< حِزْقِيَال 22 >
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: | ١ 1 |
१यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، هَلْ تَدِينُ، هَلْ تَدِينُ مَدِينَةَ ٱلدِّمَاءِ؟ فَعَرِّفْهَا كُلَّ رَجَاسَاتِهَا، | ٢ 2 |
२“हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू उस हत्यारे नगर का न्याय न करेगा? क्या तू उसका न्याय न करेगा? उसको उसके सब घिनौने काम बता दे,
وَقُلْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: أَيَّتُهَا ٱلْمَدِينَةُ ٱلسَّافِكَةُ ٱلدَّمِ فِي وَسْطِهَا لِيَأْتِيَ وَقْتُهَا، ٱلصَّانِعَةُ أَصْنَامًا لِنَفْسِهَا لِتَتَنَجَّسَ بِهَا، | ٣ 3 |
३और कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: हे नगर तू अपने बीच में हत्या करता है जिससे तेरा समय आए, और अपनी ही हानि करने और अशुद्ध होने के लिये मूरतें बनाता है।
قَدْ أَثِمْتِ بِدَمِكِ ٱلَّذِي سَفَكْتِ، وَنَجَّسْتِ نَفْسَكِ بِأَصْنَامِكِ ٱلَّتِي عَمِلْتِ، وَقَرَّبْتِ أَيَّامَكِ وَبَلَغْتِ سِنِيكِ، فَلِذَلِكَ جَعَلْتُكِ عَارًا لِلْأُمَمِ، وَسُخْرَةً لِجَمِيعِ ٱلْأَرَاضِي. | ٤ 4 |
४जो हत्या तूने की है, उससे तू दोषी ठहरी, और जो मूरतें तूने बनाई है, उनके कारण तू अशुद्ध हो गई है; तूने अपने अन्त के दिन को समीप कर लिया, और अपने पिछले वर्षों तक पहुँच गई है। इस कारण मैंने तुझे जाति-जाति के लोगों की ओर से नामधराई का और सब देशों के ठट्ठे का कारण कर दिया है।
ٱلْقَرِيبَةُ إِلَيْكِ وَٱلْبَعِيدَةُ عَنْكِ يَسْخَرُونَ مِنْكِ، يَا نَجِسَةَ ٱلِٱسْمِ، يَا كَثِيرَةَ ٱلشَّغَبِ. | ٥ 5 |
५हे बदनाम, हे हुल्लड़ से भरे हुए नगर, जो निकट और जो दूर है, वे सब तुझे उपहास में उड़ाएँगे।
هُوَذَا رُؤَسَاءُ إِسْرَائِيلَ، كُلُّ وَاحِدٍ حَسَبَ ٱسْتِطَاعَتِهِ، كَانُوا فِيكِ لِأَجْلِ سَفْكِ ٱلدَّمِ. | ٦ 6 |
६“देख, इस्राएल के प्रधान लोग अपने-अपने बल के अनुसार तुझ में हत्या करनेवाले हुए हैं।
فِيكِ أَهَانُوا أَبًا وَأُمًّا. فِي وَسْطِكِ عَامَلُوا ٱلْغَرِيبَ بِٱلظُّلْمِ. فِيكِ ٱضْطَهَدُوا ٱلْيَتِيمَ وَٱلْأَرْمَلَةَ. | ٧ 7 |
७तुझ में माता-पिता तुच्छ जाने गए हैं; तेरे बीच परदेशी पर अंधेर किया गया; और अनाथ और विधवा तुझ में पीसी गई हैं।
ٱزْدَرَيْتِ أَقْدَاسِي وَنَجَّسْتِ سُبُوتِي. | ٨ 8 |
८तूने मेरी पवित्र वस्तुओं को तुच्छ जाना, और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया है।
كَانَ فِيكِ أُنَاسٌ وُشَاةٌ لِسَفْكِ ٱلدَّمِ، وَفِيكِ أَكَلُوا عَلَى ٱلْجِبَالِ. فِي وَسْطِكِ عَمِلُوا رَذِيلَةً. | ٩ 9 |
