< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 13 >
وَجَرَى بَعْدَ ذَلِكَ أَنَّهُ كَانَ لِأَبْشَالُومَ بْنِ دَاوُدَ أُخْتٌ جَمِيلَةٌ ٱسْمُهَا ثَامَارُ، فَأَحَبَّهَا أَمْنُونُ بْنُ دَاوُدَ. | ١ 1 |
दावीद के अबशालोम नामक पुत्र की अत्यंत रूपवती बहन थी, जिसका नाम तामार था. अम्मोन नामक दावीद के अन्य पुत्र को तामार से प्रेम हो गया.
وَأُحْصِرَ أَمْنُونُ لِلسُّقْمِ مِنْ أَجْلِ ثَامَارَ أُخْتِهِ لِأَنَّهَا كَانَتْ عَذْرَاءَ، وَعَسُرَ فِي عَيْنَيْ أَمْنُونَ أَنْ يَفْعَلَ لَهَا شَيْئًا. | ٢ 2 |
अम्मोन अपनी बहन के कारण इतना अधिक निराश हो गया कि वह रोगी रहने लगा. उसके साथ कुछ करना अम्मोन को कठिन जान पड़ता था. तामार अब तक कुंवारी थी.
وَكَانَ لِأَمْنُونَ صَاحِبٌ ٱسْمُهُ يُونَادَابُ بْنُ شِمْعَى أَخِي دَاوُدَ. وَكَانَ يُونَادَابُ رَجُلًا حَكِيمًا جِدًّا. | ٣ 3 |
दावीद के भाई सिमअह का योनादाब नामक पुत्र था, जो अम्मोन का मित्र था. वह एक चतुर व्यक्ति था.
فَقَالَ لَهُ: «لِمَاذَا يَا ٱبْنَ ٱلْمَلِكِ أَنْتَ ضَعِيفٌ هَكَذَا مِنْ صَبَاحٍ إِلَى صَبَاحٍ؟ أَمَا تُخْبِرُنِي؟» فَقَالَ لَهُ أَمْنُونُ: «إِنِّي أُحِبُّ ثَامَارَ أُخْتَ أَبْشَالُومَ أَخِي». | ٤ 4 |
उसने अम्मोन से कहा, “ओ राजा के सपूत, तुम दिन-प्रतिदिन ऐसे मुरझाए हुए मुंह के क्यों हुए जा रहे हो? मुझे बताओ, हुआ क्या है?” अम्मोन ने उसे उत्तर दिया, “मुझे मेरे भाई अबशालोम की बहन तामार से प्रेम हो गया है.”
فَقَالَ يُونَادَابُ: «ٱضْطَجِعْ عَلَى سَرِيرِكَ وَتَمَارَضْ. وَإِذَا جَاءَ أَبُوكَ لِيَرَاكَ فَقُلْ لَهُ: دَعْ ثَامَارَ أُخْتِي فَتَأْتِيَ وَتُطْعِمَنِي خُبْزًا، وَتَعْمَلَ أَمَامِي ٱلطَّعَامَ لِأَرَى فَآكُلَ مِنْ يَدِهَا». | ٥ 5 |
योनादाब ने उससे कहा, “ऐसा करो, जाकर अपने बिछौने पर सो जाओ मानो तुम रोगी हो. जब तुम्हारे पिता तुम्हें देखने आएं तो उनसे कहना, ‘मेरी बहन तामार को भेज दीजिए कि वह यही आकर मेरे देखते हुए भोजन तैयार करे कि मैं उसकी के हाथ से भोजन करूं.’”
فَٱضْطَجَعَ أَمْنُونُ وَتَمَارَضَ، فَجَاءَ ٱلْمَلِكُ لِيَرَاهُ. فَقَالَ أَمْنُونُ لِلْمَلِكِ: «دَعْ ثَامَارَ أُخْتِي فَتَأْتِيَ وَتَصْنَعَ أَمَامِي كَعْكَتَيْنِ فَآكُلَ مِنْ يَدِهَا». | ٦ 6 |
तब अम्मोन ऐसे सो गया मानो वह रोगी था. जब राजा उसे देखने आए, अम्मोन ने राजा से कहा, “कृपया मेरी बहन तामार को भेज दीजिए कि वह यहां आकर मेरे सामने मेरे लिए भोजन बनाए, कि मैं उसी के हाथ से भोजन कर सकूं.”
