< اَللَّاوِيِّينَ 13 >
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ قَائِلًا: | ١ 1 |
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
«إِذَا كَانَ إِنْسَانٌ فِي جِلْدِ جَسَدِهِ نَاتِئٌ أَوْ قُوبَاءُ أَوْ لُمْعَةٌ تَصِيرُ فِي جِلْدِ جَسَدِهِ ضَرْبَةَ بَرَصٍ، يُؤْتَى بِهِ إِلَى هَارُونَ ٱلْكَاهِنِ أَوْ إِلَى أَحَدِ بَنِيهِ ٱلْكَهَنَةِ. | ٢ 2 |
“अगर किसी के जिस्म की जिल्द में वर्म, या पपड़ी, या सफ़ेद चमकता हुआ दाग़ हो, और उसके जिस्म की जिल्द में कोढ़ जैसी बला हो, तो उसे हारून काहिन के पास या उसके बेटों में से जो काहिन हैं किसी के पास ले जाएँ।
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ ٱلضَّرْبَةَ فِي جِلْدِ ٱلْجَسَدِ، وَفِي ٱلضَّرْبَةِ شَعَرٌ قَدِ ٱبْيَضَّ، وَمَنْظَرُ ٱلضَّرْبَةِ أَعْمَقُ مِنْ جِلْدِ جَسَدِهِ، فَهِيَ ضَرْبَةُ بَرَصٍ. فَمَتَى رَآهُ ٱلْكَاهِنُ يَحْكُمُ بِنَجَاسَتِهِ. | ٣ 3 |
और काहिन उसके जिस्म की जिल्द की बला को देखे, अगर उस बला की जगह के बाल सफ़ेद हो गए हों और वह बला देखने में खाल से गहरी हो, तो वह कोढ़ का मर्ज़ है; और काहिन उस शख़्स को देख कर उसे नापाक करार दे।
لَكِنْ إِنْ كَانَتِ ٱلضَّرْبَةُ لُمْعَةً بَيْضَاءَ فِي جِلْدِ جَسَدِهِ، وَلَمْ يَكُنْ مَنْظَرُهَا أَعْمَقَ مِنَ ٱلْجِلْدِ، وَلَمْ يَبْيَضَّ شَعْرُهَا، يَحْجُزُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْمَضْرُوبَ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. | ٤ 4 |
और अगर उसके जिस्म की जिल्द का चमकता हुआ दाग़ सफ़ेद तो हो लेकिन खाल से गहरा न दिखाई दे, और न उसके ऊपर के बाल सफ़ेद हो गए हों, तो काहिन उस शख़्स को सात दिन तक बन्द रख्खे;
فَإِنْ رَآهُ ٱلْكَاهِنُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ وَإِذَا فِي عَيْنِهِ ٱلضَّرْبَةُ قَدْ وَقَفَتْ، وَلَمْ تَمْتَدَّ ٱلضَّرْبَةُ فِي ٱلْجِلْدِ، يَحْجُزُهُ ٱلْكَاهِنُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ ثَانِيَةً. | ٥ 5 |
और सातवें दिन काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर वह बला उसे वहीं के वहीं दिखाई दे और जिल्द पर फैल न गई हो, तो काहिन उसे सात दिन और बन्द रख्खे;
فَإِنْ رَآهُ ٱلْكَاهِنُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ ثَانِيَةً وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ كَامِدَةُ ٱللَّوْنِ، وَلَمْ تَمْتَدَّ ٱلضَّرْبَةُ فِي ٱلْجِلْدِ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِطَهَارَتِهِ. إِنَّهَا حَزَازٌ. فَيَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَكُونُ طَاهِرًا. | ٦ 6 |
और सातवें दिन काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस बला की चमक कम है और वह जिल्द के ऊपर फैली भी नहीं है; तो काहिन उसे पाक क़रार दे क्यूँकि वह पपड़ी है। इसलिए वह अपने कपड़े धो डाले और साफ़ हो जाए।
