< يوحنَّا 14 >

«لَا تَضْطَرِبْ قُلُوبُكُمْ. أَنْتُمْ تُؤْمِنُونَ بِٱللهِ فَآمِنُوا بِي. ١ 1
“अपणे मन नै दुखी ना होण द्यो, थम परमेसवर पै बिश्वास राक्खो सो, अर मेरै पै भी बिश्वास राक्खो।
فِي بَيْتِ أَبِي مَنَازِلُ كَثِيرَةٌ، وَإِلَّا فَإِنِّي كُنْتُ قَدْ قُلْتُ لَكُمْ. أَنَا أَمْضِي لِأُعِدَّ لَكُمْ مَكَانًا، ٢ 2
मेरै पिता कै घर म्ह घणीए रहण की जगहां सै, जै न्ही होंदी तो मै थारे ताहीं कह देंदा, क्यूँके मै थारे खात्तर जगहां त्यार करण नै जाऊँ सूं।
وَإِنْ مَضَيْتُ وَأَعْدَدْتُ لَكُمْ مَكَانًا آتِي أَيْضًا وَآخُذُكُمْ إِلَيَّ، حَتَّى حَيْثُ أَكُونُ أَنَا تَكُونُونَ أَنْتُمْ أَيْضًا، ٣ 3
अर जै मै जाकै थारे खात्तर जगहां त्यार करुँ, तो फेर दुबारै आकै थमनै अपणे उरै ले जाऊँगा के जड़ै मै रहूँ उड़ै थम भी रहो।
وَتَعْلَمُونَ حَيْثُ أَنَا أَذْهَبُ وَتَعْلَمُونَ ٱلطَّرِيقَ». ٤ 4
अर जित्त म्ह जाऊँ सूं, थम ओड़ै की राह जाणो सों।”
قَالَ لَهُ تُومَا: «يَا سَيِّدُ، لَسْنَا نَعْلَمُ أَيْنَ تَذْهَبُ، فَكَيْفَ نَقْدِرُ أَنْ نَعْرِفَ ٱلطَّرِيقَ؟». ٥ 5
थोमा नै उसतै सवाल करया, “हे प्रभु, हमनै तेरे ठिकाणै का ए कोनी बेरा तो उसका राह किस तरियां जाण सका सां?”
قَالَ لَهُ يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ ٱلطَّرِيقُ وَٱلْحَقُّ وَٱلْحَيَاةُ. لَيْسَ أَحَدٌ يَأْتِي إِلَى ٱلْآبِ إِلَّا بِي. ٦ 6
यीशु नै उस ताहीं जवाब दिया, “मै ए वो राह अर सच अर अनन्त जीवन सूं, बिना मेरै जरिये कोए पिता धोरै कोनी पोहच सकदा।
لَوْ كُنْتُمْ قَدْ عَرَفْتُمُونِي لَعَرَفْتُمْ أَبِي أَيْضًا. وَمِنَ ٱلْآنَ تَعْرِفُونَهُ وَقَدْ رَأَيْتُمُوهُ». ٧ 7
जै थम सच म्ह ए मन्नै जाणदे होन्दे, तो मेरै पिता नै भी जाणदे, इसकै बाद थमनै उस ताहीं जाण लिया सै, अर उस ताहीं देख भी लिया सै।”
قَالَ لَهُ فِيلُبُّسُ: «يَا سَيِّدُ، أَرِنَا ٱلْآبَ وَكَفَانَا». ٨ 8
फिलिप्पुस नै उस ताहीं कह्या, “हे प्रभु, तू म्हारै ताहीं पिता के दर्शन ए करा दे, योए म्हारै खात्तर भतेरा होगा।”
قَالَ لَهُ يَسُوعُ: «أَنَا مَعَكُمْ زَمَانًا هَذِهِ مُدَّتُهُ وَلَمْ تَعْرِفْنِي يَا فِيلُبُّسُ! اَلَّذِي رَآنِي فَقَدْ رَأَى ٱلْآبَ، فَكَيْفَ تَقُولُ أَنْتَ: أَرِنَا ٱلْآبَ؟ ٩ 9
यीशु नै उस ताहीं कह्या, “हे फिलिप्पुस, मै इतने दिन तै थारे गेल्या सूं, के तू मन्नै कोनी जाण्दा? जिसनै मेरैताहीं देख्या सै उसनै पिता ताहीं देख्या सै। फेर क्यातै कहवै सै के पिता नै म्हारैताहीं दिखा?”
