< लूका 8 >
1 थोड़े 'अरसे के बाद यूँ हुआ कि वो ऐलान करता और ख़ुदा की बादशाही की ख़ुशख़बरी सुनाता हुआ शहर — शहर और गाँव — गाँव फिरने लगा, और वो बारह उसके साथ थे।
১এর পরেই তিনি ঘোষণা করতে করতে এবং ঈশ্বরের রাজ্যের সুসমাচার প্রচার করার জন্য শহরে শহরে ও গ্রামে গ্রামে ভ্রমণ করলেন, আর তাঁর সঙ্গে সেই বারো জন,
2 और कुछ 'औरतें जिन्होंने बुरी रूहों और बिमारियों से शिफ़ा पाई थी, या'नी मरियम जो मग़दलिनी कहलाती थी, जिसमें से सात बदरूहें निकली थीं,
২এবং যাঁরা মন্দ আত্মা ও রোগ থেকে মুক্ত হয়েছিলেন, এমন কয়েক জন স্ত্রীলোক ছিলেন, মগ্দলীনি যাকে মরিয়ম বলা হতো, যাঁর মধ্যে থেকে সাতটা ভূত বের করা হয়েছিল,
3 और युहन्ना हेरोदेस के दिवान ख़ूज़ा की बीवी, और सूसन्ना, और बहुत सी और 'औरतें भी थीं; जो अपने माल से उनकी ख़िदमत करती थी।
৩যোহানা, যিনি হেরোদের পরিচালক কুষের স্ত্রী এবং শোশন্না ও অন্য অনেক স্ত্রীলোক ছিলেন, তাঁরা নিজেদের সম্পত্তি দিয়ে তাঁদের সেবা করতেন।
4 फिर जब बड़ी भीड़ उसके पास जमा हुई और शहर के लोग उसके पास चले आते थे, उसने मिसाल में कहा,
৪আর যখন, অনেক লোক সমবেত হচ্ছিল এবং অন্য অন্য শহর থেকে লোকেরা তাঁর কাছে এলো, তখন তিনি একটা গল্পের মাধ্যমে তাদের সঙ্গে কথা বললেন,
5 “एक बोने वाला अपने बीज बोने निकला, और बोते वक़्त कुछ राह के किनारे गिरा और रौंदा गया और हवा के परिन्दों ने उसे चुग लिया।
৫“একজন চাষী বীজ বপন করতে গেল। বপনের দিনের কিছু বীজ রাস্তার পাশে পড়ল, তাতে সেই বীজগুলো লোকেরা পায়ে মাড়িয়ে গেল ও আকাশের পাখিরা সেগুলো খেয়ে ফেলল।
6 और कुछ चट्टान पर गिरा और उग कर सूख गया, इसलिए कि उसको नमी न पहुँची।
৬আর কিছু বীজ পাথরের ওপরে পড়ল, তাতে সেগুলোর অঙ্কুর বের হল কিন্তু রস না পাওয়াতে শুকিয়ে গেল।
7 और कुछ झाड़ियों में गिरा और झाड़ियों ने साथ — साथ बढ़कर उसे दबा लिया।
৭আর কিছু বীজ কাঁটাবনের মধ্যে পড়ল, তাতে কাঁটাও বীজের সঙ্গে বৃদ্ধি হতে থাকলো এবং সেগুলোকে চেপে ধরল।
8 और कुछ अच्छी ज़मीन में गिरा और उग कर सौ गुना फल लाया।” ये कह कर उसने पुकारा, “जिसके सुनने के कान हों वो सुन ले।”
৮আর কিছু বীজ ভাল জমিতে পড়ল, তাতে সেগুলো অঙ্কুরিত হয়ে একশোগুন বেশি ফল উৎপন্ন করল।” এই কথা বলে তিনি চিত্কার করে বললেন, “যার শোনার কান আছে সে শুনুক।”
9 उसके शागिर्दों ने उससे पूछा कि ये मिसाल क्या है।
৯পরে তাঁর শিষ্যরা তাঁকে জিজ্ঞাসা করলেন, এই গল্পটার মানে কি?