لَكِنْ إِنْ كَانَتِ ٱلْقُوبَاءُ تَمْتَدُّ فِي ٱلْجِلْدِ بَعْدَ عَرْضِهِ عَلَى ٱلْكَاهِنِ لِتَطْهِيرِهِ، يُعْرَضُ عَلَى ٱلْكَاهِنِ ثَانِيَةً. | ٧ 7 |
लेकिन अगर काहिन के उस मुलहज़े के बाद जिस में वह साफ़ क़रार दिया गया था, वह पपड़ी उसकी जिल्द पर बहुत फैल जाए, तो वह शख़्स काहिन को फिर दिखाया जाए;
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلْقُوبَاءُ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي ٱلْجِلْدِ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا بَرَصٌ. | ٨ 8 |
और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह पपड़ी जिल्द पर फैल गई है तो वह उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है।
«إِنْ كَانَتْ فِي إِنْسَانٍ ضَرْبَةُ بَرَصٍ فَيُؤْتَى بِهِ إِلَى ٱلْكَاهِنِ. | ٩ 9 |
“अगर किसी शख़्स को कोढ़ का मर्ज़ हो, तो उसे काहिन के पास ले जाएँ,
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا فِي ٱلْجِلْدِ نَاتِئٌ أَبْيَضُ، قَدْ صَيَّرَ ٱلشَّعْرَ أَبْيَضَ، وَفِي ٱلنَّاتِئِ وَضَحٌ مِنْ لَحْمٍ حَيٍّ، | ١٠ 10 |
और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि जिल्द पर सफ़ेद वर्म है और उसने बालों को सफ़ेद कर दिया है, और उस वर्म की जगह का गोश्त ज़िन्दा और कच्चा है,
فَهُوَ بَرَصٌ مُزْمِنٌ فِي جِلْدِ جَسَدِهِ. فَيَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. لَا يَحْجُزُهُ لِأَنَّهُ نَجِسٌ. | ١١ 11 |
तो यह उसके जिस्म की जिल्द में पुराना कोढ़ है, इसलिए काहिन उसे नापाक करार दे लेकिन उसे बन्द न करे क्यूँकि वह नापाक है।
لَكِنْ إِنْ كَانَ ٱلْبَرَصُ قَدْ أَفْرَخَ فِي ٱلْجِلْدِ، وَغَطَّى ٱلْبَرَصُ كُلَّ جِلْدِ ٱلْمَضْرُوبِ مِنْ رَأْسِهِ إِلَى قَدَمَيْهِ حَسَبَ كُلِّ مَا تَرَاهُ عَيْنَا ٱلْكَاهِنِ، | ١٢ 12 |
और अगर कोढ़ जिल्द में चारों तरफ़ फूट आए, और जहाँ तक काहिन को दिखाई देता है, यही मा'लूम हो कि उस की जिल्द सिर से पाँव तक कोढ़ से ढंक गई है;
وَرَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلْبَرَصُ قَدْ غَطَّى كُلَّ جِسْمِهِ، يَحْكُمُ بِطَهَارَةِ ٱلْمَضْرُوبِ. كُلُّهُ قَدِ ٱبْيَضَّ. إِنَّهُ طَاهِرٌ. | ١٣ 13 |
तो काहिन ग़ौर से देखे और अगर उस शख़्स का सारा जिस्म कोढ़ से ढका हुआ निकले, तो काहिन उस मरीज़ को पाक क़रार दे, क्यूँकि वह सब सफ़ेद हो गया है और वह पाक है।
لَكِنْ يَوْمَ يُرَى فِيهِ لَحْمٌ حَيٌّ يَكُونُ نَجِسًا. | ١٤ 14 |
लेकिन जिस दिन जीता और कच्चा गोश्त उस पर दिखाई दे, वह नापाक होगा।
فَمَتَى رَأَى ٱلْكَاهِنُ ٱللَّحْمَ ٱلْحَيَّ يَحْكُمُ بِنَجَاسَتِهِ. ٱللَّحْمُ ٱلْحَيُّ نَجِسٌ. إِنَّهُ بَرَصٌ. | ١٥ 15 |
