< يَشُوع 9 >
وَلَمَّا سَمِعَ جَمِيعُ ٱلْمُلُوكِ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ فِي ٱلْجَبَلِ وَفِي ٱلسَّهْلِ وَفِي كُلِّ سَاحِلِ ٱلْبَحْرِ ٱلْكَبِيرِ إِلَى جِهَةِ لُبْنَانَ، ٱلْحِثّيُونَ وَٱلْأَمُورِيُّونَ وَٱلْكَنْعَانِيُّونَ وَٱلْفِرِزِّيُّونَ وَٱلْحِوِّيُّونَ وَٱلْيَبُوسِيُّونَ، | ١ 1 |
और जब उन सब हित्ती, अमोरी, कना'नी, फ़रिज़्ज़ी, हव्वी और यबूसी बादशाहों ने जो यरदन के उस पार पहाड़ी मुल्क और नशेब की ज़मीन और बड़े समन्दर के उस साहिल पर जो लुबनान के सामने है रहते थे यह सुना।
ٱجْتَمَعُوا مَعًا لِمُحَارَبَةِ يَشُوعَ وَإِسْرَائِيلَ بِصَوْتٍ وَاحِدٍ. | ٢ 2 |
तो वह सब के सब इकठ्ठा हुए ताकि मुत्तफ़िक़ हो कर यशू'अ और बनी इस्राईल से जंग करें।
وَأَمَّا سُكَّانُ جِبْعُونَ لَمَّا سَمِعُوا بِمَا عَمِلَهُ يَشُوعُ بِأَرِيحَا وَعَايٍ | ٣ 3 |
और जब जिबा'ऊन के बाशिंदों ने सुना कि यशू'अ ने यरीहू और एे से क्या क्या किया है।
فَهُمْ عَمِلُوا بِغَدْرٍ، وَمَضَوْا وَدَارُوا وَأَخَذُوا جَوَالِقَ بَالِيَةً لِحَمِيرِهِمْ، وَزِقَاقَ خَمْرٍ بَالِيَةً مُشَقَّقَةً وَمَرْبُوطَةً، | ٤ 4 |
तो उन्होंने भी हीला बाज़ी की और जाकर सफ़ीरों का भेस भरा, और पुराने बोरे और पुराने फटे हुए और मरम्मत किये हुए शराब के मश्कीज़े अपने गधों पर लादे।
وَنِعَالًا بَالِيَةً وَمُرَقَّعَةً فِي أَرْجُلِهِمْ، وَثِيَابًا رَثَّةً عَلَيْهِمْ، وَكُلُّ خُبْزِ زَادِهِمْ يَابِسٌ قَدْ صَارَ فُتَاتًا. | ٥ 5 |
और पाँव में पुराने पैवन्द लगे हुए जूते और तन पर पुराने कपड़े डाले, और उनके सफ़र का खाना सूखी फफूँदी लगी हुई रोटियां थीं।
وَسَارُوا إِلَى يَشُوعَ إِلَى ٱلْمَحَلَّةِ فِي ٱلْجِلْجَالِ، وَقَالُوا لَهُ وَلِرِجَالِ إِسْرَائِيلَ: «مِنْ أَرْضٍ بَعِيدَةٍ جِئْنَا. وَٱلْآنَ ٱقْطَعُوا لَنَا عَهْدًا». | ٦ 6 |
और वह जिल्जाल में ख़ेमागाह को यशू'अ के पास जाकर उस से और इस्राईली मर्दों से कहने लगे, “हम एक दूर मुल्क से आयें हैं; इसलिए अब तुम हम से 'अहद बाँधों।”
فَقَالَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ لِلْحِوِّيِّينَ: «لَعَلَّكَ سَاكِنٌ فِي وَسَطِي، فَكَيْفَ أَقْطَعُ لَكَ عَهْدًا؟» | ٧ 7 |
तब इस्राईली मर्दों ने उन हव्वियों से कहा, कि शायद तुम हमारे बीच ही रहते हो; फिर हम तुम से क्यूँकर 'अहद बाँधें?
