< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 12 >
فَأَرْسَلَ ٱلرَّبُّ نَاثَانَ إِلَى دَاوُدَ. فَجَاءَ إِلَيْهِ وَقَالَ لَهُ: «كَانَ رَجُلَانِ فِي مَدِينَةٍ وَاحِدَةٍ، وَاحِدٌ مِنْهُمَا غَنِيٌّ وَٱلْآخَرُ فَقِيرٌ. | ١ 1 |
और ख़ुदावन्द ने नातन को दाऊद के पास भेजा, उसने उसके पास आकर उससे कहा, “किसी शहर में दो शख़्स थे, एक अमीर दूसरा ग़रीब।
وَكَانَ لِلْغَنِيِّ غَنَمٌ وَبَقَرٌ كَثِيرَةٌ جِدًّا. | ٢ 2 |
उस अमीर के पास बहुत से रेवड़ और गल्ले थे।
وَأَمَّا ٱلْفَقِيرُ فَلَمْ يَكُنْ لَهُ شَيْءٌ إِلَا نَعْجَةٌ وَاحِدَةٌ صَغِيرَةٌ قَدِ ٱقْتَنَاهَا وَرَبَّاهَا وَكَبُرَتْ مَعَهُ وَمَعَ بَنِيهِ جَمِيعًا. تَأْكُلُ مِنْ لُقْمَتِهِ وَتَشْرَبُ مِنْ كَأْسِهِ وَتَنَامُ فِي حِضْنِهِ، وَكَانَتْ لَهُ كَٱبْنَةٍ. | ٣ 3 |
लेकिन उस ग़रीब के पास भेड़ की एक पठिया के 'अलावा कुछ न था, जिसे उसने ख़रीद कर पाला था और वह उसके और उसके बाल बच्चों के साथ बढ़ी थी, वह उसी के नेवाले में से खाती और उसके पियाला से पीती और उसकी गोद में सोती थी, और उसके लिए बतौर बेटी के थी।
فَجَاءَ ضَيْفٌ إِلَى ٱلرَّجُلِ ٱلْغَنِيِّ، فَعَفَا أَنْ يَأْخُذَ مِنْ غَنَمِهِ وَمِنْ بَقَرِهِ لِيُهَيِّئَ لِلضَّيْفِ ٱلَّذِي جَاءَ إِلَيْهِ، فَأَخَذَ نَعْجَةَ ٱلرَّجُلِ ٱلْفَقِيرِ وَهَيَّأَ لِلرَّجُلِ ٱلَّذِي جَاءَ إِلَيْهِ». | ٤ 4 |
और उस अमीर के यहाँ कोई मुसाफ़िर आया, इसलिए उसने उस मुसाफ़िर के लिए जो उसके यहाँ आया था पकाने को अपने रेवड़ और गल्ला में से कुछ न लिया, बल्कि उस ग़रीब की भेड़ ले ली, और उस शख़्स के लिए जो उसके यहाँ आया था पकाई।”
فَحَمِيَ غَضَبُ دَاوُدَ عَلَى ٱلرَّجُلِ جِدًّا، وَقَالَ لِنَاثَانَ: «حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُ يُقْتَلُ ٱلرَّجُلُ ٱلْفَاعِلُ ذَلِكَ، | ٥ 5 |
तब दाऊद का गज़ब उस शख्स़ पर बशिददत भड़का और उसने नातन से कहा कि “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम कि वह शख़्स जिसने यह काम किया वाजिबुल क़त्ल है।
وَيَرُدُّ ٱلنَّعْجَةَ أَرْبَعَةَ أَضْعَافٍ لِأَنَّهُ فَعَلَ هَذَا ٱلْأَمْرَ وَلِأَنَّهُ لَمْ يُشْفِقْ». | ٦ 6 |
इसलिए उस शख़्स को उस भेड़ का चौ गुना भरना पड़ेगा क्यूँकि उसने ऐसा काम किया और उसे तरस न आया।”
