< اَللَّاوِيِّينَ 22 >
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: | ١ 1 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«كَلِّمْ هَارُونَ وَبَنِيهِ أَنْ يَتَوَقَّوْا أَقْدَاسَ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلَّتِي يُقَدِّسُونَهَا لِي وَلَا يُدَنِّسُوا ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسَ. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٢ 2 |
“हारून और उसके बेटों से कह कि वह बनी — इस्राईल की पाक चीज़ों से जिनको वह मेरे लिए पाक करते हैं अपने आप को बचाए रख्खें, और मेरे पाक नाम को बे — हुरमत न करें; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
قُلْ لَهُمْ: فِي أَجْيَالِكُمْ كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْ جَمِيعِ نَسْلِكُمُ ٱقْتَرَبَ إِلَى ٱلْأَقْدَاسِ ٱلَّتِي يُقَدِّسُهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ لِلرَّبِّ، وَنَجَاسَتُهُ عَلَيْهِ، تُقْطَعُ تِلْكَ ٱلنَّفْسُ مِنْ أَمَامِي. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٣ 3 |
उनको कह दे कि तुम्हारी नसल — दर — नसल जो कोई तुम्हारी नसल में से अपनी नापाकी की हालत में उन पाक चीज़ों के पास जाए, जिनको बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द के लिए पाक करते हैं, वह शख़्स मेरे सामने से काट डाला जाएगा; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْ نَسْلِ هَارُونَ وَهُوَ أَبْرَصُ أَوْ ذُو سَيْلٍ، لَا يَأْكُلْ مِنَ ٱلْأَقْدَاسِ حَتَّى يَطْهُرَ. وَمَنْ مَسَّ شَيْئًا نَجِسًا لِمَيْتٍ، أَوْ إِنْسَانٌ حَدَثَ مِنْهُ ٱضْطِجَاعُ زَرْعٍ، | ٤ 4 |
हारून की नसल में जो कोढ़ी, या जिरयान का मरीज़ हो वह जब तक पाक न हो जाए, पाक चीज़ों में से कुछ न खाए; और जो कोई ऐसी चीज़ को जो मुर्दे की वजह से नापाक हो गई है, या उस शख़्स की जिस की धात बहती हो छुए
أَوْ إِنْسَانٌ مَسَّ دَبِيبًا يَتَنَجَّسُ بِهِ، أَوْ إِنْسَانًا يَتَنَجَّسُ بِهِ لِنَجَاسَةٍ فِيهِ، | ٥ 5 |
या जो कोई किसी रेंगने वाले जानदार को जिसके छूने से वह नापाक हो सकता है, छुए या किसी ऐसे शख़्स को छुए जिससे उसकी नापाकी चाहे वह किसी क़िस्म की हो उसको भी लग सकती हो;
فَٱلَّذِي يَمَسُّ ذَلِكَ يَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ، وَلَا يَأْكُلْ مِنَ ٱلْأَقْدَاسِ، بَلْ يَرْحَضُ جَسَدَهُ بِمَاءٍ. | ٦ 6 |
तो वह आदमी जो इनमें से किसी को छुए शाम तक नापाक रहेगा, और जब तक पानी से ग़ुस्ल न कर ले पाक चीज़ों में से कुछ न खाए;
فَمَتَى غَرَبَتِ ٱلشَّمْسُ يَكُونُ طَاهِرًا، ثُمَّ يَأْكُلُ مِنَ ٱلْأَقْدَاسِ لِأَنَّهَا طَعَامُهُ. | ٧ 7 |
और वह उस वक़्त पाक ठहरेगा जब आफ़ताब गुरूब हो जाए, इसके बाद वह पाक चीज़ों में से खाए, क्यूँकि यह उसकी ख़ुराक है।
