< اَللَّاوِيِّينَ 15 >
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ قَائِلًا: | ١ 1 |
याहवेह ने मोशेह और अहरोन को ये आदेश दिए:
«كَلِّمَا بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُولَا لَهُمْ: كُلُّ رَجُلٍ يَكُونُ لَهُ سَيْلٌ مِنْ لَحْمِهِ، فَسَيْلُهُ نَجِسٌ. | ٢ 2 |
“इस्राएल वंशजों को यह आदेश दो, ‘यदि किसी व्यक्ति की देह से कोई स्राव हो रहा हो, वह स्राव अशुद्ध है.
وَهَذِهِ تَكُونُ نَجَاسَتُهُ بِسَيْلِهِ: إِنْ كَانَ لَحْمُهُ يَبْصُقُ سَيْلَهُ، أَوْ يَحْتَبِسُ لَحْمُهُ عَنْ سَيْلِهِ، فَذَلِكَ نَجَاسَتُهُ. | ٣ 3 |
यह उसकी अशुद्धता ही मानी जाएगी, चाहे उसकी देह से स्राव हो रहा हो, अथवा स्राव रुक गया हो.
كُلُّ فِرَاشٍ يَضْطَجِعُ عَلَيْهِ ٱلَّذِي لَهُ ٱلسَّيْلُ يَكُونُ نَجِسًا، وَكُلُّ مَتَاعٍ يَجْلِسُ عَلَيْهِ يَكُونُ نَجِسًا. | ٤ 4 |
“‘स्रावग्रस्त व्यक्ति जिस बिछौने पर विश्राम करता है, वह बिछौना अशुद्ध हो जाता है, और हर एक वस्तु जिस पर वह बैठ जाता है, वह भी अशुद्ध हो जाती है.
وَمَنْ مَسَّ فِرَاشَهُ يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٥ 5 |
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति उसके बिछौने को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَمَنْ جَلَسَ عَلَى ٱلْمَتَاعِ ٱلَّذِي يَجْلِسُ عَلَيْهِ ذُو ٱلسَّيْلِ، يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٦ 6 |
यदि कोई व्यक्ति उस वस्तु पर बैठ जाता है जिस पर वह स्रावग्रस्त व्यक्ति बैठता रहा है, तो वह अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَمَنْ مَسَّ لَحْمَ ذِي ٱلسَّيْلِ يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٧ 7 |
“‘और यदि कोई व्यक्ति उस स्रावग्रस्त व्यक्ति को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे, तथा वह शाम तक अशुद्ध रहे.
وَإِنْ بَصَقَ ذُو ٱلسَّيْلِ عَلَى طَاهِرٍ، يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٨ 8 |
“‘अथवा वह स्रावग्रस्त व्यक्ति किसी शुद्ध व्यक्ति पर थूक देता है, तो वह शुद्ध व्यक्ति भी अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहे.
وَكُلُّ مَا يَرْكَبُ عَلَيْهِ ذُو ٱلسَّيْلِ يَكُونُ نَجِسًا. | ٩ 9 |
“‘हर एक काठी, जिस पर वह सवारी करता है, वह काठी अशुद्ध हो जाती है.
وَكُلُّ مَنْ مَسَّ كُلَّ مَا كَانَ تَحْتَهُ يَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ، وَمَنْ حَمَلَهُنَّ يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١٠ 10 |
यदि कोई व्यक्ति उन वस्तुओं में से किसी को भी छू लेता है, जो स्रावग्रस्त व्यक्ति के नीचे रही हैं, तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा और जो कोई व्यक्ति उनका वहन करता है, तो वह अपने वस्त्रों को धो डाले, स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَكُلُّ مَنْ مَسَّهُ ذُو ٱلسَّيْلِ وَلَمْ يَغْسِلْ يَدَيْهِ بِمَاءٍ، يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١١ 11 |
“‘इसी प्रकार स्रावग्रस्त व्यक्ति अपने हाथों को बिना धोए यदि किसी व्यक्ति को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَإِنَاءُ ٱلْخَزَفِ ٱلَّذِي يَمَسُّهُ ذُو ٱلسَّيْلِ يُكْسَرُ. وَكُلُّ إِنَاءِ خَشَبٍ يُغْسَلُ بِمَاءٍ. | ١٢ 12 |
“‘यदि स्रावग्रस्त व्यक्ति किसी मिट्टी के पात्र को छू लेता है, तो उस पात्र को तोड़ डाला जाए, किंतु यदि पात्र लकड़ी का है, तो उसे जल में धोया जाए.