أَلَسْتَ تُؤْمِنُ أَنِّي أَنَا فِي ٱلْآبِ وَٱلْآبَ فِيَّ؟ ٱلْكَلَامُ ٱلَّذِي أُكَلِّمُكُمْ بِهِ لَسْتُ أَتَكَلَّمُ بِهِ مِنْ نَفْسِي، لَكِنَّ ٱلْآبَ ٱلْحَالَّ فِيَّ هُوَ يَعْمَلُ ٱلْأَعْمَالَ. ١٠ 10
के तन्नै बिश्वास कोनी के मै पिता म्ह सूं, अर पिता मेरै म्ह सै? ये वचन जो मै थारे ताहीं बताऊँ सूं, अपणी ओड़ तै कोनी बतान्दा, पर मेरे भित्तर बसा पिता ए सै, जो मेरे म्ह होकै अपणे काम पूरा करण लागरया सै।
صَدِّقُونِي أَنِّي فِي ٱلْآبِ وَٱلْآبَ فِيَّ، وَإِلَّا فَصَدِّقُونِي لِسَبَبِ ٱلْأَعْمَالِ نَفْسِهَا. ١١ 11
मेरा-ए बिश्वास करो के मै पिता म्ह सूं, अर पिता मेरै म्ह सै, ना तो काम्मां कै कारण मेरा बिश्वास करो।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَنْ يُؤْمِنُ بِي فَٱلْأَعْمَالُ ٱلَّتِي أَنَا أَعْمَلُهَا يَعْمَلُهَا هُوَ أَيْضًا، وَيَعْمَلُ أَعْظَمَ مِنْهَا، لِأَنِّي مَاضٍ إِلَى أَبِي. ١٢ 12
मै थारैतै साच्ची-साच कहूँ सूं, के जो मेरै पै बिश्वास राक्खै सै, ये काम जो मै करुँ सूं, वो भी करैगा, बल्के इनतै भी बड़े-बड़े काम करैगा, क्यूँके मै इब पिता कै धोरै जाऊँ सूं।
وَمَهْمَا سَأَلْتُمْ بِٱسْمِي فَذَلِكَ أَفْعَلُهُ لِيَتَمَجَّدَ ٱلْآبُ بِٱلِٱبْنِ. ١٣ 13
मेरै नाम तै थम जो कुछ माँगोगे, वोए मै करुँगा, जिसतै बेट्टे कै जरिये पिता की महिमा हो।
إِنْ سَأَلْتُمْ شَيْئًا بِٱسْمِي فَإِنِّي أَفْعَلُهُ. ١٤ 14
जै थम मेरै तै मेरै नाम तै कुछ माँगोगे, तो मै उस ताहीं पूरा करुँगा।
«إِنْ كُنْتُمْ تُحِبُّونَنِي فَٱحْفَظُوا وَصَايَايَ، ١٥ 15
“जै थम मेरै तै प्यार करो सो, तो मेरे हुकमां नै मान्नोगे।
وَأَنَا أَطْلُبُ مِنَ ٱلْآبِ فَيُعْطِيكُمْ مُعَزِّيًا آخَرَ لِيَمْكُثَ مَعَكُمْ إِلَى ٱلْأَبَدِ، (aiōn g165) ١٦ 16
मै पिता तै बिनती करुँगा, अर वो थारे ताहीं एक और मददगार देवैगा के वो सारीहाण थारे गेल्या रहवै। (aiōn g165)
رُوحُ ٱلْحَقِّ ٱلَّذِي لَا يَسْتَطِيعُ ٱلْعَالَمُ أَنْ يَقْبَلَهُ، لِأَنَّهُ لَا يَرَاهُ وَلَا يَعْرِفُهُ، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَتَعْرِفُونَهُ لِأَنَّهُ مَاكِثٌ مَعَكُمْ وَيَكُونُ فِيكُمْ. ١٧ 17
यानिके सच का आत्मा, जिस ताहीं दुनिया कोनी अपणा सकदी, क्यूँके वो ना उसनै देक्खै सै, अर ना उस ताहीं जाणै सै, थम उसनै जाणो सो, क्यूँके आज वो थारे गेल्या सै, अर आण आळे बखत म्ह भी वो थारे म्ह बणा रहवैगा।”
