< اَلتَّثْنِيَة 9 >
«اِسْمَعْ يَا إِسْرَائِيلُ، أَنْتَ ٱلْيَوْمَ عَابِرٌ ٱلْأُرْدُنَّ لِكَيْ تَدْخُلَ وَتَمْتَلِكَ شُعُوبًا أَكْبَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكَ، وَمُدُنًا عَظِيمَةً وَمُحَصَّنَةً إِلَى ٱلسَّمَاءِ. | ١ 1 |
सुनो, इस्राएल: आज तुम यरदन नदी को पार करोगे, कि तुम वहां, उन जनताओं को बाहर करो, जो गिनती में तुमसे विशाल और तुमसे अधिक शक्तिशाली हैं. उनके नगर फैले हुए और गढ़ गगन को चूमते हैं.
قَوْمًا عِظَامًا وَطِوَالًا، بَنِي عَنَاقَ ٱلَّذِينَ عَرَفْتَهُمْ وَسَمِعْتَ: مَنْ يَقِفُ فِي وَجْهِ بَنِي عَنَاقَ؟ | ٢ 2 |
वे डीलडौल में तुमसे अधिक ऊंचे और वे अनाकों की संतान हैं, तुम इन्हें जानते हो, तुम इनके विषय में सुनते रहे हो: “कौन ठहर सकता है अनाक के पुत्रों के सामने?”
فَٱعْلَمِ ٱلْيَوْمَ أَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ هُوَ ٱلْعَابِرُ أَمَامَكَ نَارًا آكِلَةً. هُوَ يُبِيدُهُمْ وَيُذِلُّهُمْ أَمَامَكَ، فَتَطْرُدُهُمْ وَتُهْلِكُهُمْ سَرِيعًا كَمَا كَلَّمَكَ ٱلرَّبُّ. | ٣ 3 |
इसलिये आज यह समझ लो, कि यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ही हैं, जो भस्म करनेवाली आग का रूप धारण कर तुम्हारे आगे-आगे नदी पार कर रहे हैं. वही तुम्हारे सामने उन्हें दबा देंगे, कि वे नाश हो जाएं, कि तुम उन्हें शीघ्र ही वहां से खदेड़ कर नाश कर दो; ठीक जैसा आदेश तुम्हें याहवेह द्वारा दिया गया है.
لَا تَقُلْ فِي قَلْبِكَ حِينَ يَنْفِيهِمِ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مِنْ أَمَامِكَ قَائِلًا: لِأَجْلِ بِرِّي أَدْخَلَنِي ٱلرَّبُّ لِأَمْتَلِكَ هَذِهِ ٱلْأَرْضَ. وَلِأَجْلِ إِثْمِ هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبِ يَطْرُدُهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِكَ. | ٤ 4 |
जब याहवेह तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हारे सामने से खदेड़ देंगे, तब अपने मन में यह विचार तक आने न देगा: “यह तो मेरी धार्मिकता ही थी, जिसके कारण याहवेह ने मुझे इस देश पर अधिकार करने की क्षमता दी है.” सच तो यह है कि इन जनताओं की दुष्टता के कारण याहवेह उन्हें तुम्हारे सामने से उनकी मातृभूमि से दूर करते जा रहे हैं.
لَيْسَ لِأَجْلِ بِرِّكَ وَعَدَالَةِ قَلْبِكَ تَدْخُلُ لِتَمْتَلِكَ أَرْضَهُمْ، بَلْ لِأَجْلِ إِثْمِ أُولَئِكَ ٱلشُّعُوبِ يَطْرُدُهُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مِنْ أَمَامِكَ، وَلِكَيْ يَفِيَ بِٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِ لِآبَائِكَ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ. | ٥ 5 |
तुम्हें उन राष्ट्रों पर अधिकार इसलिये मिल नहीं पा रहा, कि तुम धर्मी हो या तुम्हारा मन सीधा है; बल्कि इसलिये कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हारे सामने से इसलिये निकाल रहे हैं, कि ये राष्ट्र दुष्ट राष्ट्र हैं, कि याहवेह उस प्रतिज्ञा को पूरा करें, जो उन्होंने शपथ के साथ तुम्हारे पूर्वज अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब के साथ की थी.
