< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 9 >
وَدَعَا أَلِيشَعُ ٱلنَّبِيُّ وَاحِدًا مِنْ بَنِي ٱلْأَنْبِيَاءِ وَقَالَ لَهُ: «شُدَّ حَقَوَيْكَ وَخُذْ قِنِّينَةَ ٱلدُّهْنِ هَذِهِ بِيَدِكَ، وَٱذْهَبْ إِلَى رَامُوتِ جِلْعَادَ. | ١ 1 |
और इलीशा' नबी ने अम्बियाज़ादों में से एक को बुलाकर उससे कहा, अपनी कमर बाँध, और तेल की ये कुप्पी अपने हाथ में ले, और रामात जिल'आद को जा।
وَإِذَا وَصَلْتَ إِلَى هُنَاكَ فَٱنْظُرْ هُنَاكَ يَاهُوَ بْنَ يَهُوشَافَاطَ بْنَ نِمْشِي، وَٱدْخُلْ وَأَقِمْهُ مِنْ وَسْطِ إِخْوَتِهِ، وَٱدْخُلْ بِهِ إِلَى مُخْدَعٍ دَاخِلَ مُخْدَعٍ. | ٢ 2 |
और जब तू वहाँ पहुँचे तो याहू — बिन — यहूसफ़त बिन — निमसी को पूछ, और अन्दर जाकर उसे उसके भाइयों में से उठा और अन्दर की कोठरी में ले जा।
ثُمَّ خُذْ قِنِّينَةَ ٱلدُّهْنِ وَصُبَّ عَلَى رَأْسِهِ وَقُلْ: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ مَسَحْتُكَ مَلِكًا عَلَى إِسْرَائِيلَ. ثُمَّ ٱفْتَحِ ٱلْبَابَ وَٱهْرُبْ وَلَا تَنْتَظِرْ». | ٣ 3 |
फिर तेल की यह कुप्पी लेकर उसके सिर पर डाल और कह, “ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि मैंने तुझे मसह करके इस्राईल का बादशाह बनाया है,' फिर तू दरवाज़ा खोल कर भागना और ठहरना मत।”
فَٱنْطَلَقَ ٱلْغُلَامُ، أَيِ ٱلْغُلَامُ ٱلنَّبِيُّ إِلَى رَامُوتِ جِلْعَادَ | ٤ 4 |
तब वह जवान, या'नी वह जवान जो नबी था, रामात जिल'आद को गया।
وَدَخَلَ وَإِذَا قُوَّادُ ٱلْجَيْشِ جُلُوسٌ. فَقَالَ: «لِي كَلَامٌ مَعَكَ يَا قَائِدُ». فَقَالَ يَاهُو: «مَعَ مَنْ مِنَّا كُلِّنَا؟». فَقَالَ: «مَعَكَ أَيُّهَا ٱلْقَائِدُ». | ٥ 5 |
जब वह पहुँचा तो लश्कर के सरदार बैठे हुए थे उसने कहा, “ऐ सरदार, मेरे पास तेरे लिए एक पैग़ाम है।” याहू ने कहा, “हम सभों में से किसके लिए?” उसने कहा, “ऐ सरदार, तेरे लिए।”
فَقَامَ وَدَخَلَ ٱلْبَيْتَ، فَصَبَّ ٱلدُّهْنَ عَلَى رَأْسِهِ وَقَالَ لَهُ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: قَدْ مَسَحْتُكَ مَلِكًا عَلَى شَعْبِ ٱلرَّبِّ إِسْرَائِيلَ، | ٦ 6 |
तब वह उठ कर उस घर में गया, तब उसने उसके सिर पर वह तेल डाला, और उससे कहा, “ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, कि मैंने तुझे मसह करके ख़ुदावन्द की क़ौम या'नी इस्राईल का बादशाह बनाया है।