10 उसने कहा, “तुम को ख़ुदा की बादशाही के राज़ों की समझ दी गई है, मगर औरों को मिसाल में सुनाया जाता है, ताकि 'देखते हुए न देखें, और सुनते हुए न समझें।
১০তিনি বললেন, “ঈশ্বরের রাজ্যের সমস্ত গুপ্ত বিষয় জানার অধিকার তোমাদের দেওয়া হয়েছে; কিন্তু অন্য সবার কাছে গল্পের মাধ্যমে বলা হয়েছে; যেন তারা দেখেও না দেখে এবং শুনেও না বোঝে।”
11 वो मिसाल ये है, कि “बीज ख़ुदा का कलाम है।
১১গল্পের মানে এই; সেই বীজ ঈশ্বরের বাক্য।
12 राह के किनारे के वो हैं, जिन्होंने सुना फिर शैतान आकर कलाम को उनके दिल से छीन ले जाता है ऐसा न हो कि वो ईमान लाकर नजात पाएँ।
১২যে বীজগুলো রাস্তার পাশে পড়েছিল তা এমন লোকেদের বোঝায়, যারা শুনেছিল, পরে দিয়াবল এসে তাদের হৃদয় থেকে সেই বাক্য চুরি করে নিয়ে যায়, যেন তারা বিশ্বাস করে পরিত্রান না পায়।
13 और चट्टान पर वो हैं जो सुनकर कलाम को ख़ुशी से क़ुबूल कर लेते हैं, लेकिन जड़ नहीं पकड़ते मगर कुछ 'अरसे तक ईमान रख कर आज़माइश के वक़्त मुड़ जाते हैं।
১৩আর যে বীজগুলি পাথরের ওপরে পড়েছিল তা এমন লোকদের বোঝায়, যারা শুনে আনন্দের সঙ্গে সেই বাক্য গ্রহণ করেছিল, কিন্তু তাদের মূল ছিল না, তারা অল্প দিনের জন্য বিশ্বাস করে, আর পরীক্ষার দিন তারা বিশ্বাস থেকে দূরে চলে যায়।
14 और जो झाड़ियों में पड़ा उससे वो लोग मुराद हैं, जिन्होंने सुना लेकिन होते होते इस ज़िन्दगी की फ़िक्रों और दौलत और 'ऐश — ओ — अशरत में फ़ँस जाते हैं और उनका फल पकता नहीं।
১৪আর যেগুলো কাঁটাবনের মধ্যে পড়ল, তারা এমন লোক, যারা শুনেছিল, কিন্তু চলতে চলতে জীবনের চিন্তা ও ধন ও সুখভোগে চাপা পড়ে যায় এবং ভাল ফল উৎপন্ন করে না।
15 मगर अच्छी ज़मीन के वो हैं, जो कलाम को सुनकर 'उम्दा और नेक दिल में संभाले रहते है और सब्र से फल लाते हैं।”
১৫আর যেগুলো ভাল জমিতে পড়ল, তারা এমন লোক, যারা সৎ ও ভালো হৃদয়ে বাক্য শুনে ধরে রাখে এবং ধৈর্য্য সহকারে ফল উৎপন্ন করে।
16 “कोई शख़्स चराग़ जला कर बरतन से नहीं छिपाता न पलंग के नीचे रखता है, बल्कि चिराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर आने वालों को रौशनी दिखाई दे।
১৬আর প্রদীপ জালিয়ে কেউ বাটি দিয়ে ঢাকে না, কিংবা খাটের নীচে রাখে না, কিন্তু বাতিদানের উপরেই রাখে, যেন যারা ভিতরে যায়, তারা আলো দেখতে পায়।
17 क्यूँकि कोई चीज़ छिपी नहीं जो ज़ाहिर न हो जाएगी, और न कोई ऐसी छिपी बात है जो माँ'लूम न होगी और सामने न आए