فَٱعْلَمْ أَنَّهُ لَيْسَ لِأَجْلِ بِرِّكَ يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ هَذِهِ ٱلْأَرْضَ ٱلْجَيِّدَةَ لِتَمْتَلِكَهَا، لِأَنَّكَ شَعْبٌ صُلْبُ ٱلرَّقَبَةِ. | ٦ 6 |
इसलिये यह अच्छी तरह से समझ लो कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे अधिकार के लिए यह उत्तम देश इसलिये नहीं दे रहे कि तुम भले लोग हो, वास्तव में तुम तो हठी जाति हो.
«اُذْكُرْ. لَا تَنْسَ كَيْفَ أَسْخَطْتَ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي خَرَجْتَ فِيهِ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ حَتَّى أَتَيْتُمْ إِلَى هَذَا ٱلْمَكَانِ كُنْتُمْ تُقَاوِمُونَ ٱلرَّبَّ. | ٧ 7 |
यह सच कभी न भुलाना कि निर्जन प्रदेश में तुम किस तरह से याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर को मिस्र देश से निकाल लाने के दिन से लेकर इस स्थान तक पहुंचने तक क्रोधित करते रहे हो. तुम याहवेह के विरुद्ध विद्रोही बने रहे हो.
حَتَّى فِي حُورِيبَ أَسْخَطْتُمُ ٱلرَّبَّ، فَغَضِبَ ٱلرَّبُّ عَلَيْكُمْ لِيُبِيدَكُمْ. | ٨ 8 |
यहां तक की, होरेब पर्वत के निकट भी तुमने याहवेह को ऐसा उकसा दिया था, कि अपने गुस्से में वे तुम्हें मिटा ही देते.
حِينَ صَعِدْتُ إِلَى ٱلْجَبَلِ لِكَيْ آخُذَ لَوْحَيِ ٱلْحَجَرِ، لَوْحَيِ ٱلْعَهْدِ ٱلَّذِي قَطَعَهُ ٱلرَّبُّ مَعَكُمْ، أَقَمْتُ فِي ٱلْجَبَلِ أَرْبَعِينَ نَهَارًا وَأَرْبَعِينَ لَيْلَةً لَا آكُلُ خُبْزًا وَلَا أَشْرَبُ مَاءً. | ٩ 9 |
जब मैं उस पर्वत पर गया हुआ था, जहां चालीस दिन और चालीस रात ठहरा रहा था, कि वे पत्थर की पट्टियां पाऊं; वे वाचा की पट्टियां, जिन पर याहवेह ने वह वाचा गढ़ दी थी, जो उन्होंने तुम्हारे साथ बांधी थी; तब मैंने न तो वहां भोजन ही किया और न जल पिया.
وَأَعْطَانِيَ ٱلرَّبُّ لَوْحَيِ ٱلْحَجَرِ ٱلْمَكْتُوبَيْنِ بِأَصَبِعِ ٱللهِ، وَعَلَيْهِمَا مِثْلُ جَمِيعِ ٱلْكَلِمَاتِ ٱلَّتِي كَلَّمَكُمْ بِهَا ٱلرَّبُّ فِي ٱلْجَبَلِ مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ فِي يَوْمِ ٱلِٱجْتِمَاعِ. | ١٠ 10 |
याहवेह ने वहां मुझे परमेश्वर की उंगली से लिखी पत्थर की दो पट्टियां सौंपीं. उन पर वह पूरी बातें गढ़ीं थीं, जो तुम्हारे वहां इकट्ठा होने पर पर्वत पर आग के बीच से याहवेह ने दिया था.