فَقَالُوا لِيَشُوعَ: «عَبِيدُكَ نَحْنُ». فَقَالَ لَهُمْ يَشُوعُ: «مَنْ أَنْتُمْ؟ وَمِنْ أَيْنَ جِئْتُمْ؟» | ٨ 8 |
उन्होंने यशू'अ से कहा, “हम तेरे ख़ादिम हैं। तब यशू'अ ने उन से पूछा, तुम कौन हो और कहाँ से आए हो?”
فَقَالُوا لَهُ: «مِنْ أَرْضٍ بَعِيدَةٍ جِدًّا جَاءَ عَبِيدُكَ عَلَى ٱسْمِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ، لِأَنَّنَا سَمِعْنَا خَبَرَهُ وَكُلَّ مَا عَمِلَ بِمِصْرَ، | ٩ 9 |
उन्होंने ने उस से कहा, तेरे ख़ादिम एक बहुत दूर मुल्क से ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के नाम के ज़रिये' आए हैं क्यूँकि हम ने उसकी शोहरत और जो कुछ उस ने मिस्र में किया।
وَكُلَّ مَا عَمِلَ بِمَلِكَيِ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱللَّذَيْنِ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ: سِيحُونَ مَلِكِ حَشْبُونَ وَعُوجَ مَلِكِ بَاشَانَ ٱلَّذِي فِي عَشْتَارُوثَ. | ١٠ 10 |
और जो कुछ उस ने अमोरियों के दोनों बादशाहों से जो यरदन के उस पार थे, या'नी हसबून के बादशाह सीहोन और बसन के बादशाह 'ओज़ से जो असतारात में था किया सब सुना है।
فَكَلَّمَنَا شُيُوخُنَا وَجَمِيعُ سُكَّانِ أَرْضِنَا قَائِلِينَ: خُذُوا بِأَيْدِيكُمْ زَادًا لِلطَّرِيقِ، وَٱذْهَبُوا لِلِقَائِهِمْ وَقُولُوا لَهُمْ: عَبِيدُكُمْ نَحْنُ. وَٱلْآنَ ٱقْطَعُوا لَنَا عَهْدًا. | ١١ 11 |
इसलिए हमारे बुज़ुर्गों और हमारे मुल्क के सब बाशिंदों ने हम से यह कहा कि तुम सफ़र के लिए अपने हाथ में खाना ले लो और उन से मिलने को जाओ और उन से कहो कि हम तुम्हारे ख़ादिम हैं इसलिए तुम अब हमारे साथ 'अहद बाँधो।
هَذَا خُبْزُنَا سُخْنًا تَزَوَّدْنَاهُ مِنْ بُيُوتِنَا يَوْمَ خُرُوجِنَا لِكَيْ نَسِيرَ إِلَيْكُمْ، وَهَا هُوَ ٱلْآنَ يَابِسٌ قَدْ صَارَ فُتَاتًا. | ١٢ 12 |
जिस दिन हम तुम्हारे पास आने को निकले हमने अपने अपने घर से अपने खाने की रोटी गरम गरम ली, और अब देखो वह सूखी है और उसे फफूँदी लग गई।
وَهَذِهِ زِقَاقُ ٱلْخَمْرِ ٱلَّتِي مَلَأْنَاهَا جَدِيدَةً، هُوَذَا قَدْ تَشَقَّقَتْ. وَهَذِهِ ثِيَابُنَا وَنِعَالُنَا قَدْ بَلِيَتْ مِنْ طُولِ ٱلطَّرِيقِ جِدًّا». | ١٣ 13 |
और मय के यह मश्कीज़े जो हम ने भर लिए थे नये थे, और देखो यह तो फट गये; और यह हमारे कपड़े और जूते दूर — ओ — दराज़ सफ़र की वजह से पुराने हो गये।
فَأَخَذَ ٱلرِّجَالُ مِنْ زَادِهِمْ، وَمِنْ فَمِ ٱلرَّبِّ لَمْ يَسْأَلُوا. | ١٤ 14 |
तब इन लोगों ने उनके खाने में से कुछ लिया और ख़ुदावन्द से मशवरत न की।
فَعَمِلَ يَشُوعُ لَهُمْ صُلْحًا وَقَطَعَ لَهُمْ عَهْدًا لِٱسْتِحْيَائِهِمْ، وَحَلَفَ لَهُمْ رُؤَسَاءُ ٱلْجَمَاعَةِ. | ١٥ 15 |
