< يوحنَّا 3 >
كَانَ إِنْسَانٌ مِنَ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ ٱسْمُهُ نِيقُودِيمُوسُ، رَئِيسٌ لِلْيَهُودِ. | ١ 1 |
फ़रीसियों में से एक शख़्स निकुदेमुस नाम यहूदियों का एक सरदार था।
هَذَا جَاءَ إِلَى يَسُوعَ لَيْلًا وَقَالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، نَعْلَمُ أَنَّكَ قَدْ أَتَيْتَ مِنَ ٱللهِ مُعَلِّمًا، لِأَنْ لَيْسَ أَحَدٌ يَقْدِرُ أَنْ يَعْمَلَ هَذِهِ ٱلْآيَاتِ ٱلَّتِي أَنْتَ تَعْمَلُ إِنْ لَمْ يَكُنِ ٱللهُ مَعَهُ». | ٢ 2 |
उसने रात को ईसा के पास आकर उससे कहा, “ऐ रब्बी! हम जानते हैं कि तू ख़ुदा की तरफ़ से उस्ताद होकर आया है, क्यूँकि जो मोजिज़े तू दिखाता है कोई शख़्स नहीं दिखा सकता, जब तक ख़ुदा उसके साथ न हो।”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: إِنْ كَانَ أَحَدٌ لَا يُولَدُ مِنْ فَوْقُ لَا يَقْدِرُ أَنْ يَرَى مَلَكُوتَ ٱللهِ». | ٣ 3 |
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि जब तक कोई नए सिरे से पैदा न हो, वो ख़ुदा की बादशाही को देख नहीं सकता।”
قَالَ لَهُ نِيقُودِيمُوسُ: «كَيْفَ يُمْكِنُ ٱلْإِنْسَانَ أَنْ يُولَدَ وَهُوَ شَيْخٌ؟ أَلَعَلَّهُ يَقْدِرُ أَنْ يَدْخُلَ بَطْنَ أُمِّهِ ثَانِيَةً وَيُولَدَ؟». | ٤ 4 |
नीकुदेमुस ने उससे कहा, “आदमी जब बूढ़ा हो गया, तो क्यूँकर पैदा हो सकता है? क्या वो दोबारा अपनी माँ के पेट में दाख़िल होकर पैदा हो सकता है?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: إِنْ كَانَ أَحَدٌ لَا يُولَدُ مِنَ ٱلْمَاءِ وَٱلرُّوحِ لَا يَقْدِرُ أَنْ يَدْخُلَ مَلَكُوتَ ٱللهِ. | ٥ 5 |
ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, जब तक कोई आदमी पानी और रूह से पैदा न हो, वो ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल नहीं हो सकता।
اَلْمَوْلُودُ مِنَ ٱلْجَسَدِ جَسَدٌ هُوَ، وَٱلْمَوْلُودُ مِنَ ٱلرُّوحِ هُوَ رُوحٌ. | ٦ 6 |
जो जिस्म से पैदा हुआ है जिस्म है, और जो रूह से पैदा हुआ है रूह है।
لَا تَتَعَجَّبْ أَنِّي قُلْتُ لَكَ: يَنْبَغِي أَنْ تُولَدُوا مِنْ فَوْقُ. | ٧ 7 |
ता'अज्जुब न कर कि मैंने तुझ से कहा, 'तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।
اَلرِّيحُ تَهُبُّ حَيْثُ تَشَاءُ، وَتَسْمَعُ صَوْتَهَا، لَكِنَّكَ لَا تَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ تَأْتِي وَلَا إِلَى أَيْنَ تَذْهَبُ. هَكَذَا كُلُّ مَنْ وُلِدَ مِنَ ٱلرُّوحِ». | ٨ 8 |
हवा जिधर चाहती है चलती है और तू उसकी आवाज़ सुनता है, मगर नहीं कि वो कहाँ से आती और कहाँ को जाती है। जो कोई रूह से पैदा हुआ ऐसा ही है।”
أَجَابَ نِيقُودِيمُوسُ وَقَالَ لَهُ: «كَيْفَ يُمْكِنُ أَنْ يَكُونَ هَذَا؟». | ٩ 9 |
नीकुदेमुस ने जवाब में उससे कहा, “ये बातें क्यूँकर हो सकती हैं?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «أَنْتَ مُعَلِّمُ إِسْرَائِيلَ وَلَسْتَ تَعْلَمُ هَذَا! | ١٠ 10 |
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “बनी — इस्राईल का उस्ताद होकर क्या तू इन बातों को नहीं जानता?
