتَعْمَلُونَ فَرَائِضِي وَتَحْفَظُونَ أَحْكَامِي وَتَعْمَلُونَهَا لِتَسْكُنُوا عَلَى ٱلْأَرْضِ آمِنِينَ. | ١٨ 18 |
१८“इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।
وَتُعْطِي ٱلْأَرْضُ ثَمَرَهَا فَتَأْكُلُونَ لِلشِّبَعِ، وَتَسْكُنُونَ عَلَيْهَا آمِنِينَ. | ١٩ 19 |
१९भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।
وَإِذَا قُلْتُمْ: مَاذَا نَأْكُلُ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّابِعَةِ إِنْ لَمْ نَزْرَعْ وَلَمْ نَجْمَعْ غَلَّتَنَا؟ | ٢٠ 20 |
२०और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे, न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे?”
فَإِنِّي آمُرُ بِبَرَكَتِي لَكُمْ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّادِسَةِ، فَتَعْمَلُ غَلَّةً لِثَلَاثِ سِنِينَ. | ٢١ 21 |
२१तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।
فَتَزْرَعُونَ ٱلسَّنَةَ ٱلثَّامِنَةَ وَتَأْكُلُونَ مِنَ ٱلْغَلَّةِ ٱلْعَتِيقَةِ إِلَى ٱلسَّنَةِ ٱلتَّاسِعَةِ. إِلَى أَنْ تَأْتِيَ غَلَّتُهَا تَأْكُلُونَ عَتِيقًا. | ٢٢ 22 |
२२तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे।
«وَٱلْأَرْضُ لَا تُبَاعُ بَتَّةً، لِأَنَّ لِيَ ٱلْأَرْضَ، وَأَنْتُمْ غُرَبَاءُ وَنُزَلَاءُ عِنْدِي. | ٢٣ 23 |
२३“भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे।
بَلْ فِي كُلِّ أَرْضِ مُلْكِكُمْ تَجْعَلُونَ فِكَاكًا لِلْأَرْضِ. | ٢٤ 24 |
२४लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना।
إِذَا ٱفْتَقَرَ أَخُوكَ فَبَاعَ مِنْ مُلْكِهِ، يَأْتِي وَلِيُّهُ ٱلْأَقْرَبُ إِلَيْهِ وَيَفُكُّ مَبِيعَ أَخِيهِ. | ٢٥ 25 |
२५“यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाई-बन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।
وَمَنْ لَمْ يَكُنْ لَهُ وَلِيٌّ، فَإِنْ نَالَتْ يَدُهُ وَوَجَدَ مِقْدَارَ فِكَاكِهِ، | ٢٦ 26 |
२६यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके,
يَحْسُبُ سِنِي بَيْعِهِ، وَيَرُدُّ ٱلْفَاضِلَ لِلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي بَاعَ لَهُ، فَيَرْجِعُ إِلَى مُلْكِهِ. | ٢٧ 27 |
२७तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको, जिसने उसे मोल लिया हो, फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।
وَإِنْ لَمْ تَنَلْ يَدُهُ كِفَايَةً لِيَرُدَّ لَهُ، يَكُونُ مَبِيعُهُ فِي يَدِ شَارِيهِ إِلَى سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ، ثُمَّ يَخْرُجُ فِي ٱلْيُوبِيلِ فَيَرْجِعُ إِلَى مُلْكِهِ. | ٢٨ 28 |
२८परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।
«وَإِذَا بَاعَ إِنْسَانٌ بَيْتَ سَكَنٍ فِي مَدِينَةٍ ذَاتِ سُورٍ، فَيَكُونُ فِكَاكُهُ إِلَى تَمَامِ سَنَةِ بَيْعِهِ. سَنَةً يَكُونُ فِكَاكُهُ. | ٢٩ 29 |
२९“फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।
وَإِنْ لَمْ يُفَكَّ قَبْلَ أَنْ تَكْمُلَ لَهُ سَنَةٌ تَامَّةٌ، وَجَبَ ٱلْبَيْتُ ٱلَّذِي فِي ٱلْمَدِينَةِ ذَاتِ ٱلسُّورِ بَتَّةً لِشَارِيهِ فِي أَجْيَالِهِ. لَا يَخْرُجُ فِي ٱلْيُوبِيلِ. | ٣٠ 30 |
३०परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।
