< إِرْمِيَا 48 >
عَنْ مُوآبَ: «هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: وَيْلٌ لِنَبُو لِأَنَّهَا قَدْ خَرِبَتْ. خَزِيَتْ وَأُخِذَتْ قَرْيَتَايِمُ. خَزِيَتْ مِسْجَابُ وَٱرْتَعَبَتْ. | ١ 1 |
१मोआब के विषय इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है: “नबो पर हाय, क्योंकि वह नाश हो गया! किर्यातैम की आशा टूट गई, वह ले लिया गया है; ऊँचा गढ़ निराश और विस्मित हो गया है।
لَيْسَ مَوْجُودًا بَعْدُ فَخْرُ مُوآبَ. فِي حَشْبُونَ فَكَّرُوا عَلَيْهَا شَرًّا. هَلُمَّ فَنَقْرِضُهَا مِنْ أَنْ تَكُونَ أُمَّةً. وَأَنْتِ أَيْضًا يَا مَدْمِينُ تُصَمِّينَ وَيَذْهَبُ وَرَاءَكِ ٱلسَّيْفُ. | ٢ 2 |
२मोआब की प्रशंसा जाती रही। हेशबोन में उसकी हानि की कल्पना की गई है: ‘आओ, हम उसको ऐसा नाश करें कि वह राज्य न रह जाए।’ हे मदमेन, तू भी सुनसान हो जाएगा; तलवार तेरे पीछे पड़ेगी।
صَوْتُ صِيَاحٍ مِنْ حُورُونَايِمَ، هَلَاكٌ وَسَحْقٌ عَظِيمٌ. | ٣ 3 |
३“होरोनैम से चिल्लाहट का शब्द सुनो! नाश और बड़े दुःख का शब्द सुनाई देता है!
قَدْ حُطِّمَتْ مُوآبُ، وَأَسْمَعَ صِغَارُهَا صُرَاخًا. | ٤ 4 |
४मोआब का सत्यानाश हो रहा है; उसके नन्हें बच्चों की चिल्लाहट सुन पड़ी।
لِأَنَّهُ فِي عَقَبَةِ لُوحِيتَ يَصْعَدُ بُكَاءٌ عَلَى بُكَاءٍ، لِأَنَّهُ فِي مُنْحَدَرِ حُورُونَايِمَ سَمِعَ ٱلْأَعْدَاءُ صُرَاخَ ٱنْكِسَارٍ. | ٥ 5 |
५क्योंकि लूहीत की चढ़ाई में लोग लगातार रोते हुए चढ़ेंगे; और होरोनैम की उतार में नाश की चिल्लाहट का संकट हुआ है।
ٱهْرُبُوا نَجُّوا أَنْفُسَكُمْ، وَكُونُوا كَعَرْعَرٍ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٦ 6 |
६भागो! अपना-अपना प्राण बचाओ! उस अधमूए पेड़ के समान हो जाओ जो जंगल में होता है!
