< اَلْخُرُوجُ 23 >
«لَا تَقْبَلْ خَبَرًا كَاذِبًا، وَلَا تَضَعْ يَدَكَ مَعَ ٱلْمُنَافِقِ لِتَكُونَ شَاهِدَ ظُلْمٍ. | ١ 1 |
“तुम झूठी बात न फैलाना. बुरे व्यक्ति की सहायता के लिए झूठी गवाही न देना.
لَا تَتْبَعِ ٱلْكَثِيرِينَ إِلَى فِعْلِ ٱلشَّرِّ، وَلَا تُجِبْ فِي دَعْوَى مَائِلًا وَرَاءَ ٱلْكَثِيرِينَ لِلتَّحْرِيفِ. | ٢ 2 |
“बुराई करने के लिए न तो भीड़ में जाना, और न किसी झगड़े में भीड़ के साथ मिलकर झूठ कहना;
وَلَا تُحَابِ مَعَ ٱلْمِسْكِينِ فِي دَعْوَاهُ. | ٣ 3 |
मुकदमे में अनुचित रूप से गरीब का पक्ष न लेना.
إِذَا صَادَفْتَ ثَوْرَ عَدُوِّكَ أَوْ حِمَارَهُ شَارِدًا، تَرُدُّهُ إِلَيْهِ. | ٤ 4 |
“यदि तुम्हें अपने शत्रु का बैल अथवा गधा भटकता हुआ मिले, तो तुम उसे उसके मालिक को लौटा देना.
إِذَا رَأَيْتَ حِمَارَ مُبْغِضِكَ وَاقِعًا تَحْتَ حِمْلِهِ وَعَدَلْتَ عَنْ حَلِّهِ، فَلَا بُدَّ أَنْ تَحُلَّ مَعَهُ. | ٥ 5 |
यदि तुम्हें अपने शत्रु का गधा बोझ से दबा हुआ दिखे, तो उसे वहां मत छोड़ना और सुनिश्चित उसे बोझ से छुड़ाने की कोशिश करना.
لَا تُحَرِّفْ حَقَّ فَقِيرِكَ فِي دَعْوَاهُ. | ٦ 6 |
“मुकदमे में गरीब हैं यह सोचकर न्याय न बिगाड़ना.
اِبْتَعِدْ عَنْ كَلَامِ ٱلْكَذِبِ، وَلَا تَقْتُلِ ٱلْبَرِيءَ وَٱلْبَارَّ، لِأَنِّي لَا أُبَرِّرُ ٱلْمُذْنِبَ. | ٧ 7 |
झूठे आरोपों से दूर ही रहना और निर्दोष तथा धर्मी की हत्या न करना, क्योंकि मैं किसी दोषी को निर्दोष न जाने दूंगा.
وَلَا تَأْخُذْ رَشْوَةً، لِأَنَّ ٱلرَّشْوَةَ تُعْمِي ٱلْمُبْصِرِينَ، وَتُعَوِّجُ كَلَامَ ٱلْأَبْرَارِ. | ٨ 8 |
“तुम कभी घूस नहीं लेना, क्योंकि घूस उस व्यक्ति को, जिसको दृष्टि हैं, अंधा बना देती है तथा धर्मियों के शब्दों को खराब कर देती है.
وَلَا تُضَايِقِ ٱلْغَرِيبَ فَإِنَّكُمْ عَارِفُونَ نَفْسَ ٱلْغَرِيبِ، لِأَنَّكُمْ كُنْتُمْ غُرَبَاءَ فِي أَرْضِ مِصْرَ. | ٩ 9 |
“पराये लोगों पर अत्याचार नहीं करना, तुम पराये लोगों की भावनाओं को जानते हो, क्योंकि मिस्र देश में तुम भी पराये थे.
