< مَرَاثِي إِرْمِيَا 5 >
اُذْكُرْ يَارَبُّ مَاذَا صَارَ لَنَا. أَشْرِفْ وَٱنْظُرْ إِلَى عَارِنَا. | ١ 1 |
१हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या-क्या बिता है; हमारी ओर दृष्टि करके हमारी नामधराई को देख!
قَدْ صَارَ مِيرَاثُنَا لِلْغُرَبَاءِ. بُيُوتُنَا لِلْأَجَانِبِ. | ٢ 2 |
२हमारा भाग परदेशियों का हो गया और हमारे घर परायों के हो गए हैं।
صِرْنَا أَيْتَامًا بِلَا أَبٍ. أُمَّهَاتُنَا كَأَرَامِلَ. | ٣ 3 |
३हम अनाथ और पिताहीन हो गए; हमारी माताएँ विधवा सी हो गई हैं।
شَرِبْنَا مَاءَنَا بِٱلْفِضَّةِ. حَطَبُنَا بِٱلثَّمَنِ يَأْتِي. | ٤ 4 |
४हम मोल लेकर पानी पीते हैं, हमको लकड़ी भी दाम से मिलती है।
عَلَى أَعْنَاقِنَا نُضْطَهَدُ. نَتْعَبُ وَلَا رَاحَةَ لَنَا. | ٥ 5 |
५खदेड़नेवाले हमारी गर्दन पर टूट पड़े हैं; हम थक गए हैं, हमें विश्राम नहीं मिलता।
أَعْطَيْنَا ٱلْيَدَ لِلْمِصْرِيِّينَ وَٱلْأَشُّورِيِّينَ لِنَشْبَعَ خُبْزًا. | ٦ 6 |
६हम स्वयं मिस्र के अधीन हो गए, और अश्शूर के भी, ताकि पेट भर सके।
آبَاؤُنَا أَخْطَأُوا وَلَيْسُوا بِمَوْجُودِينَ، وَنَحْنُ نَحْمِلُ آثَامَهُمْ. | ٧ 7 |
७हमारे पुरखाओं ने पाप किया, और मर मिटे हैं; परन्तु उनके अधर्म के कामों का भार हमको उठाना पड़ा है।
عَبِيدٌ حَكَمُوا عَلَيْنَا. لَيْسَ مَنْ يُخَلِّصُ مِنْ أَيْدِيهِمْ. | ٨ 8 |
८हमारे ऊपर दास अधिकार रखते हैं; उनके हाथ से कोई हमें नहीं छुड़ाता।
بِأَنْفُسِنَا نَأْتِي بِخُبْزِنَا مِنْ جَرَى سَيْفِ ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٩ 9 |
९जंगल में की तलवार के कारण हम अपने प्राण जोखिम में डालकर भोजनवस्तु ले आते हैं।
جُلُودُنَا ٱسْوَدَّتْ كَتَنُّورٍ مِنْ جَرَى نِيرَانِ ٱلْجُوعِ. | ١٠ 10 |
१०भूख की झुलसाने वाली आग के कारण, हमारा चमड़ा तंदूर के समान काला हो गया है।
أَذَلُّوا ٱلنِّسَاءَ فِي صِهْيَوْنَ، ٱلْعَذَارَى فِي مُدُنِ يَهُوذَا. | ١١ 11 |
११सिय्योन में स्त्रियाँ, और यहूदा के नगरों में कुमारियाँ भ्रष्ट की गईं हैं।
ٱلرُّؤَسَاءُ بِأَيْدِيهِمْ يُعَلَّقُونَ، وَلَمْ تُعْتَبَرْ وُجُوهُ ٱلشُّيُوخِ. | ١٢ 12 |
१२हाकिम हाथ के बल टाँगें गए हैं; और पुरनियों का कुछ भी आदर नहीं किया गया।
أَخَذُوا ٱلشُّبَّانَ لِلطَّحْنِ، وَٱلصِّبْيَانَ عَثَرُوا تَحْتَ ٱلْحَطَبِ. | ١٣ 13 |
१३जवानों को चक्की चलानी पड़ती है; और बाल-बच्चे लकड़ी का बोझ उठाते हुए लड़खड़ाते हैं।
كَفَّتِ ٱلشُّيُوخُ عَنِ ٱلْبَابِ، وَٱلشُّبَّانُ عَنْ غِنَائِهِمْ. | ١٤ 14 |
१४अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाई पड़ता है।
مَضَى فَرَحُ قَلْبِنَا. صَارَ رَقْصُنَا نَوْحًا. | ١٥ 15 |
१५हमारे मन का हर्ष जाता रहा, हमारा नाचना विलाप में बदल गया है।
سَقَطَ إِكْلِيلُ رَأْسِنَا. وَيْلٌ لَنَا لِأَنَّنَا قَدْ أَخْطَأْنَا. | ١٦ 16 |
१६हमारे सिर पर का मुकुट गिर पड़ा है; हम पर हाय, क्योंकि हमने पाप किया है!
مِنْ أَجْلِ هَذَا حَزِنَ قَلْبُنَا. مِنْ أَجْلِ هَذِهِ أَظْلَمَتْ عُيُونُنَا. | ١٧ 17 |
१७इस कारण हमारा हृदय निर्बल हो गया है, इन्हीं बातों से हमारी आँखें धुंधली पड़ गई हैं,
مِنْ أَجْلِ جَبَلِ صِهْيَوْنَ ٱلْخَرِبِ. ٱلثَّعَالِبُ مَاشِيَةٌ فِيهِ. | ١٨ 18 |
१८क्योंकि सिय्योन पर्वत उजाड़ पड़ा है; उसमें सियार घूमते हैं।
أَنْتَ يَارَبُّ إِلَى ٱلْأَبَدِ تَجْلِسُ. كُرْسِيُّكَ إِلَى دَوْرٍ فَدَوْرٍ. | ١٩ 19 |
१९परन्तु हे यहोवा, तू तो सदा तक विराजमान रहेगा; तेरा राज्य पीढ़ी-पीढ़ी बना रहेगा।
لِمَاذَا تَنْسَانَا إِلَى ٱلْأَبَدِ وَتَتْرُكُنَا طُولَ ٱلْأَيَّامِ؟ | ٢٠ 20 |
२०तूने क्यों हमको सदा के लिये भुला दिया है, और क्यों बहुत काल के लिये हमें छोड़ दिया है?
اُرْدُدْنَا يَارَبُّ إِلَيْكَ فَنَرْتَدَّ. جَدِّدْ أَيَّامَنَا كَٱلْقَدِيمِ. | ٢١ 21 |
२१हे यहोवा, हमको अपनी ओर फेर, तब हम फिर सुधर जाएँगे। प्राचीनकाल के समान हमारे दिन बदलकर ज्यों के त्यों कर दे!
هَلْ كُلَّ ٱلرَّفْضِ رَفَضْتَنَا؟ هَلْ غَضِبْتَ عَلَيْنَا جِدًّا؟ | ٢٢ 22 |
२२क्या तूने हमें बिल्कुल त्याग दिया है? क्या तू हम से अत्यन्त क्रोधित है?