فَتَضْرِبُ بَيْتَ أَخْآبَ سَيِّدِكَ. وَأَنْتَقِمُ لِدِمَاءِ عَبِيدِيَ ٱلْأَنْبِيَاءِ، وَدِمَاءِ جَمِيعِ عَبِيدِ ٱلرَّبِّ مِنْ يَدِ إِيزَابَلَ. | ٧ 7 |
इसलिए तू अपने मालिक अख़ीअब के घराने को मार डालना, ताकि मैं अपने बन्दों, नबियों के ख़ून का और ख़ुदावन्द के सब बन्दों के ख़ून का इन्तिक़ाम ईज़बिल के हाथ से लूँ।
فَيَبِيدُ كُلُّ بَيْتِ أَخْآبَ، وَأَسْتَأْصِلُ لِأَخْآبَ كُلَّ بَائِلٍ بِحَائِطٍ وَمَحْجُوزٍ وَمُطْلَقٍ فِي إِسْرَائِيلَ. | ٨ 8 |
क्यूँकि अख़ीअब का सारा घराना हलाक होगा, और मैं अख़ीअब की नस्ल के हर एक लड़के को, और उसको जो इस्राईल में बन्द है और उसको जो आज़ाद छूटा हुआ है, काट डालूँगा।
وَأَجْعَلُ بَيْتَ أَخْآبَ كَبَيْتِ يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ، وَكَبَيْتِ بَعْشَا بْنِ أَخِيَّا. | ٩ 9 |
और मैं अख़ीअब के घर को नबात के बेटे युरब'आम के घर और अखि़याह के बेटे बाशा के घर की तरह कर दूँगा।
وَتَأْكُلُ ٱلْكِلَابُ إِيزَابَلَ فِي حَقْلِ يَزْرَعِيلَ وَلَيْسَ مَنْ يَدْفِنُهَا». ثُمَّ فَتَحَ ٱلْبَابَ وَهَرَبَ. | ١٠ 10 |
और ईज़बिल को यज़र'एल के इलाके़ में कुत्ते खाएँगे, वहाँ कोई न होगा जो उसे दफ़्न करे।” फिर वह दरवाज़ा खोल कर भागा।
وَأَمَّا يَاهُو فَخَرَجَ إِلَى عَبِيدِ سَيِّدِهِ، فَقِيلَ لَهُ: «أَسَلَامٌ؟ لِمَاذَا جَاءَ هَذَا ٱلْمَجْنُونُ إِلَيْكَ؟» فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَعْرِفُونَ ٱلرَّجُلَ وَكَلَامَهُ». | ١١ 11 |
तब याहू अपने मालिक के ख़ादिमों के पास बाहर आया; और एक ने उससे पूछा, “सब खै़र तो है? यह दीवाना तेरे पास क्यूँ आया था?” उसने उनसे कहा, “तुम उस शख़्स से और उसके पैग़ाम से वाक़िफ हो।”
فَقَالُوا: «كَذِبٌ. فَأَخْبِرْنَا». فَقَالَ: «بِكَذَا وَكَذَا كَلَّمَنِي قَائِلًا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ مَسَحْتُكَ مَلِكًا عَلَى إِسْرَائِيلَ». | ١٢ 12 |
उन्होंने कहा, “यह झूठ है; अब हम को हाल बता।” उसने कहा, “उसने मुझ से इस तरह की बात की और कहा, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि “मैंने तुझे मसह करके इस्राईल का बादशाह बनाया है।’”