«وَسِتَّ سِنِينَ تَزْرَعُ أَرْضَكَ وَتَجْمَعُ غَلَّتَهَا، | ١٠ 10 |
“तुम अपनी भूमि पर छः वर्ष तक खेती करना और उपज को एक साथ इकट्ठा करना,
وَأَمَّا فِي ٱلسَّابِعَةِ فَتُرِيحُهَا وَتَتْرُكُهَا لِيَأْكُلَ فُقَرَاءُ شَعْبِكَ. وَفَضْلَتُهُمْ تَأْكُلُهَا وُحُوشُ ٱلْبَرِّيَّةِ. كَذَلِكَ تَفْعَلُ بِكَرْمِكَ وَزَيْتُونِكَ. | ١١ 11 |
लेकिन सातवें वर्ष में कुछ नहीं करना सब कुछ वैसा ही छोड़ देना. तुममें जो गरीब हैं, वह उस वर्ष की उपज लें, और जो बच जाता हैं, वह पशुओं को खाने दें. अंगूर और जैतून के बगीचे को भी ऐसे ही छोड़ देना.
سِتَّةَ أَيَّامٍ تَعْمَلُ عَمَلَكَ. وَأَمَّا ٱلْيَوْمُ ٱلسَّابِعُ فَفِيهِ تَسْتَرِيحُ، لِكَيْ يَسْتَرِيحَ ثَوْرُكَ وَحِمَارُكَ، وَيَتَنَفَّسَ ٱبْنُ أَمَتِكَ وَٱلْغَرِيبُ. | ١٢ 12 |
“छः दिन तक तुम काम करना, लेकिन सातवें दिन कोई काम न करना, जिससे तुम्हारे बैल तथा गधे भी आराम कर सकें. तुम्हारे दास तथा तुम्हारे बीच में रह रहे विदेशी भी आराम कर सकें.
وَكُلُّ مَا قُلْتُ لَكُمُ ٱحْتَفِظُوا بِهِ، وَلَا تَذْكُرُوا ٱسْمَ آلِهَةٍ أُخْرَى، وَلَا يُسْمَعْ مِنْ فَمِكَ. | ١٣ 13 |
“मैंने जो कुछ तुमसे कहा है, उन बातों का ध्यान रखना. दूसरे देवताओं के नामों का आव्हान न करना; न ही उनके बारे में अपने मुंह से कुछ कहना.
«ثَلَاثَ مَرَّاتٍ تُعَيِّدُ لِي فِي ٱلسَّنَةِ. | ١٤ 14 |
“हर साल तीन बार मेरे लिए उत्सव मनाना.
تَحْفَظُ عِيدَ ٱلْفَطِيرِ. تَأْكُلُ فَطِيرًا سَبْعَةَ أَيَّامٍ كَمَا أَمَرْتُكَ فِي وَقْتِ شَهْرِ أَبِيبَ، لِأَنَّهُ فِيهِ خَرَجْتَ مِنْ مِصْرَ. وَلَا يَظْهَرُوا أَمَامِي فَارِغِينَ. | ١٥ 15 |
“तुम बिना खमीर की रोटी का उत्सव मनाना; सात दिन तक बिना खमीर का खाना खाना, मेरे बताये अनुसार अबीब महीने के निश्चित समय पर ही यह उत्सव मनाना. क्योंकि इसी महीने में तुम मिस्र देश से निकले थे. “तुममें से कोई भी मेरे सामने खाली हाथ न आए.
وَعِيدَ ٱلْحَصَادِ أَبْكَارِ غَلَّاتِكَ ٱلَّتِي تَزْرَعُ فِي ٱلْحَقْلِ. وَعِيدَ ٱلْجَمْعِ فِي نِهَايَةِ ٱلسَّنَةِ عِنْدَمَا تَجْمَعُ غَلَّاتِكَ مِنَ ٱلْحَقْلِ. | ١٦ 16 |
“जब फसल तैयार हो जाये, तब कटनी का उत्सव मनाना. खेत में उगाई गई फसल की पहली उपज जब तैयार हो जाये, तब कटनी का उत्सव मनाना. “और पूरी उपज को एक साथ एक जगह पर जमा करके संग्रह का उत्सव मनाना.
ثَلَاثَ مَرَّاتٍ فِي ٱلسَّنَةِ يَظْهَرُ جَمِيعُ ذُكُورِكَ أَمَامَ ٱلسَّيِّدِ ٱلرَّبِّ. | ١٧ 17 |
“तुममें से हर एक पुरुष साल में इन तीन अवसरों पर प्रभु याहवेह के पास जाएगा.