९तुझ में लुच्चे लोग हत्या करने को तत्पर हुए, और तेरे लोगों ने पहाड़ों पर भोजन किया है; तेरे बीच महापाप किया गया है।
فِيكِ كَشَفَ ٱلْإِنْسَانُ عَوْرَةَ أَبِيهِ. فِيكِ أَذَلُّوا ٱلْمُتَنَجِّسَةَ بِطَمْثِهَا. | ١٠ 10 |
१०तुझ में पिता की देह उघाड़ी गई; तुझ में ऋतुमती स्त्री से भी भोग किया गया है।
إِنْسَانٌ فَعَلَ ٱلرِّجْسَ بِٱمْرَأَةِ قَرِيبِهِ. إِنْسَانٌ نَجَّسَ كَنَّتَهُ بِرَذِيلَةٍ. إِنْسَانٌ أَذَلَّ فِيكِ أُخْتَهُ بِنْتَ أَبِيهِ. | ١١ 11 |
११किसी ने तुझ में पड़ोसी की स्त्री के साथ घिनौना काम किया; और किसी ने अपनी बहू को बिगाड़कर महापाप किया है, और किसी ने अपनी बहन अर्थात् अपने पिता की बेटी को भ्रष्ट किया है।
فِيكِ أَخَذُوا ٱلرَّشْوَةَ لِسَفْكِ ٱلدَّمِ. أَخَذْتِ ٱلرِّبَا وَٱلْمُرَابَحَةَ، وَسَلَبْتِ أَقْرِبَاءَكِ بِٱلظُّلْمِ، وَنَسِيتِنِي، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. | ١٢ 12 |
१२तुझ में हत्या करने के लिये उन्होंने घूस ली है, तूने ब्याज और सूद लिया और अपने पड़ोसियों को पीस-पीसकर अन्याय से लाभ उठाया; और मुझ को तूने भुला दिया है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
«فَهَأَنَذَا قَدْ صَفَّقْتُ بِكَفِّي بِسَبَبِ خَطْفِكِ ٱلَّذِي خَطَفْتِ، وَبِسَبَبِ دَمِكِ ٱلَّذِي كَانَ فِي وَسْطِكِ. | ١٣ 13 |
१३“इसलिए देख, जो लाभ तूने अन्याय से उठाया और अपने बीच हत्या की है, उससे मैंने हाथ पर हाथ दे मारा है।
فَهَلْ يَثْبُتُ قَلْبُكِ أَوْ تَقْوَى يَدَاكِ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي فِيهَا أُعَامِلُكِ؟ أَنَا ٱلرَّبَّ تَكَلَّمْتُ وَسَأَفْعَلُ. | ١٤ 14 |
१४अतः जिन दिनों में तेरा न्याय करूँगा, क्या उनमें तेरा हृदय दृढ़ और तेरे हाथ स्थिर रह सकेंगे? मुझ यहोवा ने यह कहा है, और ऐसा ही करूँगा।
وَأُبَدِّدُكِ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ، وَأُذَرِّيكِ فِي ٱلْأَرَاضِي، وَأُزِيلُ نَجَاسَتَكِ مِنْكِ. | ١٥ 15 |
१५मैं तेरे लोगों को जाति-जाति में तितर-बितर करूँगा, और देश-देश में छितरा दूँगा, और तेरी अशुद्धता को तुझ में से नाश करूँगा।
وَتَتَدَنَّسِينَ بِنَفْسِكِ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ، وَتَعْلَمِينَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ». | ١٦ 16 |
१६तू जाति-जाति के देखते हुए अपनी ही दृष्टि में अपवित्र ठहरेगी; तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ।”
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: | ١٧ 17 |
