< ज़बूर 9 >

1 मैं अपने पूरे दिल से ख़ुदावन्द की शुक्रगुज़ारी करूँगा; मैं तेरे सब 'अजीब कामों का बयान करूँगा।
Salmo de Davi, para o regente, em “Mute-Laben”: Louvarei a [ti], SENHOR com todo o meu coração; contarei todas as tuas maravilhas.
2 मैं तुझ में ख़ुशी मनाऊँगा और मसरूर हूँगा; ऐ हक़ता'ला, मैं तेरी सिताइश करूँगा।
Em ti eu ficarei contente e saltarei de alegria; cantarei a teu nome, ó Altíssimo.
3 जब मेरे दुश्मन पीछे हटते हैं, तो तेरी हुजू़री की वजह से लग़ज़िश खाते और हलाक हो जाते हैं।
Meus inimigos voltaram para trás; eles caem e perecem diante de ti.
4 क्यूँकि तूने मेरे हक़ की और मेरे मु'आमिले की ताईद की है। तूने तख़्त पर बैठकर सदाक़त से इन्साफ़ किया।
Porque tu fizeste conforme meu direito e minha causa; tu te sentaste no teu tribunal e julgaste com justiça.
5 तूने क़ौमों को झिड़का, तूने शरीरों को हलाक किया है; तूने उनका नाम हमेशा से हमेशा के लिए मिटा डाला है।
Severamente repreendeste às nações, destruíste ao perverso; tu tiraste o nome dele para sempre e eternamente.
6 दुश्मन ख़त्म हुए, वह हमेशा के लिए बर्बाद हो गए; और जिन शहरों को तूने ढा दिया, उनकी यादगार तक मिट गई।
[Ao] inimigo, as destruições já se acabaram para sempre. E tu arrasaste as cidades, [e] já pereceu sua memória [com] elas.
7 लेकिन ख़ुदावन्द हमेशा तक तख़्त नशीन है, उसने इन्साफ़ के लिए अपना तख़्त तैयार किया है;
Mas o SENHOR se sentará [para governar] eternamente; ele já preparou seu trono para julgar.
8 और वही सदाक़त से जहान की 'अदालत करेगा, और रास्ती से कौमों का इन्साफ़ करेगा।
Ele mesmo julgará ao mundo com justiça; e corretamente fará justiça aos povos.
9 ख़ुदावन्द मज़लूमों के लिए ऊँचा बुर्ज होगा, मुसीबत के दिनों में ऊँचा बुर्ज।
O SENHOR será um refúgio para o aflito; um refúgio em tempos de angústia.
10 और वह जो तेरा नाम जानते हैं तुझ पर भरोसा करेंगे, क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द, तूने अपने चाहनें वालो को नहीं छोड़ा।
E confiarão em ti os que conhecem o teu nome; porque tu, SENHOR, nunca desamparaste aos que te buscam.
11 ख़ुदावन्द की सिताइश करो, जो सिय्यूनमें रहता है! लोगों के बीच उसके कामों का बयान करो
Cantai ao SENHOR, que habita em Sião! Contai entre os povos as obras dele.
12 क्यूँकि खू़न का पूछताछ करने वाला उनको याद रखता है; वह ग़रीबों की फ़रियाद को नहीं भूलता।
Porque ele investiga os derramamentos de sangue, [e] lembra-se deles; não se esquece do clamor dos que sofrem.
13 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर। तू जो मौत के फाटकों से मुझे उठाता है, मेरे उस दुख को देख जो मेरे नफ़रत करने वालों की तरफ़ से है।
Tem misericórdia de mim, SENHOR; olha para o meu sofrimento, [causado] pelos que me odeiam; tu, que me levantas [para fora] das portas da morte.
14 ताकि मैं तेरी कामिल सिताइश का इज़हार करूँ। सिय्यून की बेटी के फाटकों पर, मैं तेरी नजात से ख़ुश हूँगा
Para que eu conte todos os teus louvores nas portas da filha de Sião, [e] me alegre em tua salvação.
15 क़ौमें खु़द उस गढ़े में गिरी हैं जिसे उन्होंने खोदा था; जो जाल उन्होंने लगाया था उसमें उन ही का पाँव फंसा।
As nações se afundaram na cova que elas fizeram; o pé delas ficou preso na rede que esconderam.
16 ख़ुदावन्द की शोहरत फैल गई, उसने इन्साफ़ किया है; शरीर अपने ही हाथ के कामों में फंस गया है। हरगायून, (सिलाह)
O SENHOR foi conhecido [pelo] juízo que fez; o perverso foi enlaçado pelas obras de suas [próprias] mãos. (Higaiom, (Selá)
17 शरीर पाताल में जाएँगे, या'नी वह सब क़ौमें जो ख़ुदा को भूल जाती हैं (Sheol h7585)
Os perversos irão para o Xeol, e todas as nações que se esquecem de Deus. (Sheol h7585)
18 क्यूँकि ग़रीब सदा भूले बिसरे न रहेंगे, न ग़रीबों की उम्मीद हमेशा के लिए टूटेगी।
Porque o necessitado não será esquecido para sempre; [nem a] esperança dos oprimidos perecerá eternamente.
19 उठ, ऐ ख़ुदावन्द! इंसान ग़ालिब न होने पाए। क़ौमों की 'अदालत तेरे सामने हो।
Levanta-te, SENHOR, não prevaleça o homem [contra ti]; sejam julgadas as nações diante de ti.
20 ऐ ख़ुदावन्द! उनको ख़ौफ़ दिला। क़ौमें अपने आपको इंसान ही जानें।
Põe medo neles, SENHOR; saibam as nações que eles são meros mortais. (Selá)

< ज़बूर 9 >