< اَلْخُرُوجُ 16 >
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ إِيلِيمَ. وَأَتَى كُلُّ جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِلَى بَرِّيَّةِ سِينٍ، ٱلَّتِي بَيْنَ إِيلِيمَ وَسِينَاءَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْخَامِسَ عَشَرَ مِنَ ٱلشَّهْرِ ٱلثَّانِي بَعْدَ خُرُوجِهِمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. | ١ 1 |
फिर इस्राएली एलिम से चलकर सिन नामक निर्जन देश पहुंचे. यह एलिम एवं सीनायी के बीच में था. मिस्र देश से निकले दो महीने तथा पन्द्रह दिन हो चुके थे.
فَتَذَمَّرَ كُلُّ جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَى مُوسَى وَهَارُونَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٢ 2 |
इस निर्जन क्षेत्र में सभी इस्राएली मोशेह तथा अहरोन से नाराज होने लगे.
وَقَالَ لَهُمَا بَنُو إِسْرَائِيلَ: «لَيْتَنَا مُتْنَا بِيَدِ ٱلرَّبِّ فِي أَرْضِ مِصْرَ، إِذْ كُنَّا جَالِسِينَ عِنْدَ قُدُورِ ٱللَّحْمِ نَأْكُلُ خُبْزًا لِلشَّبَعِ. فَإِنَّكُمَا أَخْرَجْتُمَانَا إِلَى هَذَا ٱلْقَفْرِ لِكَيْ تُمِيتَا كُلَّ هَذَا ٱلْجُمْهُورِ بِٱلْجُوعِ». | ٣ 3 |
इस्राएली कहने लगे, “अच्छा होता कि याहवेह ने हम लोगों को मिस्र में ही मार डाला होता, वहां हम मांस की हांडियों के पास बैठते थे और पेट भरकर रोटी खाते थे; आप तो हमें इस निर्जन देश में इसलिये ले आए हैं कि हम सारे लोग भूख से मर जाएं.”
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «هَا أَنَا أُمْطِرُ لَكُمْ خُبْزًا مِنَ ٱلسَّمَاءِ. فَيَخْرُجُ ٱلشَّعْبُ وَيَلْتَقِطُونَ حَاجَةَ ٱلْيَوْمِ بِيَوْمِهَا. لِكَيْ أَمْتَحِنَهُمْ، أَيَسْلُكُونَ فِي نَامُوسِي أَمْ لَا. | ٤ 4 |
इस पर याहवेह ने मोशेह से कहा, “सुनो, मैं तुम्हारे लिए स्वर्ग से रोटी बरसाऊंगा, और प्रतिदिन लोग बाहर जाकर रोज अपनी ज़रूरत के अनुसार रोटी बटोर लें, मैं उन्हें जाचूंगा और देखूंगा कि वे मेरी आज्ञा मानते हैं या नहीं.
وَيَكُونُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّادِسِ أَنَّهُمْ يُهَيِّئُونَ مَا يَجِيئُونَ بِهِ فَيَكُونُ ضِعْفَ مَا يَلْتَقِطُونَهُ يَوْمًا فَيَوْمًا». | ٥ 5 |
छठे दिन जब वह बटोरे हुए भोजन वस्तु से खाना बनाएं तब वह अन्य दिनों से दुगना होगा.”
فَقَالَ مُوسَى وَهَارُونُ لِجَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ: «فِي ٱلْمَسَاءِ تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلرَّبَّ أَخْرَجَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. | ٦ 6 |
मोशेह एवं अहरोन ने सब इस्राएलियों को कहा, “शाम को तुम समझ जाओगे कि याहवेह ही ने तुम्हें मिस्र देश से निकाला है.