१७फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، قَدْ صَارَ لِي بَيْتُ إِسْرَائِيلَ زَغَلًا. كُلُّهُمْ نُحَاسٌ وَقَصْدِيرٌ وَحَدِيدٌ وَرَصَاصٌ فِي وَسْطِ كُورٍ. صَارُوا زَغَلَ فِضَّةٍ. | ١٨ 18 |
१८“हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल का घराना मेरी दृष्टि में धातु का मैल हो गया है; वे सब के सब भट्ठी के बीच के पीतल और राँगे और लोहे और शीशे के समान बन गए; वे चाँदी के मैल के समान हो गए हैं।
لِأَجْلِ ذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: مِنْ حَيْثُ إِنَّكُمْ كُلَّكُمْ صِرْتُمْ زَغَلًا، فَلِذَلِكَ هَأَنَذَا أَجْمَعُكُمْ فِي وَسْطِ أُورُشَلِيمَ، | ١٩ 19 |
१९इस कारण प्रभु यहोवा उनसे यह कहता है: इसलिए कि तुम सब के सब धातु के मैल के समान बन गए हो, अतः देखो, मैं तुम को यरूशलेम के भीतर इकट्ठा करने पर हूँ।
جَمْعَ فِضَّةٍ وَنُحَاسٍ وَحَدِيدٍ وَرَصَاصٍ وَقَصْدِيرٍ إِلَى وَسْطِ كُورٍ لِنَفْخِ ٱلنَّارِ عَلَيْهَا لِسَبْكِهَا، كَذَلِكَ أَجْمَعُكُمْ بِغَضَبِي وَسَخَطِي وَأَطْرَحُكُمْ وَأَسْبِكُكُمْ. | ٢٠ 20 |
२०जैसे लोग चाँदी, पीतल, लोहा, शीशा, और राँगा इसलिए भट्ठी के भीतर बटोरकर रखते हैं कि उन्हें आग फूँककर पिघलाएँ, वैसे ही मैं तुम को अपने कोप और जलजलाहट से इकट्ठा करके वहीं रखकर पिघला दूँगा।
فَأَجْمَعُكُمْ وَأَنْفُخُ عَلَيْكُمْ فِي نَارِ غَضَبِي، فَتُسْبَكُونَ فِي وَسْطِهَا. | ٢١ 21 |
२१मैं तुम को वहाँ बटोरकर अपने रोष की आग से फूँकूँगा, और तुम उसके बीच पिघलाए जाओगे।
كَمَا تُسْبَكُ ٱلْفِضَّةُ فِي وَسْطِ ٱلْكُورِ، كَذَلِكَ تُسْبَكُونَ فِي وَسْطِهَا، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ سَكَبْتُ سَخَطِي عَلَيْكُمْ». | ٢٢ 22 |
२२जैसे चाँदी भट्ठी के बीच में पिघलाई जाती है, वैसे ही तुम उसके बीच में पिघलाए जाओगे; तब तुम जान लोगे कि जिसने हम पर अपनी जलजलाहट भड़काई है, वह यहोवा है।”
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: | ٢٣ 23 |
२३फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، قُلْ لَهَا: أَنْتِ ٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي لَمْ تَطْهُرْ، لَمْ يُمْطَرْ عَلَيْهَا فِي يَوْمِ ٱلْغَضَبِ. | ٢٤ 24 |
२४“हे मनुष्य के सन्तान, उस देश से कह, तू ऐसा देश है जो शुद्ध नहीं हुआ, और जलजलाहट के दिन में तुझ पर वर्षा नहीं हुई;
فِتْنَةُ أَنْبِيَائِهَا فِي وَسْطِهَا كَأَسَدٍ مُزَمْجِرٍ يَخْطُفُ ٱلْفَرِيسَةَ. أَكَلُوا نُفُوسًا. أَخَذُوا ٱلْكَنْزَ وَٱلنَّفِيسَ، أَكْثَرُوا أَرَامِلَهَا فِي وَسْطِهَا. | ٢٥ 25 |