فَأَرْسَلَ دَاوُدُ إِلَى ثَامَارَ إِلَى ٱلْبَيْتِ قَائِلًا: «ٱذْهَبِي إِلَى بَيْتِ أَمْنُونَ أَخِيكِ وَٱعْمَلِي لَهُ طَعَامًا». | ٧ 7 |
तब दावीद ने तामार के घर पर यह संदेश भेजा, “अपने भाई अम्मोन के घर पर चली जाओ और उसके लिए भोजन तैयार कर दो.”
فَذَهَبَتْ ثَامَارُ إِلَى بَيْتِ أَمْنُونَ أَخِيهَا وَهُوَ مُضْطَجِعٌ. وَأَخَذَتِ ٱلْعَجِينَ وَعَجَنَتْ وَعَمِلَتْ كَعْكًا أَمَامَهُ وَخَبَزَتِ ٱلْكَعْكَ، | ٨ 8 |
तब तामार अपने भाई अम्मोन के घर पर चली गई, जहां वह लेटा हुआ था. उसने वहां आटा गूंधा और उसके देखते हुए रोटियां बनाई.
وَأَخَذَتِ ٱلْمِقْلَاةَ وَسَكَبَتْ أَمَامَهُ، فَأَبَى أَنْ يَأْكُلَ. وَقَالَ أَمْنُونُ: «أَخْرِجُوا كُلَّ إِنْسَانٍ عَنِّي». فَخَرَجَ كُلُّ إِنْسَانٍ عَنْهُ. | ٩ 9 |
इसके बाद उसने बर्तन में से भोजन निकालकर अम्मोन को परोस दिया, मगर अम्मोन ने खाना न चाहा. उसने आदेश दिया, “अन्य सभी व्यक्ति उस कमरे से बाहर भेज दिए जाएं.” तब सभी वहां से बाहर चले गए.
ثُمَّ قَالَ أَمْنُونُ لِثَامَارَ: «ٱيتِي بِٱلطَّعَامِ إِلَى ٱلْمِخْدَعِ فَآكُلَ مِنْ يَدِكِ». فَأَخَذَتْ ثَامَارُ ٱلْكَعْكَ ٱلَّذِي عَمِلَتْهُ وَأَتَتْ بِهِ أَمْنُونَ أَخَاهَا إِلَى ٱلْمِخْدَعِ. | ١٠ 10 |
तब अम्मोन ने तामार से कहा, “भोजन यहां इस कमरे में लाया जाए, कि मैं तुम्हारे हाथ से भोजन कर सकूं.” तब तामार अपने द्वारा तैयार किया हुआ भोजन अपने भाई अम्मोन के निकट ले गई.
وَقَدَّمَتْ لَهُ لِيَأْكُلَ، فَأَمْسَكَهَا وَقَالَ لَهَا: «تَعَالَيِ ٱضْطَجِعِي مَعِي يَاأُخْتِي». | ١١ 11 |
जैसे ही वह उसके भोजन उसके निकट लेकर गई, अम्मोन ने उसे पकड़ लिया और उससे कहा, “मेरी बहन, आओ, मेरे साथ सोओ.”
فَقَالَتْ لَهُ: «لَا يَا أَخِي، لَا تُذِلَّنِي لِأَنَّهُ لَا يُفْعَلُ هَكَذَا فِي إِسْرَائِيلَ. لَا تَعْمَلْ هَذِهِ ٱلْقَبَاحَةَ. | ١٢ 12 |
उसने उत्तर दिया, “नहीं, मेरे भाई! मुझे विवश न करो! इस्राएल राष्ट्र में ऐसा नहीं किया जाता; मत करो यह अनाचार!
أَمَّا أَنَا فَأَيْنَ أَذْهَبُ بِعَارِي؟ وَأَمَّا أَنْتَ فَتَكُونُ كَوَاحِدٍ مِنَ ٱلسُّفَهَاءِ فِي إِسْرَائِيلَ! وَٱلْآنَ كَلِّمِ ٱلْمَلِكَ لِأَنَّهُ لَا يَمْنَعُنِي مِنْكَ». | ١٣ 13 |
और फिर मेरे विषय में विचार करो. मैं इस लज्जा को कैसे धोती फिरूंगी? और अपने विषय में भी विचार करो. तुम तो इस्राएल में दुष्ट मूर्ख के रूप में कुख्यात हो जाओगे. सही होगा कि तुम इस विषय में राजा से आग्रह करो. वह मेरे विषय में तुम्हारा आग्रह अस्वीकार न करेंगे.”