और काहिन उस कच्चे गोश्त को देख कर उस शख़्स को नापाक करार दे, कच्चा गोश्त नापाक होता है; वह कोढ़ है।
ثُمَّ إِنْ عَادَ ٱللَّحْمُ ٱلْحَيُّ وَٱبْيَضَّ يَأْتِي إِلَى ٱلْكَاهِنِ. | ١٦ 16 |
और अगर वह कच्चा गोश्त फिर कर सफ़ेद हो जाए, तो वह काहिन के पास जाए;
فَإِنْ رَآهُ ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ قَدْ صَارَتْ بَيْضَاءَ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِطَهَارَةِ ٱلْمَضْرُوبِ. إِنَّهُ طَاهِرٌ. | ١٧ 17 |
और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि मर्ज़ की जगह सब सफ़ेद हो गई है तो काहिन मरीज़ को पाक क़रार दे; वह पाक है।
«وَإِذَا كَانَ ٱلْجِسْمُ فِي جِلْدِهِ دُمَّلَةٌ قَدْ بَرِئَتْ، | ١٨ 18 |
'और अगर किसी के जिस्म की जिल्द पर फोड़ा हो कर अच्छा हो जाए,
وَصَارَ فِي مَوْضِعِ ٱلدُّمَّلَةِ نَاتِئٌ أَبْيَضُ، أَوْ لُمْعَةٌ بَيْضَاءُ ضَارِبَةٌ إِلَى ٱلْحُمْرَةِ، يُعْرَضُ عَلَى ٱلْكَاهِنِ. | ١٩ 19 |
और फोड़े की जगह सफ़ेद वर्म या सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ हो तो वह दिखाया जाए;
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا مَنْظَرُهَا أَعْمَقُ مِنَ ٱلْجِلْدِ وَقَدِ ٱبْيَضَّ شَعْرُهَا، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا ضَرْبَةُ بَرَصٍ أَفْرَخَتْ فِي ٱلدُّمَّلَةِ. | ٢٠ 20 |
और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह खाल से गहरा नज़र आता है और उस पर के बाल भी सफ़ेद हो गए हैं, तो काहिन उस शख़्स को नापाक करार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है जो फोड़े में से फूट कर निकला है।
لَكِنْ إِنْ رَآهَا ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا لَيْسَ فِيهَا شَعْرٌ أَبْيَضُ، وَلَيْسَتْ أَعْمَقَ مِنَ ٱلْجِلْدِ، وَهِيَ كَامِدَةُ ٱللَّوْنِ، يَحْجُزُهُ ٱلْكَاهِنُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. | ٢١ 21 |
लेकिन अगर काहिन देखे कि उस पर सफ़ेद बाल नहीं, और वह खाल से गहरा भी नहीं है और उसकी चमक कम है; तो काहिन उसे सात दिन तक बन्द रख्खे।
فَإِنْ كَانَتْ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي ٱلْجِلْدِ يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا ضَرْبَةٌ. | ٢٢ 22 |
और अगर वह जिल्द पर चारों तरफ़ फैल जाए, तो काहिन उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ की बला है।
لَكِنْ إِنْ وَقَفَتِ ٱللُّمْعَةُ مَكَانَهَا وَلَمْ تَمْتَدَّ، فَهِيَ أَثَرُ ٱلدُّمَّلَةِ. فَيَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِطَهَارَتِهِ. | ٢٣ 23 |
लेकिन अगर वह चमकता हुआ दाग अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे, और फैल न जाए तो वह फोड़े का दाग़ है; तब काहिन उस शख़्स को पाक करार दे।
