< يَعقُوب 2 >
يَا إِخْوَتِي، لَا يَكُنْ لَكُمْ إِيمَانُ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، رَبِّ ٱلْمَجْدِ، فِي ٱلْمُحَابَاةِ. | ١ 1 |
हे मोरो भाऊवों अऊर बहिनों, हमरो महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह पर तुम्हरो विश्वास पक्षपात को संग नहीं हो।
فَإِنَّهُ إِنْ دَخَلَ إِلَى مَجْمَعِكُمْ رَجُلٌ بِخَوَاتِمِ ذَهَبٍ فِي لِبَاسٍ بَهِيٍّ، وَدَخَلَ أَيْضًا فَقِيرٌ بِلِبَاسٍ وَسِخٍ، | ٢ 2 |
समझो यदि एक धनवान आदमी सोनो को छल्ला अऊर अच्छो कपड़ा पहिन्यो हुयो तुम्हरी सभा म आयेंन, अऊर एक गरीब भी गन्दो कपड़ा पहिन्यो हुयो आये,
فَنَظَرْتُمْ إِلَى ٱللَّابِسِ ٱللِّبَاسَ ٱلْبَهِيَّ وَقُلْتُمْ لَهُ: «ٱجْلِسْ أَنْتَ هُنَا حَسَنًا». وَقُلْتُمْ لِلْفَقِيرِ: «قِفْ أَنْتَ هُنَاكَ» أَوِ: «ٱجْلِسْ هُنَا تَحْتَ مَوْطِىءِ قَدَمَيَّ». | ٣ 3 |
अऊर तुम ऊ अच्छो कपड़ा वालो को मुंह देख क कहो, “तय उत अच्छी जागा म बैठ,” अऊर ऊ गरीब सी कहो, “तय इत खड़ो रह,” यां “मोरो पाय को जवर बैठ।”
فَهَلْ لَا تَرْتَابُونَ فِي أَنْفُسِكُمْ، وَتَصِيرُونَ قُضَاةَ أَفْكَارٍ شِرِّيرَةٍ؟ | ٤ 4 |
त का तय न आपस म भेद-भाव नहीं करयो अऊर बुरो बिचार सी न्याय करन वालो नहीं ठहरयो?
ٱسْمَعُوا يَا إِخْوَتِي ٱلْأَحِبَّاءَ: أَمَا ٱخْتَارَ ٱللهُ فُقَرَاءَ هَذَا ٱلْعَالَمِ أَغْنِيَاءَ فِي ٱلْإِيمَانِ، وَوَرَثَةَ ٱلْمَلَكُوتِ ٱلَّذِي وَعَدَ بِهِ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَهُ؟ | ٥ 5 |
हे मोरो प्रिय भाऊवों अऊर बहिनों, सुनो। का परमेश्वर न यो जगत को गरीबों ख नहीं चुन्यो कि विश्वास म धनी अऊर ऊ राज्य को अधिकारी हो, जेकी प्रतिज्ञा ओन उन्को सी करी हय जो ओको सी प्रेम रखय हंय?
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَأَهَنْتُمُ ٱلْفَقِيرَ. أَلَيْسَ ٱلْأَغْنِيَاءُ يَتَسَلَّطُونَ عَلَيْكُمْ وَهُمْ يَجُرُّونَكُمْ إِلَى ٱلْمَحَاكِمِ؟ | ٦ 6 |
पर तुम ऊ गरीब को अपमान करय हय। का धनी लोग तुम पर दबाव नहीं डालय अऊर का हिच तुम्ख कचहरी म घसीट क नहीं ले जावय?
أَمَا هُمْ يُجَدِّفُونَ عَلَى ٱلِٱسْمِ ٱلْحَسَنِ ٱلَّذِي دُعِيَ بِهِ عَلَيْكُمْ؟ | ٧ 7 |
का हि यो नोहोय, जो ऊ अच्छो नाम की निन्दा नहीं करय जो तुम ख दियो गयो हय?