وَفِي ٱلصَّبَاحِ تَرَوْنَ مَجْدَ ٱلرَّبِّ لِٱسْتِمَاعِهِ تَذَمُّرَكُمْ عَلَى ٱلرَّبِّ. وَأَمَّا نَحْنُ فَمَاذَا حَتَّى تَتَذَمَّرُوا عَلَيْنَا؟». | ٧ 7 |
सुबह तुम्हें याहवेह का तेज दिखाई देगा, क्योंकि याहवेह ने तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया है—हम कौन हैं, जो तुम इतना गुस्सा दिखा रहे हो?”
وَقَالَ مُوسَى: «ذَلِكَ بِأَنَّ ٱلرَّبَّ يُعْطِيكُمْ فِي ٱلْمَسَاءِ لَحْمًا لِتَأْكُلُوا، وَفِي ٱلصَّبَاحِ خُبْزًا لِتَشْبَعُوا، لِٱسْتِمَاعِ ٱلرَّبِّ تَذَمُّرَكُمُ ٱلَّذِي تَتَذَمَّرُونَ عَلَيْهِ. وَأَمَّا نَحْنُ فَمَاذَا؟ لَيْسَ عَلَيْنَا تَذَمُّرُكُمْ بَلْ عَلَى ٱلرَّبِّ». | ٨ 8 |
मोशेह ने कहा, “अब याहवेह तुम्हें शाम को मांस और सुबह रोटी देंगे, क्योंकि याहवेह ने उनके विरुद्ध तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया हैं. हम कौन होते हैं? तुम्हारा गुस्सा हम पर नहीं, परंतु याहवेह पर होता है.”
وَقَالَ مُوسَى لِهَارُونَ: «قُلْ لِكُلِّ جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ: ٱقْتَرِبُوا إِلَى أَمَامِ ٱلرَّبِّ لِأَنَّهُ قَدْ سَمِعَ تَذَمُّرَكُمْ». | ٩ 9 |
फिर मोशेह ने अहरोन से कहा, “सभी इस्राएलियों से कहो, ‘याहवेह के पास आओ, क्योंकि उन्होंने तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया है.’”
فَحَدَثَ إِذْ كَانَ هَارُونُ يُكَلِّمُ كُلَّ جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنَّهُمُ ٱلْتَفَتُوا نَحْوَ ٱلْبَرِّيَّةِ، وَإِذَا مَجْدُ ٱلرَّبِّ قَدْ ظَهَرَ فِي ٱلسَّحَابِ. | ١٠ 10 |
जब अहरोन सभी इस्राएलियों से बात कर रहे थे, तब उन्होंने निर्जन देश की ओर देखा और उनको याहवेह का तेज बादल में दिखाई दिया.
فَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: | ١١ 11 |
याहवेह ने मोशेह से कहा,
«سَمِعْتُ تَذَمُّرَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. كَلِّمْهُمْ قَائِلًا: فِي ٱلْعَشِيَّةِ تَأْكُلُونَ لَحْمًا، وَفِي ٱلصَّبَاحِ تَشْبَعُونَ خُبْزًا، وَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ». | ١٢ 12 |
“मैंने इस्राएलियों का बड़बड़ाना सुन लिया है; उन्हें बता दो, ‘शाम को तुम्हें मांस और सुबह तुम्हें रोटी, पेट भरकर मिलेगी; तब तुम जान जाओगे कि मैं ही याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर हूं.’”
فَكَانَ فِي ٱلْمَسَاءِ أَنَّ ٱلسَّلْوَى صَعِدَتْ وَغَطَّتِ ٱلْمَحَلَّةَ. وَفِي ٱلصَّبَاحِ كَانَ سَقِيطُ ٱلنَّدَى حَوَالَيِ ٱلْمَحَلَّةِ. | ١٣ 13 |
सायंकाल बटेरें उड़ती हुई आईं और छावनी को ढक लिया तथा सुबह छावनी के आस-पास ओस की एक परत पड़ी हुई दिखी.