فَبَادَرَ كُلُّ وَاحِدٍ وَأَخَذَ ثَوْبَهُ وَوَضَعَهُ تَحْتَهُ عَلَى ٱلدَّرَجِ نَفْسِهِ، وَضَرَبُوا بِٱلْبُوقِ وَقَالُوا: «قَدْ مَلَكَ يَاهُو». | ١٣ 13 |
तब उन्होंने जल्दी की और हर एक ने अपनी पोशाक लेकर उसके नीचे सीढ़ियों की चोटी पर बिछाई, और तुरही फूंककर कहने लगे, “याहू बादशाह है।”
وَعَصَى يَاهُو بْنُ يَهُوشَافَاطَ بْنِ نِمْشِي عَلَى يُورَامَ. وَكَانَ يُورَامُ يُحَافِظُ عَلَى رَامُوتِ جِلْعَادَ هُوَ وَكُلُّ إِسْرَائِيلَ مِنْ حَزَائِيلَ مَلِكِ أَرَامَ. | ١٤ 14 |
तब याहू — बिन — यहूसफ़त — बिन — निमसी ने यूराम के ख़िलाफ़ साज़िश की। और यूराम सारे इस्राईल के साथ अराम के बादशाह हज़ाएल की वजह से रामात जिल'आद की हिमायत कर रहा था;
وَرَجَعَ يَهُورَامُ ٱلْمَلِكُ لِكَيْ يَبْرَأَ فِي يَزْرَعِيلَ مِنَ ٱلْجُرُوحِ ٱلَّتِي ضَرَبَهُ بِهَا ٱلْأَرَامِيُّونَ حِينَ قَاتَلَ حَزَائِيلَ مَلِكَ أَرَامَ. فَقَالَ يَاهُو: «إِنْ كَانَ فِي أَنْفُسِكُمْ، لَا يَخْرُجْ مُنْهَزِمٌ مِنَ ٱلْمَدِينَةِ لِكَيْ يَنْطَلِقَ فَيُخْبِرَ فِي يَزْرَعِيلَ». | ١٥ 15 |
लेकिन यूराम बादशाह लौट गया था, ताकि यज़र'एल में उन ज़ख़्मों का इलाज कराए जो अराम के बादशाह हज़ाएल से लड़ते वक़्त अरामियों के हाथ से लगे थे। तब याहू ने कहा, “अगर तुम्हारी मर्ज़ी यही है, तो कोई यज़र'एल जाकर ख़बर करने के लिए इस शहर से भागने और निकलने न पाए।”
وَرَكِبَ يَاهُو وَذَهَبَ إِلَى يَزْرَعِيلَ، لِأَنَّ يُورَامَ كَانَ مُضْطَجِعًا هُنَاكَ. وَنَزَلَ أَخَزْيَا مَلِكُ يَهُوذَا لِيَرَى يُورَامَ. | ١٦ 16 |
और याहू रथ पर सवार होकर यज़र'एल को गया, क्यूँकि यूराम वहीं पड़ा हुआ था। और यहूदाह का बादशाह अख़ज़ियाह यूराम की मुलाक़ात को आया हुआ था।
وَكَانَ ٱلرَّقِيبُ وَاقِفًا عَلَى ٱلْبُرْجِ فِي يَزْرَعِيلَ، فَرَأَى جَمَاعَةَ يَاهُو عِنْدَ إِقْبَالِهِ، فَقَالَ: «إِنِّي أَرَى جَمَاعَةً». فَقَالَ يَهُورَامُ: «خُذْ فَارِسًا وَأَرْسِلْهُ لِلِقَائِهِمْ، فَيَقُولَ: أَسَلَامٌ؟» | ١٧ 17 |
यज़र'एल में निगहबान बुर्ज पर खड़ा था, और उसने जो याहू के लश्कर को आते हुए देखा, तो कहा, “मुझे एक लश्कर दिखाई देता है।” यूराम ने कहा, एक सवार को लेकर उनसे मिलने को भेज, वह ये पूछे, “ख़ैर है?”