فَإِنْ كُنْتُمْ تُكَمِّلُونَ ٱلنَّامُوسَ ٱلْمُلُوكِيَّ حَسَبَ ٱلْكِتَابِ: «تُحِبُّ قَرِيبَكَ كَنَفْسِكَ»، فَحَسَنًا تَفْعَلُونَ. | ٨ 8 |
तब भी यदि तुम पवित्र शास्त्र को यो वचन को अनुसार कि “तय अपनो पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम रख” सचमुच ऊ राज व्यवस्था ख पूरी करय हय, त अच्छोच करय हय।
وَلَكِنْ إِنْ كُنْتُمْ تُحَابُونَ، تَفْعَلُونَ خَطِيَّةً، مُوَبَّخِينَ مِنَ ٱلنَّامُوسِ كَمُتَعَدِّينَ. | ٩ 9 |
पर यदि तुम लोगों को बाहरी पहरावा देख क व्यवहार करय हय त तुम पाप करय हय; अऊर व्यवस्था तुम्ख नियम को उल्लंघन करन वालो ठहरावय हय।
لِأَنَّ مَنْ حَفِظَ كُلَّ ٱلنَّامُوسِ، وَإِنَّمَا عَثَرَ فِي وَاحِدَةٍ، فَقَدْ صَارَ مُجْرِمًا فِي ٱلْكُلِّ. | ١٠ 10 |
कहालीकि जो कोयी पूरी व्यवस्था को पालन करय हय पर एकच बात म चूक जाये त ऊ सब बातों म दोषी ठहर चुक्यो हय।
لِأَنَّ ٱلَّذِي قَالَ: «لَا تَزْنِ»، قَالَ أَيْضًا: «لَا تَقْتُلْ». فَإِنْ لَمْ تَزْنِ وَلَكِنْ قَتَلْتَ، فَقَدْ صِرْتَ مُتَعَدِّيًا ٱلنَّامُوسَ. | ١١ 11 |
येकोलायी कि जेन यो कह्यो, “तय व्यभिचार मत करजो” ओनच यो भी कह्यो, “तय हत्या मत करजो,” येकोलायी यदि तय न व्यभिचार त नहीं करयो पर हत्या करी तब भी तय व्यवस्था को उल्लंघन करन वालो ठहरयो।
هَكَذَا تَكَلَّمُوا وَهَكَذَا ٱفْعَلُوا كَعَتِيدِينَ أَنْ تُحَاكَمُوا بِنَامُوسِ ٱلْحُرِّيَّةِ. | ١٢ 12 |
तुम उन लोगों को जसो वचन बोलो अऊर काम भी करो, जिन्को न्याय ऊ व्यवस्था को अनुसार होयेंन जो हम्ख स्वतंत्र करय हय।
لِأَنَّ ٱلْحُكْمَ هُوَ بِلَا رَحْمَةٍ لِمَنْ لَمْ يَعْمَلْ رَحْمَةً، وَٱلرَّحْمَةُ تَفْتَخِرُ عَلَى ٱلْحُكْمِ. | ١٣ 13 |
येकोलायी जो दयालु नहाय ओको लायी परमेश्वर को न्याय भी बिना दया कोच होयेंन पर दया न्याय पर विजय हय।
مَا ٱلْمَنْفَعَةُ يَا إِخْوَتِي إِنْ قَالَ أَحَدٌ إِنَّ لَهُ إِيمَانًا وَلَكِنْ لَيْسَ لَهُ أَعْمَالٌ، هَلْ يَقْدِرُ ٱلْإِيمَانُ أَنْ يُخَلِّصَهُ؟ | ١٤ 14 |
हे मोरो भाऊवों अऊर बहिनों, यदि कोयी कहे कि मोख विश्वास हय पर ऊ कर्म नहीं करय हय, त येको सी का फायदा? का असो विश्वास कभी ओको उद्धार कर सकय हय?
إِنْ كَانَ أَخٌ وَأُخْتٌ عُرْيَانَيْنِ وَمُعْتَازَيْنِ لِلْقُوتِ ٱلْيَوْمِيِّ، | ١٥ 15 |
यदि कोयी भाऊ यां बहिन को जवर कम कपड़ा होना अऊर उन्ख हर दिन भोजन की कमी होना,
فَقَالَ لَهُمَا أَحَدُكُمُ: «ٱمْضِيَا بِسَلَامٍ، ٱسْتَدْفِئَا وَٱشْبَعَا»، وَلَكِنْ لَمْ تُعْطُوهُمَا حَاجَاتِ ٱلْجَسَدِ، فَمَا ٱلْمَنْفَعَةُ؟ | ١٦ 16 |
अऊर तुम म सी कोयी उन्को सी कहे, “शान्ति सी जावो, अऊर तुम्ख कपड़ा की कमी नहीं होय तुम स्वस्थ रहो अऊर अच्छो सी खाय क तृप्त रहो,” पर जो चिजे शरीर लायी जरूरी हंय ऊ उन्ख नहीं दे त का फायदा?