«فَمِنْ أَجْلِ ٱتِّكَالِكِ عَلَى أَعْمَالِكِ وَعَلَى خَزَائِنِكِ سَتُؤْخَذِينَ أَنْتِ أَيْضًا، وَيَخْرُجُ كَمُوشُ إِلَى ٱلسَّبْيِ، كَهَنَتُهُ ورُؤَسَاؤُهُ مَعًا. | ٧ 7 |
७क्योंकि तू जो अपने कामों और सम्पत्ति पर भरोसा रखता है, इस कारण तू भी पकड़ा जाएगा; और कमोश देवता भी अपने याजकों और हाकिमों समेत बँधुआई में जाएगा।
وَيَأْتِي ٱلْمُهْلِكُ إِلَى كُلِّ مَدِينَةٍ، فَلَا تُفْلِتُ مَدِينَةٌ، فَيَبِيدُ ٱلْوَطَاءُ، وَيَهْلِكُ ٱلسَّهْلُ كَمَا قَالَ ٱلرَّبُّ. | ٨ 8 |
८यहोवा के वचन के अनुसार नाश करनेवाले तुम्हारे हर एक नगर पर चढ़ाई करेंगे, और कोई नगर न बचेगा; घाटीवाले और पहाड़ पर की चौरस भूमिवाले दोनों नाश किए जाएँगे।
أَعْطُوا مُوآبَ جَنَاحًا لِأَنَّهَا تَخْرُجُ طَائِرَةً وَتَصِيرُ مُدُنُهَا خَرِبَةً بِلَا سَاكِنٍ فِيهَا. | ٩ 9 |
९“मोआब के पंख लगा दो ताकि वह उड़कर दूर हो जाए; क्योंकि उसके नगर ऐसे उजाड़ हो जाएँगे कि उनमें कोई भी न बसने पाएगा।
مَلْعُونٌ مَنْ يَعْمَلُ عَمَلَ ٱلرَّبِّ بِرِخَاءٍ، وَمَلْعُونٌ مَنْ يَمْنَعُ سَيْفَهُ عَنِ ٱلدَّمِ. | ١٠ 10 |
१०“श्रापित है वह जो यहोवा का काम आलस्य से करता है; और वह भी जो अपनी तलवार लहू बहाने से रोक रखता है।
«مُسْتَرِيحٌ مُوآبُ مُنْذُ صِبَاهُ، وَهُوَ مُسْتَقِرٌّ عَلَى دُرْدِيِّهِ، وَلَمْ يُفْرَغْ مِنْ إِنَاءٍ إِلَى إِنَاءٍ، وَلَمْ يَذْهَبْ إِلَى ٱلسَّبْيِ. لِذَلِكَ بَقِيَ طَعْمُهُ فِيهِ، وَرَائِحَتُهُ لَمْ تَتَغَيَّرْ. | ١١ 11 |
११“मोआब बचपन ही से सुखी है, उसके नीचे तलछट है, वह एक बर्तन से दूसरे बर्तन में उण्डेला नहीं गया और न बँधुआई में गया; इसलिए उसका स्वाद उसमें स्थिर है, और उसकी गन्ध ज्यों की त्यों बनी रहती है।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأُرْسِلُ إِلَيْهِ مُصْغِينَ فَيُصْغُونَهُ، وَيُفَرِّغُونَ آنِيَتَهُ، وَيَكْسِرُونَ أَوْعِيَتَهُمْ. | ١٢ 12 |
१२इस कारण यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आएँगे, कि मैं लोगों को उसके उण्डेलने के लिये भेजूँगा, और वे उसको उण्डेलेंगे, और जिन घड़ों में वह रखा हुआ है, उनको खाली करके फोड़ डालेंगे।
فَيَخْجَلُ مُوآبُ مِنْ كَمُوشَ، كَمَا خَجِلَ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ مِنْ بَيْتِ إِيلَ مُتَّكَلِهِمْ. | ١٣ 13 |
१३तब जैसे इस्राएल के घराने को बेतेल से लज्जित होना पड़ा, जिस पर वे भरोसा रखते थे, वैसे ही मोआबी लोग कमोश से लज्जित होंगे।
«كَيْفَ تَقُولُونَ نَحْنُ جَبَابِرَةٌ وَرِجَالُ قُوَّةٍ لِلْحَرْبِ؟ | ١٤ 14 |
१४“तुम कैसे कह सकते हो कि हम वीर और पराक्रमी योद्धा हैं?
أُهْلِكَتْ مُوآبُ وَصَعِدَتْ مُدُنُهَا، وَخِيَارُ مُنْتَخَبِيهَا نَزَلُوا لِلْقَتْلِ، يَقُولُ ٱلْمَلِكُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. | ١٥ 15 |
१५मोआब तो नाश हुआ, उसके नगर भस्म हो गए और उसके चुने हुए जवान घात होने को उतर गए, राजाधिराज, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यही वाणी है।
قَرِيبٌ مَجِيءُ هَلَاكِ مُوآبَ، وَبَلِيَّتُهَا مُسْرِعَةٌ جِدًّا. | ١٦ 16 |
१६मोआब की विपत्ति निकट आ गई, और उसके संकट में पड़ने का दिन बहुत ही वेग से आता है।
اُنْدُبُوهَا يَا جَمِيعَ ٱلَّذِينَ حَوَالَيْهَا، وَكُلَّ ٱلْعَارِفِينَ ٱسْمَهَا قُولُوا: كَيْفَ ٱنْكَسَرَ قَضِيبُ ٱلْعِزِّ، عَصَا ٱلْجَلَالِ؟ | ١٧ 17 |
१७उसके आस-पास के सब रहनेवालों, और उसकी कीर्ति के सब जाननेवालों, उसके लिये विलाप करो; कहो, ‘हाय! यह मजबूत सोंटा और सुन्दर छड़ी कैसे टूट गई है?’