२५तेरे भविष्यद्वक्ताओं ने तुझ में राजद्रोह की गोष्ठी की, उन्होंने गरजनेवाले सिंह के समान अहेर पकड़ा और प्राणियों को खा डाला है; वे रखे हुए अनमोल धन को छीन लेते हैं, और तुझ में बहुत स्त्रियों को विधवा कर दिया है।
كَهَنَتُهَا خَالَفُوا شَرِيعَتِي وَنَجَّسُوا أَقْدَاسِي. لَمْ يُمَيِّزُوا بَيْنَ ٱلْمُقَدَّسِ وَٱلْمُحَلَّلِ، وَلَمْ يَعْلَمُوا ٱلْفَرْقَ بَيْنَ ٱلنَّجِسِ وَٱلطَّاهِرِ، وَحَجَبُوا عُيُونَهُمْ عَنْ سُبُوتِي فَتَدَنَّسْتُ فِي وَسْطِهِمْ. | ٢٦ 26 |
२६उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खांचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध-अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिससे मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूँ।
رُؤَسَاؤُهَا فِي وَسْطِهَا كَذِئَابٍ خَاطِفَةٍ خَطْفًا لِسَفْكِ ٱلدَّمِ، لِإِهْلَاكِ ٱلنُّفُوسِ لِٱكْتِسَابِ كَسْبٍ. | ٢٧ 27 |
२७उसके प्रधान भेड़ियों के समान अहेर पकड़ते, और अन्याय से लाभ उठाने के लिये हत्या करते हैं और प्राण घात करने को तत्पर रहते हैं।
وَأَنْبِيَاؤُهَا قَدْ طَيَّنُوا لَهُمْ بِٱلطُّفَالِ، رَائِينَ بَاطِلًا وَعَارِفِينَ لَهُمْ كَذِبًا، قَائِلِينَ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، وَٱلرَّبُّ لَمْ يَتَكَلَّمْ. | ٢٨ 28 |
२८उसके भविष्यद्वक्ता उनके लिये कच्ची पुताई करते हैं, उनका दर्शन पाना मिथ्या है; यहोवा के बिना कुछ कहे भी वे यह कहकर झूठी भावी बताते हैं कि ‘प्रभु यहोवा यह कहता है।’
شَعْبُ ٱلْأَرْضِ ظَلَمُوا ظُلْمًا، وَغَصَبُوا غَصْبًا، وَٱضْطَهَدُوا ٱلْفَقِيرَ وَٱلْمِسْكِينَ، وَظَلَمُوا ٱلْغَرِيبَ بِغَيْرِ ٱلْحَقِّ. | ٢٩ 29 |
२९देश के साधारण लोग भी अंधेर करते और पराया धन छीनते हैं, वे दीन दरिद्र को पीसते और न्याय की चिन्ता छोड़कर परदेशी पर अंधेर करते हैं।
وَطَلَبْتُ مِنْ بَيْنِهِمْ رَجُلًا يَبْنِي جِدَارًا وَيَقِفُ فِي ٱلثَّغْرِ أَمَامِي عَنِ ٱلْأَرْضِ لِكَيْلَا أَخْرِبَهَا، فَلَمْ أَجِدْ. | ٣٠ 30 |
३०मैंने उनमें ऐसा मनुष्य ढूँढ़ना चाहा जो बाड़े को सुधारें और देश के निमित्त नाके में मेरे सामने ऐसा खड़ा हो कि मुझे उसको नाश न करना पड़े, परन्तु ऐसा कोई न मिला।
فَسَكَبْتُ سَخَطِي عَلَيْهِمْ. أَفْنَيْتُهُمْ بِنَارِ غَضَبِي. جَلَبْتُ طَرِيقَهُمْ عَلَى رُؤُوسِهِمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». | ٣١ 31 |
३१इस कारण मैंने उन पर अपना रोष भड़काया और अपनी जलजलाहट की आग से उन्हें भस्म कर दिया है; मैंने उनकी चाल उन्हीं के सिर पर लौटा दी है, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।”