مِيْتَةً أَوْ فَرِيسَةً لَا يَأْكُلْ فَيَتَنَجَّسَ بِهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٨ 8 |
और मुरदार या दरिन्दों के फाड़े हुए जानवर को खाने से वह अपने आप को नजिस न कर ले; मैं ख़ुदावन्द हूँ
فَيَحْفَظُونَ شَعَائِرِي لِكَيْ لَا يَحْمِلُوا لِأَجْلِهَا خَطِيَّةً يَمُوتُونَ بِهَا لِأَنَّهُمْ يُدَنِّسُونَهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُهُمْ. | ٩ 9 |
इसलिए वह मेरी शरा' को माने, ऐसा न हो कि उस की वजह से उनके सिर गुनाह लगे और उसकी बेहुरमती करने की वजह से वह मर भी जाएँ, मैं ख़ुदावन्द उनका पाक करने वाला हूँ।
«وَكُلُّ أَجْنَبِيٍّ لَا يَأْكُلُ قُدْسًا. نَزِيلُ كَاهِنٍ وَأَجِيرُهُ لَا يَأْكُلُونَ قُدْسًا. | ١٠ 10 |
'कोई अजनबी पाक चीज़ की न खाने पाए चाहे वह काहिन ही के यहाँ ठहरा हो, या उसका नौकर हो तो भी वह कोई पाक चीज़ न खाए;
لَكِنْ إِذَا ٱشْتَرَى كَاهِنٌ أَحَدًا شِرَاءَ فِضَّةٍ، فَهُوَ يَأْكُلُ مِنْهُ، وَٱلْمَوْلُودُ فِي بَيْتِهِ. هُمَا يَأْكُلَانِ مِنْ طَعَامِهِ. | ١١ 11 |
लेकिन वह जिसे काहिन ने अपने ज़र से ख़रीदा हो उसे खा सकता है, और वह जो उसके घर में पैदा हुए हों वह भी उसके खाने में से खाएँ।
وَإِذَا صَارَتِ ٱبْنَةُ كَاهِنٍ لِرَجُلٍ أَجْنَبِيٍّ لَا تَأْكُلُ مِنْ رَفِيعَةِ ٱلْأَقْدَاسِ. | ١٢ 12 |
अगर काहिन की बेटी किसी अजनबी से ब्याही गई हो, तो वह पाक चीज़ों की क़ुर्बानी में से कुछ न खाए।
وَأَمَّا ٱبْنَةُ كَاهِنٍ قَدْ صَارَتْ أَرْمَلَةً أَوْ مُطَلَّقَةً، وَلَمْ يَكُنْ لَهَا نَسْلٌ، وَرَجَعَتْ إِلَى بَيْتِ أَبِيهَا كَمَا فِي صِبَاهَا، فَتَأْكُلُ مِنْ طَعَامِ أَبِيهَا. لَكِنَّ كُلَّ أَجْنَبِيٍّ لَا يَأْكُلُ مِنْهُ. | ١٣ 13 |
लेकिन अगर काहिन की बेटी बेवा हो जाए, या मुतल्लक़ा हो और बे — औलाद हो, और लड़कपन के दिनों की तरह अपने बाप के घर में फिर आ कर रहे तो वह अपने बाप के खाने में से खाए; लेकिन कोई अजनबी उसे न खाए।
وَإِذَا أَكَلَ إِنْسَانٌ قُدْسًا سَهْوًا، يَزِيدُ عَلَيْهِ خُمْسَهُ وَيَدْفَعُ ٱلْقُدْسَ لِلْكَاهِنِ. | ١٤ 14 |
और अगर कोई अनजाने में पाक चीज़ को खा जाए तो वह उसके पाँचवें हिस्से के बराबर अपने पास से उस में मिला कर वह पाक चीज़ काहिन को दे
فَلَا يُدَنِّسُونَ أَقْدَاسَ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلَّتِي يَرْفَعُونَهَا لِلرَّبِّ، | ١٥ 15 |
और वह बनी — इस्राईल की पाक चीज़ों को जिनको वह ख़ुदावन्द की नज़्र करते हों बेहुरमत करके,
فَيُحَمِّلُونَهُمْ ذَنْبَ إِثْمٍ بِأَكْلِهِمْ أَقْدَاسَهُمْ. لِأَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُهُمْ». | ١٦ 16 |
उनके सिर उस गुनाह का जुर्म न लादें जो उनकी पाक चीज़ों को खाने से होगा; क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द उनका पाक करने वाला हूँ।”