১৭কারণ এমন ঢাকা কিছুই নেই, যা প্রকাশ পাবে না এবং এমন গোপন কিছুই নেই, যা জানা যাবে না।
18 पस ख़बरदार रहो कि तुम किस तरह सुनते हो? क्यूँकि जिसके पास नहीं है वो भी ले लिया जाएगा जो अपना समझता है।”
১৮অতএব তোমরা কীভাবে শোন সে বিষয়ে সাবধান হও; কারণ যার আছে, তাকে দেওয়া হবে, আর যার নেই, তার যা কিছু আছে সেগুলোও তার কাছ থেকে নিয়ে নেওয়া হবে।
19 फिर उसकी माँ और उसके भाई उसके पास आए, मगर भीड़ की वजह से उस तक न पहुँच सके।
১৯আর তাঁর মা ও ভাইয়েরা তাঁর কাছে আসলেন, কিন্তু লোকেদের ভিড়ের জন্য তাঁর কাছে যেতে পারলেন না।
20 और उसे ख़बर दी गई, “तेरी माँ और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से मिलना चाहते हैं।”
২০পরে এক ব্যক্তি তাঁকে বলল, দেখুন আপনার মা ও ভাইয়েরা আপনার সাথে দেখা করার জন্য বাইরে দাঁড়িয়ে আছেন।
21 उसने जवाब में उनसे कहा, “मेरी माँ और मेरे भाई तो ये हैं, जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
২১তিনি এর উত্তরে তাদের বললেন, “এই যে ব্যক্তিরা ঈশ্বরের বাক্য শোনে ও পালন করে, এরাই আমার মা ও ভাই।”
22 फिर एक दिन ऐसा हुआ कि वो और उसके शागिर्द नाव में सवार हुए। उसने उनसे कहा, “आओ, झील के पार चलें” वो सब रवाना हुए।
২২এক দিন তিনি ও তাঁর শিষ্যরা একটি নৌকায় উঠলেন; আর তিনি তাঁদের বললেন, “চল আমরা হ্রদের অন্য পারে যাই” তাতে তাঁরা নৌকার পাল তুলে দিলেন।
23 मगर जब नाव चली जाती थी तो वो सो गया। और झील पर बड़ी आँधी आई और नाव पानी से भरी जाती थी और वो ख़तरे में थे।
২৩কিন্তু তাঁরা যখন নৌকা করে যাচ্ছিলেন, তিনি ঘুমিয়ে পড়লেন, তখন হ্রদের ওপর ঝড় এসে পড়ল, তাতে নৌকা জলে পূর্ণ হতে লাগল ও তাঁরা বিপদে পড়লেন।
24 उन्होंने पास आकर उसे जगाया और कहा, “साहेब! साहेब! हम हलाक हुए जाते हैं!” उसने उठकर हवा को और पानी के ज़ोर — शोर को झिड़का और दोनों थम गए और अम्न हो गया।
২৪পরে তাঁরা কাছে গিয়ে তাঁকে জাগিয়ে বললেন, “প্রভু, প্রভু, আমরা মারা পড়লাম।” তখন তিনি ঘুম থেকে উঠে বাতাস ও ঢেউকে ধমক দিলেন, তাতে সব কিছু থেমে গেল, ও সবার শান্তি হল।
25 उसने उनसे कहा, “तुम्हारा ईमान कहाँ गया?” वो डर गए और ता'अज्जुब करके आपस में कहने लगे, “ये कौन है? ये तो हवा और पानी को हुक्म देता है और वो उसकी मानते हैं!”
২৫পরে তিনি তাঁদের বললেন, “তোমাদের বিশ্বাস কোথায়?” তখন তাঁরা ভয় পেলেন ও খুবই আশ্চর্য্য হলেন, একজন অন্য জনকে বললেন, “ইনি তবে কে যে, বায়ুকে ও জলকে আজ্ঞা দেন, আর তারা তাঁর আদেশ মানে?”