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: إِنَّنَا إِنَّمَا نَتَكَلَّمُ بِمَا نَعْلَمُ وَنَشْهَدُ بِمَا رَأَيْنَا، وَلَسْتُمْ تَقْبَلُونَ شَهَادَتَنَا. | ١١ 11 |
मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जो हम जानते हैं वो कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उसकी गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही क़ुबूल नहीं करते।
إِنْ كُنْتُ قُلْتُ لَكُمُ ٱلْأَرْضِيَّاتِ وَلَسْتُمْ تُؤْمِنُونَ، فَكَيْفَ تُؤْمِنُونَ إِنْ قُلْتُ لَكُمُ ٱلسَّمَاوِيَّاتِ؟ | ١٢ 12 |
जब मैंने तुम से ज़मीन की बातें कहीं और तुम ने यक़ीन नहीं किया, तो अगर मैं तुम से आसमान की बातें कहूँ तो क्यूँकर यक़ीन करोगे?
وَلَيْسَ أَحَدٌ صَعِدَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ إِلَّا ٱلَّذِي نَزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي هُوَ فِي ٱلسَّمَاءِ. | ١٣ 13 |
आसमान पर कोई नहीं चढ़ा, सिवा उसके जो आसमान से उतरा या'नी इब्न — ए — आदम जो आसमान में है।
«وَكَمَا رَفَعَ مُوسَى ٱلْحَيَّةَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ هَكَذَا يَنْبَغِي أَنْ يُرْفَعَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ، | ١٤ 14 |
और जिस तरह मूसा ने पीतल के साँपको वीराने में ऊँचे पर चढ़ाया, उसी तरह ज़रूर है कि इब्न — ए — आदम भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए;
لِكَيْ لَا يَهْلِكَ كُلُّ مَنْ يُؤْمِنُ بِهِ بَلْ تَكُونُ لَهُ ٱلْحَيَاةُ ٱلْأَبَدِيَّةُ. (aiōnios ) | ١٥ 15 |
ताकि जो कोई ईमान लाए उसमें हमेशा की ज़िन्दगी पाए।” (aiōnios )
لِأَنَّهُ هَكَذَا أَحَبَّ ٱللهُ ٱلْعَالَمَ حَتَّى بَذَلَ ٱبْنَهُ ٱلْوَحِيدَ، لِكَيْ لَا يَهْلِكَ كُلُّ مَنْ يُؤْمِنُ بِهِ، بَلْ تَكُونُ لَهُ ٱلْحَيَاةُ ٱلْأَبَدِيَّةُ. (aiōnios ) | ١٦ 16 |
“क्यूँकि ख़ुदा ने दुनियाँ से ऐसी मुहब्बत रख्खी कि उसने अपना इकलौता बेटा बख़्श दिया, ताकि जो कोई उस पर ईमान लाए हलाक न हो, बल्कि हमेशा की ज़िन्दगी पाए। (aiōnios )
لِأَنَّهُ لَمْ يُرْسِلِ ٱللهُ ٱبْنَهُ إِلَى ٱلْعَالَمِ لِيَدِينَ ٱلْعَالَمَ، بَلْ لِيَخْلُصَ بِهِ ٱلْعَالَمُ. | ١٧ 17 |
क्यूँकि ख़ुदा ने बेटे को दुनियाँ में इसलिए नहीं भेजा कि दुनियाँ पर सज़ा का हुक्म करे, बल्कि इसलिए कि दुनियाँ उसके वसीले से नजात पाए।
اَلَّذِي يُؤْمِنُ بِهِ لَا يُدَانُ، وَٱلَّذِي لَا يُؤْمِنُ قَدْ دِينَ، لِأَنَّهُ لَمْ يُؤْمِنْ بِٱسْمِ ٱبْنِ ٱللهِ ٱلْوَحِيدِ. | ١٨ 18 |