اِنْزِلِي مِنَ ٱلْمَجْدِ، ٱجْلِسِي فِي ٱلظَّمَاءِ أَيَّتُهَا ٱلسَّاكِنَةُ بِنْتَ دِيبُونَ، لِأَنَّ مُهْلِكَ مُوآبَ قَدْ صَعِدَ إِلَيْكِ وَأَهْلَكَ حُصُونَكِ. | ١٨ 18 |
१८“हे दीबोन की रहनेवाली तू अपना वैभव छोड़कर प्यासी बैठी रह! क्योंकि मोआब के नाश करनेवाले ने तुझ पर चढ़ाई करके तेरे दृढ़ गढ़ों को नाश किया है।
قِفِي عَلَى ٱلطَّرِيقِ وَتَطَلَّعِي يَا سَاكِنَةَ عَرُوعِيرَ. ٱسْأَلِي ٱلْهَارِبَ وَٱلنَّاجِيَةَ. قُولِي: مَاذَا حَدَثَ؟ | ١٩ 19 |
१९हे अरोएर की रहनेवाली तू मार्ग में खड़ी होकर ताकती रह! जो भागता है उससे, और जो बच निकलती है उससे पूछ कि क्या हुआ है?
قَدْ خَزِيَ مُوآبُ لِأَنَّهُ قَدْ نُقِضَ. وَلْوِلُوا وَٱصْرُخُوا. أَخْبِرُوا فِي أَرْنُونَ أَنَّ مُوآبَ قَدْ أُهْلِكَ. | ٢٠ 20 |
२०मोआब की आशा टूटेगी, वह विस्मित हो गया; तुम हाय-हाय करो और चिल्लाओ; अर्नोन में भी यह बताओ कि मोआब नाश हुआ है।
وَقَدْ جَاءَ ٱلْقَضَاءُ عَلَى أَرْضِ ٱلسَّهْلِ، عَلَى حُولُونَ وَعَلَى يَهْصَةَ وَعَلَى مَيْفَعَةَ، | ٢١ 21 |
२१“चौरस भूमि के देश में होलोन, यहस, मेपात,
وَعَلَى دِيبُونَ وَعَلَى نَبُو وَعَلَى بَيْتِ دَبْلَتَايِمَ، | ٢٢ 22 |
२२दीबोन, नबो, बेतदिबलातैम,
وَعَلَى قَرْيَتَايِمَ وَعَلَى بَيْتِ جَامُولَ وَعَلَى بَيْتِ مَعُونَ، | ٢٣ 23 |
२३और किर्यातैम, बेतगामूल, बेतमोन,
وَعَلَى قَرْيُوتَ وَعَلَى بُصْرَةَ وَعَلَى كُلِّ مُدُنِ أَرْضِ مُوآبَ ٱلْبَعِيدَةِ وَٱلْقَرِيبَةِ. | ٢٤ 24 |
२४और करिय्योत, बोस्रा, और क्या दूर क्या निकट, मोआब देश के सारे नगरों में दण्ड की आज्ञा पूरी हुई है।
عُضِبَ قَرْنُ مُوآبَ، وَتَحَطَّمَتْ ذِرَاعُهُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٢٥ 25 |
२५यहोवा की यह वाणी है, मोआब का सींग कट गया, और भुजा टूट गई है।
«أَسْكِرُوهُ لِأَنَّهُ قَدْ تَعَاظَمَ عَلَى ٱلرَّبِّ، فَيَتَمَرَّغَ مُوآبُ فِي قُيَائِهِ، وَهُوَ أَيْضًا يَكُونُ ضُحْكَةً. | ٢٦ 26 |
२६“उसको मतवाला करो, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है; इसलिए मोआब अपनी छाँट में लोटेगा, और उपहास में उड़ाया जाएगा।
أَفَمَا كَانَ إِسْرَائِيلُ ضُحْكَةً لَكَ؟ هَلْ وُجِدَ بَيْنَ ٱللُّصُوصِ حَتَّى أَنَّكَ كُلَّمَا كُنْتَ تَتَكَلَّمُ بِهِ كُنْتَ تَنْغَضُ ٱلرَّأْسَ؟ | ٢٧ 27 |
२७क्या तूने भी इस्राएल को उपहास में नहीं उड़ाया? क्या वह चोरों के बीच पकड़ा गया था कि जब तू उसकी चर्चा करता तब तू सिर हिलाता था?