لَا أَتْرُكُكُمْ يَتَامَى. إِنِّي آتِي إِلَيْكُمْ. ١٨ 18
“मै थारे ताहीं अनाथ कोनी छोडूँगा, मै थारे धोरै बोहड़ के आऊँगा।
بَعْدَ قَلِيلٍ لَا يَرَانِي ٱلْعَالَمُ أَيْضًا، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَتَرَوْنَنِي. إِنِّي أَنَا حَيٌّ فَأَنْتُمْ سَتَحْيَوْنَ. ١٩ 19
थोड़ा ए बखत बाकी सै, जिब दुनिया मेरै ताहीं कोनी देक्खैगी, पर थम मन्नै देक्खोगे, ज्यांतै के मै जिन्दा सूं, थम भी जिन्दा रहोगे।
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا فِي أَبِي، وَأَنْتُمْ فِيَّ، وَأَنَا فِيكُمْ. ٢٠ 20
जिब मै बोहड़ के आऊँगा, उस दिन थमनै बेरा लाग्गैगा, के मै अपणे पिता म्ह सूं, अर थम मेरै म्ह, मै थारे म्ह।
اَلَّذِي عِنْدَهُ وَصَايَايَ وَيَحْفَظُهَا فَهُوَ ٱلَّذِي يُحِبُّنِي، وَٱلَّذِي يُحِبُّنِي يُحِبُّهُ أَبِي، وَأَنَا أُحِبُّهُ، وَأُظْهِرُ لَهُ ذَاتِي». ٢١ 21
वो, जो मेरे हुकम नै मान्नै सै अर उननै निभावै सै, वोए मेरतै प्यार करै सै, अर जो मेरतै प्यार करै सै, वोए मेरे पिता का प्रियजन होगा, मै उसतै प्यार करुँगा, अर अपणे-आप ताहीं उसपै जाहिर करुँगा।”
قَالَ لَهُ يَهُوذَا لَيْسَ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيَّ: «يَا سَيِّدُ، مَاذَا حَدَثَ حَتَّى إِنَّكَ مُزْمِعٌ أَنْ تُظْهِرَ ذَاتَكَ لَنَا وَلَيْسَ لِلْعَالَمِ؟». ٢٢ 22
उस यहूदा नै (जो इस्करियोती कोनी था) यीशु ताहीं कह्या, “हे प्रभु, इसा के होया के तू अपणे-आप ताहीं म्हारै पै जाहिर करणा चाहवै सै, अर दुनिया के माणसां पै न्ही?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «إِنْ أَحَبَّنِي أَحَدٌ يَحْفَظْ كَلَامِي، وَيُحِبُّهُ أَبِي، وَإِلَيْهِ نَأْتِي، وَعِنْدَهُ نَصْنَعُ مَنْزِلًا. ٢٣ 23
यीशु नै उस ताहीं जवाब दिया, “जै कोए मेरै तै प्यार करै सै, तो वो मेरी शिक्षा का पालन करैगा, वो मेरे पिता का प्रियजन बणैगा, अर हम उसकै धोरै आकै उसकै गेल्या वास करागें।”
اَلَّذِي لَا يُحِبُّنِي لَا يَحْفَظُ كَلَامِي. وَٱلْكَلَامُ ٱلَّذِي تَسْمَعُونَهُ لَيْسَ لِي بَلْ لِلْآبِ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. ٢٤ 24