وَفِي نِهَايَةِ ٱلْأَرْبَعِينَ نَهَارًا وَٱلْأَرْبَعِينَ لَيْلَةً، لَمَّا أَعْطَانِيَ ٱلرَّبُّ لَوْحَيِ ٱلْحَجَرِ، لَوْحَيِ ٱلْعَهْدِ، | ١١ 11 |
चालीस दिनों और चालीस रातों के पूरा होने पर याहवेह ने मुझे दो पत्थर की पट्टियां सौंप दीं, वे वाचा की पट्टियां.
قَالَ ٱلرَّبُّ لِي: قُمِ ٱنْزِلْ عَاجِلًا مِنْ هُنَا، لِأَنَّهُ قَدْ فَسَدَ شَعْبُكَ ٱلَّذِي أَخْرَجْتَهُ مِنْ مِصْرَ. زَاغُوا سَرِيعًا عَنِ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي أَوْصَيْتُهُمْ. صَنَعُوا لِأَنْفُسِهِمْ تِمْثَالًا مَسْبُوكًا. | ١٢ 12 |
तब याहवेह ने मुझे आदेश दिया, “अब बिना देर यहां से कूच करो, क्योंकि तुम्हारे इन लोगों ने, जिन्हें तुम मिस्र देश से निकालकर लाए हो, खुद को अशुद्ध कर लिया है. कितनी जल्दी वे उस मार्ग से हट गए हैं, जो मेरे द्वारा बताया गया था. उन्होंने तो अपने लिए एक मूर्ति ढाल ली है.”
وَكَلَّمَنِيَ ٱلرَّبُّ قَائِلًا: رَأَيْتُ هَذَا ٱلشَّعْبَ وَإِذَا هُوَ شَعْبٌ صُلْبُ ٱلرَّقَبَةِ. | ١٣ 13 |
याहवेह ने मुझ पर प्रकट किया, “मैं इनको पहचान गया हूं. इसमें कोई शक नहीं कि ये हठीले लोग हैं!
اُتْرُكْنِي فَأُبِيدَهُمْ وَأَمْحُوَ ٱسْمَهُمْ مِنْ تَحْتِ ٱلسَّمَاءِ، وَأَجْعَلَكَ شَعْبًا أَعْظَمَ وَأَكْثَرَ مِنْهُمْ. | ١٤ 14 |
अब मुझे मत रोको, कि मैं इन्हें नाश करके पृथ्वी पर से उनकी याद ही मिटा डालूं. तब मैं तुमसे एक ऐसे राष्ट्र का उद्भव करूंगा, जो इनसे अधिक शक्तिशाली और गिनती में विशाल भी होगा.”
فَٱنْصَرَفْتُ وَنَزَلْتُ مِنَ ٱلْجَبَلِ، وَٱلْجَبَلُ يَشْتَعِلُ بِٱلنَّارِ، وَلَوْحَا ٱلْعَهْدِ فِي يَدَيَّ. | ١٥ 15 |
और मैं मुड़कर पर्वत से नीचे उतर आए. मैं अपने हाथों में वे दो वाचा की पट्टियां लिए हुए था.
«فَنَظَرْتُ وَإِذَا أَنْتُمْ قَدْ أَخْطَأْتُمْ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ، وَصَنَعْتُمْ لِأَنْفُسِكُمْ عِجْلًا مَسْبُوكًا، وَزُغْتُمْ سَرِيعًا عَنِ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي أَوْصَاكُمْ بِهَا ٱلرَّبُّ. | ١٦ 16 |
तब मैंने दृष्टि की तो पाया कि वास्तव में तुमने याहवेह अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया था! तुमने अपने लिए बछड़े की एक मूर्ति ढाल रखी थी. तुम बड़े ही शीघ्र उस मार्ग से भटक चुके थे, जो तुम्हारे लिए याहवेह द्वारा बताया गया था.