فَقَالَ نَاثَانُ لِدَاوُدَ: «أَنْتَ هُوَ ٱلرَّجُلُ! هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: أَنَا مَسَحْتُكَ مَلِكًا عَلَى إِسْرَائِيلَ وَأَنْقَذْتُكَ مِنْ يَدِ شَاوُلَ، | ٧ 7 |
तब नातन ने दाऊद से कहा, “वह शख़्स तूही है, ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि मैंने तुझे मसह करके इस्राईल का बादशाह बनाया और मैंने तुझे साऊल के हाथ से छुड़ाया।
وَأَعْطَيْتُكَ بَيْتَ سَيِّدِكَ وَنِسَاءَ سَيِّدِكَ فِي حِضْنِكَ، وَأَعْطَيْتُكَ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا. وَإِنْ كَانَ ذَلِكَ قَلِيلًا، كُنْتُ أَزِيدُ لَكَ كَذَا وَكَذَا. | ٨ 8 |
और मैंने तेरे आक़ा का घर तुझे दिया और तेरे आक़ा की बीवियाँ तेरी गोद में करदीं, और इस्राईल और यहूदाह का घराना तुझको दिया, और अगर यह सब कुछ थोड़ा था तो मैं तुझको और और चीजें भी देता।
لِمَاذَا ٱحْتَقَرْتَ كَلَامَ ٱلرَّبِّ لِتَعْمَلَ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيْهِ؟ قَدْ قَتَلْتَ أُورِيَّا ٱلْحِثِّيَّ بِٱلسَّيْفِ، وَأَخَذْتَ ٱمْرَأَتَهُ لَكَ ٱمْرَأَةً، وَإِيَّاهُ قَتَلْتَ بِسَيْفِ بَنِي عَمُّونَ. | ٩ 9 |
इसलिए तूने क्यों ख़ुदा की बात की तहक़ीर करके उसके सामने बुराई की? तूने हित्ती ऊरिय्याह को तलवार से मारा और उसकी बीवी लेली ताकि वह तेरी बीवी बने और उसको बनी अम्मोन की तलवार से क़त्ल करवाया।
وَٱلْآنَ لَا يُفَارِقُ ٱلسَّيْفُ بَيْتَكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، لِأَنَّكَ ٱحْتَقَرْتَنِي وَأَخَذْتَ ٱمْرَأَةَ أُورِيَّا ٱلْحِثِّيِّ لِتَكُونَ لَكَ ٱمْرَأَةً. | ١٠ 10 |
इसलिए अब तेरे घरसे तलवार कभी अलग न होगी क्यूँकि तूने मुझे हक़ीर जाना और हित्ती ऊरिय्याह की बीवी लेली ताकि वह तेरी बीवी हो।
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أُقِيمُ عَلَيْكَ ٱلشَّرَّ مِنْ بَيْتِكَ، وَآخُذُ نِسَاءَكَ أَمَامَ عَيْنَيْكَ وَأُعْطِيهِنَّ لِقَرِيبِكَ، فَيَضْطَجِعُ مَعَ نِسَائِكَ فِي عَيْنِ هَذِهِ ٱلشَّمْسِ. | ١١ 11 |
इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि देख मैं बुराई को तेरे ही घर से तेरे ख़िलाफ़ उठाऊँगा और मैं तेरी बीवियों को लेकर तेरी आँखों के सामने तेरे पड़ोसी को दूँगा, और वह दिन दहाड़े तेरी बीवियों से सोहबत करेगा।
لِأَنَّكَ أَنْتَ فَعَلْتَ بِٱلسِّرِّ وَأَنَا أَفْعَلُ هَذَا ٱلْأَمْرَ قُدَّامَ جَمِيعِ إِسْرَائِيلَ وَقُدَّامَ ٱلشَّمْسِ». | ١٢ 12 |
