< أَيُّوبَ 42 >
فَأَجَابَ أَيُّوبُ ٱلرَّبَّ فَقَالَ: | ١ 1 |
तब अय्यूब ने ख़ुदावन्द यूँ जवाब दिया
«قَدْ عَلِمْتُ أَنَّكَ تَسْتَطِيعُ كُلَّ شَيْءٍ، وَلَا يَعْسُرُ عَلَيْكَ أَمْرٌ. | ٢ 2 |
“मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरा कोई इरादा रुक नहीं सकता।
فَمَنْ ذَا ٱلَّذِي يُخْفِي ٱلْقَضَاءَ بِلَا مَعْرِفَةٍ؟ وَلَكِنِّي قَدْ نَطَقْتُ بِمَا لَمْ أَفْهَمْ. بِعَجَائِبَ فَوْقِي لَمْ أَعْرِفْهَا. | ٣ 3 |
यह कौन है जो नादानी से मसलहत पर पर्दा डालता है?” लेकिन मैंने जो न समझा वही कहा, या'नी ऐसी बातें जो मेरे लिए बहुत 'अजीब थीं जिनको मैं जानता न था।
اِسْمَعِ ٱلْآنَ وَأَنَا أَتَكَلَّمُ. أَسْأَلُكَ فَتُعَلِّمُنِي. | ٤ 4 |
'मैं तेरी मिन्नत करता हूँ सुन, मैं कुछ कहूँगा। मैं तुझ से सवाल करूँगा, तू मुझे बता।
بِسَمْعِ ٱلْأُذُنِ قَدْ سَمِعْتُ عَنْكَ، وَٱلْآنَ رَأَتْكَ عَيْنِي. | ٥ 5 |
मैंने तेरी ख़बर कान से सुनी थी, लेकिन अब मेरी आँख तुझे देखती है;
لِذَلِكَ أَرْفُضُ وَأَنْدَمُ فِي ٱلتُّرَابِ وَٱلرَّمَادِ». | ٦ 6 |
इसलिए मुझे अपने आप से नफ़रत है, और मैं ख़ाक और राख में तौबा करता हूँ।”
وَكَانَ بَعْدَمَا تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مَعَ أَيُّوبَ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ، أَنَّ ٱلرَّبَّ قَالَ لِأَلِيفَازَ ٱلتَّيْمَانِيِّ: «قَدِ ٱحْتَمَى غَضَبِي عَلَيْكَ وَعَلَى كِلَا صَاحِبَيْكَ، لِأَنَّكُمْ لَمْ تَقُولُوا فِيَّ ٱلصَّوَابَ كَعَبْدِي أَيُّوبَ. | ٧ 7 |
और ऐसा हुआ कि जब ख़ुदावन्द यह बातें अय्यूब से कह चुका, तो उसने इलिफ़ज़ तेमानी से कहा कि “मेरा ग़ज़ब तुझ पर और तेरे दोनों दोस्तों पर भड़का है, क्यूँकि तुम ने मेरे बारे में वह बात न कही जो हक़ है, जैसे मेरे बन्दे अय्यूब ने कही।
وَٱلْآنَ فَخُذُوا لِأَنْفُسِكُمْ سَبْعَةَ ثِيرَانٍ وَسَبْعَةَ كِبَاشٍ وَٱذْهَبُوا إِلَى عَبْدِي أَيُّوبَ، وَأَصْعِدُوا مُحْرَقَةً لِأَجْلِ أَنْفُسِكُمْ، وَعَبْدِي أَيُّوبُ يُصَلِّي مِنْ أَجْلِكُمْ، لِأَنِّي أَرْفَعُ وَجْهَهُ لِئَلَّا أَصْنَعَ مَعَكُمْ حَسَبَ حَمَاقَتِكُمْ، لِأَنَّكُمْ لَمْ تَقُولُوا فِيَّ ٱلصَّوَابَ كَعَبْدِي أَيُّوبَ». | ٨ 8 |
इसलिए अब अपने लिए सात बैल और सात मेंढे लेकर, मेरे बन्दे अय्यूब के पास जाओ और अपने लिए सोख़्तनी कु़र्बानी पेश करो, और मेरा बन्दा अय्यूब तुम्हारे लिए दुआ करेगा; क्यूँकि उसे तो मैं क़ुबूल करूँगा ताकि तुम्हारी जिहालत के मुताबिक़ तुम्हारे साथ सुलूक न करूँ, क्यूँकि तुम ने मेरे बारे में वह बात न कही जो हक़ है, जैसे मेरे बन्दे अय्यूब ने कही।”
فَذَهَبَ أَلِيفَازُ ٱلتَّيْمَانِيُّ وَبِلْدَدُ ٱلشُّوحِيُّ وَصُوفَرُ ٱلنَّعْمَاتِيُّ، وَفَعَلُوا كَمَا قَالَ ٱلرَّبُّ لَهُمْ. وَرَفَعَ ٱلرَّبُّ وَجْهَ أَيُّوبَ. | ٩ 9 |