जो उस पर ईमान लाता है उस पर सज़ा का हुक्म नहीं होता, जो उस पर ईमान नहीं लाता उस पर सज़ा का हुक्म हो चुका; इसलिए कि वो ख़ुदा के इकलौते बेटे के नाम पर ईमान नहीं लाया।
وَهَذِهِ هِيَ ٱلدَّيْنُونَةُ: إِنَّ ٱلنُّورَ قَدْ جَاءَ إِلَى ٱلْعَالَمِ، وَأَحَبَّ ٱلنَّاسُ ٱلظُّلْمَةَ أَكْثَرَ مِنَ ٱلنُّورِ، لِأَنَّ أَعْمَالَهُمْ كَانَتْ شِرِّيرَةً. | ١٩ 19 |
और सज़ा के हुक्म की वजह ये है कि नूर दुनियाँ में आया है, और आदमियों ने तारीकी को नूर से ज़्यादा पसन्द किया इसलिए कि उनके काम बुरे थे।
لِأَنَّ كُلَّ مَنْ يَعْمَلُ ٱلسَّيِّآتِ يُبْغِضُ ٱلنُّورَ، وَلَا يَأْتِي إِلَى ٱلنُّورِ لِئَلَّا تُوَبَّخَ أَعْمَالُهُ. | ٢٠ 20 |
क्यूँकि जो कोई बदी करता है वो नूर से दुश्मनी रखता है और नूर के पास नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर मलामत की जाए।
وَأَمَّا مَنْ يَفْعَلُ ٱلْحَقَّ فَيُقْبِلُ إِلَى ٱلنُّورِ، لِكَيْ تَظْهَرَ أَعْمَالُهُ أَنَّهَا بِٱللهِ مَعْمُولَةٌ». | ٢١ 21 |
मगर जो सचाई पर 'अमल करता है वो नूर के पास आता है, ताकि उसके काम ज़ाहिर हों कि वो ख़ुदा में किए गए हैं।”
وَبَعْدَ هَذَا جَاءَ يَسُوعُ وَتَلَامِيذُهُ إِلَى أَرْضِ ٱلْيَهُودِيَّةِ، وَمَكَثَ مَعَهُمْ هُنَاكَ، وَكَانَ يُعَمِّدُ. | ٢٢ 22 |
इन बातों के बाद ईसा और शागिर्द यहूदिया के मुल्क में आए, और वो वहाँ उनके साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा।
وَكَانَ يُوحَنَّا أَيْضًا يُعَمِّدُ فِي عَيْنِ نُونٍ بِقُرْبِ سَالِيمَ، لِأَنَّهُ كَانَ هُنَاكَ مِيَاهٌ كَثِيرَةٌ، وَكَانُوا يَأْتُونَ وَيَعْتَمِدُونَ. | ٢٣ 23 |
और युहन्ना भी 'एनोन में बपतिस्मा देता था जो यरदन नदी के पासथा, क्यूँकि वहाँ पानी बहुत था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे।
لِأَنَّهُ لَمْ يَكُنْ يُوحَنَّا قَدْ أُلْقِيَ بَعْدُ فِي ٱلسِّجْنِ. | ٢٤ 24 |
(क्यूँकि यहून्ना उस वक़्त तक क़ैदख़ाने में डाला न गया था)
وَحَدَثَتْ مُبَاحَثَةٌ مِنْ تَلَامِيذِ يُوحَنَّا مَعَ يَهُودٍ مِنْ جِهَةِ ٱلتَّطْهِيرِ. | ٢٥ 25 |
पस युहन्ना के शागिर्दों की किसी यहूदी के साथ पाकीज़गी के बारे में बहस हुई।
فَجَاءُوا إِلَى يُوحَنَّا وَقَالُوا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، هُوَذَا ٱلَّذِي كَانَ مَعَكَ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ، ٱلَّذِي أَنْتَ قَدْ شَهِدْتَ لَهُ، هُوَ يُعَمِّدُ، وَٱلْجَمِيعُ يَأْتُونَ إِلَيْهِ». | ٢٦ 26 |
उन्होंने युहन्ना के पास आकर कहा, “ऐ रब्बी! जो शख़्स यरदन के पार तेरे साथ था, जिसकी तूने गवाही दी है; देख, वो बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आते हैं।”