«أَوْ إِذَا كَانَ ٱلْجِسْمُ فِي جِلْدِهِ كَيُّ نَارٍ، وَكَانَ حَيُّ ٱلْكَيِّ لُمْعَةً بَيْضَاءَ ضَارِبَةً إِلَى ٱلْحُمْرَةِ أَوْ بَيْضَاءَ، | ٢٤ 24 |
“या अगर जिस्म की खाल कहीं से जल जाए, और उस जली हुई जगह का ज़िन्दा गोश्त एक सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ या बिल्कुल ही सफ़ेद दाग़ बन जाए
وَرَآهَا ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلشَّعْرُ فِي ٱللُّمْعَةِ قَدِ ٱبْيَضَّ، وَمَنْظَرُهَا أَعْمَقُ مِنَ ٱلْجِلْدِ، فَهِيَ بَرَصٌ قَدْ أَفْرَخَ فِي ٱلْكَيِّ. فَيَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا ضَرْبَةُ بَرَصٍ. | ٢٥ 25 |
तो काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस चमकते हुए दाग़ के बाल सफ़ेद हो गए हैं और वह खाल से गहरा दिखाई देता है; तो वह कोढ़ है जो उस जल जाने से पैदा हुआ है; और काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
لَكِنْ إِنْ رَآهَا ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا لَيْسَ فِي ٱللُّمْعَةِ شَعْرٌ أَبْيَضُ، وَلَيْسَتْ أَعْمَقَ مِنَ ٱلْجِلْدِ، وَهِيَ كَامِدَةُ ٱللَّوْنِ، يَحْجُزُهُ ٱلْكَاهِنُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ، | ٢٦ 26 |
लेकिन अगर काहिन देखे कि उस चमकते हुए दाग़ पर सफ़ेद बाल नहीं, और न वह खाल से गहरा है बल्कि उसकी चमक भी कम है, तो वह उसे सात दिन तक बन्द रख्खे;
ثُمَّ يَرَاهُ ٱلْكَاهِنُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ. فَإِنْ كَانَتْ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي ٱلْجِلْدِ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا ضَرْبَةُ بَرَصٍ. | ٢٧ 27 |
और सातवें दिन काहिन उसे देखे, अगर वह जिल्द पर बहुत फैल गया हो तो काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे; क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
لَكِنْ إِنْ وَقَفَتِ ٱللُّمْعَةُ مَكَانَهَا، لَمْ تَمْتَدَّ فِي ٱلْجِلْدِ، وَكَانَتْ كَامِدَةَ ٱللَّوْنِ، فَهِيَ نَاتِئُ ٱلْكَيِّ، فَٱلْكَاهِنُ يَحْكُمُ بِطَهَارَتِهِ لِأَنَّهَا أَثَرُ ٱلْكَيِّ. | ٢٨ 28 |
और अगर वह चमकता हुआ दाग़ अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे और जिल्द पर फैला हुआ न हो, बल्कि उसकी चमक भी कम हो, तो वह सिर्फ़ जल जाने की वजह से फूला हुआ है; और काहिन उस शख़्स को पाक क़रार दे क्यूँकि वह दाग़ जल जाने की वजह से है।
«وَإِذَا كَانَ رَجُلٌ أَوِ ٱمْرَأَةٌ فِيهِ ضَرْبَةٌ فِي ٱلرَّأْسِ أَوْ فِي ٱلذَّقَنِ، | ٢٩ 29 |
“अगर किसी मर्द या 'औरत के सिर या ठोड़ी में दाग़ हो,
وَرَأَى ٱلْكَاهِنُ ٱلضَّرْبَةَ وَإِذَا مَنْظَرُهَا أَعْمَقُ مِنَ ٱلْجِلْدِ، وَفِيهَا شَعْرٌ أَشْقَرُ دَقِيقٌ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّهَا قَرَعٌ. بَرَصُ ٱلرَّأْسِ أَوِ ٱلذَّقَنِ. | ٣٠ 30 |