وَإِذَا طَهُرَ ذُو ٱلسَّيْلِ مِنْ سَيْلِهِ، يُحْسَبُ لَهُ سَبْعَةُ أَيَّامٍ لِطُهْرِهِ، وَيَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَرْحَضُ جَسَدَهُ بِمَاءٍ حَيٍّ فَيَطْهُرُ. | ١٣ 13 |
“‘जब स्रावग्रस्त व्यक्ति अपने स्राव से शुद्ध हो गए है, तो वह अपने शुद्ध होने के लिए सात दिनों की गिनती कर ले; तब वह अपने वस्त्रों को धो डाले और बहते हुए जल में स्नान करे, तब वह शुद्ध हो जाएगा.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ يَأْخُذُ لِنَفْسِهِ يَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ، وَيَأْتِي إِلَى أَمَامِ ٱلرَّبِّ، إِلَى بَابِ خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ، وَيُعْطِيهِمَا لِلْكَاهِنِ، | ١٤ 14 |
आठवें दिन वह अपने लिए दो कपोत अथवा कबूतर के दो बच्चे लेकर मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने आए और इन्हें पुरोहित को दे दे;
فَيَعْمَلُهُمَا ٱلْكَاهِنُ: ٱلْوَاحِدَ ذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ، وَٱلْآخَرَ مُحْرَقَةً. وَيُكَفِّرُ عَنْهُ ٱلْكَاهِنُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ مِنْ سَيْلِهِ. | ١٥ 15 |
पुरोहित इनमें से एक को पापबलि के लिए तथा दूसरे को होमबलि के लिए भेंट करे. इस प्रकार पुरोहित उसके लिए उसके स्राव के कारण याहवेह के सामने प्रायश्चित पूरा करे.
«وَإِذَا حَدَثَ مِنْ رَجُلٍ ٱضْطِجَاعُ زَرْعٍ، يَرْحَضُ كُلَّ جَسَدِهِ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١٦ 16 |
“‘यदि किसी व्यक्ति का वीर्य-उत्सर्जन हो गया है, तो वह स्नान के द्वारा सारे शरीर को धो डाले और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَكُلُّ ثَوْبٍ وَكُلُّ جِلْدٍ يَكُونُ عَلَيْهِ ٱضْطِجَاعُ زَرْعٍ يُغْسَلُ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١٧ 17 |
जहां तक वस्त्र अथवा चर्मवस्त्र का संबंध है, जिस पर वीर्य गिरा हुआ हो, उस वस्त्र को जल से धो डाला जाए तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَٱلْمَرْأَةُ ٱلَّتِي يَضْطَجِعُ مَعَهَا رَجُلٌ ٱضْطِجَاعَ زَرْعٍ، يَسْتَحِمَّانِ بِمَاءٍ، وَيَكُونَانِ نَجِسَيْنِ إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١٨ 18 |
यदि कोई पुरुष किसी स्त्री से संभोग करे और इस प्रक्रिया में उसका वीर्य-उत्सर्जन हुआ हो, तो वे दोनों स्नान करें-वे शाम तक अशुद्ध रहेंगे.