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: | ١٧ 17 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«كَلِّمْ هَارُونَ وَبَنِيهِ وَجَمِيعَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ وَمِنَ ٱلْغُرَبَاءِ فِي إِسْرَائِيلَ، قَرَّبَ قُرْبَانَهُ مِنْ جَمِيعِ نُذُورِهِمْ وَجَمِيعِ نَوَافِلِهِمِ ٱلَّتِي يُقَرِّبُونَهَا لِلرَّبِّ مُحْرَقَةً، | ١٨ 18 |
“हारून और उसके बेटों और सब बनी — इस्राईल से कह कि इस्राईल के घराने का या उन परदेसियों में से जो इस्राईलियों के बीच रहते हैं, जो कोई शख़्स अपनी क़ुर्बानी लाए, चाहे वह कोई मिन्नत की क़ुर्बानी हो या रज़ा की क़ुर्बानी, जिसे वह सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करते हैं;
فَلِلرِّضَا عَنْكُمْ يَكُونُ ذَكَرًا صَحِيحًا مِنَ ٱلْبَقَرِ أَوِ ٱلْغَنَمِ أَوِ ٱلْمَعْزِ. | ١٩ 19 |
तो अपने मक़बूल होने के लिए तुम बैलों या बर्रों या बकरों में से बे — 'ऐब नर चढ़ाना।
كُلُّ مَا كَانَ فِيهِ عَيْبٌ لَا تُقَرِّبُوهُ لِأَنَّهُ لَا يَكُونُ لِلرِّضَا عَنْكُمْ. | ٢٠ 20 |
और जिसमें 'ऐब हो उसे न अदा करना क्यूँकि वह तुम्हारी तरफ़ से मक़बूल न होगा।
وَإِذَا قَرَّبَ إِنْسَانٌ ذَبِيحَةَ سَلَامَةٍ لِلرَّبِّ وَفَاءً لِنَذْرٍ، أَوْ نَافِلَةً مِنَ ٱلْبَقَرِ أَوِ ٱلْأَغْنَامِ، تَكُونُ صَحِيحَةً لِلرِّضَا. كُلُّ عَيْبٍ لَا يَكُونُ فِيهَا. | ٢١ 21 |
और जो कोई अपनी मिन्नत पूरी करने के लिए या रज़ा की क़ुर्बानी के तौर पर गाय, बैल या भेड़ बकरी में से सलामती का ज़बीहा ख़ुदावन्द के सामने पेश करे, तो वह जानवर मक़बूल ठहरने के लिए बे — 'ऐब हो; उसमें कोई नुक़्स न हो।
ٱلْأَعْمَى وَٱلْمَكْسُورُ وَٱلْمَجْرُوحُ وَٱلْبَثِيرُ وَٱلْأَجْرَبُ وَٱلْأَكْلَفُ، هَذِهِ لَا تُقَرِّبُوهَا لِلرَّبِّ، وَلَا تَجْعَلُوا مِنْهَا وَقُودًا عَلَى ٱلْمَذْبَحِ لِلرَّبِّ. | ٢٢ 22 |
जो अन्धा या शिकस्ता — ए — 'उज़्व या लूला हो, जिसके रसौली या खुजली या पपड़ियाँ हों, ऐसों को ख़ुदावन्द के सामने न चढ़ाना और न मज़बह पर उनकी आतिशी क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेश करना।
وَأَمَّا ٱلثَّوْرُ أَوِ ٱلشَّاةُ ٱلزَّوَائِدِيُّ أَوِ ٱلْقُزُمُ فَنَافِلَةً تَعْمَلُهُ، وَلَكِنْ لِنَذْرٍ لَا يُرْضَى بِهِ. | ٢٣ 23 |
जिस बछड़े या बर्रे का कोई 'उज़्व ज़्यादा या कम हो उसे तो रज़ा की क़ुर्बानी के तौर पर पेश कर सकता है, लेकिन मिन्नत पूरी करने के लिए वह मक़बूल न होगा।
وَمَرْضُوضَ ٱلْخِصْيَةِ وَمَسْحُوقَهَا وَمَقْطُوعَهَا لَا تُقَرِّبُوا لِلرَّبِّ. وَفِي أَرْضِكُمْ لَا تَعْمَلُوهَا. | ٢٤ 24 |
जिस जानवर के ख़ुसिए कुचले हुए या चूर किए हुए या टूटे या कटे हुए हों, उसे तुम ख़ुदावन्द के सामने न चढ़ाना और न अपने मुल्क में ऐसा काम करना;
