< اَلتَّكْوِينُ 23 >
وَكَانَتْ حَيَاةُ سَارَةَ مِئَةً وَسَبْعًا وَعِشْرِينَ سَنَةً، سِنِي حَيَاةِ سَارَةَ. | ١ 1 |
और सारा की उम्र एक सौ सताईस साल की हुई, सारा की ज़िन्दगी के इतने ही साल थे।
وَمَاتَتْ سَارَةُ فِي قَرْيَةِ أَرْبَعَ، ٱلَّتِي هِيَ حَبْرُونُ، فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. فَأَتَى إِبْرَاهِيمُ لِيَنْدُبَ سَارَةَ وَيَبْكِيَ عَلَيْهَا. | ٢ 2 |
और सारा ने करयतअरबा' में वफ़ात पाई। यह कनान में है और हबरून भी कहलाता है। और अब्रहाम सारा के लिए मातम और नौहा करने को वहाँ गया।
وَقَامَ إِبْرَاهِيمُ مِنْ أَمَامِ مَيِّتِهِ وَكَلَّمَ بَنِي حِثَّ قَائِلًا: | ٣ 3 |
फिर अब्रहाम मय्यत के पास से उठ कर बनी — हित से बातें करने लगा और कहा कि।
«أَنَا غَرِيبٌ وَنَزِيلٌ عِنْدَكُمْ. أَعْطُونِي مُلْكَ قَبْرٍ مَعَكُمْ لِأَدْفِنَ مَيْتِي مِنْ أَمَامِي». | ٤ 4 |
मैं तुम्हारे बीच परदेसी और ग़रीब — उल — वतन हूँ। तुम अपने यहाँ क़ब्रिस्तान के लिए कोई मिलिकयत मुझे दो, ताकि मैं अपने मुर्दे को आँख के सामने से हटाकर दफ़्न कर दूँ।
فَأَجَابَ بَنُو حِثَّ إِبْرَاهِيمَ قَائِلِينَ لَهُ: | ٥ 5 |
तब बनीहित ने अब्रहाम को जवाब दिया कि।
«اِسْمَعْنَا يَا سَيِّدِي. أَنْتَ رَئِيسٌ مِنَ ٱللهِ بَيْنَنَا. فِي أَفْضَلِ قُبُورِنَا ٱدْفِنْ مَيْتَكَ، لَا يَمْنَعُ أَحَدٌ مِنَّا قَبْرَهُ عَنْكَ حَتَّى لَا تَدْفِنَ مَيْتَكَ». | ٦ 6 |
ऐ ख़ुदावन्द हमारी सुनः तू हमारे बीच ज़बरदस्त सरदार है। हमारी कब्रों में जो सबसे अच्छी हो उसमें तू अपने मुर्दे को दफ़्न कर; हम में ऐसा कोई नहीं जो तुझ से अपनी क़ब्र का इन्कार करे, ताकि तू अपना मुर्दा दफ़न न कर सके।
فَقَامَ إِبْرَاهِيمُ وَسَجَدَ لِشَعْبِ ٱلْأَرْضِ، لِبَنِي حِثَّ، | ٧ 7 |
अब्रहाम ने उठ कर और बनी — हित के आगे, जो उस मुल्क के लोग हैं, आदाब बजा लाकर
وَكَلَّمَهُمْ قَائِلًا: «إِنْ كَانَ فِي نُفُوسِكُمْ أَنْ أَدْفِنَ مَيْتِي مِنْ أَمَامِي، فَٱسْمَعُونِي وَٱلْتَمِسُوا لِي مِنْ عِفْرُونَ بْنِ صُوحَرَ | ٨ 8 |
उनसे यूँ बातें की, कि अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो कि मैं अपने मुर्दे को आँख के सामने से हटाकर दफ़्न कर दूँ, तो मेरी 'अर्ज़ सुनो, और सुहर के बेटे इफ़रोन से मेरी सिफ़ारिश करो,
أَنْ يُعْطِيَنِي مَغَارَةَ ٱلْمَكْفِيلَةِ ٱلَّتِي لَهُ، ٱلَّتِي فِي طَرَفِ حَقْلِهِ. بِثَمَنٍ كَامِلٍ يُعْطِينِي إِيَّاهَا فِي وَسَطِكُمْ مُلْكَ قَبْرٍ». | ٩ 9 |
कि वह मकफ़ीला के ग़ार को जो उसका है और उसके खेत के किनारे पर है, उसकी पूरी क़ीमत लेकर मुझे दे दे, ताकि वह क़ब्रिस्तान के लिए तुम्हारे बीच मेरी मिल्कियत हो जाए।
وَكَانَ عِفْرُونُ جَالِسًا بَيْنَ بَنِي حِثَّ، فَأَجَابَ عِفْرُونُ ٱلْحِثِّيُّ إِبْرَاهِيمَ فِي مَسَامِعِ بَنِي حِثَّ، لَدَى جَمِيعِ ٱلدَّاخِلِينَ بَابَ مَدِينَتِهِ قَائِلًا: | ١٠ 10 |
और 'इफ़रोन बनी-हित के बीच बैठा था। तब 'इफ़रोन हित्ती ने बनी हित के सामने, उन सब लोगों के आमने सामने जो उसके शहर के दरवाज़े से दाख़िल होते थे अब्रहाम को जवाब दिया,
«لَا يَا سَيِّدِي، ٱسْمَعْنِي. اَلْحَقْلُ وَهَبْتُكَ إِيَّاهُ، وَٱلْمَغَارَةُ ٱلَّتِي فِيهِ لَكَ وَهَبْتُهَا. لَدَى عُيُونِ بَنِي شَعْبِي وَهَبْتُكَ إِيَّاهَا. ٱدْفِنْ مَيْتَكَ». | ١١ 11 |