«وَإِذَا كَانَتِ ٱمْرَأَةٌ لَهَا سَيْلٌ، وَكَانَ سَيْلُهَا دَمًا فِي لَحْمِهَا، فَسَبْعَةَ أَيَّامٍ تَكُونُ فِي طَمْثِهَا. وَكُلُّ مَنْ مَسَّهَا يَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ١٩ 19 |
“‘जब किसी स्त्री से स्राव हो रहा हो, और यदि वह स्राव रक्त है, तो वह स्त्री अपनी ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में सात दिन के लिए होगी, और जो कोई उस स्त्री को छुए, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَكُلُّ مَا تَضْطَجِعُ عَلَيْهِ فِي طَمْثِهَا يَكُونُ نَجِسًا، وَكُلُّ مَا تَجْلِسُ عَلَيْهِ يَكُونُ نَجِسًا. | ٢٠ 20 |
“‘हर एक वह वस्तु अशुद्ध होगी जिस पर वह अपने ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में लेटती है, तथा वह वस्तु भी जिस पर वह बैठती है.
وَكُلُّ مَنْ مَسَّ فِرَاشَهَا يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٢١ 21 |
जो कोई भी उसके बिछौने को छू लेता है, वह अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَكُلُّ مَنْ مَسَّ مَتَاعًا تَجْلِسُ عَلَيْهِ، يَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٢٢ 22 |
जो कोई उस वस्तु को छू लेता है जिस पर वह बैठती है, तो वह अपने वस्त्रों को धो डाले तथा स्नान करे, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَإِنْ كَانَ عَلَى ٱلْفِرَاشِ أَوْ عَلَى ٱلْمَتَاعِ ٱلَّذِي هِيَ جَالِسَةٌ عَلَيْهِ عِنْدَمَا يَمَسُّهُ، يَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٢٣ 23 |
चाहे यह उसका बिछौना अथवा कोई भी वस्तु है जिस पर वह बैठती है, यदि कोई उसको छू लेता है, तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَإِنِ ٱضْطَجَعَ مَعَهَا رَجُلٌ فَكَانَ طَمْثُهَا عَلَيْهِ يَكُونُ نَجِسًا سَبْعَةَ أَيَّامٍ. وَكُلُّ فِرَاشٍ يَضْطَجِعُ عَلَيْهِ يَكُونُ نَجِسًا. | ٢٤ 24 |
“‘यदि कोई पुरुष उसके साथ वास्तव में संभोग कर लेता है, और इस प्रकार उस स्त्री की ऋतुस्राव की अशुद्धता उस पुरुष पर आ जाती है, तो वह सात दिनों के लिए अशुद्ध होगा, और हर एक बिछौना जिस पर वह लेटता है, अशुद्ध हो जाएगा.
«وَإِذَا كَانَتِ ٱمْرَأَةٌ يَسِيلُ سَيْلُ دَمِهَا أَيَّامًا كَثِيرَةً فِي غَيْرِ وَقْتِ طَمْثِهَا، أَوْ إِذَا سَالَ بَعْدَ طَمْثِهَا، فَتَكُونُ كُلَّ أَيَّامِ سَيَلَانِ نَجَاسَتِهَا كَمَا فِي أَيَّامِ طَمْثِهَا. إِنَّهَا نَجِسَةٌ. | ٢٥ 25 |
“‘यदि किसी स्त्री को रक्त का स्राव उसके ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में ही नहीं बल्कि उसके अलावा भी अनेक दिनों तक होता रहे, तो वह ऋतुस्राव की अशुद्धता की अवधि के समान अपने इस अशुद्ध स्राव में भी अशुद्ध रहेगी.
كُلُّ فِرَاشٍ تَضْطَجِعُ عَلَيْهِ كُلَّ أَيَّامِ سَيْلِهَا يَكُونُ لَهَا كَفِرَاشِ طَمْثِهَا. وَكُلُّ ٱلْأَمْتِعَةِ ٱلَّتِي تَجْلِسُ عَلَيْهَا تَكُونُ نَجِسَةً كَنَجَاسَةِ طَمْثِهَا. | ٢٦ 26 |
कोई भी वह बिछौना जिस पर वह अपने स्राव के पूरे दिनों में लेटती है, वह उसके ऋतुस्राव के अशुद्ध बिछौने के समान होगा और हर एक वह वस्तु जिस पर वह बैठती है, वह उसके ऋतुस्राव के समान अशुद्ध होगी.
