< حِزْقِيَال 7 >
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: | ١ 1 |
१फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा
«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، فَهَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ لِأَرْضِ إِسْرَائِيلَ: نِهَايَةٌ! قَدْ جَاءَتِ ٱلنِّهَايَةُ عَلَى زَوَايَا ٱلْأَرْضِ ٱلْأَرْبَعِ. | ٢ 2 |
२“हे मनुष्य के सन्तान, प्रभु यहोवा इस्राएल की भूमि के विषय में यह कहता है, कि अन्त हुआ; चारों कोनों समेत देश का अन्त आ गया है।
اَلْآنَ ٱلنِّهَايَةُ عَلَيْكِ، وَأُرْسِلُ غَضَبِي عَلَيْكِ، وَأَحْكُمُ عَلَيْكِ كَطُرُقِكِ، وَأَجْلِبُ عَلَيْكِ كُلَّ رَجَاسَاتِكِ. | ٣ 3 |
३तेरा अन्त भी आ गया, और मैं अपना क्रोध तुझ पर भड़काकर तेरे चाल चलन के अनुसार तुझे दण्ड दूँगा; और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे दूँगा।
فَلَا تَشْفُقُ عَلَيْكِ عَيْنِي، وَلَا أَعْفُو، بَلْ أَجْلِبُ عَلَيْكِ طُرُقَكِ وَتَكُونُ رَجَاسَاتُكِ فِي وَسْطِكِ، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. | ٤ 4 |
४मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी, और न मैं कोमलता करूँगा; और जब तक तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे तब तक मैं तेरे चाल-चलन का फल तुझे दूँगा। तब तू जान लेगा कि मैं यहोवा हूँ।
«هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: شَرٌّ! شَرٌّ وَحِيدٌ هُوَذَا قَدْ أَتَى. | ٥ 5 |
५“प्रभु यहोवा यह कहता है: विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है! देखो, वह आती है।
نِهَايَةٌ قَدْ جَاءَتْ. جَاءَتِ ٱلنِّهَايَةُ. ٱنْتَبَهَتْ إِلَيْكِ. هَا هِيَ قَدْ جَاءَتْ. | ٦ 6 |
६अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरुद्ध जागा है। देखो, वह आता है।
ٱنْتَهَى ٱلدَّوْرُ إِلَيْكَ أَيُّهَا ٱلسَّاكِنُ فِي ٱلْأَرْضِ. بَلَغَ ٱلْوَقْتُ. ٱقْتَرَبَ يَوْمُ ٱضْطِرَابٍ، لَا هُتَافُ ٱلْجِبَالِ. | ٧ 7 |
७हे देश के निवासी, तेरे लिये चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ों पर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा।
اَلْآنَ عَنْ قَرِيبٍ أَصُبُّ رِجْزِي عَلَيْكِ، وَأُتَمِّمُ سَخَطِي عَلَيْكِ، وَأَحْكُمُ عَلَيْكِ كَطُرُقِكِ، وَأَجْلِبُ عَلَيْكِ كُلَّ رَجَاسَاتِكِ. | ٨ 8 |
८अब थोड़े दिनों में मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर भड़काऊँगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूँगा और तेरे चाल चलन के अनुसार तुझे दण्ड दूँगा। और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे भुगताऊँगा।
فَلَا تَشْفُقُ عَيْنِي، وَلَا أَعْفُو، بَلْ أَجْلِبُ عَلَيْكِ كَطُرُقِكِ، وَرَجَاسَاتُكِ تَكُونُ فِي وَسْطِكِ، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ ٱلضَّارِبُ. | ٩ 9 |
९मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोमलता करूँगा। मैं तेरी चाल चलन का फल तुझे भुगताऊँगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूँ।