لَا تَذْبَحْ عَلَى خَمِيرٍ دَمَ ذَبِيحَتِي، وَلَا يَبِتْ شَحْمُ عِيدِي إِلَى ٱلْغَدِ. | ١٨ 18 |
“किसी भी बलि पशु को खमीर वाली रोटी के साथ याहवेह को भेंट न चढ़ाना. “और न भेंट की वस्तु दूसरे दिन के लिए बचाना.
أَوَّلَ أَبْكَارِ أَرْضِكَ تُحْضِرُهُ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. لَا تَطْبُخْ جَدْيًا بِلَبَنِ أُمِّهِ. | ١٩ 19 |
“तुम अपने खेत की उपज का पहला भाग याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के घर में ले आना.” तुम बकरी के बच्चे को उसकी मां के दूध में नहीं पकाना.
«هَا أَنَا مُرْسِلٌ مَلَاكًا أَمَامَ وَجْهِكَ لِيَحْفَظَكَ فِي ٱلطَّرِيقِ، وَلِيَجِيءَ بِكَ إِلَى ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي أَعْدَدْتُهُ. | ٢٠ 20 |
“सुनो, मैं एक स्वर्गदूत तुम्हारी अगुवाई करने के लिए तुम्हारे आगे-आगे भेज रहा हूं. वह मार्ग में तुम्हारी रक्षा करेगा तथा वही तुम्हें उस स्थान में पहुंचाएगा, जिसे मैंने तुम्हारे लिए तैयार किया है.
اِحْتَرِزْ مِنْهُ وَٱسْمَعْ لِصَوْتِهِ وَلَا تَتَمَرَّدْ عَلَيْهِ، لِأَنَّهُ لَا يَصْفَحُ عَنْ ذُنُوبِكُمْ، لِأَنَّ ٱسْمِي فِيهِ. | ٢١ 21 |
तुम उस स्वर्गदूत के सामने सावधान रहना, उसकी बातों को मानना, कोई विरोध नहीं करना, क्योंकि वह तुम्हारी गलती को माफ नहीं करेगा, क्योंकि उसमें मेरा नाम रहता है.
وَلَكِنْ إِنْ سَمِعْتَ لِصَوْتِهِ وَفَعَلْتَ كُلَّ مَا أَتَكَلَّمُ بِهِ، أُعَادِي أَعْدَاءَكَ، وَأُضَايِقُ مُضَايِقِيكَ. | ٢٢ 22 |
यदि तुम दीनता से उसकी बातों को मानोगे तथा वह सब करोगे जो मैंने कहा है, तब मैं तुम्हारे शत्रुओं का शत्रु तथा तुम्हारे विरोधियों का विरोधी बन जाऊंगा.
فَإِنَّ مَلَاكِي يَسِيرُ أَمَامَكَ وَيَجِيءُ بِكَ إِلَى ٱلْأَمُورِيِّينَ وَٱلْحِثِّيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ وَٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْحِوِّيِّينَ وَٱلْيَبُوسِيِّينَ، فَأُبِيدُهُمْ. | ٢٣ 23 |
क्योंकि मेरा स्वर्गदूत तुम्हारे आगे-आगे चलकर तुम्हें अमोरियों, हित्तियों, परिज्ज़ियों, कनानियों, हिव्वियों तथा यबूसियों के देश में पहुंचाएगा.
لَا تَسْجُدْ لِآلِهَتِهِمْ، وَلَا تَعْبُدْهَا، وَلَا تَعْمَلْ كَأَعْمَالِهِمْ، بَلْ تُبِيدُهُمْ وَتَكْسِرُ أَنْصَابَهُمْ. | ٢٤ 24 |
तुम उनके देवताओं की आराधना मत करना, न उनकी सेवा करना, और न उनकी बातों को मानना. तुम उनके पूजा स्थान को नाश कर देना और उनके पूजा के पत्थरों को टुकड़े-टुकड़े कर देना.
وَتَعْبُدُونَ ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ، فَيُبَارِكُ خُبْزَكَ وَمَاءَكَ، وَأُزِيلُ ٱلْمَرَضَ مِنْ بَيْنِكُمْ. | ٢٥ 25 |
तुम याहवेह, अपने परमेश्वर ही की आराधना करना और याहवेह तुम्हारे अन्न और जल को आशीष देंगे. मैं तुम्हारे बीच से रोगों को दूर कर दूंगा.