خَلُّوا ٱلْمُدُنَ، وَٱسْكُنُوا فِي ٱلصَّخْرِ يَاسُكَّانَ مُوآبَ، وَكُونُوا كَحَمَامَةٍ تُعَشِّشُ فِي جَوَانِبِ فَمِ ٱلْحُفْرَةِ. | ٢٨ 28 |
२८“हे मोआब के रहनेवालों अपने-अपने नगर को छोड़कर चट्टान की दरार में बसो! उस पंडुकी के समान हो जो गुफा के मुँह की एक ओर घोंसला बनाती हो।
قَدْ سَمِعْنَا بِكِبْرِيَاءِ مُوآبَ. هُوَ مُتَكَبِّرٌ جِدًّا. بِعَظَمَتِهِ وَبِكِبْرِيَائِهِ وَجَلَالِهِ وَٱرْتِفَاعِ قَلْبِهِ. | ٢٩ 29 |
२९हमने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।
أَنَا عَرَفْتُ سَخَطَهُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُ بَاطِلٌ. أَكَاذِيبُهُ فَعَلَتْ بَاطِلًا. | ٣٠ 30 |
३०यहोवा की यह वाणी है, मैं उसके रोष को भी जानता हूँ कि वह व्यर्थ ही है, उसके बड़े बोल से कुछ बन न पड़ा।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ أُوَلْوِلُ عَلَى مُوآبَ، وَعَلَى مُوآبَ كُلِّهِ أَصْرُخُ. يُؤَنُّ عَلَى رِجَالِ قِيرَ حَارِسَ. | ٣١ 31 |
३१इस कारण मैं मोआबियों के लिये हाय-हाय करूँगा; हाँ मैं सारे मोआबियों के लिये चिल्लाऊँगा; कीरहेरेस के लोगों के लिये विलाप किया जाएगा।
أَبْكِي عَلَيْكِ بُكَاءَ يَعْزِيرَ، يَا جَفْنَةَ سَبْمَةَ. قَدْ عَبَرَتْ قُضْبَانُكِ ٱلْبَحْرَ، وَصَلَتْ إِلَى بَحْرِ يَعْزِيرَ. وَقَعَ ٱلْمُهْلِكُ عَلَى جَنَاكِ، وَعَلَى قِطَافِكِ. | ٣٢ 32 |
३२हे सिबमा की दाखलता, मैं तुम्हारे लिये याजेर से भी अधिक विलाप करूँगा! तेरी डालियाँ तो ताल के पार बढ़ गई, वरन् याजेर के ताल तक भी पहुँची थीं; पर नाश करनेवाला तेरे धूपकाल के फलों पर, और तोड़ी हुई दाखों पर भी टूट पड़ा है।
وَنُزِعَ ٱلْفَرَحُ وَٱلطَّرَبُ مِنَ ٱلْبُسْتَانِ، وَمِنْ أَرْضِ مُوآبَ. وَقَدْ أُبْطِلَتِ ٱلْخَمْرُ مِنَ ٱلْمَعَاصِرِ. لَا يُدَاسُ بِهُتَافٍ. جَلَبَةٌ لَا هُتَافٌ. | ٣٣ 33 |
३३फलवाली बारियों से और मोआब के देश से आनन्द और मगन होना उठ गया है; मैंने ऐसा किया कि दाखरस के कुण्डों में कुछ दाखमधु न रहा; लोग फिर ललकारते हुए दाख न रौंदेंगे; जो ललकार होनेवाली है, वह अब नहीं होगी।
قَدْ أَطْلَقُوا صَوْتَهُمْ مِنْ صُرَاخِ حَشْبُونَ إِلَى أَلْعَالَةَ إِلَى يَاهَصَ، مِنْ صُوغَرَ إِلَى حُورُونَايِمَ، كَعِجْلَةٍ ثُلَاثِيَّةٍ، لِأَنَّ مِيَاهَ نِمْرِيمَ أَيْضًا تَصِيرُ خَرِبَةً. | ٣٤ 34 |