तो काहिन उस दाग़ को मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि वह खाल से गहरा मा'लूम होता है और उस पर ज़र्द — ज़र्द बारीक रोंगटे हैं तों काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि वह सा'फ़ा है जो सिर या ठोड़ी का कोढ़ है।
لَكِنْ إِذَا رَأَى ٱلْكَاهِنُ ضَرْبَةَ ٱلْقَرَعِ وَإِذَا مَنْظَرُهَا لَيْسَ أَعْمَقَ مِنَ ٱلْجِلْدِ، لَكِنْ لَيْسَ فِيهَا شَعْرٌ أَسْوَدُ، يَحْجُزُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْمَضْرُوبَ بِٱلْقَرَعِ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. | ٣١ 31 |
और अगर काहिन देखे कि वह सा'फ़ा की बला खाल से गहरी नहीं मा'लूम होती और उस पर स्याह बाल नहीं हैं, तो काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन तक बन्द रख्खे;
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ ٱلضَّرْبَةَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ وَإِذَا ٱلْقَرَعُ لَمْ يَمْتَدَّ، وَلَمْ يَكُنْ فِيهِ شَعْرٌ أَشْقَرُ، وَلَا مَنْظَرُ ٱلْقَرَعِ أَعْمَقُ مِنَ ٱلْجِلْدِ، | ٣٢ 32 |
और सातवें दिन काहिन उस बला का मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि सा'फ़ा फैला नहीं और उस पर कोई ज़र्द बाल भी नहीं और सा'फ़ा खाल से गहरा नहीं मा'लूम होता;
فَلْيَحْلِقْ. لَكِنْ لَا يَحْلِقِ ٱلْقَرَعَ. وَيَحْجُزُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْأَقْرَعَ سَبْعَةَ أَيَّامٍ ثَانِيَةً. | ٣٣ 33 |
तो उस शख़्स के बाल मूँडे जाएँ, लेकिन जहाँ सा'फ़ा हो वह जगह न मूँडी जाए। और काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन और बन्द रख्खे।
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ ٱلْأَقْرَعَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ وَإِذَا ٱلْقَرَعُ لَمْ يَمْتَدَّ فِي ٱلْجِلْدِ، وَلَيْسَ مَنْظَرُهُ أَعْمَقَ مِنَ ٱلْجِلْدِ، يَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِطَهَارَتِهِ، فَيَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَكُونُ طَاهِرًا. | ٣٤ 34 |
फिर सातवें रोज़ काहिन सा'फ़े का मुलाहिज़ा करे, और अगर देखें कि सा'फ़ा जिल्द में फैला नहीं और न वह खाल से गहरा दिखाई देता है तो काहिन उस शख़्स को पाक करार दे; और वह अपने कपड़े धोए और साफ़ हो जाए।
لَكِنْ إِنْ كَانَ ٱلْقَرَعُ يَمْتَدُّ فِي ٱلْجِلْدِ بَعْدَ ٱلْحُكْمِ بِطَهَارَتِهِ، | ٣٥ 35 |
लेकिन अगर उस की सफ़ाई के बाद सा'फ़ा उसकी जिल्द पर बहुत फैल जाए तो काहिन उसे देखे,
وَرَآهُ ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلْقَرَعُ قَدِ ٱمْتَدَّ فِي ٱلْجِلْدِ، فَلَا يُفَتِّشُ ٱلْكَاهِنُ عَلَى ٱلشَّعْرِ ٱلْأَشْقَرِ. إِنَّهُ نَجِسٌ. | ٣٦ 36 |
और अगर सा'फ़ा उसकी जिल्द पर फैला हुआ नज़र आए तो काहिन ज़र्द बाल को न ढूँढे क्यूँकि वह शख़्स नापाक है।