فَذَهَبَ رَاكِبُ ٱلْفَرَسِ لِلِقَائِهِ وَقَالَ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ: أَسَلَامٌ؟» فَقَالَ يَاهُو: «مَا لَكَ وَلِلسَّلَامِ؟ دُرْ إِلَى وَرَائِي». فَأَخْبَرَ ٱلرَّقِيبُ قَائِلًا: «قَدْ وَصَلَ ٱلرَّسُولُ إِلَيْهِمْ وَلَمْ يَرْجِعْ». | ١٨ 18 |
चुनाँचे एक शख़्स घोड़े पर उससे मिलने को गया और कहा, बादशाह पूछता है, 'ख़ैर है?' “याहू ने कहा, तुझ को खै़र से क्या काम? मेरे पीछे हो ले।” फिर निगहबान ने कहा, “क़ासिद उनके पास पहुँच तो गया, लेकिन वापस नहीं आता।”
فَأَرْسَلَ رَاكِبَ فَرَسٍ ثَانِيًا، فَلَمَّا وَصَلَ إِلَيْهِمْ قَالَ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ: أَسَلَامٌ؟» فَقَالَ يَاهُو: «مَا لَكَ وَلِلسَّلَامِ؟ دُرْ إِلَى وَرَائِي». | ١٩ 19 |
तब उसने दूसरे को घोड़े पर रवाना किया, जिसने उनके पास जाकर उनसे कहा, बादशाह यूँ कहता है, 'ख़ैर है?' “याहू ने जवाब दिया, तुझे ख़ैर से क्या काम? मेरे पीछे हो ले।”
فَأَخْبَرَ ٱلرَّقِيبُ قَائِلًا: «قَدْ وَصَلَ إِلَيْهِمْ وَلَمْ يَرْجِعْ. وَٱلسَّوْقُ كَسَوْقِ يَاهُوَ بْنِ نِمْشِي، لِأَنَّهُ يَسُوقُ بِجُنُونٍ». | ٢٠ 20 |
फिर निगहबान ने कहा, “वह भी उनके पास पहुँच तो गया, लेकिन वापस नहीं आता। और रथ का हाँकना ऐसा है जैसे निमसी के बेटे याहू का हाँकना होता है, क्यूँकि वही सुस्ती से हाँकता है।”
فَقَالَ يَهُورَامُ: «ٱشْدُدْ». فَشُدَّتْ مَرْكَبَتُهُ، وَخَرَجَ يَهُورَامُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ وَأَخَزْيَا مَلِكُ يَهُوذَا، كُلُّ وَاحِدٍ فِي مَرْكَبَتِهِ، خَرَجَا لِلِقَاءِ يَاهُو. فَصَادَفَاهُ عِنْدَ حَقْلَةِ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ. | ٢١ 21 |
तब यूराम ने फ़रमाया, “जोत ले।” तब उन्होंने उसके रथ को जोत लिया। तब इस्राईल का बादशाह यूराम और यहूदाह का बादशाह अख़ज़ियाह अपने — अपने रथ पर निकले और याहू से मिलने को गए, और यज़र'एली नबोत की मिल्कियत में उससे दो चार हुए।
فَلَمَّا رَأَى يَهُورَامُ يَاهُوَ قَالَ: «أَسَلَامٌ يَا يَاهُو؟» فَقَالَ: «أَيُّ سَلَامٍ مَا دَامَ زِنَى إِيزَابَلَ أُمِّكَ وَسِحْرُهَا ٱلْكَثِيرُ؟» | ٢٢ 22 |
यूराम ने याहू को देखकर कहा, “ऐ याहू, खै़र है?” उसने जवाब दिया, “जब तक तेरी माँ ईज़बिल की ज़िनाकारियाँ और उसकी जादूगरियाँ इस क़दर हैं, तब तक कैसी ख़ैर?”