और यशू'अ ने उन से सुलह की और उनकी जान बख़्शी करने के लिए उन से 'अहद बाँधा, और जमा'अत के अमीरों ने उन से क़सम खाई।
وَفِي نِهَايَةِ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ بَعْدَمَا قَطَعُوا لَهُمْ عَهْدًا سَمِعُوا أَنَّهُمْ قَرِيبُونَ إِلَيْهِمْ وَأَنَّهُمْ سَاكِنُونَ فِي وَسَطِهِمْ. | ١٦ 16 |
और उनके साथ 'अहद बाँधने से तीन दिन के बाद उनके सुनने में आया, कि यह उनके पड़ोसी हैं और उनके बीच ही रहते हैं।
فَٱرْتَحَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَجَاءُوا إِلَى مُدُنِهِمْ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ. وَمُدُنُهُمْ هِيَ جِبْعُونُ وَٱلْكَفِيرَةُ وَبَئِيرُوتُ وَقَرْيَةُ يَعَارِيمَ. | ١٧ 17 |
और बनी इस्राईल रवाना हो कर तीसरे दिन उनके शहरों में पहुँचे; जिबा'ऊन और कफ़ीरह और बैरूत और क़रयत या'रीम उनके शहर थे।
وَلَمْ يَضْرِبْهُمْ بَنُو إِسْرَائِيلَ لِأَنَّ رُؤَسَاءَ ٱلْجَمَاعَةِ حَلَفُوا لَهُمْ بِٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ. فَتَذَمَّرَ كُلُّ ٱلْجَمَاعَةِ عَلَى ٱلرُّؤَسَاءِ. | ١٨ 18 |
और बनी इस्राईल ने उनको क़त्ल न किया इसलिए कि जमा'अत के अमीरों ने उन से ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की क़सम खाई थी; और सारी जमा'अत उन अमीरों पर कुड़कुड़ाने लगी
فَقَالَ جَمِيعُ ٱلرُّؤَسَاءِ لِكُلِّ ٱلْجَمَاعَةِ: «إِنَّنَا قَدْ حَلَفْنَا لَهُمْ بِٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ. وَٱلْآنَ لَا نَتَمَكَّنُ مِنْ مَسِّهِمْ. | ١٩ 19 |
लेकिन उन सब अमीरों ने सारी जमा'अत से कहा कि हम ने उन से ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की क़सम खाई है, इसलिए हम उन्हें छू नहीं सकते।
هَذَا نَصْنَعُهُ لَهُمْ وَنَسْتَحْيِيهِمْ فَلَا يَكُونُ عَلَيْنَا سَخَطٌ مِنْ أَجْلِ ٱلْحَلْفِ ٱلَّذِي حَلَفْنَا لَهُمْ». | ٢٠ 20 |
हम उन से यही करेंगे और उनको जीता छोड़ेंगे ऐसा न हो कि उस क़सम की वजह से जो हम ने उन से खाई है, हम पर ग़ज़ब टूटे।
وَقَالَ لَهُمُ ٱلرُّؤَسَاءُ: «يَحْيَوْنَ وَيَكُونُونَ مُحْتَطِبِي حَطَبٍ وَمُسْتَقِي مَاءٍ لِكُلِّ ٱلْجَمَاعَةِ كَمَا كَلَّمَهُمُ ٱلرُّؤَسَاءُ». | ٢١ 21 |
इसलिए अमीरों ने उन से यही कहा कि उनको जीता छोड़ो। तब वह सारी जमा'अत के लिए लकड़हारे और पानी भरने वाले बने जैसा अमीरों ने उन से कहा था।
فَدَعَاهُمْ يَشُوعُ وَكَلَّمَهُمْ قَائِلًا: «لِمَاذَا خَدَعْتُمُونَا قَائِلِينَ: نَحْنُ بَعِيدُونَ عَنْكُمْ جِدًّا، وَأَنْتُمْ سَاكِنُونَ فِي وَسَطِنَا؟ | ٢٢ 22 |
तब यशू'अ ने उनको बुलवा कर उन से कहा जिस हाल कि तुम हमारे बीच रहते हो, तुम ने यह कह कर हमको क्यूँ फ़रेब दिया कि हम तुम से बहुत दूर रहते हैं?
