< होसी 9 >

1 ऐ इस्राईल, दूसरी क़ौमों की तरह ख़ुशी — ओ — शादमानी न कर, क्यूँकि तू ने अपने ख़ुदा से बेवफ़ाई की है। तूने हर एक खलीहान में इश्क से उजरत तलाश की है।
لَا تَبْتَهِجْ يَا إِسْرَائِيلُ وَلا تَطْرَبْ كَبَقِيَّةِ الشُّعُوبِ، لأَنَّكَ قَدْ خُنْتَ إِلَهَكَ وَهَجَرْتَهُ، وَأَحْبَبْتَ أُجْرَةَ الزِّنَى عَلَى كُلِّ بَيَادِرِ الْحِنْطَةِ.١
2 खलीहान और मय के हौज़ उनकी परवरिश के लिए काफ़ी न होंगे और नई मय किफ़ायत न करेगी।
لِهَذَا فَإِنَّ الْبَيْدَرَ وَالْمِعْصَرَةَ لَا يُطْعِمَانِكُمْ وَالْخَمْرَةَ الْجَدِيدَةَ لَا تُلَبِّي حَاجَتَكُمْ.٢
3 वह ख़ुदावन्द के मुल्क में न बसेंगे, बल्कि इफ़्राईम मिस्र को वापस जाएगा और वह असूर में नापाक चीज़ें खाएँगे।
لَنْ تَظَلُّوا مُقِيمِينَ فِي أَرْضِ الرَّبِّ بَلْ يَرْجِعَ أَفْرَايِمُ إِلَى دِيَارِ مِصْرَ، وَيَأْكُلُوا لَحْماً نَجِساً فِي أَشُّورَ.٣
4 वह मय को ख़ुदावन्द के लिए न तपाएँगे और वह उसके मक़बूल न होंगे, उनकी क़ुर्बानियाँ उनके लिए नौहागरों की रोटी की तरह होंगी। उनको खाने वाले नापाक होंगे, क्यूँकि उनकी रोटियाँ उन ही की भूक के लिए होंगी और ख़ुदावन्द के घर में दाख़िल न होंगी।
لَا تَسْكُبُوا لِلرَّبِّ خَمْراً وَلَنْ تَسُرَّهُ ذَبَائِحُكُمْ، بَلْ تَكُونُ لَكُمْ كَخُبْزِ النَّائِحِينَ. كُلُّ مَنْ يَأْكُلُ مِنْهُ يَتَنَجَّسُ، إِذْ يَكُونُ خُبْزُكُمْ لِسَدِّ جُوعِكُمْ فَقَطْ، وَلا يَدْخُلُ أَبَداً إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ.٤
5 मजमा' — ए — मुक़द्दस के दिन और ख़ुदावन्द की 'ईद के दिन क्या करोगे?
مَاذَا تَفْعَلُونَ فِي يَوْمِ الاِحْتِفَالِ وَفِي يَوْمِ عِيدِ الرَّبِّ؟٥
6 क्यूँकि वो तबाही के ख़ौफ़ से चले गए, लेकिन मिस्र उनको समेटेगा। मोफ़ उनको दफ़न करेगा। उनकी चाँदी के अच्छे ख़ज़ानों पर बिच्छू बूटी क़ाबिज़ होगी। उनके खे़मों में काँटे उगेंगे।
حَتَّى لَوْ سَلِمْتُمْ مِنَ الْخَرَابِ فَإِنَّ مِصْرَ تَجْمَعُكُمْ وَمَنْفَ تُفْنِيكُمْ وَتَدْفِنُكُمْ. يَرِثُ الْقَرِيصُ نَفَائِسَ فِضَّتِكُمْ، وَيَنْمُو الْعَوْسَجُ فِي مَنَازِلِكُمْ.٦
7 सज़ा के दिन आ गए, बदले का वक़्त आ पहुँचा। इस्राईल को मा'लूम हो जाएगा कि उसकी बदकिरदारी की कसरत और 'अदावत की ज़्यादती के ज़रिए' नबी बेवक़ूफ़ है। रूहानी आदमी दीवाना है।
لَقَدْ أَزِفَتْ أَيَّامُ الْعِقَابِ وَحَانَ يَوْمُ الْحِسَابِ، فَلْيَعْلَمْ إِسْرَائِيلُ هَذَا. لِكَثْرَةِ إِثْمِكَ وَفَرْطِ حِقْدِكَ حُسِبَ النَّبِيُّ أَحْمَقَ، وَرَجُلُ الرُّوحِ مَجْنُوناً.٧
8 इफ़्राईम मेरे ख़ुदा की तरफ़ से निगहबान है। नबी अपनी तमाम राहों में चिड़ीमार का जाल है। वह अपने ख़ुदा के घर में 'अदावत है।
إِنَّ النَّبِيَّ هُوَ رَقِيبُ أَفْرَايِمَ شَعْبِ إِلَهِي، غَيْرَ أَنَّ فَخَّ صَيَّادٍ قَدْ نُصِبَ فِي كُلِّ طُرُقِهِ، وَطَغَى الْحِقْدُ عَلَى بَيْتِ إِلَهِي.٨
9 उन्होंने अपने आप को निहायत ख़राब किया जैसा जिब'आ के दिनों में हुआ था। वह उनकी बदकिरदारी को याद करेगा और उनके गुनाहों की सज़ा देगा।