فَرَدَّ يَهُورَامُ يَدَيْهِ وَهَرَبَ، وَقَالَ لِأَخَزْيَا: «خِيَانَةً يَا أَخَزْيَا!» | ٢٣ 23 |
तब यूराम ने बाग़' मोड़ी और भागा, और अख़ज़ियाह से कहा, “ऐ अख़ज़ियाह यह धोखा है।”
فَقَبَضَ يَاهُو بِيَدِهِ عَلَى ٱلْقَوْسِ وَضَرَبَ يَهُورَامَ بَيْنَ ذِرَاعَيْهِ، فَخَرَجَ ٱلسَّهْمُ مِنْ قَلْبِهِ فَسَقَطَ فِي مَرْكَبَتِهِ. | ٢٤ 24 |
तब याहू ने अपने सारे ज़ोर से कमान खेंची', और यूराम के दोनों शानों के बीच ऐसा मारा के तीर उसके दिल से पार हो गया और वह अपने रथ में गिरा।
وَقَالَ لِبِدْقَرَ ثَالِثِهِ: «ٱرْفَعْهُ وَأَلْقِهِ فِي حِصَّةِ حَقْلِ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ. وَٱذْكُرْ كَيْفَ إِذْ رَكِبْتُ أَنَا وَإِيَّاكَ مَعًا وَرَاءَ أَخْآبَ أَبِيهِ، جَعَلَ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِ هَذَا ٱلْحِمْلَ. | ٢٥ 25 |
तब याहू ने अपने लश्कर के सरदार बिदक़र से कहा, उसे लेकर यज़र'एली नबोत की मिल्कियत के खेत में डाल दे; क्यूँकि याद कर कि जब मैं और तू उसके बाप अख़ीअब के पीछे पीछे सवार होकर चल रहे थे, तो ख़ुदावन्द ने ये फ़तवा उस पर दिया था,
أَلَمْ أَرَ أَمْسًا دَمَ نَابُوتَ وَدِمَاءَ بَنِيهِ يَقُولُ ٱلرَّبُّ، فَأُجَازِيكَ فِي هَذِهِ ٱلْحَقْلَةِ يَقُولُ ٱلرَّبُّ. فَٱلْآنَ ٱرْفَعْهُ وَأَلْقِهِ فِي ٱلْحَقْلَةِ حَسَبَ قَوْلِ ٱلرَّبِّ». | ٢٦ 26 |
“यक़ीनन मैंने कल नबोत के ख़ून और उसके बेटों के ख़ून को देखा है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; और मैं इसी खेत में तुझे बदला दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। इसलिए जैसा ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है, उसे लेकर उसी जगह डाल दे।”
وَلَمَّا رَأَى ذَلِكَ أَخَزْيَا مَلِكُ يَهُوذَا هَرَبَ فِي طَرِيقِ بَيْتِ ٱلْبُسْتَانِ، فَطَارَدَهُ يَاهُو وَقَالَ: «ٱضْرِبُوهُ». فَضَرَبُوهُ أَيْضًا فِي ٱلْمَرْكَبَةِ فِي عَقَبَةِ جُورَ ٱلَّتِي عِنْدَ يِبْلَعَامَ. فَهَرَبَ إِلَى مَجِدُّو وَمَاتَ هُنَاكَ. | ٢٧ 27 |
लेकिन जब यहूदाह के बादशाह अख़ज़ियाह ने ये देखा, तो वह बाग़ की बारह दरी के रास्ते से निकल भागा। और याहू ने उसका पीछा किया और कहा, “उसे भी रथ ही में मार दो।” चुनाँचे उन्होंने उसे जूर की चढ़ाई पर, जो इबली'आम के क़रीब है मारा; और वो मजिही को भागा, और वहीं मर गया।
فَأَرْكَبَهُ عَبِيدُهُ إِلَى أُورُشَلِيمَ وَدَفَنُوهُ فِي قَبْرِهِ مَعَ آبَائِهِ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ. | ٢٨ 28 |
और उसके ख़ादिम उसको एक रथ में येरूशलेम को ले गए, और उसे उसकी क़ब्र में दाऊद के शहर में उसके बाप — दादा के साथ दफ़न किया।
فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْحَادِيَةَ عَشْرَةَ لِيُورَامَ بْنِ أَخْآبَ، مَلَكَ أَخَزْيَا عَلَى يَهُوذَا. | ٢٩ 29 |
और अख़ीअब के बेटे यूराम के ग्यारहवें साल अख़ज़ियाह यहूदाह का बादशाह हुआ।
فَجَاءَ يَاهُو إِلَى يَزْرَعِيلَ. وَلَمَّا سَمِعَتْ إِيزَابَلُ كَحَّلَتْ بِٱلْأُثْمُدِ عَيْنَيْهَا، وَزَيَّنَتْ رَأْسَهَا وَتَطَلَّعَتْ مِنْ كَوَّةٍ. | ٣٠ 30 |
जब याहू यज़र'एल में आया, तो ईज़बिल ने सुना और अपनी आँखों में सुरमा लगा, और अपना सिर संवार खिड़की से झाँकने लगी।
وَعِنْدَ دُخُولِ يَاهُو ٱلْبَابَ قَالَتْ: «أَسَلَامٌ لِزِمْرِي قَاتِلِ سَيِّدِهِ؟» | ٣١ 31 |
और जैसे ही याहू फाटक में दाखिल हुआ, वह कहने लगी, “ऐ ज़िमरी। अपने आक़ा के क़ातिल, खै़र तो है?”