وَمِنْ يَدِ ٱبْنِ ٱلْغَرِيبِ لَا تُقَرِّبُوا خُبْزَ إِلَهِكُمْ مِنْ جَمِيعِ هَذِهِ، لِأَنَّ فِيهَا فَسَادَهَا. فِيهَا عَيْبٌ لَا يُرْضَى بِهَا عَنْكُمْ». | ٢٥ 25 |
और न इनमें से किसी को लेकर तुम अपने ख़ुदा की ग़िज़ा परदेसी या अजनबी के हाथ से अदा करवाना, क्यूँकि उनका बिगाड़ उनमें मौजूद होता है, उनमें 'ऐब है इसलिए वह तुम्हारी तरफ़ से मक़बूल न होंगे।”
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: | ٢٦ 26 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«مَتَى وُلِدَ بَقَرٌ أَوْ غَنَمٌ أَوْ مِعْزًى يَكُونُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ تَحْتَ أُمِّهِ، ثُمَّ مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ فَصَاعِدًا يُرْضَى بِهِ قُرْبَانَ وَقُودٍ لِلرَّبِّ. | ٢٧ 27 |
“जिस वक़्त बछड़ा या भेड़ या बकरी का बच्चा पैदा हो, तो सात दिन तक वह अपनी माँ के साथ रहे और आठवें दिन से और उसके बाद से वह ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानी के लिए मक़बूल होगा।
وَأَمَّا ٱلْبَقَرَةُ أَوِ ٱلشَّاةُ فَلَا تَذْبَحُوهَا وَٱبْنَهَا فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ. | ٢٨ 28 |
और चाहे गाय हो या भेड़, बकरी, तुम उसे और उसके बच्चे दोनों को एक ही दिन ज़बह न करना।
وَمَتَى ذَبَحْتُمْ ذَبِيحَةَ شُكْرٍ لِلرَّبِّ، فَلِلرِّضَا عَنْكُمْ تَذْبَحُونَهَا. | ٢٩ 29 |
और जब तुम ख़ुदावन्द के शुक्राने का ज़बीहा क़ुर्बानी करो, तो उसे इस तरह क़ुर्बानी करना कि तुम मक़बूल ठहरो;
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تُؤْكَلُ. لَا تُبْقُوا مِنْهَا إِلَى ٱلْغَدِ. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٣٠ 30 |
और वह उसी दिन खा भी लिया जाए, तुम उसमें से कुछ भी दूसरे दिन की सुबह तक बाक़ी न छोड़ना; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
فَتَحْفَظُونَ وَصَايَايَ وَتَعْمَلُونَهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٣١ 31 |
“इसलिए तुम मेरे हुक्मों को मानना और उन पर 'अमल करना; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
وَلَا تُدَنِّسُونَ ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسَ، فَأَتَقَدَّسُ فِي وَسَطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُكُمُ | ٣٢ 32 |
तुम मेरे पाक नाम को नापाक न ठहराना, क्यूँकि मैं बनी — इस्राईल के बीच ज़रूर ही पाक माना जाऊँगा; मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा पाक करने वाला हूँ,
ٱلَّذِي أَخْرَجَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ لِيَكُونَ لَكُمْ إِلَهًا. أَنَا ٱلرَّبُّ». | ٣٣ 33 |
जो तुम को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया हूँ ताकि तुम्हारा ख़ुदा बना रहूँ, मैं ख़ुदावन्द हूँ।”