26 फिर वो गिरासीनियों के 'इलाक़े में जा पहुँचे जो उस पार गलील के सामने है।
২৬পরে তাঁরা গালীলের ওপারে গেরাসেনীদের অঞ্চলে পৌঁছালেন।
27 जब वो किनारे पर उतरा तो शहर का एक मर्द उसे मिला जिसमें बदरूहें थीं, और उसने बड़ी मुद्दत से कपड़े न पहने थे और वो घर में नहीं बल्कि क़ब्रों में रहा करता था।
২৭আর তিনি ডাঙায় নামলে ঐ শহরের একটা ভূতগ্রস্ত লোক তাঁর সামনে উপস্থিত হল; সে অনেকদিন ধরে কাপড় পড়ত না ও বাড়িতে বসবাস করত না, কিন্তু কবরে থাকত।
28 वो ईसा को देख कर चिल्लाया और उसके आगे गिर कर बुलन्द आवाज़ से कहने लगा, “ऐ ईसा! ख़ुदा के बेटे, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मुझे 'ऐज़ाब में न डाल।”
২৮যীশুকে দেখার সঙ্গে সঙ্গে সে চিৎকার করে উঠল এবং তাঁর সামনে পড়ে চিত্কার করে বলল, “হে যীশু, মহান সর্বশক্তিমান ঈশ্বরের পুত্র, আপনার সঙ্গে আমার সম্পর্ক কি? আমি আপনাকে ঈশ্বরের দিব্যি দিয়ে বলছি, আমাকে যন্ত্রণা দেবেন না।”
29 क्यूँकि वो उस बदरूह को हुक्म देता था कि इस आदमी में से निकल जा, इसलिए कि उसने उसको अक्सर पकड़ा था; और हर चन्द लोग उसे ज़ंजीरों और बेड़ियों से जकड़ कर क़ाबू में रखते थे, तो भी वो ज़ंजीरों को तोड़ डालता था और बदरूह उसको वीरानों में भगाए फिरती थी।
২৯কারণ তিনি সেই ভূতকে লোকটীর মধ্যে থেকে বের হয়ে যেতে নির্দেশ করলেন; ঐ মন্দ আত্মা অনেকদিন তাকে ধরে রেখেছিল, আর শিকল ও বেড়ি দিয়ে তাকে বাঁধলেও সে সব কিছু ছিঁড়ে ভূতের বশে ফাঁকা জায়গায় চলে যেত।
30 ईसा ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने कहा, “लश्कर!” क्यूँकि उसमें बहुत सी बदरूहें थीं।
৩০যীশু তাকে জিজ্ঞাসা করলেনতোমার নাম কি? সে বলল, “বাহিনী,” কারণ অনেক ভূত তার মধ্যে প্রবেশ করেছিল।
31 और वो उसकी मिन्नत करने लगीं कि “हमें गहरे गड्ढे में जाने का हुक्म न दे।” (Abyssos )
৩১পরে তারা তাঁকে অনুরোধ করতে লাগল, যেন তিনি তাদের অতল গর্তে চলে যেতে আদেশ না দেন। (Abyssos )
32 वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा ग़ोल चर रहा था। उन्होंने उसकी मिन्नत की कि हमें उनके अन्दर जाने दे; उसने उन्हें जाने दिया।
৩২সেই জায়গায় পাহাড়ের উপরে এক শূকরের পাল চরছিল; তাতে ভূতেরা তাঁকে অনুরোধ করল, যেন তিনি তাদের শূকরদের মধ্যে প্রবেশ করতে অনুমতি দেন, তিনি তাদের অনুমতি দিলেন।
33 और बदरूहें उस आदमी में से निकल कर सूअरों के अन्दर गईं और ग़ोल किनारे पर से झपट कर झील में जा पड़ा और डूब मरा।
৩৩তখন ভূতেরা সেই লোকটার মধ্যে দিয়ে বের হয়ে শূকরদের মধ্যে প্রবেশ করল, তাতে সেই পাল ঢালু পাহাড় দিয়ে জোরে দৌড়ে গিয়ে হ্রদে পড়ে ডুবে মরল।
34 ये माजरा देख कर चराने वाले भागे और जाकर शहर और गाँव में ख़बर दी।
৩৪এই ঘটনা দেখে, যারা শূকর চরাচ্ছিল, তারা পালিয়ে গেল এবং শহরে ও তার আশেপাশের অঞ্চলে খবর দিল।
35 लोग उस माजरे को देखने को निकले, और ईसा के पास आकर उस आदमी को जिसमें से बदरूहें निकली थीं, कपड़े पहने और होश में ईसा के पाँव के पास बैठे पाया और डर गए।
