< ١ كورنثوس 16 >
وَأَمَّا مِنْ جِهَةِ ٱلْجَمْعِ لِأَجْلِ ٱلْقِدِّيسِينَ، فَكَمَا أَوْصَيْتُ كَنَائِسَ غَلَاطِيَّةَ هَكَذَا ٱفْعَلُوا أَنْتُمْ أَيْضًا. | ١ 1 |
अब उस चन्दे के बारे में जो मुक़द्दसों के लिए किया जाता है; जैसा मैं ने ग़लतिया की कलीसियाओं को हुक्म दिया वैसे ही तुम भी करो।
فِي كُلِّ أَوَّلِ أُسْبُوعٍ، لِيَضَعْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ عِنْدَهُ خَازِنًا مَا تَيَسَّرَ، حَتَّى إِذَا جِئْتُ لَا يَكُونُ جَمْعٌ حِينَئِذٍ. | ٢ 2 |
हफ़्ते के पहले दिन तुम में से हर शख़्स अपनी आमदनी के मुवाफ़िक़ कुछ अपने पास रख छोड़ा करे ताकि मेरे आने पर चन्दा न करना पड़े।
وَمَتَى حَضَرْتُ، فَٱلَّذِينَ تَسْتَحْسِنُونَهُمْ أُرْسِلُهُمْ بِرَسَائِلَ لِيَحْمِلُوا إِحْسَانَكُمْ إِلَى أُورُشَلِيمَ. | ٣ 3 |
और जब मैं आऊँगा तो जिन्हें तुम मंज़ूर करोगे उनको मैं ख़त देकर भेज दूँगा कि तुम्हारी ख़ैरात येरूशलेम को पहुँचा दें।
وَإِنْ كَانَ يَسْتَحِقُّ أَنْ أَذْهَبَ أَنَا أَيْضًا، فَسَيَذْهَبُونَ مَعِي. | ٤ 4 |
अगर मेरा भी जाना मुनासिब हुआ तो वो मेरे साथ जाएँगे।
وَسَأَجِيءُ إِلَيْكُمْ مَتَى ٱجْتَزْتُ بِمَكِدُونِيَّةَ، لِأَنِّي أَجْتَازُ بِمَكِدُونِيَّةَ. | ٥ 5 |
मैं मकिदुनिया होकर तुम्हारे पास आऊँगा; क्यूँकि मुझे मकिदुनिया हो कर जाना तो है ही।
وَرُبَّمَا أَمْكُثُ عِنْدَكُمْ أَوْ أُشَتِّي أَيْضًا لِكَيْ تُشَيِّعُونِي إِلَى حَيْثُمَا أَذْهَبُ. | ٦ 6 |
मगर रहूँगा शायद तुम्हारे पास और जाड़ा भी तुम्हारे पास ही काटूँ ताकि जिस तरफ़ मैं जाना चाहूँ तुम मुझे उस तरफ़ रवाना कर दो।
لِأَنِّي لَسْتُ أُرِيدُ ٱلْآنَ أَنْ أَرَاكُمْ فِي ٱلْعُبُورِ، لِأَنِّي أَرْجُو أَنْ أَمْكُثَ عِنْدَكُمْ زَمَانًا إِنْ أَذِنَ ٱلرَّبُّ. | ٧ 7 |
क्यूँकि मैं अब राह में तुम से मुलाक़ात करना नहीं चाहता बल्कि मुझे उम्मीद है कि ख़ुदावन्द ने चाहा तो कुछ अरसे तुम्हारे पास रहूँगा।
وَلَكِنَّنِي أَمْكُثُ فِي أَفَسُسَ إِلَى يَوْمِ ٱلْخَمْسِينَ، | ٨ 8 |
लेकिन मैं ईद'ए पिन्तेकुस्त तक इफ़िसुस में रहूँगा।
لِأَنَّهُ قَدِ ٱنْفَتَحَ لِي بَابٌ عَظِيمٌ فَعَّالٌ، وَيُوجَدُ مُعَانِدُونَ كَثِيرُونَ. | ٩ 9 |
क्यूँकि मेरे लिए एक वसी' और कार आमद दरवाज़ा खुला है और मुख़ालिफ़ बहुत से हैं।
ثُمَّ إِنْ أَتَى تِيمُوثَاوُسُ، فَٱنْظُرُوا أَنْ يَكُونَ عِنْدَكُمْ بِلَا خَوْفٍ. لِأَنَّهُ يَعْمَلُ عَمَلَ ٱلرَّبِّ كَمَا أَنَا أَيْضًا. | ١٠ 10 |
अगर तीमुथियुस आ जाए तो ख्याल रखना कि वो तुम्हारे पास बेख़ौफ़ रहे क्यूँकि वो मेरी तरह ख़ुदावन्द का काम करता है।
فَلَا يَحْتَقِرْهُ أَحَدٌ، بَلْ شَيِّعُوهُ بِسَلَامٍ لِيَأْتِيَ إِلَيَّ، لِأَنِّي أَنْتَظِرُهُ مَعَ ٱلْإِخْوَةِ. | ١١ 11 |
पस कोई उसे हक़ीर न जाने बल्कि उसको सही सलामत इस तरफ़ रवाना करना कि मेरे पास आजाए क्यूँकि मैं मुन्तज़िर हूँ कि वो भाइयों समेत आए।