“ऐ मेरे ख़ुदावन्द! यूँ न होगा, बल्कि मेरी सुन! मैं यह खेत तुझे देता हूँ, और वह ग़ार भी जो उसमें है तुझे दिए देता हूँ। यह मैं अपनी क़ौम के लोगों के सामने तुझे देता हूँ, तू अपने मुर्दे को दफ़्न कर।”
فَسَجَدَ إِبْرَاهِيمُ أَمَامَ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ، | ١٢ 12 |
तब अब्रहाम उस मुल्क के लोगों के सामने झुका।
وَكَلَمَ عِفْرُونَ فِي مَسَامِعِ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ قَائِلًا: «بَلْ إِنْ كُنْتَ أَنْتَ إِيَّاهُ فَلَيْتَكَ تَسْمَعُنِي. أُعْطِيكَ ثَمَنَ ٱلْحَقْلِ. خُذْ مِنِّي فَأَدْفِنَ مَيْتِي هُنَاكَ». | ١٣ 13 |
फिर उसने उस मुल्क के लोगों के सुनते हुए 'इफ़रोन से कहा कि अगर तू देना ही चाहता है तो मेरी सुन, मैं तुझे उस खेत का दाम दूँगा; यह तू मुझ से ले ले, तो मैं अपने मुर्दे को वहाँ दफ़्न करूँगा।
فَأَجَابَ عِفْرُونُ إِبْرَاهِيمَ قَائِلًا لَهُ: | ١٤ 14 |
इफ़रोन ने अब्रहाम को जवाब दिया,
«يَا سَيِّدِي، ٱسْمَعْنِي. أَرْضٌ بِأَرْبَعِ مِئَةِ شَاقِلِ فِضَّةٍ، مَا هِيَ بَيْنِي وَبَيْنَكَ؟ فَٱدْفِنْ مَيْتَكَ». | ١٥ 15 |
“ऐ मेरे ख़ुदावन्द, मेरी बात सुन; यह ज़मीन चाँदी की चार सौ मिस्काल की है इसलिए मेरे और तेरे बीच यह है क्या? तब अपना मुर्दा दफ़न कर।”
فَسَمِعَ إِبْرَاهِيمُ لِعِفْرُونَ، وَوَزَنَ إِبْرَاهِيمُ لِعِفْرُونَ ٱلْفِضَّةَ ٱلَّتِي ذَكَرَهَا فِي مَسَامِعِ بَنِي حِثَّ. أَرْبَعَ مِئَةِ شَاقِلِ فِضَّةٍ جَائِزَةٍ عِنْدَ ٱلتُّجَّارِ. | ١٦ 16 |
और अब्रहाम ने 'इफ़रोन की बात मान ली; इसलिए अब्रहाम ने इफ़रोन को उतनी ही चाँदी तौल कर दी, जितनी का ज़िक्र उसने बनी — हित के सामने किया था, या'नी चाँदी के चार सौ मिस्काल जो सौदागरों में राइज थी।
فَوَجَبَ حَقْلُ عِفْرُونَ ٱلَّذِي فِي ٱلْمَكْفِيلَةِ ٱلَّتِي أَمَامَ مَمْرَا، ٱلْحَقْلُ وَٱلْمَغَارَةُ ٱلَّتِي فِيهِ، وَجَمِيعُ ٱلشَّجَرِ ٱلَّذِي فِي ٱلْحَقْلِ ٱلَّذِي فِي جَمِيعِ حُدُودِهِ حَوَالَيْهِ، | ١٧ 17 |
इसलिए इफ़रोन का वह खेत जो मकफ़ीला में ममरे के सामने था, और वह ग़ार जो उसमें था, और सब दरख़्त जो उस खेत में और उसके चारों तरफ़ की हदूद में थे,
لِإِبْرَاهِيمَ مُلْكًا لَدَى عُيُونِ بَنِي حِثَّ، بَيْنَ جَمِيعِ ٱلدَّاخِلِينَ بَابَ مَدِينَتِهِ. | ١٨ 18 |
यह सब बनी — हित के और उन सबके आमने सामने जो उसके शहर के दरवाज़े से दाख़िल होते थे, अब्रहाम की ख़ास मिल्कियत क़रार दिए गए।
وَبَعْدَ ذَلِكَ دَفَنَ إِبْرَاهِيمُ سَارَةَ ٱمْرَأَتَهُ فِي مَغَارَةِ حَقْلِ ٱلْمَكْفِيلَةِ أَمَامَ مَمْرَا، ٱلَّتِي هِيَ حَبْرُونُ، فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، | ١٩ 19 |
इसके बाद अब्रहाम ने अपनी बीवी सारा को मकफ़ीला के खेत के ग़ार में, जो मुल्कए — कना'न में ममरे या'नी हबरून के सामने है, दफ़्न किया।
فَوَجَبَ ٱلْحَقْلُ وَٱلْمَغَارَةُ ٱلَّتِي فِيهِ لِإِبْرَاهِيمَ مُلْكَ قَبْرٍ مِنْ عِنْدِ بَنِي حِثَّ. | ٢٠ 20 |
चुनाँचे वह खेत और वह ग़ार जो उसमें था, बनी — हित की तरफ़ से क़ब्रिस्तान के लिए अब्रहाम की मिल्कियत क़रार दिए गए।