वो, जो मेरतै प्यार कोनी करदा, वो मेरै वचन नै कोनी मानता, अर जो वचन थम सुणो सो वो मेरे कोनी बल्के पिता के सै, जो मेरा भेजण आळा सै।
بِهَذَا كَلَّمْتُكُمْ وَأَنَا عِنْدَكُمْ. ٢٥ 25
“ये बात मन्नै थारे गेल्या रहंदे होए थारैतै कही।
وَأَمَّا ٱلْمُعَزِّي، ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ، ٱلَّذِي سَيُرْسِلُهُ ٱلْآبُ بِٱسْمِي، فَهُوَ يُعَلِّمُكُمْ كُلَّ شَيْءٍ، وَيُذَكِّرُكُمْ بِكُلِّ مَا قُلْتُهُ لَكُمْ. ٢٦ 26
पर मददगार यानिके पवित्र आत्मा जिस ताहीं पिता मेरै नाम तै भेज्जैगा, वो थारे ताहीं इन सारी बात्तां की शिक्षा देवैगा, अर जो कुछ मन्नै थारे तै कह्या सै, वो सारा कुछ थारे ताहीं याद दुआवैगा।”
«سَلَامًا أَتْرُكُ لَكُمْ. سَلَامِي أُعْطِيكُمْ. لَيْسَ كَمَا يُعْطِي ٱلْعَالَمُ أُعْطِيكُمْ أَنَا. لَا تَضْطَرِبْ قُلُوبُكُمْ وَلَا تَرْهَبْ. ٢٧ 27
मै थारे ताहीं शान्ति देकै जाऊँ सूं, अपणी शान्ति थारे ताहीं दियुँ सूं, जिसी दुनिया थारे ताहीं शान्ति देवै सै, मै थमनै उसी शान्ति कोनी देंदा अपणे मन नै दुखी ना होण द्यो अर ना डरियो।
سَمِعْتُمْ أَنِّي قُلْتُ لَكُمْ: أَنَا أَذْهَبُ ثُمَّ آتِي إِلَيْكُمْ. لَوْ كُنْتُمْ تُحِبُّونَنِي لَكُنْتُمْ تَفْرَحُونَ لِأَنِّي قُلْتُ أَمْضِي إِلَى ٱلْآبِ، لِأَنَّ أَبِي أَعْظَمُ مِنِّي. ٢٨ 28
थमनै सुण्या के मन्नै थारे ताहीं के कह्या, “मै जाऊँ सूं, अर थारे धोरै फेर आऊँगा।” जै थम मेरै तै प्यार करदे, तो यो जाणकै राज्जी होन्दे, के मै पिता कै धोरै जाऊँ सूं, जो मेरै तै घणा महान् सै।
وَقُلْتُ لَكُمُ ٱلْآنَ قَبْلَ أَنْ يَكُونَ، حَتَّى مَتَى كَانَ تُؤْمِنُونَ. ٢٩ 29
यो सब होण तै पैहल्या मन्नै थारे ताहीं इसके बारै म्ह बता दिया सै, के जिब यो हो जावै, तो थम बिश्वास करो।
لَا أَتَكَلَّمُ أَيْضًا مَعَكُمْ كَثِيرًا، لِأَنَّ رَئِيسَ هَذَا ٱلْعَالَمِ يَأْتِي وَلَيْسَ لَهُ فِيَّ شَيْءٌ. ٣٠ 30
मै इब थारे तै घणा कुछ न्ही कहूँगा, क्यूँके इस दुनिया का शासक (शैतान) आवै सै। मेरै पै उसका कोए हक कोनी,
وَلَكِنْ لِيَفْهَمَ ٱلْعَالَمُ أَنِّي أُحِبُّ ٱلْآبَ، وَكَمَا أَوْصَانِي ٱلْآبُ هَكَذَا أَفْعَلُ. قُومُوا نَنْطَلِقْ مِنْ هَهُنَا. ٣١ 31
दुनिया यो समझ ले के मै पिता तै प्यार करुँ सूं, योए कारण सै के मै उसके सारे हुकमां का पालन करुँ सूं। उठो, हम याड़ै तै चाल्लां।

< يوحنَّا 14 >