«هَا هُوَذَا ٱلْيَوْمُ، هَا هُوَذَا قَدْ جَاءَ! دَارَتِ ٱلدَّائِرَةُ. أَزْهَرَتِ ٱلْعَصَا. أَفْرَخَتِ ٱلْكِبْرِيَاءُ. | ١٠ 10 |
१०“देखो, उस दिन को देखो, वह आता है! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है।
قَامَ ٱلظُّلْمُ إِلَى عَصَا ٱلشَّرِّ. لَا يَبْقَى مِنْهُمْ وَلَا مِنْ ثَرْوَتِهِمْ وَلَا مِنْ ضَجِيجِهِمْ، وَلَا نَوْحٌ عَلَيْهِمْ. | ١١ 11 |
११उपद्रव बढ़ते-बढ़ते दुष्टता का दण्ड बन गया; उनमें से कोई न बचेगा, और न उनकी भीड़-भाड़, न उनके धन में से कुछ रहेगा; और न उनमें से किसी के लिये विलाप सुन पड़ेगा।
قَدْ جَاءَ ٱلْوَقْتُ. بَلَغَ ٱلْيَوْمُ. فَلَا يَفْرَحَنَّ ٱلشَّارِي، وَلَا يَحْزَنَنَّ ٱلْبَائِعُ، لِأَنَّ ٱلْغَضَبَ عَلَى كُلِّ جُمْهُورِهِمْ. | ١٢ 12 |
१२समय आ गया, दिन निकट आ गया है; न तो मोल लेनेवाला आनन्द करे और न बेचनेवाला शोक करे, क्योंकि उनकी सारी भीड़ पर कोप भड़क उठा है।
لِأَنَّ ٱلْبَائِعَ لَنْ يَعُودَ إِلَى ٱلْمَبِيعِ، وَإِنْ كَانُوا بَعْدُ بَيْنَ ٱلْأَحْيَاءِ. لِأَنَّ ٱلرُّؤْيَا عَلَى كُلِّ جُمْهُورِهَا فَلَا يَعُودُ، وَٱلْإِنْسَانُ بِإِثْمِهِ لَا يُشَدِّدُ حَيَاتَهُ. | ١٣ 13 |
१३चाहे वे जीवित रहें, तो भी बेचनेवाला बेची हुई वस्तु के पास कभी लौटने न पाएगा; क्योंकि दर्शन की यह बात देश की सारी भीड़ पर घटेगी; कोई न लौटेगा; कोई भी मनुष्य, जो अधर्म में जीवित रहता है, बल न पकड़ सकेगा।
قَدْ نَفَخُوا فِي ٱلْبُوقِ وَأَعَدُّوا ٱلْكُلَّ، وَلَا ذَاهِبَ إِلَى ٱلْقِتَالِ، لِأَنَّ غَضَبِي عَلَى كُلِّ جُمْهُورِهِمْ. | ١٤ 14 |
१४“उन्होंने नरसिंगा फूँका और सब कुछ तैयार कर दिया; परन्तु युद्ध में कोई नहीं जाता क्योंकि देश की सारी भीड़ पर मेरा कोप भड़का हुआ है।
«اَلسَّيْفُ مِنْ خَارِجٍ، وَٱلْوَبَأُ وَٱلْجُوعُ مِنْ دَاخِلٍ. ٱلَّذِي هُوَ فِي ٱلْحَقْلِ يَمُوتُ بِٱلسَّيْفِ، وَٱلَّذِي هُوَ فِي ٱلْمَدِينَةِ يَأْكُلُهُ ٱلْجُوعُ وَٱلْوَبَأُ. | ١٥ 15 |
१५“बाहर तलवार और भीतर अकाल और मरी हैं; जो मैदान में हो वह तलवार से मरेगा, और जो नगर में हो वह भूख और मरी से मारा जाएगा।
وَيَنْفَلِتُ مِنْهُمْ مُنْفَلِتُونَ وَيَكُونُونَ عَلَى ٱلْجِبَالِ كَحَمَامِ ٱلْأَوْطِئَةِ. كُلُّهُمْ يَهْدِرُونَ كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى إِثْمِهِ. | ١٦ 16 |
१६और उनमें से जो बच निकलेंगे वे बचेंगे तो सही परन्तु अपने-अपने अधर्म में फँसे रहकर तराइयों में रहनेवाले कबूतरों के समान पहाड़ों के ऊपर विलाप करते रहेंगे।
كُلُّ ٱلْأَيْدِي تَرْتَخِي، وَكُلُّ ٱلرُّكَبِ تَصِيرُ مَاءً. | ١٧ 17 |
१७सब के हाथ ढीले और सब के घुटने अति निर्बल हो जाएँगे।
وَيَتَنَطَّقُونَ بِٱلْمَسْحِ وَيَغْشَاهُمْ رُعْبٌ، وَعَلَى جَمِيعِ ٱلْوُجُوهِ خِزْيٌ، وَعَلَى جَمِيعِ رُؤُوسِهِمْ قَرَعٌ. | ١٨ 18 |
१८वे कमर में टाट कसेंगे, और उनके रोएँ खड़े होंगे; सब के मुँह सूख जाएँगे और सब के सिर मुँण्ड़े जाएँगे।
يُلْقُونَ فِضَّتَهُمْ فِي ٱلشَّوَارِعِ، وَذَهَبُهُمْ يَكُونُ لِنَجَاسَةٍ. لَا تَسْتَطِيعُ فِضَّتُهُمْ وَذَهَبُهُمْ إِنْقَاذَهُمْ فِي يَوْمِ غَضَبِ ٱلرَّبِّ. لَا يُشْبِعُونَ مِنْهُمَا أَنْفُسَهُمْ، وَلَا يَمْلَأُونَ جَوْفَهُمْ، لِأَنَّهُمَا صَارَا مَعْثَرَةَ إِثْمِهِمْ. | ١٩ 19 |