क्यूँकि तूने छिपकर यह किया लेकिन मैं सारे इस्राईल के सामने दिन दहाड़े यह करूँगा।”
فَقَالَ دَاوُدُ لِنَاثَانَ: «قَدْ أَخْطَأْتُ إِلَى ٱلرَّبِّ». فَقَالَ نَاثَانُ لِدَاوُدَ: «ٱلرَّبُّ أَيْضًا قَدْ نَقَلَ عَنْكَ خَطِيَّتَكَ. لَا تَمُوتُ. | ١٣ 13 |
तब दाऊद ने नातन से कहा, “मैंने ख़ुदावन्द का गुनाह किया।” नातन ने दाऊद से कहा कि “ख़ुदावन्द ने भी तेरा गुनाह बख़्शा, तू मरेगा नहीं।
غَيْرَ أَنَّهُ مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ قَدْ جَعَلْتَ بِهَذَا ٱلْأَمْرِ أَعْدَاءَ ٱلرَّبِّ يَشْمَتُونَ، فَٱلِٱبْنُ ٱلْمَوْلُودُ لَكَ يَمُوتُ». | ١٤ 14 |
तोभी चूँकि तूने इस काम से ख़ुदावन्द के दुश्मनों को कुफ़्र बकने का बड़ा मौ'क़ा दिया है इसलिए वह लड़का भी जो तुझसे पैदा होगा मर जाएगा।”
وَذَهَبَ نَاثَانُ إِلَى بَيْتِهِ. وَضَرَبَ ٱلرَّبُّ ٱلْوَلَدَ ٱلَّذِي وَلَدَتْهُ ٱمْرَأَةُ أُورِيَّا لِدَاوُدَ فَثَقِلَ. | ١٥ 15 |
फिर नातन अपने घर चला गया और ख़ुदावन्द ने उस लड़के को जो ऊरिय्याह की बीवी के दाऊद से पैदा हुआ था मारा और वह बहुत बीमार हो गया।
فَسَأَلَ دَاوُدُ ٱللهَ مِنْ أَجْلِ ٱلصَّبِيِّ، وَصَامَ دَاوُدُ صَوْمًا، وَدَخَلَ وَبَاتَ مُضْطَجِعًا عَلَى ٱلْأَرْضِ. | ١٦ 16 |
इसलिए दाऊद ने उस लड़के की ख़ातिर ख़ुदा से मिन्नत की और दाऊद ने रोज़ा रखा और अन्दर जाकर सारी रात ज़मीन पर पड़ा रहा।
فَقَامَ شُيُوخُ بَيْتِهِ عَلَيْهِ لِيُقِيمُوهُ عَنِ ٱلْأَرْضِ فَلَمْ يَشَأْ، وَلَمْ يَأْكُلْ مَعَهُمْ خُبْزًا. | ١٧ 17 |
और उसके घराने के बुज़ुर्ग उठकर उसके पास आए कि उसे ज़मीन पर से उठायें पर वह न उठा और न उसने उनके साथ खाना खाया।
وَكَانَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ أَنَّ ٱلْوَلَدَ مَاتَ، فَخَافَ عَبِيدُ دَاوُدَ أَنْ يُخْبِرُوهُ بِأَنَّ ٱلْوَلَدَ قَدْ مَاتَ لِأَنَّهُمْ قَالُوا: «هُوَذَا لَمَّا كَانَ ٱلْوَلَدُ حَيًّا كَلَّمْنَاهُ فَلَمْ يَسْمَعْ لِصَوْتِنَا. فَكَيْفَ نَقُولُ لَهُ: قَدْ مَاتَ ٱلْوَلَدُ؟ يَعْمَلُ أَشَرَّ!». | ١٨ 18 |
और सातवें दिन वह लड़का मर गया और दाऊद के मुलाज़िम उसे डर के मारे यह न बता सके कि लड़का मर गया, क्यूँकि उन्होंने कहा कि “जब वह लड़का ज़िन्दा ही था और हमने उससे बात की तो उसने हमारी बात न मानी तब अगर हम उसे बतायें कि लड़का मर गया तो वह बहुत ही दुखी होगा।”
