< ज़बूर 59 >

1 ऐ मेरे खु़दा मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ा मेरे ख़िलाफ़ उठने वालों पर सरफ़राज़ कर।
Ne perdez pas entièrement; par David, pour une inscription de titre, quand Saül envoya des gens et fit garder sa maison afin de le tuer (I Rois 19,11). Arrachez-moi à mes ennemis, ô mon Dieu; et délivrez-moi de ceux qui s’insurgent contre moi.
2 मुझे बदकिरदारों से छुड़ा, और खूंख़्वार आदमियों से मुझे बचा।
Délivrez-moi de ceux qui opèrent l’iniquité; et sauvez-moi des hommes de sang.
3 क्यूँकि देख, वह मेरी जान की घात में हैं। ऐ ख़ुदावन्द! मेरी ख़ता या मेरे गुनाह के बगै़र ज़बरदस्त लोग मेरे ख़िलाफ़ इकठ्ठे होते हैं।
Car voilà qu’ils ont pris mon âme; des forts ont fondu sur moi.
4 वह मुझ बेक़सूर पर दौड़ दौड़कर तैयार होते हैं; मेरी मदद के लिए जाग और देख!
Ni mon iniquité ni mon péché, Seigneur, n’en ont été cause; c’est sans iniquité que j’ai couru et que j’ai dirigé mes voies.
5 ऐ ख़ुदावन्द, लश्करों के ख़ुदा! इस्राईल के ख़ुदा! सब कौमों के मुहासिबे के लिए उठ; किसी दग़ाबाज़ ख़ताकार पर रहम न कर। (सिलाह)
Levez-vous au-devant de moi, et voyez, Seigneur Dieu des armées, Dieu d’Israël.
6 वह शाम को लौटते और कुत्ते की तरह भौंकते हैं और शहर के गिर्द फिरते हैं।
Ils reviendront vers le soir, et ils seront affamés comme des chiens, et ils tourneront autour de la ville.
7 देख! वह अपने मुँह से डकारते हैं, उनके लबों के अन्दर तलवारें हैं; क्यूँकि वह कहते हैं, “कौन सुनता है?”
Voici qu’ils parleront dans leur bouche; et un glaive est sur leurs lèvres, en disant: Qui nous a entendus?
8 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द! तू उन पर हँसेगा; तू तमाम क़ौमों को ठट्ठों में उड़ाएगा।
Mais vous, Seigneur, vous vous rirez d’eux; vous réduirez au néant toutes les nations.
9 ऐ मेरी कु़व्वत, मुझे तेरी ही आस होगी, क्यूँकि ख़ुदा मेरा ऊँचा बुर्ज है।
Je garderai pour vous ma force; parce que, ô Dieu, vous êtes mon soutien.
10 मेरा ख़ुदा अपनी शफ़क़त से मेरा अगुवा होगा, ख़ुदा मुझे मेरे दुश्मनों की पस्ती दिखाएगा।
Mon Dieu! sa miséricorde me préviendra.
11 उनको क़त्ल न कर, ऐसा न हो मेरे लोग भूल जाएँ ऐ ख़ुदावन्द, ऐ हमारी ढाल!, अपनी कु़दरत से उनको तितर बितर करके पस्त कर दे।
Dieu me montrera le sort de mes ennemis: ne les tuez point, de peur que mon peuple n’oublie leur châtiment. Dispersez-les par votre puissance et faites-les déchoir, ô mon protecteur, ô Seigneur!
12 वह अपने मुँह के गुनाह, और अपने होंटों की बातों और अपनी लान तान और झूट बोलने के वजह से, अपने गु़रूर में पकड़े जाएँ।
À cause du crime de leur bouche et du discours de leurs lèvres; et qu’ils soient pris dans leur orgueil.
13 क़हर में उनको फ़ना कर दे, फ़ना कर दे ताकि वह बर्बाद हो जाएँ, और वह ज़मीन की इन्तिहा तक जान लें, कि ख़ुदा या'क़ूब पर हुक्मरान है।
À leur consommation, à la colère de leur consommation, et ils ne seront plus.
14 फिर शाम को वह लौटें और कुत्ते की तरह भौंकें और शहर के गिर्द फिरें।
Ils reviendront vers le soir, et ils seront affamés comme des chiens; et ils tourneront autour de la ville.
15 वह खाने की तलाश में मारे मारे फिरें, और अगर आसूदा न हों तो सारी रात ठहरे रहे।
Ils se disperseront pour manger: mais s’ils ne sont pas rassasiés, ils murmureront.
16 लेकिन मैं तेरी कु़दरत का हम्द गाऊँगा, बल्कि सुबह को बुलन्द आवाज़ से तेरी शफ़क़त का हम्द गाऊँगा। क्यूँकि तू मेरा ऊँचा बुर्ज है, और मेरी मुसीबत के दिन मेरी पनाहगाह।
Pour moi, je chanterai votre force; et je célébrerai dans des transports de joie, dès le matin, votre miséricorde. Parce que vous êtes devenu mon soutien et mon refuge au jour de ma tribulation.
17 ऐ मेरी ताक़त, मै तेरी मदहसराई करूँगा; क्यूँकि ख़ुदा मेरा शफ़ीक़ ख़ुदा मेरा ऊँचाबुर्ज है।
Ô mon aide, je vous célébrerai, parce que vous êtes mon Dieu, mon soutien; mon Dieu, ma miséricorde.

< ज़बूर 59 >