< عِبرانِيّين 4 >

فَلْنَخَفْ، أَنَّهُ مَعَ بَقَاءِ وَعْدٍ بِٱلدُّخُولِ إِلَى رَاحَتِهِ، يُرَى أَحَدٌ مِنْكُمْ أَنَّهُ قَدْ خَابَ مِنْهُ! ١ 1
इसलिए जबकि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन उससे वंचित रह जाए।
لِأَنَّنَا نَحْنُ أَيْضًا قَدْ بُشِّرْنَا كَمَا أُولَئِكَ، لَكِنْ لَمْ تَنْفَعْ كَلِمَةُ ٱلْخَبَرِ أُولَئِكَ. إِذْ لَمْ تَكُنْ مُمْتَزِجَةً بِٱلْإِيمَانِ فِي ٱلَّذِينَ سَمِعُوا. ٢ 2
क्योंकि हमें उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
لِأَنَّنَا نَحْنُ ٱلْمُؤْمِنِينَ نَدْخُلُ ٱلرَّاحَةَ، كَمَا قَالَ: «حَتَّى أَقْسَمْتُ فِي غَضَبِي: لَنْ يَدْخُلُوا رَاحَتِي» مَعَ كَوْنِ ٱلْأَعْمَالِ قَدْ أُكْمِلَتْ مُنْذُ تَأْسِيسِ ٱلْعَالَمِ. ٣ 3
और हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उसने कहा, “मैंने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएँगे।” यद्यपि जगत की उत्पत्ति के समय से उसके काम हो चुके थे।
لِأَنَّهُ قَالَ فِي مَوْضِعٍ عَنِ ٱلسَّابِعِ هَكَذَا: «وَٱسْتَرَاحَ ٱللهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ مِنْ جَمِيعِ أَعْمَالِهِ». ٤ 4
क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं ऐसा कहा है, “परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा करके विश्राम किया।”
وَفِي هَذَا أَيْضًا: «لَنْ يَدْخُلُوا رَاحَتِي». ٥ 5
और इस जगह फिर यह कहता है, “वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएँगे।”
فَإِذْ بَقِيَ أَنَّ قَوْمًا يَدْخُلُونَهَا، وَٱلَّذِينَ بُشِّرُوا أَوَّلًا لَمْ يَدْخُلُوا لِسَبَبِ ٱلْعِصْيَانِ، ٦ 6
तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और इस्राएलियों को, जिन्हें उसका सुसमाचार पहले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उसमें प्रवेश न किया।
يُعَيِّنُ أَيْضًا يَوْمًا قَائِلًا فِي دَاوُدَ: «ٱلْيَوْمَ» بَعْدَ زَمَانٍ هَذَا مِقْدَارُهُ، كَمَا قِيلَ: «ٱلْيَوْمَ، إِنْ سَمِعْتُمْ صَوْتَهُ، فَلَا تُقَسُّوا قُلُوبَكُمْ». ٧ 7
तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्तक में उसे ‘आज का दिन’ कहता है, जैसे पहले कहा गया, “यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो।”
لِأَنَّهُ لَوْ كَانَ يَشُوعُ قَدْ أَرَاحَهُمْ لَمَا تَكَلَّمَ بَعْدَ ذَلِكَ عَنْ يَوْمٍ آخَرَ. ٨ 8
और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश करा लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती।
إِذًا بَقِيَتْ رَاحَةٌ لِشَعْبِ ٱللهِ! ٩ 9
इसलिए जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
لِأَنَّ ٱلَّذِي دَخَلَ رَاحَتَهُ ٱسْتَرَاحَ هُوَ أَيْضًا مِنْ أَعْمَالِهِ، كَمَا ٱللهُ مِنْ أَعْمَالِهِ. ١٠ 10
१०क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर के समान अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।
فَلْنَجْتَهِدْ أَنْ نَدْخُلَ تِلْكَ ٱلرَّاحَةَ، لِئَلَّا يَسْقُطَ أَحَدٌ فِي عِبْرَةِ ٱلْعِصْيَانِ هَذِهِ عَيْنِهَا. ١١ 11
११इसलिए हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उनके समान आज्ञा न मानकर गिर पड़े।
لِأَنَّ كَلِمَةَ ٱللهِ حَيَّةٌ وَفَعَّالَةٌ وَأَمْضَى مِنْ كُلِّ سَيْفٍ ذِي حَدَّيْنِ، وَخَارِقَةٌ إِلَى مَفْرَقِ ٱلنَّفْسِ وَٱلرُّوحِ وَٱلْمَفَاصِلِ وَٱلْمِخَاخِ، وَمُمَيِّزَةٌ أَفْكَارَ ٱلْقَلْبِ وَنِيَّاتِهِ. ١٢ 12
१२क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत तेज है, प्राण, आत्मा को, गाँठ-गाँठ, और गूदे-गूदे को अलग करके, आर-पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है।
وَلَيْسَتْ خَلِيقَةٌ غَيْرَ ظَاهِرَةٍ قُدَّامَهُ، بَلْ كُلُّ شَيْءٍ عُرْيَانٌ وَمَكْشُوفٌ لِعَيْنَيْ ذَلِكَ ٱلَّذِي مَعَهُ أَمْرُنَا. ١٣ 13
१३और सृष्टि की कोई वस्तु परमेश्वर से छिपी नहीं है वरन् जिसे हमें लेखा देना है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं।
فَإِذْ لَنَا رَئِيسُ كَهَنَةٍ عَظِيمٌ قَدِ ٱجْتَازَ ٱلسَّمَاوَاتِ، يَسُوعُ ٱبْنُ ٱللهِ، فَلْنَتَمَسَّكْ بِٱلْإِقْرَارِ. ١٤ 14
१४इसलिए, जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात् परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।
لِأَنْ لَيْسَ لَنَا رَئِيسُ كَهَنَةٍ غَيْرُ قَادِرٍ أَنْ يَرْثِيَ لِضَعَفَاتِنَا، بَلْ مُجَرَّبٌ فِي كُلِّ شَيْءٍ مِثْلُنَا، بِلَا خَطِيَّةٍ. ١٥ 15
१५क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुःखी न हो सके; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तो भी निष्पाप निकला।
فَلْنَتَقَدَّمْ بِثِقَةٍ إِلَى عَرْشِ ٱلنِّعْمَةِ لِكَيْ نَنَالَ رَحْمَةً وَنَجِدَ نِعْمَةً عَوْنًا فِي حِينِهِ. ١٦ 16
१६इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट साहस बाँधकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

< عِبرانِيّين 4 >