< ज़बूर 54 >

1 ऐ ख़ुदा! अपने नाम के वसीले से मुझे बचा, और अपनी कु़दरत से मेरा इन्साफ़ कर। 2 ऐ ख़ुदा मेरी दुआ सुन ले; मेरे मुँह की बातों पर कान लगा। 3 क्यूँकि बेगाने मेरे ख़िलाफ़ उठे हैं, और टेढ़े लोग मेरी जान के तलबगार हुए हैं; उन्होंने ख़ुदा को अपने सामने नहीं रख्खा। 4 देखो, ख़ुदा मेरा मददगार है! ख़ुदावन्द मेरी जान को संभालने वालों में है। 5 वह बुराई को मेरे दुश्मनों ही पर लौटा देगा; तू अपनी सच्चाई की रूह से उनको फ़ना कर! 6 मैं तेरे सामने रज़ा की कु़र्बानी चढ़ाऊँगा; ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे नाम की शुक्रगु़ज़ारी करूँगा क्यूँकि वह खू़ब है। 7 क्यूँकि उसने मुझे सब मुसीबतों से छुड़ाया है, और मेरी आँख ने मेरे दुश्मनों को देख लिया है।

< ज़बूर 54 >