३४“हेशबोन की चिल्लाहट सुनकर लोग एलाले और यहस तक, और सोअर से होरोनैम और एग्लत-शलीशिया तक भी चिल्लाते हुए भागे चले गए हैं। क्योंकि निम्रीम का जल भी सूख गया है।
وَأُبَطِّلُ مِنْ مُوآبَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، مَنْ يُصْعِدُ فِي مُرْتَفَعَةٍ، وَمَنْ يُبَخِّرُ لِآلِهَتِهِ. | ٣٥ 35 |
३५और यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ऊँचे स्थान पर चढ़ावा चढ़ाना, और देवताओं के लिये धूप जलाना, दोनों को मोआब में बन्द कर दूँगा।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ يُصَوِّتُ قَلْبِي لِمُوآبَ كَنَايٍ، وَيُصَوِّتُ قَلْبِي لِرِجَالِ قِيرَ حَارِسَ كَنَايٍ، لِأَنَّ ٱلثَّرْوَةَ ٱلَّتِي ٱكْتَسَبُوهَا قَدْ بَادَتْ. | ٣٦ 36 |
३६इस कारण मेरा मन मोआब और कीरहेरेस के लोगों के लिये बाँसुरी सा रो रोकर अलापता है, क्योंकि जो कुछ उन्होंने कमाकर बचाया है, वह नाश हो गया है।
لِأَنَّ كُلَّ رَأْسٍ أَقْرَعُ، وَكُلَّ لِحْيَةٍ مَجْزُوزَةٌ، وَعَلَى كُلِّ ٱلْأَيَادِي خُمُوشٌ، وَعَلَى ٱلْأَحْقَاءِ مُسُوحٌ. | ٣٧ 37 |
३७क्योंकि सब के सिर मुँण्ड़े गए और सब की दाढ़ियाँ नोची गई; सब के हाथ चीरे हुए, और सब की कमर में टाट बन्धा हुआ है।
عَلَى كُلِّ سُطُوحِ مُوآبَ وَفِي شَوَارِعِهَا كُلِّهَا نَوْحٌ، لِأَنِّي قَدْ حَطَمْتُ مُوآبَ كَإِنَاءٍ لَا مَسَرَّةَ بِهِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٣٨ 38 |
३८मोआब के सब घरों की छतों पर और सब चौकों में रोना पीटना हो रहा है; क्योंकि मैंने मोआब को तुच्छ बर्तन के समान तोड़ डाला है यहोवा की यह वाणी है।
يُوَلْوِلُونَ قَائِلِينَ: كَيْفَ نُقِضَتْ؟ كَيْفَ حَوَّلَتْ مُوآبُ قَفَاهَا بِخِزْيٍ؟ فَقَدْ صَارَتْ مُوآبُ ضُحْكَةً وَرُعْبًا لِكُلِّ مَنْ حَوَالَيْهَا. | ٣٩ 39 |
३९मोआब कैसे विस्मित हो गया! हाय, हाय, करो! क्योंकि उसने कैसे लज्जित होकर पीठ फेरी है! इस प्रकार मोआब के चारों ओर के सब रहनेवाले उसका ठट्ठा करेंगे और विस्मित हो जाएँगे।”
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَا هُوَ يَطِيرُ كَنَسْرٍ، وَيَبْسُطُ جَنَاحَيْهِ عَلَى مُوآبَ. | ٤٠ 40 |
४०क्योंकि यहोवा यह कहता है, “देखो, वह उकाब सा उड़ेगा और मोआब के ऊपर अपने पंख फैलाएगा।