لَكِنَّ بُيُوتَ ٱلْقُرَى ٱلَّتِي لَيْسَ لَهَا سُورٌ حَوْلَهَا، فَمَعَ حُقُولِ ٱلْأَرْضِ تُحْسَبُ. يَكُونُ لَهَا فِكَاكٌ، وَفِي ٱلْيُوبِيلِ تَخْرُجُ. | ٣١ 31 |
३१परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ।
وَأَمَّا مُدُنُ ٱللَّاوِيِّينَ، بُيُوتُ مُدُنِ مُلْكِهِمْ، فَيَكُونُ لَهَا فِكَاكٌ مُؤَبَّدٌ لِلَّاوِيِّينَ. | ٣٢ 32 |
३२फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ।
وَٱلَّذِي يَفُكُّهُ مِنَ ٱللَّاوِيِّينَ ٱلْمَبِيعَ مِنْ بَيْتٍ أَوْ مِنْ مَدِينَةِ مُلْكِهِ يَخْرُجُ فِي ٱلْيُوبِيلِ، لِأَنَّ بُيُوتَ مُدُنِ ٱللَّاوِيِّينَ هِيَ مُلْكُهُمْ فِي وَسَطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. | ٣٣ 33 |
३३और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।
وَأَمَّا حُقُولُ ٱلْمَسَارِحِ لِمُدُنِهِمْ فَلَا تُبَاعُ، لِأَنَّهَا مُلْكٌ دَهْرِيٌّ لَهُمْ. | ٣٤ 34 |
३४पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।
«وَإِذَا ٱفْتَقَرَ أَخُوكَ وَقَصُرَتْ يَدُهُ عِنْدَكَ، فَٱعْضُدْهُ غَرِيبًا أَوْ مُسْتَوْطِنًا فَيَعِيشَ مَعَكَ. | ٣٥ 35 |
३५“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे।
لَا تَأْخُذْ مِنْهُ رِبًا وَلَا مُرَابَحَةً، بَلِ ٱخْشَ إِلَهَكَ، فَيَعِيشَ أَخُوكَ مَعَكَ. | ٣٦ 36 |
३६उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिससे तेरा भाई-बन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
فِضَّتَكَ لَا تُعْطِهِ بِٱلرِّبَا، وَطَعَامَكَ لَا تُعْطِ بِٱلْمُرَابَحَةِ. | ٣٧ 37 |
३७उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمُ ٱلَّذِي أَخْرَجَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ لِيُعْطِيَكُمْ أَرْضَ كَنْعَانَ، فَيَكُونَ لَكُمْ إِلَهًا. | ٣٨ 38 |
३८मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूँ।
«وَإِذَا ٱفْتَقَرَ أَخُوكَ عِنْدَكَ وَبِيعَ لَكَ، فَلَا تَسْتَعْبِدْهُ ٱسْتِعْبَادَ عَبْدٍ. | ٣٩ 39 |
३९“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आपको तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।
كَأَجِيرٍ، كَنَزِيلٍ يَكُونُ عِنْدَكَ. إِلَى سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ يَخْدِمُ عِنْدَكَ، | ٤٠ 40 |
४०वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;
ثُمَّ يَخْرُجُ مِنْ عِنْدِكَ هُوَ وَبَنُوهُ مَعَهُ وَيَعُودُ إِلَى عَشِيرَتِهِ، وَإِلَى مُلْكِ آبَائِهِ يَرْجِعُ. | ٤١ 41 |
४१तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।
لِأَنَّهُمْ عَبِيدِي ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، لَا يُبَاعُونَ بَيْعَ ٱلْعَبِيدِ. | ٤٢ 42 |
४२क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ।
لَا تَتَسَلَّطْ عَلَيْهِ بِعُنْفٍ، بَلِ ٱخْشَ إِلَهَكَ. | ٤٣ 43 |
४३उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।
وَأَمَّا عَبِيدُكَ وَإِمَاؤُكَ ٱلَّذِينَ يَكُونُونَ لَكَ، فَمِنَ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ حَوْلَكُمْ. مِنْهُمْ تَقْتَنُونَ عَبِيدًا وَإِمَاءً. | ٤٤ 44 |
४४तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना।