أجَابَ يُوحَنَّا وَقَالَ: «لَا يَقْدِرُ إِنْسَانٌ أَنْ يَأْخُذَ شَيْئًا إِنْ لَمْ يَكُنْ قَدْ أُعْطِيَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ. | ٢٧ 27 |
युहन्ना ने जवाब में कहा, इंसान कुछ नहीं पा सकता, जब तक उसको आसमान से न दिया जाए।
أَنْتُمْ أَنْفُسُكُمْ تَشْهَدُونَ لِي أَنِّي قُلْتُ: لَسْتُ أَنَا ٱلْمَسِيحَ بَلْ إِنِّي مُرْسَلٌ أَمَامَهُ. | ٢٨ 28 |
तुम ख़ुद मेरे गवाह हो कि मैंने कहा, 'मैं मसीह नहीं, मगर उसके आगे भेजा गया हूँ।
مَنْ لَهُ ٱلْعَرُوسُ فَهُوَ ٱلْعَرِيسُ، وَأَمَّا صَدِيقُ ٱلْعَرِيسِ ٱلَّذِي يَقِفُ وَيَسْمَعُهُ فَيَفْرَحُ فَرَحًا مِنْ أَجْلِ صَوْتِ ٱلْعَرِيسِ. إِذًا فَرَحِي هَذَا قَدْ كَمَلَ. | ٢٩ 29 |
जिसकी दुल्हन है वो दुल्हा है, मगर दुल्हा का दोस्त जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है, दुल्हा की आवाज़ से बहुत ख़ुश होता है; पस मेरी ये ख़ुशी पूरी हो गई।
يَنْبَغِي أَنَّ ذَلِكَ يَزِيدُ وَأَنِّي أَنَا أَنْقُصُ. | ٣٠ 30 |
ज़रूर है कि वो बढ़े और मैं घटूँ।
اَلَّذِي يَأْتِي مِنْ فَوْقُ هُوَ فَوْقَ ٱلْجَمِيعِ، وَٱلَّذِي مِنَ ٱلْأَرْضِ هُوَ أَرْضِيٌّ، وَمِنَ ٱلْأَرْضِ يَتَكَلَّمُ. اَلَّذِي يَأْتِي مِنَ ٱلسَّمَاءِ هُوَ فَوْقَ ٱلْجَمِيعِ، | ٣١ 31 |
“जो ऊपर से आता है वो सबसे ऊपर है। जो ज़मीन से है वो ज़मीन ही से है और ज़मीन ही की कहता है 'जो आसमान से आता है वो सबसे ऊपर है।
وَمَا رَآهُ وَسَمِعَهُ بِهِ يَشْهَدُ، وَشَهَادَتُهُ لَيْسَ أَحَدٌ يَقْبَلُهَا. | ٣٢ 32 |
जो कुछ उस ने ख़ुद देखा और सुना है उसी की गवाही देता है। तो भी कोई उस की गवाही क़ुबूल नहीं करता।
وَمَنْ قَبِلَ شَهَادَتَهُ فَقَدْ خَتَمَ أَنَّ ٱللهَ صَادِقٌ، | ٣٣ 33 |
जिसने उसकी गवाही क़ुबूल की उसने इस बात पर मुहर कर दी, कि ख़ुदा सच्चा है।
لِأَنَّ ٱلَّذِي أَرْسَلَهُ ٱللهُ يَتَكَلَّمُ بِكَلَامِ ٱللهِ. لِأَنَّهُ لَيْسَ بِكَيْلٍ يُعْطِي ٱللهُ ٱلرُّوحَ. | ٣٤ 34 |
क्यूँकि जिसे ख़ुदा ने भेजा वो ख़ुदा की बातें कहता है, इसलिए कि वो रूह नाप नाप कर नहीं देता।
اَلْآبُ يُحِبُّ ٱلِٱبْنَ وَقَدْ دَفَعَ كُلَّ شَيْءٍ فِي يَدِهِ. | ٣٥ 35 |
बाप बेटे से मुहब्बत रखता है और उसने सब चीज़ें उसके हाथ में दे दी है।
ٱلَّذِي يُؤْمِنُ بِٱلِٱبْنِ لَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ، وَٱلَّذِي لَا يُؤْمِنُ بِٱلِٱبْنِ لَنْ يَرَى حَيَاةً بَلْ يَمْكُثُ عَلَيْهِ غَضَبُ ٱللهِ». (aiōnios ) | ٣٦ 36 |
जो बेटे पर ईमान लाता है हमेशा की ज़िन्दगी उसकी है; लेकिन जो बेटे की नहीं मानता 'ज़िन्दगी को न देखगा बल्कि उसपर ख़ुदा का ग़ज़ब रहता है।” (aiōnios )