इसलिए इलिफ़ज़ तेमानी, और बिलदद सूखी और जूफ़र ना'माती ने जाकर जैसा ख़ुदावन्द ने उनको फ़रमाया था किया, और ख़ुदावन्द ने अय्यूब को क़ुबूल किया।
وَرَدَّ ٱلرَّبُّ سَبْيَ أَيُّوبَ لَمَّا صَلَّى لِأَجْلِ أَصْحَابِهِ، وَزَادَ ٱلرَّبُّ عَلَى كُلِّ مَا كَانَ لِأَيُّوبَ ضِعْفًا. | ١٠ 10 |
और ख़ुदावन्द ने अय्यूब की ग़ुलामी को जब उसने अपने दोस्तों के लिए दुआ की बदल दिया और ख़ुदावन्द ने अय्यूब को जितने उसके पास पहले था उसका दो गुना दे दिया।
فَجَاءَ إِلَيْهِ كُلُّ إِخْوَتِهِ وَكُلُّ أَخَوَاتِهِ وَكُلُّ مَعَارِفِهِ مِنْ قَبْلُ، وَأَكَلُوا مَعَهُ خُبْزًا فِي بَيْتِهِ، وَرَثَوْا لَهُ وَعَزَّوْهُ عَنْ كُلِّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي جَلَبَهُ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِ، وَأَعْطَاهُ كُلٌّ مِنْهُمْ قَسِيطَةً وَاحِدَةً، وَكُلُّ وَاحِدٍ قُرْطًا مِنْ ذَهَبٍ. | ١١ 11 |
तब उसके सब भाई और सब बहनें और उसके सब अगले जान — पहचान उसके पास आए, और उसके घर में उसके साथ खाना खाया; और उस पर नौहा किया और उन सब बलाओं के बारे में, जो ख़ुदावन्द ने उस पर नाज़िल की थीं, उसे तसल्ली दी। हर शख़्स ने उसे एक सिक्का भी दिया और हर एक ने सोने की एक बाली।
وَبَارَكَ ٱلرَّبُّ آخِرَةَ أَيُّوبَ أَكْثَرَ مِنْ أُولَاهُ. وَكَانَ لَهُ أَرْبَعَةَ عَشَرَ أَلْفًا مِنَ ٱلْغَنَمِ، وَسِتَّةُ آلَافٍ مِنَ ٱلْإِبِلِ، وَأَلْفُ فَدَّانٍ مِنَ ٱلْبَقَرِ، وَأَلْفُ أَتَانٍ. | ١٢ 12 |
यूँ ख़ुदावन्द ने अय्यूब के आख़िरी दिनों में शुरू'आत की निस्बत ज़्यादा बरकत बख़्शी; और उसके पास चौदह हज़ार भेड़ बकरियाँ, और छ: हज़ार ऊँट, और हज़ार जोड़ी बैल, और हज़ार गधियाँ, हो गईं।
وَكَانَ لَهُ سَبْعَةُ بَنِينَ وَثَلَاثُ بَنَاتٍ. | ١٣ 13 |
उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ भी हुई।
وَسَمَّى ٱسْمَ ٱلْأُولَى يَمِيمَةَ، وَٱسْمَ ٱلثَّانِيَةِ قَصِيعَةَ، وَٱسْمَ ٱلثَّالِثَةِ قَرْنَ هَفُّوكَ. | ١٤ 14 |
और उसने पहली का नाम यमीमा और दूसरी का नाम क़स्याह और तीसरी का नाम क़रन — हप्पूक रख्खा।
وَلَمْ تُوجَدْ نِسَاءٌ جَمِيلَاتٌ كَبَنَاتِ أَيُّوبَ فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ، وَأَعْطَاهُنَّ أَبُوهُنَّ مِيرَاثًا بَيْنَ إِخْوَتِهِنَّ. | ١٥ 15 |
और उस सारी सर ज़मीन में ऐसी 'औरतें कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों की तरह ख़ूबसूरत हों, और उनके बाप ने उनको उनके भाइयों के बीच मीरास दी।
وَعَاشَ أَيُّوبُ بَعْدَ هَذَا مِئَةً وَأَرْبَعِينَ سَنَةً، وَرَأَى بَنِيهِ وَبَنِي بَنِيهِ إِلَى أَرْبَعَةِ أَجْيَالٍ. | ١٦ 16 |
और इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस बरस ज़िन्दा रहा, और अपने बेटे और पोते चौथी पुश्त तक देखे।
ثُمَّ مَاتَ أَيُّوبُ شَيْخًا وَشَبْعَانَ ٱلْأَيَّامِ. | ١٧ 17 |
और अय्यूब ने बुड्ढा और बुज़ुर्ग होकर वफ़ात पाई।