< حَبَقُّوق 3 >
صَلَاةٌ لِحَبَقُّوقَ ٱلنَّبِيِّ عَلَى ٱلشَّجَوِيَّةِ: | ١ 1 |
शिगायूनोत के सुर पर हबक़्क़ूक़ नबी की दु'आ:
يَارَبُّ، قَدْ سَمِعْتُ خَبَرَكَ فَجَزِعْتُ. يَارَبُّ، عَمَلَكَ فِي وَسَطِ ٱلسِّنِينَ أَحْيِهِ. فِي وَسَطِ ٱلسِّنِينَ عَرِّفْ. فِي ٱلْغَضَبِ ٱذْكُرِ ٱلرَّحْمَةَ. | ٢ 2 |
ऐ ख़ुदावन्द, मैंने तेरी शोहरत सुनी, और डर गया; ऐ ख़ुदावन्द, इसी ज़माने में अपने काम को पूरा कर। इसी ज़माने में उसको ज़ाहिर कर; ग़ज़ब के वक़्त रहम को याद फ़रमा।
ٱللهُ جَاءَ مِنْ تِيمَانَ، وَٱلْقُدُّوسُ مِنْ جَبَلِ فَارَانَ. سِلَاهْ. جَلَالُهُ غَطَّى ٱلسَّمَاوَاتِ، وَٱلْأَرْضُ ٱمْتَلَأَتْ مِنْ تَسْبِيحِهِ. | ٣ 3 |
ख़ुदा तेमान से आया, और कु़द्दूस फ़ारान के पहाड़ से। उसका जलाल आसमान पर छा गया, और ज़मीन उसकी ता'रीफ़ से मा'मूर हो गई।
وَكَانَ لَمَعَانٌ كَٱلنُّورِ. لَهُ مِنْ يَدِهِ شُعَاعٌ، وَهُنَاكَ ٱسْتِتَارُ قُدْرَتِهِ. | ٤ 4 |
उसकी जगमगाहट नूर की तरह थी, उसके हाथ से किरनें निकलती थीं, और इसमें उसकी क़ुदरत छिपी हुई थी,
قُدَّامَهُ ذَهَبَ ٱلْوَبَأُ، وَعِنْدَ رِجْلَيْهِ خَرَجَتِ ٱلْحُمَّى. | ٥ 5 |
बीमारी उसके आगे — आगे चलती थी, और आग के तीर उसके क़दमों से निकलते थे।
وَقَفَ وَقَاسَ ٱلْأَرْضَ. نَظَرَ فَرَجَفَ ٱلْأُمَمُ وَدُكَّتِ ٱلْجِبَالُ ٱلدَّهْرِيَّةُ وَخَسَفَتْ آكَامُ ٱلْقِدَمِ. مَسَالِكُ ٱلْأَزَلِ لَهُ. | ٦ 6 |
वह खड़ा हुआ और ज़मीन थर्रा गई, उसने निगाह की और क़ौमें तितर — बितर हो गईं। अज़ली पहाड़ टुकड़े — टुकड़े हो गए; पुराने टीले झुक गए, उसके रास्ते अज़ली हैं।
رَأَيْتُ خِيَامَ كُوشَانَ تَحْتَ بَلِيَّةٍ. رَجَفَتْ شُقَقُ أَرْضِ مِدْيَانَ. | ٧ 7 |
मैंने कूशन के खे़मों को मुसीबत में देखा: मुल्क — ए — मिदियान के पर्दे हिल गए।
هَلْ عَلَى ٱلْأَنْهَارِ حَمِيَ يَارَبُّ؟ هَلْ عَلَى ٱلْأَنْهَارِ غَضَبُكَ؟ أَوْ عَلَى ٱلْبَحْرِ سَخَطُكَ حَتَّى إِنَّكَ رَكِبْتَ خَيْلَكَ، مَرْكَبَاتِكَ مَرْكَبَاتِ ٱلْخَلَاصِ؟ | ٨ 8 |
ऐ ख़ुदावन्द, क्या तू नदियों से बेज़ार था? क्या तेरा ग़ज़ब दरियाओं पर था? क्या तेरा ग़ज़ब समन्दर पर था कि तू अपने घोड़ों और फ़तहयाब रथों पर सवार हुआ?