لَا تَكُونُ مُسْقِطَةٌ وَلَا عَاقِرٌ فِي أَرْضِكَ، وَأُكَمِّلُ عَدَدَ أَيَّامِكَ. | ٢٦ 26 |
तुम्हारे देश में न तो गर्भपात होगा, न कोई स्त्री बांझ होगी; और मैं तुम्हारी आयु को पूरी करूंगा.
أُرْسِلُ هَيْبَتِي أَمَامَكَ، وَأُزْعِجُ جَمِيعَ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ تَأْتِي عَلَيْهِمْ، وَأُعْطِيكَ جَمِيعَ أَعْدَائِكَ مُدْبِرِينَ. | ٢٧ 27 |
“जिन-जिन लोगों के बीच तुम जाओगे मेरा डर सबके बीच छा जायेगा और सबको भ्रमित कर दूंगा और सब शत्रु पीठ दिखाकर भाग जाएंगे.
وَأُرْسِلُ أَمَامَكَ ٱلزَّنَابِيرَ. فَتَطْرُدُ ٱلْحِوِّيِّينَ وَٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْحِثِّيِّينَ مِنْ أَمَامِكَ. | ٢٨ 28 |
मैं तुम्हारे आगे-आगे बर्रों को भेजूंगा जो तुम्हारे सामने से हिव्वियों, कनानियों तथा हित्तियों को भगा देंगे.
لَا أَطْرُدُهُمْ مِنْ أَمَامِكَ فِي سَنَةٍ وَاحِدَةٍ، لِئَلَّا تَصِيرَ ٱلْأَرْضُ خَرِبَةً، فَتَكْثُرَ عَلَيْكَ وُحُوشُ ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٢٩ 29 |
मैं उन्हें तुम्हारे आगे से एक ही वर्ष में न निकालूंगा, नहीं तो पृथ्वी में लोग कम पड़ते जायेंगे और जंगली पशु बढ़ते जायेंगे जिससे परेशानी बढ़ जायेगी.
قَلِيلًا قَلِيلًا أَطْرُدُهُمْ مِنْ أَمَامِكَ إِلَى أَنْ تُثْمِرَ وَتَمْلِكَ ٱلْأَرْضَ. | ٣٠ 30 |
मैं उनको थोड़ा-थोड़ा करके निकालूंगा जब तक तुम देश को अपने अधिकार में न कर लो.
وَأَجْعَلُ تُخُومَكَ مِنْ بَحْرِ سُوفٍ إِلَى بَحْرِ فِلِسْطِينَ، وَمِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ إِلَى ٱلنَّهْرِ. فَإِنِّي أَدْفَعُ إِلَى أَيْدِيكُمْ سُكَّانَ ٱلْأَرْضِ، فَتَطْرُدُهُمْ مِنْ أَمَامِكَ. | ٣١ 31 |
“मैं लाल सागर से फिलिस्तीनियों के सागर तक तथा निर्जन प्रदेश से फरात नदी तक तुम्हें दे दूंगा. और उस देश के लोगों को भी तुम्हें सौंप दूंगा और तुम ही उन्हें अपने सामने से निकाल देना.
لَا تَقْطَعْ مَعَهُمْ وَلَا مَعَ آلِهَتِهِمْ عَهْدًا. | ٣٢ 32 |
तुम उनके देवताओं के साथ कोई भी वायदा नहीं करना.
لَا يَسْكُنُوا فِي أَرْضِكَ لِئَلَّا يَجْعَلُوكَ تُخْطِئُ إِلَيَّ. إِذَا عَبَدْتَ آلِهَتَهُمْ فَإِنَّهُ يَكُونُ لَكَ فَخًّا». | ٣٣ 33 |
वे तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे, क्योंकि वे तुम्हें मेरे विरुद्ध पाप करने के लिए मजबूर करेंगे; और यदि तुम उनके देवताओं की सेवा करोगे, तो तुम मुसीबत में पड़ जाओगे.”