فَلَمْ يَشَأْ أَنْ يَسْمَعَ لِصَوْتِهَا، بَلْ تَمَكَّنَ مِنْهَا وَقَهَرَهَا وَٱضْطَجَعَ مَعَهَا. | ١٤ 14 |
मगर अम्मोन ने उसकी एक न सुनी. तामार की अपेक्षा बलवान होने के कारण वह उस पर प्रबल हो गया, और उसने उसके साथ बलात्कार किया.
ثُمَّ أَبْغَضَهَا أَمْنُونُ بُغْضَةً شَدِيدَةً جِدًّا، حَتَّى إِنَّ ٱلْبِغْضَةَ ٱلَّتِي أَبْغَضَهَا إِيَّاهَا كَانَتْ أَشَدَّ مِنَ ٱلْمَحَبَّةِ ٱلَّتِي أَحَبَّهَا إِيَّاهَا. وَقَالَ لَهَا أَمْنُونُ: «قُومِي ٱنْطَلِقِي». | ١٥ 15 |
इसके होते ही अम्मोन तामार के प्रति ऐसी घृणा से भर गया, जो बहुत बड़ी घृणा थी. उसकी यह घृणा उसके प्रति उसके प्रेम से कहीं अधिक भयंकर थी. तब अम्मोन ने तामार से कहा, “चलो उठो और निकल जाओ यहां से!”
فَقَالَتْ لَهُ: «لَا سَبَبَ! هَذَا ٱلشَّرُّ بِطَرْدِكَ إِيَّايَ هُوَ أَعْظَمُ مِنَ ٱلْآخَرِ ٱلَّذِي عَمِلْتَهُ بِي». فَلَمْ يَشَأْ أَنْ يَسْمَعَ لَهَا، | ١٦ 16 |
मगर तामार ने उससे कहा, “नहीं, मेरे भाई, तुम्हारा मुझे इस प्रकार भेजना मेरे साथ किए गए इस कुकर्म से भी ज्यादा गलत बात होगी.” मगर अम्मोन ने उसकी एक न सुनी.
بَلْ دَعَا غُلَامَهُ ٱلَّذِي كَانَ يَخْدِمُهُ وَقَالَ: «ٱطْرُدْ هَذِهِ عَنِّي خَارِجًا وَأَقْفِلِ ٱلْبَابَ وَرَاءَهَا». | ١٧ 17 |
उसने अपने युवा सेवक को बुलाकर उसे आदेश दिया, “इसी समय इस स्त्री को मेरी उपस्थिति से दूर ले जाओ, और फिर यह द्वार बंद कर दो.”
وَكَانَ عَلَيْهَا ثَوْبٌ مُلوَّنٌ، لِأَنَّ بَنَاتِ ٱلْمَلِكِ ٱلْعَذَارَى كُنَّ يَلْبَسْنَ جُبَّاتٍ مِثْلَ هَذِهِ. فَأَخْرَجَهَا خَادِمُهُ إِلَى ٱلْخَارِجِ وَأَقْفَلَ ٱلْبَابَ وَرَاءَهَا. | ١٨ 18 |
तामार एक लंबा वस्त्र धारण किए हुए थी. इस वस्त्र में लंबी बांहें थी. राजा की कुंवारी कन्याएं इसी प्रकार का वस्त्र पहना करती थी. उस सेवक ने उसे कमरे से बाहर निकालकर द्वार बंद कर दिया.
فَجَعَلَتْ ثَامَارُ رَمَادًا عَلَى رَأْسِهَا، وَمَزَّقَتِ ٱلثَّوْبَ ٱلْمُلَوَّنَ ٱلَّذِي عَلَيْهَا، وَوَضَعَتْ يَدَهَا عَلَى رَأْسِهَا وَكَانَتْ تَذْهَبُ صَارِخَةً. | ١٩ 19 |
तामार ने अपने सिर पर भस्म डाल अपने लंबी बांह युक्त वस्त्र को फाड़ दिया, जिसे उसने इस समय पहना था. वह इस स्थिति में अपने मस्तक पर हाथ रखे हुए उच्च स्वर में रोती हुई लौट गई.