१९वे अपनी चाँदी सड़कों में फेंक देंगे, और उनका सोना अशुद्ध वस्तु ठहरेगा; यहोवा की जलन के दिन उनका सोना चाँदी उनको बचा न सकेगी, न उससे उनका जी सन्तुष्ट होगा, न उनके पेट भरेंगे। क्योंकि वह उनके अधर्म के ठोकर का कारण हुआ है।
أَمَّا بَهْجَةُ زِينَتِهِ فَجَعَلَهَا لِلْكِبْرِيَاءِ. جَعَلُوا فِيهَا أَصْنَامَ مَكْرُهَاتِهِمْ، رَجَاسَاتِهِمْ، لِأَجْلِ ذَلِكَ جَعَلْتُهَا لَهُمْ نَجَاسَةً. | ٢٠ 20 |
२०उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्होंने गर्व ही गर्व करके उसमें अपनी घृणित वस्तुओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएँ बना रखीं, इस कारण मैंने उसे उनके लिये अशुद्ध वस्तु ठहराया है।
أُسْلِمُهَا إِلَى أَيْدِي ٱلْغُرَبَاءِ لِلنَّهْبِ، وَإِلَى أَشْرَارِ ٱلْأَرْضِ سَلْبًا فَيُنَجِّسُونَهَا. | ٢١ 21 |
२१मैं उसे लूटने के लिये परदेशियों के हाथ, और धन छीनने के लिये पृथ्वी के दुष्ट लोगों के वश में कर दूँगा; और वे उसे अपवित्र कर डालेंगे।
وَأُحَوِّلُ وَجْهِي عَنْهُمْ فَيُنَجِّسُونَ سِرِّي، وَيَدْخُلُهُ ٱلْمُعْتَنِفُونَ وَيُنَجِّسُونَهُ. | ٢٢ 22 |
२२मैं उनसे मुँह फेर लूँगा, तब वे मेरे सुरक्षित स्थान को अपवित्र करेंगे; डाकू उसमें घुसकर उसे अपवित्र करेंगे।
«اِصْنَعِ ٱلسِّلْسِلَةَ لِأَنَّ ٱلْأَرْضَ قَدِ ٱمْتَلَأَتْ مِنْ أَحْكَامِ ٱلدَّمِ، وَٱلْمَدِينَةُ ٱمْتَلَأَتْ مِنَ ٱلظُّلْمِ. | ٢٣ 23 |
२३“एक साँकल बना दे, क्योंकि देश अन्याय की हत्या से, और नगर उपद्रव से भरा हुआ है।
فَآتِي بِأَشَرِّ ٱلْأُمَمِ فَيَرِثُونَ بُيُوتَهُمْ، وَأُبِيدُ كِبْرِيَاءَ ٱلْأَشِدَّاءِ فَتَتَنَجَّسُ مَقَادِسُهُمْ. | ٢٤ 24 |
२४मैं अन्यजातियों के बुरे से बुरे लोगों को लाऊँगा, जो उनके घरों के स्वामी हो जाएँगे; और मैं सामर्थियों का गर्व तोड़ दूँगा और उनके पवित्रस्थान अपवित्र किए जाएँगे।
اَلرُّعْبُ آتٍ فَيَطْلُبُونَ ٱلسَّلَامَ وَلَا يَكُونُ. | ٢٥ 25 |
२५सत्यानाश होने पर है तब ढूँढ़ने पर भी उन्हें शान्ति न मिलेगी।
سَتَأْتِي مُصِيبَةٌ عَلَى مُصِيبَةٍ، وَيَكُونُ خَبَرٌ عَلَى خَبَرٍ، فَيَطْلُبُونَ رُؤْيَا مِنَ ٱلنَّبِيِّ، وَٱلشَّرِيعَةُ تُبَادُ عَنِ ٱلْكَاهِنِ، وَٱلْمَشُورَةُ عَنِ ٱلشُّيُوخِ. | ٢٦ 26 |
२६विपत्ति पर विपत्ति आएगी और उड़ती हुई चर्चा पर चर्चा सुनाई पड़ेगी; और लोग भविष्यद्वक्ता से दर्शन की बात पूछेंगे, परन्तु याजक के पास से व्यवस्था, और पुरनिये के पास से सम्मति देने की शक्ति जाती रहेगी।
ٱلْمَلِكُ يَنُوحُ وَٱلرَّئِيسُ يَلْبَسُ حَيْرَةً، وَأَيْدِي شَعْبِ ٱلْأَرْضِ تَرْجُفُ. كَطَرِيقِهِمْ أَصْنَعُ بِهِمْ، وَكَأَحْكَامِهِمْ أَحْكُمُ عَلَيْهِمْ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ». | ٢٧ 27 |
२७राजा तो शोक करेगा, और रईस उदासीरूपी वस्त्र पहनेंगे, और देश के लोगों के हाथ ढीले पड़ेंगे। मैं उनके चलन के अनुसार उनसे बर्ताव करूँगा, और उनकी कमाई के समान उनको दण्ड दूँगा; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”