وَلَمَّا ٱرْتَفَعَ سَقِيطُ ٱلنَّدَى إِذَا عَلَى وَجْهِ ٱلْبَرِّيَّةِ شَيْءٌ دَقِيقٌ مِثْلُ قُشُورٍ. دَقِيقٌ كَٱلْجَلِيدِ عَلَى ٱلْأَرْضِ. | ١٤ 14 |
जब ओस की परत उठ गई, तब उन्होंने देखा कि ज़मीन पर एक पतली परत पड़ी हुई है, जैसे बर्फ.
فَلَمَّا رَأَى بَنُو إِسْرَائِيلَ قَالُوا بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «مَنْ هُوَ؟» لِأَنَّهُمْ لَمْ يَعْرِفُوا مَا هُوَ. فَقَالَ لَهُمْ مُوسَى: «هُوَ ٱلْخُبْزُ ٱلَّذِي أَعْطَاكُمُ ٱلرَّبُّ لِتَأْكُلُوا. | ١٥ 15 |
वे आपस में कहने लगे, “क्या है यह?” वे समझ नहीं पा रहे थे कि वह क्या चीज़ है! मोशेह ने बताया, “यही है वह रोटी, जो तुम्हारे खाने के लिए याहवेह ने दी है.
هَذَا هُوَ ٱلشَّيْءُ ٱلَّذِي أَمَرَ بِهِ ٱلرَّبُّ. اِلْتَقِطُوا مِنْهُ كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى حَسَبِ أُكْلِهِ. عُمِرًا لِلرَّأْسِ عَلَى عَدَدِ نُفُوسِكُمْ تَأْخُذُونَ، كُلُّ وَاحِدٍ لِلَّذِينَ فِي خَيْمَتِهِ». | ١٦ 16 |
और याहवेह की आज्ञा है, ‘हर व्यक्ति जितना खा सके उतना ही ले सब व्यक्ति अपने-अपने तंबू में हर व्यक्ति के लिये एक ओमेर के हिसाब से ले.’”
فَفَعَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ هَكَذَا، وَٱلْتَقَطُوا بَيْنَ مُكَثِّرٍ وَمُقَلِّلٍ. | ١٧ 17 |
इस्राएलियों ने वैसा ही किया. किसी ने कम तो किसी ने ज्यादा लिया.
وَلَمَّا كَالُوا بِٱلْعُمِرِ، لَمْ يُفْضِلِ ٱلْمُكَثِّرُ وَٱلْمُقَلِّلُ لَمْ يُنْقِصْ. كَانُوا قَدِ ٱلْتَقَطُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى حَسَبِ أُكْلِهِ. | ١٨ 18 |
जिसने अधिक मात्रा में इकट्ठा कर लिया, उसने कुछ भी ज्यादा नहीं पाया और जिसने कम इकट्ठा किया, उसे कोई कमी न हुई.
وَقَالَ لَهُمْ مُوسَى: «لَا يُبْقِ أَحَدٌ مِنْهُ إِلَى ٱلصَّبَاحِ». | ١٩ 19 |
मोशेह ने उनसे कहा, “कोई भी व्यक्ति इस भोजन को दूसरे दिन के लिए मत रखना.”
لَكِنَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا لِمُوسَى، بَلْ أَبْقَى مِنْهُ أُنَاسٌ إِلَى ٱلصَّبَاحِ، فَتَوَلَّدَ فِيهِ دُودٌ وَأَنْتَنَ. فَسَخَطَ عَلَيْهِمْ مُوسَى. | ٢٠ 20 |
लेकिन कुछ लोगों ने मोशेह की बात नहीं मानी; और दूसरे दिन के लिए कुछ बचा रखा. दूसरे दिन उन्होंने देखा कि उसमें पूरे कीड़े पड़ गए और बदबू आने लगी. मोशेह ने उन पर गुस्सा किया.