فَقَالَ لَهَا أَبْشَالُومُ أَخُوهَا: «هَلْ كَانَ أَمْنُونُ أَخُوكِ مَعَكِ؟ فَٱلْآنَ يَا أُخْتِي ٱسْكُتِي. أَخُوكِ هُوَ. لَا تَضَعِي قَلْبَكِ عَلَى هَذَا ٱلْأَمْرِ». فَأَقَامَتْ ثَامَارُ مُسْتَوْحِشَةً فِي بَيْتِ أَبْشَالُومَ أَخِيهَا. | ٢٠ 20 |
तामार के भाई अबशालोम ने उससे पूछा, “क्या, तुम अपने भाई अम्मोन के यहां से आ रही हो? मेरी बहन, अब शांत हो जाओ. वह भाई है तुम्हारा. इसे अपने हृदय से निकाल दो.” तब तामार अपने भाई अबशालोम के आवास में असहाय स्त्री होकर रहने लगी.
وَلَمَّا سَمِعَ ٱلْمَلِكُ دَاوُدُ بِجَمِيعِ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ ٱغْتَاظَ جِدًّا. | ٢١ 21 |
इस घटना का समाचार सुनकर राजा दावीद बहुत क्रुद्ध हो गए.
وَلَمْ يُكَلِّمْ أَبْشَالُومُ أَمْنُونَ بِشَرٍّ وَلَا بِخَيْرٍ، لِأَنَّ أَبْشَالُومَ أَبْغَضَ أَمْنُونَ مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ أَذَلَّ ثَامَارَ أُخْتَهُ. | ٢٢ 22 |
अबशालोम ने अम्मोन से भला-बुरा कुछ भी न कहा. अम्मोन ने उसकी बहन को भ्रष्ट किया था, इसलिए अबशालोम अम्मोन से घृणा करने लगा.
وَكَانَ بَعْدَ سَنَتَيْنِ مِنَ ٱلزَّمَانِ، أَنَّهُ كَانَ لِأَبْشَالُومَ جَزَّازُونَ فِي بَعْلَ حَاصُورَ ٱلَّتِي عِنْدَ أَفْرَايِمَ. فَدَعَا أَبْشَالُومُ جَمِيعَ بَنِي ٱلْمَلِكِ. | ٢٣ 23 |
इस घटना के बाद दो वर्ष पूर्ण होने पर अबशालोम ने राजा के सारे पुत्रों को बाल-हाज़ोर नामक स्थान पर आमंत्रित किया. यह स्थान एफ्राईम के निकट था. यहीं अबशालोम के भेड़ के ऊन कतरनेवाले चुने गए थे.
وَجَاءَ أَبْشَالُومُ إِلَى ٱلْمَلِكِ وَقَالَ: «هُوَذَا لِعَبْدِكَ جَزَّازُونَ. فَلْيَذْهَبِ ٱلْمَلِكُ وَعَبِيدُهُ مَعَ عَبْدِكَ». | ٢٤ 24 |
अबशालोम ने राजा के निकट जाकर उनसे विनती की, “कृपा कर सुनिए: आपके सेवक ने भेड़ के ऊन कतरनेवाले चुने हैं. कृपया महाराज और उनके सेवक मेरे साथ वहां पधारे.”
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِأَبْشَالُومَ: «لَا يَا ٱبْنِي. لَا نَذْهَبْ كُلُّنَا لِئَلَّا نُثَقِّلَ عَلَيْكَ». فَأَلَحَّ عَلَيْهِ، فَلَمْ يَشَأْ أَنْ يَذْهَبَ بَلْ بَارَكَهُ. | ٢٥ 25 |
मगर राजा ने अबशालोम को उत्तर दिया, “नहीं मेरे पुत्र, हम सबका वहां जाना सही न होगा. हम सब तुम्हारे लिए बोझ बन जाएंगे.” अबशालोम विनती करता रहा मगर राजा मना करते रहे. हां, राजा ने अबशालोम को आशीर्वाद अवश्य दिया.
