< عَامُوس 8 >
هَكَذَا أَرَانِي ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ وَإِذَا سَلَّةٌ لِلْقِطَافِ. | ١ 1 |
प्रभु याहवेह ने मुझे यह दिखाया: एक टोकरी पके फल.
فَقَالَ: «مَاذَا أَنْتَ رَاءٍ يَا عَامُوسُ؟» فَقُلْتُ: «سَلَّةً لِلْقِطَافِ». فَقَالَ لِي ٱلرَّبُّ: «قَدْ أَتَتِ ٱلنِّهَايَةُ عَلَى شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. لَا أَعُودُ أَصْفَحُ لَهُ بَعْدُ. | ٢ 2 |
तब उन्होंने मुझसे पूछा, “हे आमोस, तुम्हें क्या दिख रहा है?” मैंने उत्तर दिया, “एक टोकरी पके फल.” तब याहवेह ने मुझसे कहा, “मेरे लोग इस्राएलियों का समय पक गया है; अब मैं उनको नहीं छोड़ूंगा.”
فَتَصِيرُ أَغَانِي ٱلْقَصْرِ وَلَاوِلَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، ٱلْجُثَثُ كَثِيرَةٌ يَطْرَحُونَهَا فِي كُلِّ مَوْضِعٍ بِٱلسُّكُوتِ». | ٣ 3 |
प्रभु याहवेह की घोषणा है, “उस दिन मंदिर में गीत विलाप में बदल जाएंगे. बहुत सारे शव हर जगह पड़े होंगे! और सन्नाटा होगा!”
اِسْمَعُوا هَذَا أَيُّهَا ٱلْمُتَهَمِّمُونَ ٱلْمَسَاكِينَ لِكَيْ تُبِيدُوا بَائِسِي ٱلْأَرْضِ، | ٤ 4 |
तुम, जो ज़रूरतमंद लोगों को कुचलते रहते हो और देश के गरीबों को मिटाते रहते हो, सुनो!
قَائِلِينَ: «مَتَى يَمْضِي رَأْسُ ٱلشَّهْرِ لِنَبِيعَ قَمْحًا، وَٱلسَّبْتُ لِنَعْرِضَ حِنْطَةً؟ لِنُصَغِّرَ ٱلْإِيفَةَ، وَنُكَبِّرَ ٱلشَّاقِلَ، وَنُعَوِّجَ مَوَازِينَ ٱلْغِشِّ. | ٥ 5 |
तुम कहते हो, “कब समाप्त होगा नया चांद का उत्सव कि हम अनाज बेच सकें, कब शब्बाथ समाप्त होगा कि हम गेहूं का खरीदी-बिक्री कर सकें?” कम चीज़ों को ज्यादा मूल्य पर बेचें और ग्राहक को छल की नाप से ठगें,
لِنَشْتَرِيَ ٱلضُّعَفَاءَ بِفِضَّةٍ، وَٱلْبَائِسَ بِنَعْلَيْنِ، وَنَبِيعَ نُفَايَةَ ٱلْقَمْحِ». | ٦ 6 |
चांदी की मुद्रा से गरीबों को और ज़रूरतमंद लोगों को एक जोड़ी जूते से खरीदें, और तो और गेहूं की भूसी को भी बेच दें.
قَدْ أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ بِفَخْرِ يَعْقُوبَ: «إِنِّي لَنْ أَنْسَى إِلَى ٱلْأَبَدِ جَمِيعَ أَعْمَالِهِمْ. | ٧ 7 |
याहवेह जो याकोब का घमंड है, उसने स्वयं की यह शपथ खाई है: “उन्होंने जो किया है, उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा.
أَلَيْسَ مِنْ أَجْلِ هَذَا تَرْتَعِدُ ٱلْأَرْضُ، وَيَنُوحُ كُلُّ سَاكِنٍ فِيهَا، وَتَطْمُو كُلُّهَا كَنَهْرٍ، وَتَفِيضُ وَتَنْضُبُ كَنِيلِ مِصْرَ؟ | ٨ 8 |
“क्या इस कारण धरती न कांपेंगी, और जो इसमें रहते हैं, वे शोकित न होंगे? समस्त पृथ्वी नील नदी के समान उफनेगी; यह मिस्र देश के नदी समान ऊंची की जाएगी और फिर दबा दी जाएगी.”