৩৫তখন কি ঘটেছে, দেখার জন্য লোকেরা বের হল এবং যীশুর কাছে এসে দেখল, যে লোকটী মধ্যে থেকে ভূতেরা বের হয়েছে, সে কাপড় পরে ও ভদ্র হয়ে যীশুর পায়ের কাছে বসে আছে; তাতে তারা ভয় পেল।
36 और देखने वालों ने उनको ख़बर दी कि जिसमें बदरूहें थीं वो किस तरह अच्छा हुआ।
৩৬আর যারা দেখেছিল, সেই ভূতগ্রস্ত লোকটা কীভাবে সুস্থ হয়েছিল, তা তাদের বলল।
37 गिरासीनियों के आस पास के सब लोगों ने उससे दरख़्वास्त की कि हमारे पास से चला जा; क्यूँकि उन पर बड़ी दहशत छा गई थी। पस वो नाव में बैठकर वापस गया।
৩৭তাতে গেরাসেনীদের প্রদেশের সমস্ত লোকেরা তাঁকে অনুরোধ করল, যেন তিনি তাদের কাছ থেকে চলে যান; কারণ তারা খুবই ভয় পেয়েছিল, তখন ফিরে যাওয়ার জন্য তিনি নৌকায় উঠলেন।
38 लेकिन जिस शख़्स में से बदरूहें निकल गई थीं, वो उसकी मिन्नत करके कहने लगा कि मुझे अपने साथ रहने दे, मगर ईसा ने उसे रुख़्सत करके कहा,
৩৮আর যার মধ্যে থেকে ভূতেরা বের হয়েছিল, সেই লোকটি অনুরোধ করল, যেন তাঁর সঙ্গে থাকতে পারে;
39 “अपने घर को लौट कर लोगों से बयान कर, कि ख़ुदा ने तेरे लिए कैसे बड़े काम किए हैं।” वो रवाना होकर तमाम शहर में चर्चा करने लगा कि ईसा ने मेरे लिए कैसे बड़े काम किए।
৩৯কিন্তু তিনি তাকে পাঠিয়ে দিলেন এবং বললেন, “তুমি তোমার বাড়ি ফিরে যাও এবং তোমার জন্য ঈশ্বর যা যা মহৎ কাজ করেছেন, তার বৃত্তান্ত বল।” তাতে সে চলে গেল এবং যীশু তার জন্য যে সমস্ত মহৎ কাজ করেছেন, তা শহরের সব জায়গায় প্রচার করতে লাগল।
40 जब ईसा वापस आ रहा था तो लोग उससे ख़ुशी के साथ मिले, क्यूँकि सब उसकी राह देखते थे।
৪০যীশু ফিরে আসার পর লোকেরা তাঁকে সাদরে গ্রহণ করল; কারণ সবাই তাঁর অপেক্ষা করছিল।
41 और देखो, याईर नाम एक शख़्स जो 'इबादतख़ाने का सरदार था, आया और ईसा के क़दमों पे गिरकर उससे मिन्नत की कि मेरे घर चल,
৪১আর দেখ, যায়ীর নামে এক ব্যক্তি আসলেন; তিনি সমাজঘরের একজন তত্ত্বাবধায়ক। তিনি যীশুর পায়ে পড়ে তার বাড়ি যেতে তাঁকে অনুরোধ করতে লাগলেন;
42 क्यूँकि उसकी इकलौती बेटी जो तक़रीबन बारह बरस की थी, मरने को थी। और जब वो जा रहा था तो लोग उस पर गिरे पड़ते थे।
৪২কারণ তার একমাত্র মেয়ে ছিল, বয়স প্রায় বারো বছর, আর সে যে কোনও মূহুর্তে মারা যেতে পারে। যীশু যখন যাচ্ছিলেন, তখন লোকেরা তাঁর উপরে চাপাচাপি করে পড়তে লাগল।
43 और एक 'औरत ने जिसके बारह बरस से ख़ून जारी था, और अपना सारा माल हकीमों पर ख़र्च कर चुकी थी, और किसी के हाथ से अच्छी न हो सकी थी;
৪৩আর, একটি মহিলা, যে বারো বছর ধরে রক্তস্রাব রোগে ভুগছিলেন, তিনি ডাক্তারদের পিছনে সব টাকা ব্যয় করেও কারও কাছেই সুস্থ হতে পারেননি,
44 उसके पीछे आकर उसकी पोशाक का किनारा हुआ, और उसी दम उसका ख़ून बहना बन्द हो गया।
৪৪সে তাঁর পিছন দিকে এসে তাঁর পোশাকের ঝালর স্পর্শ করল; আর সঙ্গে সঙ্গে তার রক্তস্রাব বন্ধ হয়ে গেল।