وَكُلُّ مَنْ مَسَّهُنَّ يَكُونُ نَجِسًا، فَيَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَيَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. | ٢٧ 27 |
उसी प्रकार जो कोई उसको छू लेता है, वह अशुद्ध होगा और वह अपने वस्त्रों को धो डाले तथा स्नान करे, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَإِذَا طَهُرَتْ مِنْ سَيْلِهَا تَحْسُبُ، لِنَفْسِهَا سَبْعَةَ أَيَّامٍ ثُمَّ تَطْهُرُ. | ٢٨ 28 |
“‘जब वह स्त्री अपने स्राव से शुद्ध हो जाती है, तो वह अपने शुद्ध होने के लिए सात दिनों की गिनती कर ले, उसके बाद वह शुद्ध होगी.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ تَأْخُذُ لِنَفْسِهَا يَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ، وَتَأْتِي بِهِمَا إِلَى ٱلْكَاهِنِ إِلَى بَابِ خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ. | ٢٩ 29 |
आठवें दिन वह अपने लिए दो कपोत अथवा दो कबूतर के बच्चे लेकर उन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर पुरोहित के सामने लाए.
فَيَعْمَلُ ٱلْكَاهِنُ: ٱلْوَاحِدَ ذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ، وَٱلْآخَرَ مُحْرَقَةً. وَيُكَفِّرُ عَنْهَا ٱلْكَاهِنُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ مِنْ سَيْلِ نَجَاسَتِهَا. | ٣٠ 30 |
पुरोहित उनमें से एक को पापबलि तथा दूसरे को होमबलि के लिए भेंट करे. इस प्रकार उसके स्राव के कारण पुरोहित उसके लिए याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.’
فَتَعْزِلَانِ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَنْ نَجَاسَتِهِمْ لِئَلَّا يَمُوتُوا فِي نَجَاسَتِهِمْ بِتَنْجِيسِهِمْ مَسْكَنِيَ ٱلَّذِي فِي وَسَطِهِمْ. | ٣١ 31 |
“‘इस प्रकार तुम इस्राएल वंशजों को उनकी अशुद्धता से अलग रखोगे, ऐसा न हो कि वे मेरे मिलनवाले तंबू को, जो उनके बीच में है, अशुद्ध करें और उनकी अशुद्धता के कारण उनकी मृत्यु हो जाए.’”
«هَذِهِ شَرِيعَةُ ذِي ٱلسَّيْلِ، وَٱلَّذِي يَحْدُثُ مِنْهُ ٱضْطِجَاعُ زَرْعٍ فَيَتَنَجَّسُ بِهَا، | ٣٢ 32 |
यह विधि उस व्यक्ति के लिए है, जिसका स्राव हो रहा है और जिस व्यक्ति का वीर्य-उत्सर्जन हो गया है; जिससे वह अशुद्ध हो जाता है,
وَٱلْعَلِيلَةِ فِي طَمْثِهَا، وَٱلسَّائِلِ سَيْلُهُ: ٱلذَّكَرِ وَٱلْأُنْثَى، وَٱلرَّجُلِ ٱلَّذِي يَضْطَجِعُ مَعَ نَجِسَةٍ». | ٣٣ 33 |
और उस स्त्री के लिए भी, जो अपनी ऋतुस्राव-अशुद्धता के कारण अस्वस्थ है. हां, उसके लिए, जिससे स्राव हो रहा हो, चाहे वह पुरुष हो अथवा स्त्री; अथवा उस पुरुष के लिए भी, जो उस स्त्री से संभोग कर लेता है, जो अशुद्धता की स्थिति में है.