وَرَأَى دَاوُدُ عَبِيدَهُ يَتَنَاجَوْنَ، فَفَطِنَ دَاوُدُ أَنَّ ٱلْوَلَدَ قَدْ مَاتَ. فَقَالَ دَاوُدُ لِعَبِيدِهِ: «هَلْ مَاتَ ٱلْوَلَدُ؟» فَقَالُوا: «مَاتَ». | ١٩ 19 |
लेकिन जब दाऊद ने अपने मुलाज़िमों को आपस में फुसफुसाते देखा तो दाऊद समझ गया कि लड़का मर गया, इसलिए दाऊद ने अपने मुलाज़िमों से पूछा, “क्या लड़का मर गया?” उन्होंने जवाब दिया, मर गया।
فَقَامَ دَاوُدُ عَنِ ٱلْأَرْضِ وَٱغْتَسَلَ وَٱدَّهَنَ وَبَدَّلَ ثِيَابَهُ وَدَخَلَ بَيْتَ ٱلرَّبِّ وَسَجَدَ، ثُمَّ جَاءَ إِلَى بَيْتِهِ وَطَلَبَ فَوَضَعُوا لَهُ خُبْزًا فَأَكَلَ. | ٢٠ 20 |
तब दाऊद ज़मीन पर से उठा और उसने ग़ुस्ल करके उसने तेल लगाया और लिबास बदली और ख़ुदावन्द के घर में जाकर सज्दा किया फिर वह अपने घर आया और उसके हुक्म देने पर उन्होंने उसके आगे रोटी रखी और उसने खाई
فَقَالَ لَهُ عَبِيدُهُ: «مَا هَذَا ٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي فَعَلْتَ؟ لَمَّا كَانَ ٱلْوَلَدُ حَيًّا صُمْتَ وَبَكَيْتَ، وَلَمَّا مَاتَ ٱلْوَلَدُ قُمْتَ وَأَكَلْتَ خُبْزًا». | ٢١ 21 |
तब उसके मुलाज़िमों ने उससे कहा, “यह कैसा काम है जो तूने किया? जब वह लड़का जीता था तो तूने उसके लिए रोज़ा रख्खा और रोता भी रहा और जब वह लड़का मर गया तो तूने उठकर रोटी खाई।”
فَقَالَ: «لَمَّا كَانَ ٱلْوَلَدُ حَيًّا صُمْتُ وَبَكَيْتُ لِأَنِّي قُلْتُ: مَنْ يَعْلَمُ؟ رُبَّمَا يَرْحَمُنِي ٱلرَّبُّ وَيَحْيَا ٱلْوَلَدُ. | ٢٢ 22 |
उसने कहा कि “जब तक वह लड़का ज़िन्दा था मैंने रोज़ा रख्खा और मैं रोता रहा क्यूँकि मैंने सोचा क्या जाने ख़ुदावन्द को मुझपर रहम आजाये कि वह लड़का जीता रहे?
وَٱلْآنَ قَدْ مَاتَ، فَلِمَاذَا أَصُومُ؟ هَلْ أَقْدِرُ أَنْ أَرُدَّهُ بَعْدُ؟ أَنَا ذَاهِبٌ إِلَيْهِ وَأَمَّا هُوَ فَلَا يَرْجِعُ إِلَيَّ». | ٢٣ 23 |
लेकिन अब तो मर गया तब मैं किस लिए रोज़ा रखूँ? क्या मैं उसे लौटा के ला सकता हूँ? मैं तो उसके पास जाऊँगा पर वह मेरे पास नहीं लौटने का।”
وَعَزَّى دَاوُدُ بَثْشَبَعَ ٱمْرَأَتَهُ، وَدَخَلَ إِلَيْهَا وَٱضْطَجَعَ مَعَهَا فَوَلَدَتِ ٱبْنًا، فَدَعَا ٱسْمَهُ سُلَيْمَانَ، وَٱلرَّبُّ أَحَبَّهُ، | ٢٤ 24 |
फिर दाऊद ने अपनी बीवी बत सबा'को तसल्ली दी और उसके पास गया और उससे सोहबत की और उसके एक बेटा हुआ और दाऊद ने उसका नाम सुलेमान रख्खा और ख़ुदावन्द का प्यारा हुआ।