عُرِّيَتْ قَوْسُكَ تَعْرِيَةً. سُبَاعِيَّاتُ سِهَامٍ كَلِمَتُكَ. سِلَاهْ. شَقَّقْتَ ٱلْأَرْضَ أَنْهَارًا. | ٩ 9 |
तेरी कमान ग़िलाफ़ से निकाली गई, तेरा 'अहद क़बाइल के साथ उस्तवार था। (सिलाह) तूने ज़मीन को नदियों से चीर डाला।
أَبْصَرَتْكَ فَفَزِعَتِ ٱلْجِبَالُ. سَيْلُ ٱلْمِيَاهِ طَمَا. أَعْطَتِ ٱللُّجَّةُ صَوْتَهَا. رَفَعَتْ يَدَيْهَا إِلَى ٱلْعَلَاءِ. | ١٠ 10 |
पहाड़ तुझे देखकर काँप गए: सैलाब गुज़र गए; समन्दर से शोर उठा, और मौजें बुलन्द हुई।
اَلشَّمْسُ وَٱلْقَمَرُ وَقَفَا فِي بُرُوجِهِمَا لِنُورِ سِهَامِكَ ٱلطَّائِرَةِ، لِلَمَعَانِ بَرْقِ مَجْدِكَ. | ١١ 11 |
तेरे उड़ने वाले तीरों की रोशनी से, तेरे चमकीले भाले की झलक से, चाँद — ओ — सूरज अपने बुर्जों में ठहर गए।
بِغَضَبٍ خَطَرْتَ فِي ٱلْأَرْضِ، بِسَخَطٍ دُسْتَ ٱلْأُمَمَ. | ١٢ 12 |
तू ग़ज़बनाक होकर मुल्क में से गुज़रा; तूने ग़ज़ब से क़ौमों को पस्त किया।
خَرَجْتَ لِخَلَاصِ شَعْبِكَ، لِخَلَاصِ مَسِيحِكَ. سَحَقْتَ رَأْسَ بَيْتِ ٱلشِّرِّيرِ مُعَرِّيًا ٱلْأَسَاسَ حَتَّى ٱلْعُنُقِ. سِلَاهْ. | ١٣ 13 |
तू अपने लोगों की नजात की ख़ातिर निकला, हाँ, अपने मम्सूह की नजात की ख़ातिर तूने शरीर के घर की छत गिरा दी, और उसकी बुनियाद बिल्कुल खोद डाली।
ثَقَبْتَ بِسِهَامِهِ رَأْسَ قَبَائِلِهِ. عَصَفُوا لِتَشْتِيتِي. ٱبْتِهَاجُهُمْ كَمَا لِأَكْلِ ٱلْمِسْكِينِ فِي ٱلْخُفْيَةِ. | ١٤ 14 |
तूने उसी की लाठी से उसके बहादुरों के सिर फोड़े; वह मुझे बिखेरने को हवा के झोके की तरह आए, वह ग़रीबों को तन्हाई में निगल जाने पर ख़ुश थे।
سَلَكْتَ ٱلْبَحْرَ بِخَيْلِكَ، كُوَمَ ٱلْمِيَاهِ ٱلْكَثِيرَةِ. | ١٥ 15 |
तू अपने घोड़ों पर सवार होकर समन्दर से, हाँ, बड़े सैलाब से पार हो गया।
سَمِعْتُ فَٱرْتَعَدَتْ أَحْشَائِي. مِنَ ٱلصَّوْتِ رَجَفَتْ شَفَتَايَ. دَخَلَ ٱلنَّخْرُ فِي عِظَامِي، وَٱرْتَعَدْتُ فِي مَكَانِي لِأَسْتَرِيحَ فِي يَوْمِ ٱلضِّيقِ، عِنْدَ صُعُودِ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي يَزْحَمُنَا. | ١٦ 16 |
मैंने सुना और मेरा दिल दहल गया, उस शोर की वजह से मेरे लब हिलने लगे; मेरी हड्डियाँ बोसीदा हो गईं, और मैं खड़े — खड़े काँपने लगा। लेकिन मैं सुकून से उनके बुरे दिन का मुन्तज़िर हूँ, जो इकट्ठा होकर हम पर हमला करते हैं।
فَمَعَ أَنَّهُ لَا يُزْهِرُ ٱلتِّينُ، وَلَا يَكُونُ حَمْلٌ فِي ٱلْكُرُومِ. يَكْذِبُ عَمَلُ ٱلزَّيْتُونَةِ، وَٱلْحُقُولُ لَا تَصْنَعُ طَعَامًا. يَنْقَطِعُ ٱلْغَنَمُ مِنَ ٱلْحَظِيرَةِ، وَلَا بَقَرَ فِي ٱلْمَذَاوِدِ، | ١٧ 17 |
अगरचे अंजीर का दरख़्त न फूले, और डाल में फल न लगें, और जै़तून का फल ज़ाय' हो जाए, और खेतों में कुछ पैदावार न हो, और भेड़ख़ाने से भेड़ें जाती रहें, और तवेलों में जानवर न हों,
فَإِنِّي أَبْتَهِجُ بِٱلرَّبِّ وَأَفْرَحُ بِإِلَهِ خَلَاصِي. | ١٨ 18 |
तोभी मैं ख़ुदावन्द से ख़ुश रहूँगा, और अपनी नजात बख़्श ख़ुदा से खु़श वक़्त हूँगा।
اَلرَّبُّ ٱلسَّيِّدُ قُوَّتِي، وَيَجْعَلُ قَدَمَيَّ كَٱلْأَيَائِلِ، وَيُمَشِّينِي عَلَى مُرْتَفَعَاتِي. لِرَئِيسِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى آلَاتِي ذَوَاتِ ٱلْأَوْتَارِ. | ١٩ 19 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा, मेरी ताक़त है; वह मेरे पैर हिरनी के से बना देता है, और मुझे मेरी ऊँची जगहों में चलाता है।