فَقَالَ أَبْشَالُومُ: «إِذًا دَعْ أَخِي أَمْنُونَ يَذْهَبْ مَعَنَا». فَقَالَ ٱلْمَلِكُ: «لِمَاذَا يَذْهَبُ مَعَكَ؟» | ٢٦ 26 |
इस स्थिति में अबशालोम ने अपने पिता से कहा, “अच्छा, यदि आप नहीं जा सकते तो हमारे साथ मेरे भाई अम्मोन को ही जाने दे.” इस पर राजा ने प्रश्न किया, “क्यों? वह क्यों जाएगा तुम्हारे साथ?”
فَأَلَحَّ عَلَيْهِ أَبْشَالُومُ، فَأَرْسَلَ مَعَهُ أَمْنُونَ وَجَمِيعَ بَنِي ٱلْمَلِكِ. | ٢٧ 27 |
मगर जब अबशालोम विनती करता ही रहा, दावीद ने अम्मोन और सारे राजपुत्रों को उसके साथ जाने की आज्ञा दे दी.
فَأَوْصَى أَبْشَالُومُ غِلْمَانَهُ قَائِلًا: «ٱنْظُرُوا. مَتَى طَابَ قَلْبُ أَمْنُونَ بِٱلْخَمْرِ وَقُلْتُ لَكُمُ ٱضْرِبُوا أَمْنُونَ فَٱقْتُلُوهُ. لَا تَخَافُوا. أَلَيْسَ أَنِّي أَنَا أَمَرْتُكُمْ؟ فَتَشَدَّدُوا وَكُونُوا ذَوِي بَأْسٍ». | ٢٨ 28 |
अबशालोम ने अपने सेवकों को आदेश दे रखा था, “देखते रहना! जब अम्मोन दाखमधु से नशे में हो जाए, और जब मैं तुम्हें आदेश दूं, ‘अम्मोन पर वार करो,’ तब तुम उसे घात कर देना. ज़रा भी न झिझकना. स्वयं मैं तुम्हें यह आदेश दे रहा हूं; साहस बनाए रखना और वीरता दिखाना.”
فَفَعَلَ غِلْمَانُ أَبْشَالُومَ بِأَمْنُونَ كَمَا أَمَرَ أَبْشَالُومُ. فَقَامَ جَمِيعُ بَنِي ٱلْمَلِكِ وَرَكِبُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى بَغْلِهِ وَهَرَبُوا. | ٢٩ 29 |
अबशालोम के सेवकों ने इस आदेश का पूरा-पूरा पालन किया. वह होते ही सभी राजपुत्र अपने-अपने घोड़ों पर सवार हो भाग गए.
وَفِيمَا هُمْ فِي ٱلطَّرِيقِ وَصَلَ ٱلْخَبَرُ إِلَى دَاوُدَ وَقِيلَ لَهُ: «قَدْ قَتَلَ أَبْشَالُومُ جَمِيعَ بَنِي ٱلْمَلِكِ، وَلَمْ يَتَبَقَّ مِنْهُمْ أَحَدٌ». | ٣٠ 30 |
जब वे सब मार्ग में ही थे, दावीद को यह समाचार इस प्रकार भेजा गया: “अबशालोम ने सभी राजपुत्रों का संहार कर दिया है; एक भी जीवित शेष न रहा है.”
فَقَامَ ٱلْمَلِكُ وَمَزَّقَ ثِيَابَهُ وَٱضْطَجَعَ عَلَى ٱلْأَرْضِ وَجَمِيعُ عَبِيدِهِ وَاقِفُونَ وَثِيَابُهُمْ مُمَزَّقَةٌ. | ٣١ 31 |
यह सुनकर राजा ने शोक में अपने वस्त्र फाड़ दिए, और उठकर भूमि पर जा लेटे. उनके निकट सभी सेवकों ने भी अपने वस्त्र फाड़ दिए.
فَأَجَابَ يُونَادَابُ بْنُ شِمْعَى أَخِي دَاوُدَ وَقَالَ: «لَا يَظُنَّ سَيِّدِي أَنَّهُمْ قَتَلُوا جَمِيعَ ٱلْفِتْيَانِ بَنِي ٱلْمَلِكِ. إِنَّمَا أَمْنُونُ وَحْدَهُ مَاتَ، لِأَنَّ ذَلِكَ قَدْ وُضِعَ عِنْدَ أَبْشَالُومَ مُنْذُ يَوْمَ أَذَلَّ ثَامَارَ أُخْتَهُ. | ٣٢ 32 |
मगर दावीद के भाई सिमअह के पुत्र योनादाब ने आश्वासन दिया, “मेरे प्रभु, यह न मान लें कि उन्होंने सारे युवा राजपुत्रों का संहार कर दिया है. वध मात्र अम्मोन का ही किया गया है. इसका निश्चय अबशालोम ने उसी दिन कर लिया था, जिस दिन अम्मोन ने अपनी बहन तामार से बलात्कार किया था.