فَرَفَعَ وَجْهَهُ نَحْوَ ٱلْكَوَّةِ وَقَالَ: «مَنْ مَعِي؟ مَنْ؟» فَأَشْرَفَ عَلَيْهِ ٱثْنَانِ أَوْ ثَلَاثَةٌ مِنَ ٱلْخِصْيَانِ. | ٣٢ 32 |
पर उसने खिड़की की तरफ़ मुँह उठा कर कहा, “मेरी तरफ़ कौन है, कौन?” तब दो तीन ख़्वाजासराओं ने इसकी तरफ़ देखा।
فَقَالَ: «ٱطْرَحُوهَا». فَطَرَحُوهَا، فَسَالَ مِنْ دَمِهَا عَلَى ٱلْحَائِطِ وَعَلَى ٱلْخَيْلِ فَدَاسَهَا. | ٣٣ 33 |
इसने कहा, “उसे नीचे गिरा दो।” तब उन्होंने उसे नीचे गिरा दिया, और उसके ख़ून के छींटें दीवार पर और घोड़ों पर पड़ीं, और इसने उसे पैरों तले रौदा।
وَدَخَلَ وَأَكَلَ وَشَرِبَ ثُمَّ قَالَ: «ٱفْتَقِدُوا هَذِهِ ٱلْمَلْعُونَةَ وَٱدْفِنُوهَا، لِأَنَّهَا بِنْتُ مَلِكٍ». | ٣٤ 34 |
जब ये अन्दर आया, तो इसने खाया पिया; फिर कहने लगा, “जाओ, उस ला'नती 'औरत को देखो, और उसे दफ़्न करो क्यूँकि वह शहज़ादी है।”
وَلَمَّا مَضَوْا لِيَدْفِنُوهَا، لَمْ يَجِدُوا مِنْهَا إِلَّا ٱلْجُمْجُمَةَ وَٱلرِّجْلَيْنِ وَكَفَّيِ ٱلْيَدَيْنِ. | ٣٥ 35 |
और वह उसे दफ़्न करने गए, पर सिर और उसके पैर और हथेलियों के सिवा उसका और कुछ उनको न मिला।
فَرَجَعُوا وَأَخْبَرُوهُ، فَقَالَ: «إِنَّهُ كَلَامُ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ عَنْ يَدِ عَبْدِهِ إِيلِيَّا ٱلتِّشْبِيِّ قَائِلًا: فِي حَقْلِ يَزْرَعِيلَ تَأْكُلُ ٱلْكِلَابُ لَحْمَ إِيزَابَلَ. | ٣٦ 36 |
इसलिए वह लौट आए और उसे ये बताया, इसने कहा, ये ख़ुदावन्द का वही सुख़न है, जो उसने अपने बन्दे एलियाह तिशबी के मा'रिफ़त फ़रमाया था, 'यज़र'एल के इलाके़ में कुत्ते ईज़बिल का गोश्त खाएँगे;
وَتَكُونُ جُثَّةُ إِيزَابَلَ كَدِمْنَةٍ عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ فِي قِسْمِ يَزْرَعِيلَ حَتَّى لَا يَقُولُوا: هَذِهِ إِيزَابَلُ». | ٣٧ 37 |
और ईज़बिल की लाश यज़र'एल के इलाके़ में खेत में खाद की तरह पड़ी रहेगी, यहाँ तक कि कोई न कहेगा कि “यह ईज़बिल है।”