فَأَخَذْتُ ٱللَّوْحَيْنِ وَطَرَحْتُهُمَا مِنْ يَدَيَّ وَكَسَّرْتُهُمَا أَمَامَ أَعْيُنِكُمْ. | ١٧ 17 |
मैंने तुम्हारे देखते-देखते उन पत्थर की पट्टियों को फेंककर उन्हें चूर-चूर कर डाला.
ثُمَّ سَقَطْتُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ كَٱلْأَوَّلِ أَرْبَعِينَ نَهَارًا وَأَرْبَعِينَ لَيْلَةً، لَا آكُلُ خُبْزًا وَلَا أَشْرَبُ مَاءً، مِنْ أَجْلِ كُلِّ خَطَايَاكُمُ ٱلَّتِي أَخْطَأْتُمْ بِهَا بِعَمَلِكُمُ ٱلشَّرَّ أَمَامَ ٱلرَّبِّ لِإِغَاظَتِهِ. | ١٨ 18 |
उन पहले के चालीस दिनों और चालीस रातों के समान मैं याहवेह के सामने पड़ा रहा; मैंने न तो भोजन किया, न जल का पान; क्योंकि तुमने वह भीषण पाप कर डाला था, जो याहवेह की दृष्टि में बुरा था. इससे तुमने याहवेह का कोप भड़का डाला था.
لِأَنِّي فَزِعْتُ مِنَ ٱلْغَضَبِ وَٱلْغَيْظِ ٱلَّذِي سَخِطَهُ ٱلرَّبُّ عَلَيْكُمْ لِيُبِيدَكُمْ. فَسَمِعَ لِيَ ٱلرَّبُّ تِلْكَ ٱلْمَرَّةَ أَيْضًا. | ١٩ 19 |
मैं याहवेह के असंतोष और भीषण कोप की कल्पना से ही भयभीत हो गया था, जो अब तुम्हारे सर्वनाश के लिए आने पर था; मगर इस अवसर पर भी याहवेह ने मेरी विनती पर ध्यान दिया.
وَعَلَى هَارُونَ غَضِبَ ٱلرَّبُّ جِدًّا لِيُبِيدَهُ. فَصَلَّيْتُ أَيْضًا مِنْ أَجْلِ هَارُونَ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ. | ٢٠ 20 |
अहरोन पर तो याहवेह इतने क्रुद्ध थे, कि वह उसे नाश कर देने पर उतारू हो गए; तब मैंने उसी अवसर पर अहरोन के लिए विनती की.
وَأَمَّا خَطِيَّتُكُمُ، ٱلْعِجْلُ ٱلَّذِي صَنَعْتُمُوهُ، فَأَخَذْتُهُ وَأَحْرَقْتُهُ بِٱلنَّارِ، وَرَضَضْتُهُ وَطَحَنْتُهُ جَيِّدًا حَتَّى نَعِمَ كَٱلْغُبَارِ. ثُمَّ طَرَحْتُ غُبَارَهُ فِي ٱلنَّهْرِ ٱلْمُنْحَدِرِ مِنَ ٱلْجَبَلِ. | ٢١ 21 |
तुम्हारे द्वारा बनाई उस पाप की मूरत, उस बछड़े को लेकर मैंने उसे आग में जला दिया, उसे कुचल-कुचल कर इतना पीस डाला, कि वह धूल समान बारीक़ हो गया. मैंने यह धूल उस नदी में बहा दी, जो उस पर्वत से निकल रही थी.
«وَفِي تَبْعِيرَةَ وَمَسَّةَ وَقَبَرُوتَ هَتَّأَوَةَ أَسْخَطْتُمُ ٱلرَّبَّ. | ٢٢ 22 |
तुम लोगों ने याहवेह के कोप को दोबारा ताबेराह, मस्साह और किबरोथ-हत्ताआवह में भड़काया.