وَكَانُوا يَلْتَقِطُونَهُ صَبَاحًا فَصَبَاحًا كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى حَسَبِ أُكْلِهِ. وَإِذَا حَمِيَتِ ٱلشَّمْسُ كَانَ يَذُوبُ. | ٢١ 21 |
फिर रोज सुबह जितनी उनको ज़रूरत होती थी उतना ही वे लेते थे.
ثُمَّ كَانَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّادِسِ أَنَّهُمُ ٱلْتَقَطُوا خُبْزًا مُضَاعَفًا، عُمِرَيْنِ لِلْوَاحِدِ. فَجَاءَ كُلُّ رُؤَسَاءِ ٱلْجَمَاعَةِ وَأَخْبَرُوا مُوسَى. | ٢٢ 22 |
और छठवें दिन हर व्यक्ति ने अगले दिन का भी खाना अपने-अपने लिए लिया और सभी ने जाकर मोशेह को बताया.
فَقَالَ لَهُمْ: «هَذَا مَا قَالَ ٱلرَّبُّ: غَدًا عُطْلَةٌ، سَبْتٌ مُقَدَّسٌ لِلرَّبِّ. ٱخْبِزُوا مَا تَخْبِزُونَ وَٱطْبُخُوا مَا تَطْبُخُونَ. وَكُلُّ مَا فَضِلَ ضَعُوهُ عِنْدَكُمْ لِيُحْفَظَ إِلَى ٱلْغَدِ». | ٢٣ 23 |
यह सुनकर मोशेह ने उन्हें समझाया: “याहवेह ने यही कहा था: क्योंकि ‘कल विश्राम दिन है जो याहवेह को समर्पित महा पवित्र दिन, इसलिये आज ही जो कुछ पकाना है पका लो, और जो कुछ उबालना है उबाल लो और जो बच जाता है उसे अगले दिन के लिए अलग रख देना.’”
فَوَضَعُوهُ إِلَى ٱلْغَدِ كَمَا أَمَرَ مُوسَى، فَلَمْ يُنْتِنْ وَلَا صَارَ فِيهِ دُودٌ. | ٢٤ 24 |
उन्होंने बचा हुआ अगले दिन के लिए अलग रख दिया—जैसे मोशेह ने कहा. इसमें न तो बदबू आई और न कीड़े लगे.
فَقَالَ مُوسَى: «كُلُوهُ ٱلْيَوْمَ، لِأَنَّ لِلرَّبِّ ٱلْيَوْمَ سَبْتًا. ٱلْيَوْمَ لَا تَجِدُونَهُ فِي ٱلْحَقْلِ. | ٢٥ 25 |
फिर मोशेह ने उनसे कहा, “आज तुम इसे खा लो, क्योंकि आज याहवेह को समर्पित विश्राम का पवित्र दिन है; आज बाहर खाना नहीं मिलेगा.
سِتَّةَ أَيَّامٍ تَلْتَقِطُونَهُ، وَأَمَّا ٱلْيَوْمُ ٱلسَّابِعُ فَفِيهِ سَبْتٌ، لَا يُوجَدُ فِيهِ». | ٢٦ 26 |
तुम्हें छः दिन ऐसा ही करना होगा किंतु सातवें दिन, विश्राम का दिन है, उस दिन यह नहीं मिलेगा.”
وَحَدَثَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ أَنَّ بَعْضَ ٱلشَّعْبِ خَرَجُوا لِيَلْتَقِطُوا فَلَمْ يَجِدُوا. | ٢٧ 27 |
कुछ व्यक्ति सातवें दिन भी खाना बटोरने गये लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «إِلَى مَتَى تَأْبَوْنَ أَنْ تَحْفَظُوا وَصَايَايَ وَشَرَائِعِي؟ | ٢٨ 28 |
तब याहवेह ने मोशेह से कहा, “तुम और कब तक मेरे आदेशों और नियमों को नहीं मानोगे?