قَدْ أَوْغَلُوا فِي الْفَسَادِ كَمَا حَدَثَ فِي أَيَّامِ جِبْعَةَ، لِهَذَا سَيَذْكُرُ إِثْمَهُمْ وَيُعَاقِبُهُمْ عَلَى خَطَايَاهُمْ.٩
10 मैंने इस्राईल को बियाबानी अंगूरों की तरह पाया। तुम्हारे बाप — दादा को अंजीर के पहले पक्के फल की तरह देखा जो दरख़्त के पहले मौसम में लगा हो, लेकिन वह बा'ल फ़गूर के पास गए और अपने आप को उस ज़रिए' रुस्वाई के लिए मख़्सूस किया और अपने उस महबूब की तरह मकरूह हुए।
وَجَدْتُ إِسْرَائِيلَ كَعِنَبٍ فِي الْبَرِّيَّةِ، وَرَأَيْتُ آبَاءَهُمْ كَبَاكُورَةِ ثَمَرِ شَجَرَةِ التِّينِ فِي أَوَّلِ مَوْسِمِهَا. وَلَكِنَّهُمُ الْتَصَقُوا بِبَعْلِ فَغُورَ وَنَذَرُوا أَنْفُسَهُمْ لِلصَّنَمِ الْمُخْزِي، فَأَصْبَحُوا رِجْساً نَظِيرَ الشَّيْءِ الَّذِي أَحَبُّوهُ.١٠
11 अहल — ए — इफ़्राईम की शौकत परिन्दे की तरह उड़ जाएगी, विलादत — ओ — हामिला का बुजूद उनमें न होगा और क़रार — ए — हमल ख़त्म हो जाएगा।
إِنَّ مَجْدَ أَفْرَايِمَ يَتَوَارَى كَالطَّائِرِ الْمُحَلِّقِ إِذْ يَمُوتُ أَوْلادُكُمْ فِي أَثْنَاءِ الْوِلادَةِ أَوْ فِي الأَرْحَامِ، أَوْ لَا يُحْبَلُ بِهِمْ أَبَداً.١١
12 अगरचे वह अपने बच्चों को पालें, तोभी मैं उनको छीन लूँगा, ताकि कोई आदमी बाकी न रहे। क्यूँकि जब मैं भी उनसे दूर हो जाऊँ, तो उनकी हालत क़ाबिल — ए — अफ़सोस होगी।
وَحَتَّى إِنْ أَنْجَبُوا أَوْلاداً فَإِنِّي أَحْرِمُكُمْ مِنْهُمْ حَتَّى لَا يَبْقَى مِنْهُمْ أَحَدٌ. وَيْلٌ لَكُمْ حِينَ أَنْصَرِفُ عَنْكُمْ.١٢
13 इफ़्राईम को मैं देखता हूँ कि वो सूर की तरह उम्दा जगह में लगाया गया, लेकिन इफ़्राईमअपने बच्चों को क़ातिल के सामने ले जाएगा।
مَصِيرُ أَبْنَاءِ أَفْرَايِمَ، كَمَا أَرَى، هُوَ الوُقُوعُ فِي قَبْضَةِ الصَّيَّادِ، لأَنَّ أَفْرَايِمَ، يَقْتَادُ أَبْنَاءَهُ لِلذَّبْحِ.١٣
14 ऐ ख़ुदावन्द, उनको दे; तू उनको क्या देगा? उनको इस्क़ात — ए — हमल और ख़ुश्क पिस्तान दे।
أَعْطِهِمْ يَا رَبُّ: وَلَكِنْ مَاذَا تُعْطِيهِمْ؟ أَعْطِهِمْ نِسَاءً ذَوَاتِ أَرْحَامٍ مُسْقِطَةٍ، وَأَثْدَاءَ جَافَّةٍ.١٤
15 उनकी सारी शरारत जिल्जाल में है। हाँ, वहाँ मैंने उनसे नफ़रत की। उनकी बदआ'माली की वजह से मैं उनको अपने घर से निकाल दूँगा और फिर उनसे मुहब्बत न रख्खूँगा। उनके सब उमरा बाग़ी हैं।
فِي الْجِلْجَالِ ارْتَكَبُوا جَمِيعَ شُرُورِهِمْ، فَكَرِهْتُهُمْ هُنَاكَ. لِسُوءِ أَعْمَالِهِمْ أَطْرُدُهُمْ مِنْ بَيْتِي وَلا أَعُودُ أُحِبُّهُمْ، فَكُلُّ رُؤَسَائِهِمْ مُتَمَرِّدُونَ.١٥
16 बनी इफ़्राईम तबाह हो गए। उनकी जड़ सूख गई। उनके यहाँ औलाद न होगी और अगर औलाद हो भी तो मैं उनके प्यारे बच्चों को हलाक करूँगा।
أَفْرَايِمُ مُصَابٌ. قَدْ جَفَّتْ أُصُولُهُمْ فَلَنْ يُثْمِرُوا، وَإِنْ أَنْجَبُوا فَإِنِّي أُهْلِكُ أَبْنَاءَهُمُ الأَعِزَّاءَ.١٦
17 मेरा ख़ुदा उनको छोड़ देगा, क्यूँकि वो उसके सुनने वाले नहीं हुए और वह अक़वाम — ए — 'आलम में आवारा फिरेंगे।
يَنْبِذُهُمْ إِلَهِي لأَنَّهُمْ أَبَوْا الِاسْتِمَاعَ إِلَيْهِ، لِهَذَا يَتَشَرَّدُونَ بَيْنَ الأُمَمِ.١٧

< होसी 9 >