وَحِينَ أَرْسَلَكُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ قَادَشَ بَرْنِيعَ قَائِلًا: ٱصْعَدُوا ٱمْتَلِكُوا ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُكُمْ، عَصَيْتُمْ قَوْلَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ وَلَمْ تُصَدِّقُوهُ وَلَمْ تَسْمَعُوا لِقَوْلِهِ. | ٢٣ 23 |
जब कादेश-बरनेअ में याहवेह ने तुम्हें इस आदेश के साथ भेजा था, “जाओ उस देश पर अधिकार कर लो, जो मैं तुम्हें दे चुका हूं.” तब तुमने याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेश के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. तुमने न तो उनमें विश्वास किया और न उनके आदेश पर ध्यान दिया.
قَدْ كُنْتُمْ تَعْصُونَ ٱلرَّبَّ مُنْذُ يَوْمَ عَرَفْتُكُمْ. | ٢٤ 24 |
मैंने तो तुम्हें जिस दिन से देखा और पहचाना है, याहवेह के प्रति विद्रोह ही देखा है.
«فَسَقَطْتُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ ٱلْأَرْبَعِينَ نَهَارًا وَٱلْأَرْبَعِينَ لَيْلَةً ٱلَّتِي سَقَطْتُهَا، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَالَ إِنَّهُ يُهْلِكُكُمْ. | ٢٥ 25 |
तब मैं चालीस दिन और चालीस रात याहवेह के सामने ही पड़ा रहा, क्योंकि याहवेह अपनी यह इच्छा बता चुके थे, कि वह तुम्हें नाश कर देंगे.
وَصَلَّيْتُ لِلرَّبِّ وَقُلْتُ: يَا سَيِّدُ ٱلرَّبُّ، لَا تُهْلِكْ شَعْبَكَ وَمِيرَاثَكَ ٱلَّذِي فَدَيْتَهُ بِعَظَمَتِكَ، ٱلَّذِي أَخْرَجْتَهُ مِنْ مِصْرَ بِيَدٍ شَدِيدَةٍ. | ٢٦ 26 |
मैंने याहवेह से प्रार्थना की, “प्रभु याहवेह, अपनी ही प्रजा को नाश न कीजिए, ये तो आपकी ही मीरास हैं, जिन्हें आप ही ने अपनी महानता के द्वारा छुड़ाया है, जिन्हें आपने अपनी समर्थ भुजा के द्वारा मिस्र देश से निकाला है.
اُذْكُرْ عَبِيدَكَ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ. لَا تَلْتَفِتْ إِلَى غَلَاظَةِ هَذَا ٱلشَّعْبِ وَإِثْمِهِ وَخَطِيَّتِهِ، | ٢٧ 27 |
अपने सेवक अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब को याद कीजिए; इस प्रजा के हठ, पाप और दुष्टता की अनदेखी कर दीजिए.
لِئَلَّا تَقُولَ ٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي أَخْرَجْتَنَا مِنْهَا: لِأَجْلِ أَنَّ ٱلرَّبَّ لَمْ يَقْدِرْ أَنْ يُدْخِلَهُمُ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي كَلَّمَهُمْ عَنْهَا، وَلِأَجْلِ أَنَّهُ أَبْغَضَهُمْ، أَخْرَجَهُمْ لِكَيْ يُمِيتَهُمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٢٨ 28 |
नहीं तो, जिस देश से आपने हमें निकाला है, वे आपका मज़ाक इस प्रकार करेंगे ‘याहवेह इन्हें उस प्रतिज्ञा के देश में ले जाने में असमर्थ हो गया था और उसे लोगों से घृणा हो गई थी, इसलिये उसने निर्जन प्रदेश में ही उनका नाश कर दिया.’
وَهُمْ شَعْبُكَ وَمِيرَاثُكَ ٱلَّذِي أَخْرَجْتَهُ بِقُوَّتِكَ ٱلْعَظِيمَةِ وَبِذِرَاعِكَ ٱلرَّفِيعَةِ. | ٢٩ 29 |
फिर भी, वे हैं तो आपकी ही प्रजा; हां, आपकी मीरास, जिन्हें आपने अपने अद्भुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा निकाला.”