اُنْظُرُوا! إِنَّ ٱلرَّبَّ أَعْطَاكُمُ ٱلسَّبْتَ. لِذَلِكَ هُوَ يُعْطِيكُمْ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّادِسِ خُبْزَ يَوْمَيْنِ. ٱجْلِسُوا كُلُّ وَاحِدٍ فِي مَكَانِهِ. لَا يَخْرُجْ أَحَدٌ مِنْ مَكَانِهِ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ». | ٢٩ 29 |
यह विश्राम का दिन, याहवेह ने, अलग किया हुआ दिन है; याहवेह ही तुम्हें छठे दिन दो दिन का खाना देते हैं. और सातवें दिन सब अपने-अपने घर पर ही रहें—सातवें दिन कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर न जाए.”
فَٱسْتَرَاحَ ٱلشَّعْبُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ. | ٣٠ 30 |
इस्राएलियों ने सातवें दिन विश्राम का दिन मानना शुरू किया.
وَدَعَا بَيْتُ إِسْرَائِيلَ ٱسْمَهُ «مَنًّا». وَهُوَ كَبِزْرِ ٱلْكُزْبَرَةِ، أَبْيَضُ، وَطَعْمُهُ كَرِقَاقٍ بِعَسَلٍ. | ٣١ 31 |
इस्राएलियों ने इस वस्तु को मन्ना नाम दिया. यह धनिये के बीज जितना सफेद और स्वाद शहद से बने पुओं के जैसा मीठा था.
وَقَالَ مُوسَى: «هَذَا هُوَ ٱلشَّيْءُ ٱلَّذِي أَمَرَ بِهِ ٱلرَّبُّ. مِلْءُ ٱلْعُمِرِ مِنْهُ يَكُونُ لِلْحِفْظِ فِي أَجْيَالِكُمْ. لِكَيْ يَرَوْا ٱلْخُبْزَ ٱلَّذِي أَطْعَمْتُكُمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ حِينَ أَخْرَجْتُكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ». | ٣٢ 32 |
फिर मोशेह ने उनसे कहा, “याहवेह की यह आज्ञा है: ‘पीढ़ी से पीढ़ी तक सबको यह बताने और दिखाने के लिए एक ओमेर माप मन्ना रख लो ताकि तुम उनको बता सको कि जब मैं ने तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया तब निर्जन देश में यही खाना खिलाया था.’”
وَقَالَ مُوسَى لِهَارُونَ: «خُذْ قِسْطًا وَاحِدًا وَٱجْعَلْ فِيهِ مِلْءَ ٱلْعُمِرِ مَنًّا، وَضَعْهُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ لِلْحِفْظِ فِي أَجْيَالِكُمْ». | ٣٣ 33 |
मोशेह ने अहरोन से कहा, “एक बर्तन में मन्ना लेकर याहवेह के सामने रखना ताकि आनेवाली पीढ़ियों के लिए वह यादगार रहे.”
كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَضَعَهُ هَارُونُ أَمَامَ ٱلشَّهَادَةِ لِلْحِفْظِ. | ٣٤ 34 |
याहवेह के द्वारा मोशेह को दिए गए आदेश के अनुसार अहरोन ने मन्ना को वाचा के संदूक के पास रख दिया.
وَأَكَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ ٱلْمَنَّ أَرْبَعِينَ سَنَةً حَتَّى جَاءُوا إِلَى أَرْضٍ عَامِرَةٍ. أَكَلُوا ٱلْمَنَّ حَتَّى جَاءُوا إِلَى طَرَفِ أَرْضِ كَنْعَانَ. | ٣٥ 35 |
इस्राएली मन्ना तब तक खाते रहे जब तक उस प्रदेश में नहीं आ गए जहां उन्हें बसना था. वे कनान की सीमा जब तक नहीं पहुंच गए, तब तक उसे खाते रहे.
وَأَمَّا ٱلْعُمِرُ فَهُوَ عُشْرُ ٱلْإِيفَةِ. | ٣٦ 36 |
(एक माप ओमेर एफाह का दसवां भाग है.)