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، أَنِّي أُغَيِّبُ ٱلشَّمْسَ فِي ٱلظُّهْرِ، وَأُقْتِمُ ٱلْأَرْضَ فِي يَوْمِ نُورٍ، | ٩ 9 |
प्रभु याहवेह यह घोषणा करते हैं, “उस दिन, दोपहर के समय ही मैं सूर्यास्त कर दूंगा और दिन-दोपहरी में ही पृथ्वी पर अंधकार कर दूंगा.
وَأُحَوِّلُ أَعْيَادَكُمْ نَوْحًا، وَجَمِيعَ أَغَانِيكُمْ مَرَاثِيَ، وَأُصْعِدُ عَلَى كُلِّ ٱلْأَحْقَاءِ مِسْحًا، وَعَلَى كُلِّ رَأْسٍ قَرَعَةً، وَأَجْعَلُهَا كَمَنَاحَةِ ٱلْوَحِيدِ وَآخِرَهَا يَوْمًا مُرًّا! | ١٠ 10 |
मैं तुम्हारे धार्मिक उत्सवों को शोक में और तुम्हारे समस्त गीतों को विलाप में बदल दूंगा. मैं तुम सबको टाट का कपड़ा (शोक-वस्त्र) पहनाऊंगा और सबके सिरों को मुड़ाऊंगा. मैं उस समय को किसी के एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर किए जा रहे विलाप के समान और इसके अंत को एक दुखद दिन के समान कर दूंगा.”
«هُوَذَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، أُرْسِلُ جُوعًا فِي ٱلْأَرْضِ، لَا جُوعًا لِلْخُبْزِ، وَلَا عَطَشًا لِلْمَاءِ، بَلْ لِٱسْتِمَاعِ كَلِمَاتِ ٱلرَّبِّ. | ١١ 11 |
परम प्रभु यह घोषणा करते हैं, “ऐसे दिन आ रहे हैं, जब मैं संपूर्ण देश में अकाल भेजूंगा— अन्न-जल का अकाल नहीं पर याहवेह के वचन के सुनने का अकाल.
فَيَجُولُونَ مِنْ بَحْرٍ إِلَى بَحْرٍ، وَمِنَ ٱلشِّمَالِ إِلَى ٱلْمَشْرِقِ، يَتَطَوَّحُونَ لِيَطْلُبُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ فَلَا يَجِدُونَهَا. | ١٢ 12 |
लोग याहवेह के वचन की खोज में इस समुद्र से उस समुद्र में और उत्तर से लेकर दक्षिण दिशा तक भटकेंगे, परंतु वह उन्हें न मिलेगा.
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تَذْبُلُ بِٱلْعَطَشِ ٱلْعَذَارَى ٱلْجَمِيلَاتُ وَٱلْفِتْيَانُ، | ١٣ 13 |
“उस समय में “सुंदर युवतियां तथा युवा पुरुष प्यास के कारण मूर्छित हो जाएंगे.
ٱلَّذِينَ يَحْلِفُونَ بِذَنْبِ ٱلسَّامِرَةِ، وَيَقُولُونَ: حَيٌّ إِلَهُكَ يَا دَانُ، وَحَيَّةٌ طَرِيقَةُ بِئْرِ سَبْعٍ. فَيَسْقُطُونَ وَلَا يَقُومُونَ بَعْدُ». | ١٤ 14 |
जो शमरिया के पाप की शपथ खाकर कहते हैं, ‘हे दान, तुम्हारे देवता के जीवन की शपथ,’ या, ‘बेअरशेबा के देवता के जीवन की शपथ’— वे ऐसे गिरेंगे कि फिर कभी न उठेंगे.”