وَأَمَّا مِنْ جِهَةِ أَبُلُّوسَ ٱلْأَخِ، فَطَلَبْتُ إِلَيْهِ كَثِيرًا أَنْ يَأْتِيَ إِلَيْكُمْ مَعَ ٱلْإِخْوَةِ، وَلَمْ تَكُنْ لَهُ إِرَادَةٌ ٱلْبَتَّةَ أَنْ يَأْتِيَ ٱلْآنَ. وَلَكِنَّهُ سَيَأْتِي مَتَى تَوَفَّقَ ٱلْوَقْتُ. | ١٢ 12 |
और भाई अपुल्लोस से मैंने बहुत इल्तिमास किया कि तुम्हारे पास भाइयों के साथ जाए; मगर इस वक़्त जाने पर वो अभी राज़ी न हुआ लेकिन जब उस को मौक़ा मिलेगा तो जाएगा।
اِسْهَرُوا. ٱثْبُتُوا فِي ٱلْإِيمَانِ. كُونُوا رِجَالًا. تَقَوَّوْا. | ١٣ 13 |
जागते रहो ईमान में क़ाईम रहो मर्दानगी करो मज़बूत हो।
لِتَصِرْ كُلُّ أُمُورِكُمْ فِي مَحَبَّةٍ. | ١٤ 14 |
जो कुछ करते हो मुहब्बत से करो।
وَأَطْلُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ: أَنْتُمْ تَعْرِفُونَ بَيْتَ ٱسْتِفَانَاسَ أَنَّهُمْ بَاكُورَةُ أَخَائِيَةَ، وَقَدْ رَتَّبُوا أَنْفُسَهُمْ لِخِدْمَةِ ٱلْقِدِّيسِينَ، | ١٥ 15 |
ऐ भाइयों! तुम स्तिफ़नास के ख़ानदान को जानते हो कि वो अख़िया के पहले फल हैं और मुक़द्दसों की ख़िदमत के लिए तैयार रहते हैं।
كَيْ تَخْضَعُوا أَنْتُمْ أَيْضًا لِمِثْلِ هَؤُلَاءِ، وَكُلِّ مَنْ يَعْمَلُ مَعَهُمْ وَيَتْعَبُ. | ١٦ 16 |
पस मैं तुम से इल्तिमास करता हूँ कि ऐसे लोगों के ताबे रहो बल्कि हर एक के जो इस काम और मेहनत में शरीक हैं।
ثُمَّ إِنِّي أَفْرَحُ بِمَجِيءِ ٱسْتِفَانَاسَ وَفُرْتُونَاتُوسَ وَأَخَائِيكُوسَ، لِأَنَّ نُقْصَانَكُمْ، هَؤُلَاءِ قَدْ جَبَرُوهُ، | ١٧ 17 |
और मैं स्तिफ़नास और फ़रतूनातूस और अख़ीकुस के आने से ख़ुश हूँ क्यूँकि जो तुम में से रह गया था उन्होंने पूरा कर दिया।
إِذْ أَرَاحُوا رُوحِي وَرُوحَكُمْ. فَٱعْرِفُوا مِثْلَ هَؤُلَاءِ. | ١٨ 18 |
और उन्होंने मेरी और तुम्हारी रूह को ताज़ा किया पस ऐसों को मानो।
تُسَلِّمُ عَلَيْكُمْ كَنَائِسُ أَسِيَّا. يُسَلِّمُ عَلَيْكُمْ فِي ٱلرَّبِّ كَثِيرًا أَكِيلَا وَبِرِيسْكِلَّا مَعَ ٱلْكَنِيسَةِ ٱلَّتِي فِي بَيْتِهِمَا. | ١٩ 19 |
आसिया की कलीसिया तुम को सलाम कहती है अक्विला और प्रिस्का उस कलीसिया समेत जो उन के घर में हैं, तुम्हें ख़ुदावन्द में बहुत बहुत सलाम कहते हैं।
يُسَلِّمُ عَلَيْكُمُ ٱلْإِخْوَةُ أَجْمَعُونَ. سَلِّمُوا بَعْضُكُمْ عَلَى بَعْضٍ بِقُبْلَةٍ مُقَدَّسَةٍ. | ٢٠ 20 |
सब भाई तुम्हें सलाम कहते हैं पाक बोसा लेकर आपस में सलाम करो।
اَلسَّلَامُ بِيَدِي أَنَا بُولُسَ. | ٢١ 21 |
मैं पौलुस अपने हाथ से सलाम लिखता हूँ।
إِنْ كَانَ أَحَدٌ لَا يُحِبُّ ٱلرَّبَّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحَ فَلْيَكُنْ أَنَاثِيمَا! مَارَانْ أَثَا. | ٢٢ 22 |
जो कोई ख़ुदावन्द को अज़ीज़ नहीं रखता मला'ऊन हो हमारा ख़ुदावन्द आने वाला है।
نِعْمَةُ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ مَعَكُمْ. | ٢٣ 23 |
ख़ुदावन्द ईसा मसीह का फ़ज़ल तुम पर होता रहे।
مَحَبَّتِي مَعَ جَمِيعِكُمْ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ. آمِينَ. | ٢٤ 24 |
मेरी मुहब्बत ईसा मसीह में तुम सब से रहे। आमीन।