45 इस पर ईसा ने कहा, “वो कौन है जिसने मुझे छुआ?” जब सब इन्कार करने लगे तो पतरस और उसके साथियों ने कहा, “ऐ साहेब! लोग तुझे दबाते और तुझ पर गिरे पड़ते हैं।”
৪৫তখন যীশু বললেন, “কে আমাকে স্পর্শ করল?” সবাই অস্বীকার করলে পিতর ও তাঁর সঙ্গীরা বললেন, “প্রভু, লোকেরা চাপাচাপি করে আপনার উপরে পড়ছে।”
46 मगर ईसा ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ तो है, क्यूँकि मैंने मा'लूम किया कि क़ुव्वत मुझ से निकली है।”
৪৬কিন্তু যীশু বললেন, “আমাকে কেউ স্পর্শ করেছে, কারণ আমি টের পেয়েছি যে, আমার মধ্যে থেকে শক্তি বের হয়েছে।”
47 जब उस 'औरत ने देखा कि मैं छिप नहीं सकती, तो वो काँपती हुई आई और उसके आगे गिरकर सब लोगों के सामने बयान किया कि मैंने किस वजह से तुझे छुआ, और किस तरह उसी दम शिफ़ा पा गई।
৪৭মহিলাটি যখন দেখল, সে যা করেছে তা লুকানো যাবে না, তখন কাঁপতে কাঁপতে এসে তাঁর সামনে উপুড় হয়ে প্রণাম করল আর কিসের জন্য তাঁকে স্পর্শ করেছিল এবং কীভাবে সঙ্গে সঙ্গে সুস্থ হয়েছিল, তা সব লোকের সামনে বর্ণনা করলেন।
48 उसने उससे कहा, “बेटी! तेरे ईमान ने तुझे अच्छा किया है, सलामत चली जा।”
৪৮তিনি তাকে বললেন, “মা! তোমার বিশ্বাস তোমাকে সুস্থ করল; শান্তিতে চলে যাও।”
49 वो ये कह ही रहा था कि 'इबादतख़ाने के सरदार के यहाँ से किसी ने आकर कहा, तेरी बेटी मर गई: उस्ताद को तकलीफ़ न दे।”
৪৯তিনি কথা বলছেন, এমন দিনের সমাজঘরের এক অধ্যক্ষের বাড়ি থেকে একজন এসে বলল, “আপনার মেয়ের মৃত্যু হয়েছে, গুরুকে আর কষ্ট দেবেন না।”
50 ईसा ने सुनकर जवाब दिया, “ख़ौफ़ न कर; फ़क़त 'ऐतिक़ाद रख, वो बच जाएगी।”
৫০একথা শুনে যীশু তাঁকে বললেন, ভয় করও না, কিন্তু বিশ্বাস কর, তাতে সে বাঁচবে।
51 और घर में पहुँचकर पतरस, यूहन्ना और या'क़ूब और लड़की के माँ बाप के सिवा किसी को अपने साथ अन्दर न जाने दिया।
৫১পরে তিনি সেই বাড়িতে উপস্থিত হলে, পিতর, যাকোব ও যোহন এবং মেয়েটির বাবা ও মা ছাড়া আর কাউকেই প্রবেশ করতে দিলেন না।
52 और सब उसके लिए रो पीट रहे थे, मगर उसने कहा, “मातम न करो! वो मर नहीं गई बल्कि सोती है।”
৫২তখন সবাই তার জন্য কাঁদছিল, ও দুঃখ করছিল। তিনি বললেন, “কেঁদ না; সে মারা যায়নি, ঘুমিয়ে আছে।”
53 वो उस पर हँसने लगे क्यूँकि जानते थे कि वो मर गई है।
৫৩তখন তারা তাঁকে ঠাট্টা করে হাঁসলো, কারণ তারা জানত, সে মারা গেছে।
54 मगर उसने उसका हाथ पकड़ा और पुकार कर कहा, “ऐ लड़की, उठ!“
৫৪কিন্তু তিনি তার হাত ধরে ডেকে বললেন, “মেয়ে ওঠ।”
55 उसकी रूह वापस आई और वो उसी दम उठी। फिर ईसा ने हुक्म दिया, लड़की को कुछ खाने को दिया जाए।”
৫৫তাতে তার আত্মা ফিরে আসল ও সে সেই মুহূর্তে উঠল, আর তিনি তাকে কিছু খাবার দিতে আদেশ দিলেন।
56 माँ बाप हैरान हुए। उसने उन्हें ताकीद की कि ये माजरा किसी से न कहना।
৫৬এসব দেখে তার মা বাবা খুবই আশ্চর্য্য হল, কিন্তু তিনি তাদের নির্দেশ দিয়ে বললেন, “এ ঘটনার কথা কাউকে বলো না।”