قَدْ أُخِذَتْ قَرْيُوتُ، وَأُمْسِكَتِ ٱلْحَصِينَاتُ، وَسَيَكُونُ قَلْبُ جَبَابِرَةِ مُوآبَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ كَقَلْبِ ٱمْرَأَةٍ مَاخِضٍ. | ٤١ 41 |
४१करिय्योत ले लिया गया, और गढ़वाले नगर दूसरों के वश में पड़ गए। उस दिन मोआबी वीरों के मन जच्चा स्त्री के से हो जाएँगे;
وَيَهْلِكُ مُوآبُ عَنْ أَنْ يَكُونَ شَعْبًا، لِأَنَّهُ قَدْ تَعَاظَمَ عَلَى ٱلرَّبِّ. | ٤٢ 42 |
४२और मोआब ऐसा तितर-बितर हो जाएगा कि उसका दल टूट जाएगा, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है।
خَوْفٌ وَحُفْرَةٌ وَفَخٌّ عَلَيْكَ يَا سَاكِنَ مُوآبَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٤٣ 43 |
४३यहोवा की यह वाणी है कि हे मोआब के रहनेवाले, तेरे लिये भय और गड्ढा और फंदे ठहराए गए हैं।
ٱلَّذِي يَهْرُبُ مِنْ وَجْهِ ٱلْخَوْفِ يَسْقُطُ فِي ٱلْحُفْرَةِ، وَٱلَّذِي يَصْعَدُ مِنَ ٱلْحُفْرَةِ يَعْلَقُ فِي ٱلْفَخِّ، لِأَنِّي أَجْلِبُ عَلَيْهَا، أيْ عَلَى مُوآبَ، سَنَةَ عِقَابِهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٤٤ 44 |
४४जो कोई भय से भागे वह गड्ढे में गिरेगा, और जो कोई गड्ढे में से निकले, वह फंदे में फँसेगा। क्योंकि मैं मोआब के दण्ड का दिन उस पर ले आऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।
فِي ظِلِّ حَشْبُونَ وَقَفَ ٱلْهَارِبُونَ بِلَا قُوَّةٍ، لِأَنَّهُ قَدْ خَرَجَتْ نَارٌ مِنْ حَشْبُونَ، وَلَهِيبٌ مِنْ وَسْطِ سِيحُونَ، فَأَكَلَتْ زَاوِيَةَ مُوآبَ، وَهَامَةَ بَنِي ٱلْوَغَى. | ٤٥ 45 |
४५“जो भागे हुए हैं वह हेशबोन में शरण लेकर खड़े हो गए हैं; परन्तु हेशबोन से आग और सीहोन के बीच से लौ निकली, जिससे मोआब देश के कोने और बलवैयों के चोण्डे भस्म हो गए हैं।
وَيْلٌ لَكَ يَا مُوآبُ! بَادَ شَعْبُ كَمُوشَ، لِأَنَّ بَنِيكَ قَدْ أُخِذُوا إِلَى ٱلسَّبْيِ وَبَنَاتِكَ إِلَى ٱلْجَلَاءِ. | ٤٦ 46 |
४६हे मोआब तुझ पर हाय! कमोश की प्रजा नाश हो गई; क्योंकि तेरे स्त्री-पुरुष दोनों बँधुआई में गए हैं।
وَلَكِنَّنِي أَرُدُّ سَبْيَ مُوآبَ فِي آخِرِ ٱلْأَيَّامِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». إِلَى هُنَا قَضَاءُ مُوآبَ. | ٤٧ 47 |
४७तो भी यहोवा की यह वाणी है कि अन्त के दिनों में मैं मोआब को बँधुआई से लौटा ले आऊँगा।” मोआब के दण्ड का वचन यहीं तक हुआ।