وَأَيْضًا مِنْ أَبْنَاءِ ٱلْمُسْتَوْطِنِينَ ٱلنَّازِلِينَ عِنْدَكُمْ، مِنْهُمْ تَقْتَنُونَ وَمِنْ عَشَائِرِهِمِ ٱلَّذِينَ عِنْدَكُمُ ٱلَّذِينَ يَلِدُونَهُمْ فِي أَرْضِكُمْ، فَيَكُونُونَ مُلْكًا لَكُمْ. | ٤٥ 45 |
४५जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।
وَتَسْتَمْلِكُونَهُمْ لِأَبْنَائِكُمْ مِنْ بَعْدِكُمْ مِيرَاثَ مُلْكٍ. تَسْتَعْبِدُونَهُمْ إِلَى ٱلدَّهْرِ. وَأَمَّا إِخْوَتُكُمْ بَنُو إِسْرَائِيلَ فَلَا يَتَسَلَّطْ إِنْسَانٌ عَلَى أَخِيهِ بِعُنْفٍ. | ٤٦ 46 |
४६तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाई-बन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।
«وَإِذَا طَالَتْ يَدُ غَرِيبٍ أَوْ نَزِيلٍ عِنْدَكَ، وَٱفْتَقَرَ أَخُوكَ عِنْدَهُ وَبِيعَ لِلْغَرِيبِ ٱلْمُسْتَوْطِنِ عِنْدَكَ أَوْ لِنَسْلِ عَشِيرَةِ ٱلْغَرِيبِ، | ٤٧ 47 |
४७“फिर यदि तेरे सामने कोई परदेशी या यात्री धनी हो जाए, और उसके सामने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आपको तेरे सामने उस परदेशी या यात्री या उसके वंश के हाथ बेच डाले,
فَبَعْدَ بَيْعِهِ يَكُونُ لَهُ فِكَاكٌ. يَفُكُّهُ وَاحِدٌ مِنْ إِخْوَتِهِ، | ٤٨ 48 |
४८तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,
أَوْ يَفُكُّهُ عَمُّهُ أَوِ ٱبْنُ عَمِّهِ، أَوْ يَفُكُّهُ وَاحِدٌ مِنْ أَقْرِبَاءِ جَسَدِهِ مِنْ عَشِيرَتِهِ، أَوْ إِذَا نَالَتْ يَدُهُ يَفُكُّ نَفْسَهُ. | ٤٩ 49 |
४९या उसका चाचा, या चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; या यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।
فَيُحَاسِبُ شَارِيَهُ مِنْ سَنَةِ بَيْعِهِ لَهُ إِلَى سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ، وَيَكُونُ ثَمَنُ بَيْعِهِ حَسَبَ عَدَدِ ٱلسِّنِينَ. كَأَيَّامِ أَجِيرٍ يَكُونُ عِنْدَهُ. | ٥٠ 50 |
५०वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।
إِنْ بَقِيَ كَثِيرٌ مِنَ ٱلسِّنِينِ فَعَلَى قَدْرِهَا يَرُدُّ فِكَاكَهُ مِنْ ثَمَنِ شِرَائِهِ. | ٥١ 51 |
५१यदि जुबली के वर्ष के बहुत वर्ष रह जाएँ, तो जितने रुपयों से वह मोल लिया गया हो उनमें से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।
وَإِنْ بَقِيَ قَلِيلٌ مِنَ ٱلسِّنِينَ إِلَى سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ يَحْسُبُ لَهُ وَعَلَى قَدْرِ سِنِيهِ يَرُدُّ فِكَاكَهُ. | ٥٢ 52 |
५२यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तो भी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।
كَأَجِيرٍ مِنْ سَنَةٍ إِلَى سَنَةٍ يَكُونُ عِنْدَهُ. لَا يَتَسَلَّطْ عَلَيْهِ بِعُنْفٍ أَمَامَ عَيْنَيْكَ. | ٥٣ 53 |
५३वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के समान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे सामने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।
وَإِنْ لَمْ يُفَكَّ بِهَؤُلَاءِ، يَخْرُجُ فِي سَنَةِ ٱلْيُوبِيلِ هُوَ وَبَنُوهُ مَعَهُ، | ٥٤ 54 |
५४और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए।
لِأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ لِي عَبِيدٌ. هُمْ عَبِيدِي ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. | ٥٥ 55 |
५५क्योंकि इस्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।