فَٱلْآنَ مَلْعُونُونَ أَنْتُمْ. فَلَا يَنْقَطِعُ مِنْكُمُ ٱلْعَبِيدُ وَمُحْتَطِبُو ٱلْحَطَبِ وَمُسْتَقُو ٱلْمَاءِ لِبَيْتِ إِلَهِي». | ٢٣ 23 |
इसलिए अब तुम ला'नती ठहरे, और तुम में से कोई ऐसा न रहेगा जो ग़ुलाम या'नी मेरे ख़ुदा के घर के लिए लकड़हारा और पानी भरने वाला न हो।
فَأَجَابُوا يَشُوعَ وَقَالوُا: «أُخْبِرَ عَبِيدُكَ إِخْبَارًا بِمَا أَمَرَ بِهِ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مُوسَى عَبْدَهُ أَنْ يُعْطِيَكُمْ كُلَّ ٱلْأَرْضِ، وَيُبِيدَ جَمِيعَ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ مِنْ أَمَامِكُمْ. فَخِفْنَا جِدًّا عَلَى أَنْفُسِنَا مِنْ قِبَلِكُمْ، فَفَعَلْنَا هَذَا ٱلْأَمْرَ. | ٢٤ 24 |
उन्होंने यशू'अ को जवाब दिया कि तेरे ख़ादिमों को तहक़ीक़ यह ख़बर मिली थी, कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने अपने बन्दे मूसा को फ़रमाया कि सारा मुल्क तुमको दे और उस मुल्क के सब बाशिंदों को तुम्हारे सामने से हलाक करे। इसलिए हमको तुम्हारी वजह से अपनी अपनी जानों के लाले पड़ गये, इस लिए हम ने यह काम किया।
وَٱلْآنَ فَهُوَذَا نَحْنُ بِيَدِكَ، فَٱفْعَلْ بِنَا مَا هُوَ صَالِحٌ وَحَقٌّ فِي عَيْنَيْكَ أَنْ تَعْمَلَ». | ٢٥ 25 |
और अब देख, हम तेरे हाथ में हैं जो कुछ तू हम से करना भला और ठीक जाने सो कर।
فَفَعَلَ بِهِمْ هَكَذَا، وَأَنْقَذَهُمْ مِنْ يَدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ فَلَمْ يَقْتُلُوهُمْ. | ٢٦ 26 |
फिर उसने उन से वैसा ही किया, और बनी इस्राईल के हाथ से उनको ऐसा बचाया कि उन्होंने उनको क़त्ल न किया।
وَجَعَلَهُمْ يَشُوعُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مُحْتَطِبِي حَطَبٍ وَمُسْتَقِي مَاءٍ لِلْجَمَاعَةِ وَلِمَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ. | ٢٧ 27 |
और यशू'अ ने उसी दिन उनको जमा'अत के लिए और उस मुक़ाम पर जिसे ख़ुदावन्द ख़ुद चुने उसके मज़बह के लिए, लकड़हारे और पानी भरने वाले मुक़र्रर किया जैसा आज तक है।