وَأَرْسَلَ بِيَدِ نَاثَانَ ٱلنَّبِيِّ وَدَعَا ٱسْمَهُ «يَدِيدِيَّا» مِنْ أَجْلِ ٱلرَّبِّ. | ٢٥ 25 |
और उसने नातन नबी की ज़रिए पैग़ाम भेजा तब उसने उसका नाम ख़ुदावन्द की ख़ातिर यदीदियाह रख्खा।
وَحَارَبَ يُوآبُ رِبَّةَ بَنِي عَمُّونَ وَأَخَذَ مَدِينَةَ ٱلْمَمْلَكَةِ. | ٢٦ 26 |
और योआब बनी अम्मोन के रब्बा से लड़ा और उसने दारुल हुकूमत को ले लिया।
وَأَرْسَلَ يُوآبُ رُسُلًا إِلَى دَاوُدَ يَقُولُ: «قَدْ حَارَبْتُ رِبَّةَ وَأَخَذْتُ أَيْضًا مَدِينَةَ ٱلْمِيَاهِ. | ٢٧ 27 |
और योआब ने क़ासिदों के ज़रिए दाऊद को कहला भेजा कि “मैं रब्बा से लड़ा और मैंने पानियों के शहर को ले लिया।
فَٱلْآنَ ٱجْمَعْ بَقِيَّةَ ٱلشَّعْبِ وَٱنْزِلْ عَلَى ٱلْمَدِينَةِ وَخُذْهَا لِئَلَّا آخُذَ أَنَا ٱلْمَدِينَةَ فَيُدْعَى بِٱسْمِي عَلَيْهَا». | ٢٨ 28 |
फिर अब तू बाक़ी लोगों को जमा' कर और इस शहर के नज़दीक ख़ेमा ज़न हो और इस पर क़ब्ज़ा कर ले ऐसा न हो कि मैं इस शहर को बरबाद करूँ और वह मेरे नाम से कहलाए।”
فَجَمَعَ دَاوُدُ كُلَّ ٱلشَّعْبِ وَذَهَبَ إِلَى رِبَّةَ وَحَارَبَهَا وَأَخَذَهَا. | ٢٩ 29 |
तब दाऊद ने लोगों को जमा' किया और रब्बा को गया और उससे लड़ा और उसे ले लिया।
وَأَخَذَ تَاجَ مَلِكِهِمْ عَنْ رَأْسِهِ، وَوَزْنُهُ وَزْنَةٌ مِنَ ٱلذَّهَبِ مَعَ حَجَرٍ كَرِيمٍ، وَكَانَ عَلَى رَأْسِ دَاوُدَ. وَأَخْرَجَ غَنِيمَةَ ٱلْمَدِينَةِ كَثِيرَةً جِدًّا. | ٣٠ 30 |
और उसने उनके बादशाह का ताज उसके सर पर से उतार लिया, उसका वज़न सोने का एक क़िन्तार था और उसमें जवाहर जड़े हुए थे, फिर वह दाऊद के सर पर रख्खा गया और वह उस शहर से लूट का बहुत सा माल निकाल लाया।
وَأَخْرَجَ ٱلشَّعْبَ ٱلَّذِي فِيهَا وَوَضَعَهُمْ تَحْتَ مَنَاشِيرَ وَنَوَارِجِ حَدِيدٍ وَفُؤُوسِ حَدِيدٍ وَأَمَرَّهُمْ فِي أَتُونِ ٱلْآجُرِّ، وَهَكَذَا صَنَعَ بِجَمِيعِ مُدُنِ بَنِي عَمُّونَ. ثُمَّ رَجَعَ دَاوُدُ وَجَمِيعُ ٱلشَّعْبِ إِلَى أُورُشَلِيمَ. | ٣١ 31 |
और उसने उन लोगों को जो उसमें थे बाहर निकाल कर उनको आरों और लोहे के हैंगों और लोहे के कुल्हाड़ों के नीचे कर दिया, और उनको ईंटों के पज़ावे में से चलवाया और उसने बनी अम्मोन के सब शहरों से ऐसा ही किया, फिर दाऊद और सब लोग येरूशलेम को लौट आए।