لَكِنْ إِنْ وَقَفَ فِي عَيْنَيْهِ وَنَبَتَ فِيهِ شَعْرٌ أَسْوَدُ، فَقَدْ بَرِئَ ٱلْقَرَعُ. إِنَّهُ طَاهِرٌ فَيَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِطَهَارَتِهِ. | ٣٧ 37 |
लेकिन अगर उस को सा'फ़ा अपनी जगह पर वहीं का वहीं दिखाई दे और उस पर स्याह बाल निकले हुए हों, तो सा'फ़ा अच्छा हो गया; वह शख़्स पाक है और काहिन उसे पाक क़रार दे।
«وَإِذَا كَانَ رَجُلٌ أَوِ ٱمْرَأَةٌ فِي جِلْدِ جَسَدِهِ لُمَعٌ، لُمَعٌ بِيضٌ، | ٣٨ 38 |
और अगर किसी मर्द या 'औरत के जिस्म की जिल्द में चमकते हुए दाग़ या सफ़ेद चमकते हुए दाग़ हों,
وَرَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا فِي جِلْدِ جَسَدِهِ لُمَعٌ كَامِدَةُ ٱللَّوْنِ بَيْضَاءُ، فَذَلِكَ بَهَقٌ قَدْ أَفْرَخَ فِي ٱلْجِلْدِ. إِنَّهُ طَاهِرٌ. | ٣٩ 39 |
तो काहिन देखे, और अगर उनके जिस्म की जिल्द के दाग स्याही माइल सफ़ेद रंग के हों, तो वह छीप है जो जिल्द में फूट निकली है; वह शख़्स पाक है।
«وَإِذَا كَانَ إِنْسَانٌ قَدْ ذَهَبَ شَعْرُ رَأْسِهِ فَهُوَ أَقْرَعُ. إِنَّهُ طَاهِرٌ. | ٤٠ 40 |
'और जिस शख़्स के सिर के बाल गिर गए हों, वह गंजा तो है मगर पाक है।
وَإِنْ ذَهَبَ شَعْرُ رَأْسِهِ مِنْ جِهَةِ وَجْهِهِ فَهُوَ أَصْلَعُ. إِنَّهُ طَاهِرٌ. | ٤١ 41 |
और जिस शख़्स के सर के बाल पेशानी की तरफ़ से गिर गए हों, वह चँदुला तो है मगर पाक है।
لَكِنْ إِذَا كَانَ فِي ٱلْقَرَعَةِ أَوْ فِي ٱلصَّلْعَةِ ضَرْبَةٌ بَيْضَاءُ ضَارِبَةٌ إِلَى ٱلْحُمْرَةِ، فَهُوَ بَرَصٌ مُفْرِخٌ فِي قَرَعَتِهِ أَوْ فِي صَلْعَتِهِ. | ٤٢ 42 |
लेकिन उस गंजे या चँदले सिर पर सुर्ख़ी माइल सफ़ेद दाग़ हों, तो यह कोढ़ है जो उसके गंजे या चँदले सिर पर निकला है;
فَإِنْ رَآهُ ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا نَاتِئُ ٱلضَّرْبَةِ أَبْيَضُ ضَارِبٌ إِلَى ٱلْحُمْرَةِ فِي قَرَعَتِهِ أَوْ فِي صَلْعَتِهِ، كَمَنْظَرِ ٱلْبَرَصِ فِي جِلْدِ ٱلْجَسَدِ، | ٤٣ 43 |
इसलिए काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर वह देखे कि उसके गंजे या चँदले सिर पर वह दाग़ ऐसा सुर्खी माइल सफ़ेद रंग लिए हुए है, जैसा जिल्द के कोढ़ में होता है,
فَهُوَ إِنْسَانٌ أَبْرَصُ. إِنَّهُ نَجِسٌ. فَيَحْكُمُ ٱلْكَاهِنُ بِنَجَاسَتِهِ. إِنَّ ضَرْبَتَهُ فِي رَأْسِهِ. | ٤٤ 44 |
तो वह आदमी कोढ़ी है, वह नापाक है और काहिन उसे ज़रूर ही नापाक करार दे क्यूँकि वह मर्ज़ उसके सिर पर है।
وَٱلْأَبْرَصُ ٱلَّذِي فِيهِ ٱلضَّرْبَةُ، تَكُونُ ثِيَابُهُ مَشْقُوقَةً، وَرَأْسُهُ يَكُونُ مَكْشُوفًا، وَيُغَطِّي شَارِبَيْهِ، وَيُنَادِي: نَجِسٌ، نَجِسٌ. | ٤٥ 45 |
और जो कोढ़ी इस बला में मुब्तिला हो, उसके कपड़े फटे और उसके सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपर के होंट को ढाँके और चिल्ला — चिल्ला कर कहे, नापाक, नापाक।
كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي تَكُونُ ٱلضَّرْبَةُ فِيهِ يَكُونُ نَجِسًا. إِنَّهُ نَجِسٌ. يُقِيمُ وَحْدَهُ. خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ يَكُونُ مُقَامُهُ. | ٤٦ 46 |
जितने दिनों तक वह इस बला में मुब्तिला रहे, वह नापाक रहेगा और वह है भी नापाक। तब वह अकेला रहा करे, उसका मकान लश्करगाह के बाहर हो।
«وَأَمَّا ٱلثَّوْبُ فَإِذَا كَانَ فِيهِ ضَرْبَةُ بَرَصٍ، ثَوْبُ صُوفٍ أَوْ ثَوْبُ كَتَّانٍ، | ٤٧ 47 |
'और वह कपड़ा भी जिस में कोढ़ की बला हो, चाहे वह ऊन का हो या कतान का;
فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ مِنَ ٱلصُّوفِ أَوِ ٱلْكَتَّانِ، أَوْ فِي جِلْدٍ أَوْ فِي كُلِّ مَصْنُوعٍ مِنْ جِلْدٍ، | ٤٨ 48 |
और वह बला भी चाहे कतान या ऊन के कपड़े के ताने में या उसके बाने में हो, या वह चमड़े में हो या चमड़े की बनी हुई किसी चीज़ में हो;
وَكَانَتِ ٱلضَّرْبَةُ ضَارِبَةً إِلَى ٱلْخُضْرَةِ أَوْ إِلَى ٱلْحُمْرَةِ فِي ٱلثَّوْبِ أَوْ فِي ٱلْجِلْدِ، فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ أَوْ فِي مَتَاعٍ مَا مِنْ جِلْدٍ، فَإِنَّهَا ضَرْبَةُ بَرَصٍ، فَتُعْرَضُ عَلَى ٱلْكَاهِنِ. | ٤٩ 49 |
अगर वह बला कपड़े में या चमड़े में, कपड़े के ताने में या बाने में या चमड़े की किसी चीज़ में सब्ज़ी माइल या सुर्ख़ी माइल रंग की हो, तो वह कोढ़ की बला है और काहिन को दिखाई जाए।
فَيَرَى ٱلْكَاهِنُ ٱلضَّرْبَةَ وَيَحْجُزُ ٱلْمَضْرُوبَ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. | ٥٠ 50 |
और काहिन उस बला को देखे, और उस चीज़ को जिस में वह बला है सात दिन तक बन्द रख्खे;
فَمَتَى رَأَى ٱلضَّرْبَةَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ إِذَا كَانَتِ ٱلضَّرْبَةُ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي ٱلثَّوْبِ، فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ أَوْ فِي ٱلْجِلْدِ مِنْ كُلِّ مَا يُصْنَعُ مِنْ جِلْدٍ لِلْعَمَلِ، فَٱلضَّرْبَةُ بَرَصٌ مُفْسِدٌ. إِنَّهَا نَجِسَةٌ. | ٥١ 51 |
और सातवें दिन उस को देखें। अगर वह बला कपड़े के ताने में या बाने में, या चमड़े पर या चमड़े की बनी हुई किसी चीज़ पर फैल गई हो, तो वह खा जाने वाला कोढ़ है और नापाक है।
فَيُحْرِقُ ٱلثَّوْبَ أَوِ ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةَ مِنَ ٱلصُّوفِ أَوِ ٱلْكَتَّانِ أَوْ مَتَاعِ ٱلْجِلْدِ ٱلَّذِي كَانَتْ فِيهِ ٱلضَّرْبَةُ، لِأَنَّهَا بَرَصٌ مُفْسِدٌ. بِٱلنَّارِ يُحْرَقُ. | ٥٢ 52 |
और उस ऊन या कतान के कपड़े को जिसके ताने में या बाने में वह बला है, या चमड़े की उस चीज़ को जिस में वह है जला दे; क्यूँकि यह खा जाने वाला कोढ़ है। वह आग में जलाया जाए।