وَٱلْآنَ لَا يَضَعَنَّ سَيِّدِي ٱلْمَلِكُ فِي قَلْبِهِ شَيْئًا قَائِلًا: إِنَّ جَمِيعَ بَنِي ٱلْمَلِكِ قَدْ مَاتُوا. إِنَّمَا أَمْنُونُ وَحْدَهُ مَاتَ». | ٣٣ 33 |
मेरे स्वामी महाराज, इस विचार से उदास न हों, कि सारे राजपुत्रों का संहार किया जा चुका है, क्योंकि सिर्फ अम्मोन का ही संहार किया गया है.”
وَهَرَبَ أَبْشَالُومُ. وَرَفَعَ ٱلْغُلَامُ ٱلرَّقِيبُ طَرْفَهُ وَنَظَرَ وَإِذَا بِشَعْبٍ كَثِيرٍ يَسِيرُونَ عَلَى ٱلطَّرِيقِ وَرَاءَهُ بِجَانِبِ ٱلْجَبَلِ. | ٣٤ 34 |
इसी बीच अबशालोम वहां से भाग निकला. वहां नियुक्त युवा पहरेदार ने दृष्टि की, तो देखा कि उसके पीछे के मार्ग से पर्वत की एक ओर से अनेक लोग चले आ रहे थे.
فَقَالَ يُونَادَابُ لِلْمَلِكِ: «هُوَذَا بَنُو ٱلْمَلِكِ قَدْ جَاءُوا. كَمَا قَالَ عَبْدُكَ كَذَلِكَ صَارَ». | ٣٥ 35 |
योनादाब ने राजा से कहा, “देखिए राजपुत्र लौट आए हैं! ठीक वैसा ही हुआ है, जैसे आपके सेवक ने आपको कहा था.”
وَلَمَّا فَرَغَ مِنَ ٱلْكَلَامِ إِذَا بِبَنِي ٱلْمَلِكِ قَدْ جَاءُوا وَرَفَعُوا أَصْوَاتَهُمْ وَبَكَوْا، وَكَذَلِكَ بَكَى ٱلْمَلِكُ وَعَبِيدُهُ بُكَاءً عَظِيمًا جِدًّا. | ٣٦ 36 |
वह यह कह ही रहा था, कि राजपुत्र आ पहुंचे और ऊंची आवाज में रोने लगे. उनके साथ राजा और सारे सेवक भी फूट-फूटकर रोने लगे.
فَهَرَبَ أَبْشَالُومُ وَذَهَبَ إِلَى تِلْمَايَ بْنِ عَمِّيهُودَ مَلِكِ جَشُورَ. وَنَاحَ دَاوُدُ عَلَى ٱبْنِهِ ٱلْأَيَّامَ كُلَّهَا. | ٣٧ 37 |
इस समय अबशालोम कूच करके गेशूर के राजा अम्मीहूद के पुत्र तालमाई की शरण में जा पहुंचा. राजा दावीद अपने पुत्र के लिए हर रोज़ रोते रहे.
وَهَرَبَ أَبْشَالُومُ وَذَهَبَ إِلَى جَشُورَ، وَكَانَ هُنَاكَ ثَلَاثَ سِنِينَ. | ٣٨ 38 |
अबशालोम भागकर गेशूर नामक स्थान पर गया और वहां तीन साल तक रहता रहा.
وَكَانَ دَاوُدُ يَتُوقُ إِلَى ٱلْخُرُوجِ إِلَى أَبْشَالُومَ، لِأَنَّهُ تَعَزَّى عَنْ أَمْنُونَ حَيْثُ إِنَّهُ مَاتَ. | ٣٩ 39 |
राजा दावीद का हृदय अबशालोम से मिलने के लिए व्याकुल रहता था. अब उन्हें अम्मोन मृत्यु के विषय में शांति प्राप्त हो चुकी थी.