هَكَذَا ٱلْإِيمَانُ أَيْضًا، إِنْ لَمْ يَكُنْ لَهُ أَعْمَالٌ، مَيِّتٌ فِي ذَاتِهِ. | ١٧ 17 |
वसोच विश्वास भी हय, यदि कर्म सहित नहीं होना त अपनो स्वभाव म मरयो हुयो हय।
لَكِنْ يَقُولُ قَائِلٌ: «أَنْتَ لَكَ إِيمَانٌ، وَأَنَا لِي أَعْمَالٌ. أَرِنِي إِيمَانَكَ بِدُونِ أَعْمَالِكَ، وَأَنَا أُرِيكَ بِأَعْمَالِي إِيمَانِي». | ١٨ 18 |
बल्की कोयी कह्य सकय हय, “तोख विश्वास हय अऊर मय कर्म करू हय।” तय अपनो विश्वास मोख कर्म बिना त दिखाव; अऊर मय अपनो विश्वास अपनो कर्मों को द्वारा तोख दिखाऊं।
أَنْتَ تُؤْمِنُ أَنَّ ٱللهَ وَاحِدٌ. حَسَنًا تَفْعَلُ. وَٱلشَّيَاطِينُ يُؤْمِنُونَ وَيَقْشَعِرُّونَ! | ١٩ 19 |
का तोख विश्वास हय कि एकच परमेश्वर हय? तय अच्छो करय हय। दुष्ट आत्मा भी विश्वास रखय, अऊर कापय हंय।
وَلَكِنْ هَلْ تُرِيدُ أَنْ تَعْلَمَ أَيُّهَا ٱلْإِنْسَانُ ٱلْبَاطِلُ أَنَّ ٱلْإِيمَانَ بِدُونِ أَعْمَالٍ مَيِّتٌ؟ | ٢٠ 20 |
पर हे निकम्मो आदमी, का तय यो भी नहीं जानय कि कर्म बिना विश्वास बेकार हय?
أَلَمْ يَتَبَرَّرْ إِبْرَاهِيمُ أَبُونَا بِٱلْأَعْمَالِ، إِذْ قَدَّمَ إِسْحَاقَ ٱبْنَهُ عَلَى ٱلْمَذْبَحِ؟ | ٢١ 21 |
जब हमरो पुर्वज अब्राहम न अपनो बेटा इसहाक ख वेदी पर चढ़ायो, त का ऊ कर्मों सी सच्चो नहीं ठहरयो होतो?
فَتَرَى أَنَّ ٱلْإِيمَانَ عَمِلَ مَعَ أَعْمَالِهِ، وَبِٱلْأَعْمَالِ أُكْمِلَ ٱلْإِيمَانُ، | ٢٢ 22 |
यानेकि तय न देख लियो कि विश्वास न ओको कामों को संग मिल क प्रभाव डाल्यो हय, अऊर कर्मों सी विश्वास सिद्ध भयो,
وَتَمَّ ٱلْكِتَابُ ٱلْقَائِلُ: «فَآمَنَ إِبْرَاهِيمُ بِٱللهِ فَحُسِبَ لَهُ بِرًّا»، وَدُعِيَ خَلِيلَ ٱللهِ. | ٢٣ 23 |
अऊर पवित्र शास्त्र को यो वचन पूरो भयो: “अब्राहम न परमेश्वर को विश्वास करयो, अऊर यो ओको लायी सच्चो ठहरयो;” अऊर ऊ परमेश्वर को संगी कहलायो।
تَرَوْنَ إِذًا أَنَّهُ بِٱلْأَعْمَالِ يَتَبَرَّرُ ٱلْإِنْسَانُ، لَابِٱلْإِيمَانِ وَحْدَهُ. | ٢٤ 24 |
यो तरह तुम न देख लियो कि आदमी केवल विश्वास सीच नहीं, बल्की कर्मों सी भी सच्चो ठहरय हय।
كَذَلِكَ رَاحَابُ ٱلزَّانِيَةُ أَيْضًا، أَمَا تَبَرَّرَتْ بِٱلْأَعْمَالِ، إِذْ قَبِلَتِ ٱلرُّسُلَ وَأَخْرَجَتْهُمْ فِي طَرِيقٍ آخَرَ؟ | ٢٥ 25 |
वसीच राहब वेश्या भी, जब ओन दूतों ख अपनो घर म उतारयो अऊर दूसरों रस्ता सी बिदा करयो, त का कर्मों सी सच्चो नहीं ठहरी?
لِأَنَّهُ كَمَا أَنَّ ٱلْجَسَدَ بِدُونَ رُوحٍ مَيِّتٌ، هَكَذَا ٱلْإِيمَانُ أَيْضًا بِدُونِ أَعْمَالٍ مَيِّتٌ. | ٢٦ 26 |
यानेकि जसो शरीर आत्मा बिना मरी हुयी हय, वसोच विश्वास भी कर्म बिना मरयो हुयो हय।