لَكِنْ إِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ لَمْ تَمْتَدَّ فِي ٱلثَّوْبِ فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ أَوْ فِي مَتَاعِ ٱلْجِلْدِ، | ٥٣ 53 |
“और अगर काहिन देखे, कि वह बला कपड़े के ताने में या बाने में, या चमड़े की किसी चीज़ में फैली हुई नज़र नहीं आती,
يَأْمُرُ ٱلْكَاهِنُ أَنْ يَغْسِلُوا مَا فِيهِ ٱلضَّرْبَةُ، وَيَحْجُزُهُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ ثَانِيَةً. | ٥٤ 54 |
तो काहिन हुक्म करे कि उस चीज़ को जिस में वह बला है धोएँ, और वह फिर उसे और सात दिन तक बन्द रख्खे;
فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ بَعْدَ غَسْلِ ٱلْمَضْرُوبِ وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ لَمْ تُغَيِّرْ مَنْظَرَهَا، وَلَا ٱمْتَدَّتِ ٱلضَّرْبَةُ، فَهُوَ نَجِسٌ. بِٱلنَّارِ تُحْرِقُهُ. إِنَّهَا نُخْرُوبٌ فِي جُرْدَةِ بَاطِنِهِ أَوْ ظَاهِرِهِ. | ٥٥ 55 |
और उस बला के धोए जाने के बाद काहिन फिर उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस बला का रंग नहीं बदला और वह फैली भी नहीं है, तो वह नापाक है। तू उस कपड़े को आग में जला देना; क्यूँकि वह खा जाने वाली बला है, चाहे उस का फ़साद अन्दरूनी हो या बैरूनी।
لَكِنْ إِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ كَامِدَةُ ٱللَّوْنِ بَعْدَ غَسْلِهِ، يُمَزِّقُهَا مِنَ ٱلثَّوْبِ أَوِ ٱلْجِلْدِ مِنَ ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ. | ٥٦ 56 |
और अगर काहिन देखे कि धोने के बाद उस बला की चमक कम हो गई है, तो वह उसे उस कपड़े से या चमड़े से, ताने या बाने से, फाड़ कर निकाल फेंके।
ثُمَّ إِنْ ظَهَرَتْ أَيْضًا فِي ٱلثَّوْبِ فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ أَوْ فِي مَتَاعِ ٱلْجِلْدِ فَهِيَ مُفْرِخَةٌ. بِٱلنَّارِ تُحْرِقُ مَا فِيهِ ٱلضَّرْبَةُ. | ٥٧ 57 |
और अगर वह बला फिर भी कपड़े के ताने या बाने में या चमड़े की चीज़ में दिखाई दे, तो वह फूटकर निकल रही है। तब तू उस चीज़ को जिस में वह बला है आग में जला देना।
وَأَمَّا ٱلثَّوْبُ، ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةُ أَوْ مَتَاعُ ٱلْجِلْدِ ٱلَّذِي تَغْسِلُهُ وَتَزُولُ مِنْهُ ٱلضَّرْبَةُ، فَيُغْسَلُ ثَانِيَةً فَيَطْهُرُ. | ٥٨ 58 |
और अगर उस कपड़े के ताने या बाने में से, या चमड़े की चीज़ में से, जिसे तूने धोया है, वह बला जाती रहे तो वह चीज़ दोबारा धोई जाए और वह पाक ठहरेगी।”
«هَذِهِ شَرِيعَةُ ضَرْبَةِ ٱلْبَرَصِ فِي ٱلصُّوفِ أَوِ ٱلْكَتَّانِ، فِي ٱلسَّدَى أَوِ ٱللُّحْمَةِ أَوْ فِي كُلِّ مَتَاعٍ مِنْ جِلْدٍ، لِلْحُكْمِ بِطَهَارَتِهِ أَوْ نَجَاسَتِهِ». | ٥٩ 59 |
ऊन या कतान के ताने या बाने में, या चमड़े की किसी चीज़ में अगर कोढ़ की बला हो, तो उसे पाक या नापाक क़रार देने केलिए शरा' यही है।