< पैदाइश 19 >

1 और वह दोनों फ़रिश्ता शाम को सदूम में आए और लूत सदूम के फाटक पर बैठा था। और लूत उनको देख कर उनके इस्तक़बाल के लिए उठा और ज़मीन तक झुका,
وَأَقْبَلَ الْمَلاكَانِ عَلَى سَدُومَ عِنْدَ الْمَسَاءِ. وَكَانَ لُوطٌ جَالِساً عِنْدَ بَابِ سَدُومَ، فَمَا إِنْ رَآهُمَا حَتَّى نَهَضَ لاسْتِقْبَالِهِمَا، وَسَجَدَ بِوَجْهِهِ إِلَى الأَرْضِ،١
2 और कहा, “ऐ मेरे ख़ुदावन्द, अपने ख़ादिम के घर तशरीफ़ ले चलिए और रात भर आराम कीजिए और अपने पाँव धोइये और सुबह उठ कर अपनी राह लीजिए।” और उन्होंने कहा, “नहीं, हम चौक ही में रात काट लेंगे।”
وَقَالَ: «يَا سَيِّدَيَّ، انْزِلا فِي بَيْتِ عَبْدِكُمَا لِتَقْضِيَا لَيْلَتَكُمَا، وَاغْسِلا أَرْجُلَكُمَا، وَفِي الصَّبَاحِ الْبَاكِرِ تَمْضِيَانِ فِي طَرِيقِكُمَا». لَكِنَّهُمَا قَالا: «لا، بَلْ نَمْكُثُ اللَّيْلَةَ فِي السَّاحَةِ».٢
3 लेकिन जब वह बहुत बजिद्द हुआ तो वह उसके साथ चल कर उसके घर में आए; और उसने उनके लिए खाना तैयार की और बेख़मीरी रोटी पकाई; और उन्होंने खाया।
فَأَصَرَّ عَلَيْهِمَا جِدّاً حَتَّى قَبِلا الذَّهَابَ مَعَهُ وَالنُّزُولَ فِي بَيْتِهِ. فَأَعَدَّ لَهُمَا مَأْدُبَةً وَخَبَزَ فَطِيراً فَأَكَلا.٣
4 और इससे पहले कि वह आराम करने के लिए लेटें सदूम शहर के आदमियों ने, जवान से लेकर बूढ़े तक सब लोगों ने, हर तरफ़ से उस घर को घेर लिया।
وَقَبْلَ أَنْ يَرْقُدَا، حَاصَرَ رِجَالُ مَدِينَةِ سَدُومَ مِنْ أَحْدَاثٍ وَشُيُوخٍ، الْبَيْتَ،٤
5 और उन्होंने लूत को पुकार कर उससे कहा कि वह आदमी जो आज रात तेरे यहाँ आए, कहाँ हैं? उनको हमारे पास बाहर ले आ ताकि हम उनसे सोहबत करें।
وَنَادُوا لُوطاً: «أَيْنَ الرَّجُلانِ اللَّذَانِ اسْتَضَفْتَهُمَا اللَّيْلَةَ؟ أَخْرِجْهُمَا إِلَيْنَا لِنُضَاجِعَهُمَا».٥
6 तब लूत निकल कर उनके पास दरवाज़ा पर गया और अपने पीछे किवाड़ बन्द कर दिया।
فَخَرَجَ إِلَيْهِمْ لُوطٌ بَعْدَ أَنْ أَغْلَقَ الْبَابَ خَلْفَهُ،٦
7 और कहा कि ऐ भाइयो! ऐसी बदी तो न करो।
وَقَالَ: «لا تَرْتَكِبُوا شَرّاً يَا إِخْوَتِي.٧
8 देखो! मेरी दो बेटियाँ हैं जो आदमी से वाकिफ़ नहीं; मर्ज़ी हो तो मैं उनको तुम्हारे पास ले आऊँ और जो तुम को भला मा'लूम हो उनसे करो, मगर इन आदमियों से कुछ न कहना क्यूँकि वह इसलिए मेरी पनाह में आए हैं।
هُوَذَا لِي ابْنَتَانِ عَذْرَاوَانِ أُخْرِجُهُمَا إِلَيْكُمْ فَافْعَلُوا بِهِمَا مَا يَحْلُو لَكُمْ، أَمَّا هَذَانِ الرَّجُلانِ فَلا تُسِيئوا إِلَيْهِمَا لأَنَّهُمَا لَجَآ إِلَى حِمَى مَنْزِلِي».٨
9 उन्होंने कहा, यहाँ से हट जा! “फिर कहने लगे, कि यह शख़्स हमारे बीच क़याम करने आया था और अब हुकूमत जताता है; इसलिए हम तेरे साथ उनसे ज़्यादा बद सलूकी करेंगे।” तब वह उस आदमी या'नी लूत पर पिल पड़े और नज़दीक आए ताकि किवाड़ तोड़ डालें।
فَقَالُوا: «تَنَحَّ بَعِيداً»، وَأَضَافُوا: «لَقَدْ جَاءَ هَذَا الإِنْسَانُ لِيَتَغَرَّبَ بَيْنَنَا، وَهَا هُوَ يَتَحَكَّمُ فِينَا. الآنَ نَفْعَلُ بِكَ شَرّاً أَكْثَرَ مِنْهُمَا». وَتَدَافَعُوا حَوْلَ لُوطٍ وَتَقَدَّمُوا لِيُحَطِّمُوا الْبَابَ.٩
10 लेकिन उन आदमियों ने अपना हाथ बढ़ा कर लूत को अपने पास घर में खींच लिया और दरवाज़ा बन्द कर दिया।
غَيْرَ أَنَّ الرَّجُلَيْنِ مَدَّا أَيْدِيَهُمَا وَاجْتَذَبَا لُوطاً إِلَى دَاخِلِ الْبَيْتِ، وَأَغْلَقَا الْبَابَ.١٠
11 और उन आदमियों को जो घर के दरवाज़े पर थे क्या छोटे क्या बड़े, अंधा कर दिया; तब वह दरवाज़ा ढूँडते — ढूँडते थक गए।
ثُمَّ ضَرَبَا الرِّجَالَ، صَغِيرَهُمْ وَكَبِيرَهُمْ، الْوَاقِفِينَ أَمَامَ بَابِ الْبَيْتِ بِالْعَمَى، فَعَجَزُوا عَنِ الْعُثُورِ عَلَى الْبَابِ.١١
12 तब उन आदमियों ने लूत से कहा, क्या यहाँ तेरा और कोई है? दामाद और अपने बेटों और बेटियों और जो कोई तेरा इस शहर में हो, सबको इस मक़ाम से बाहर निकाल ले जा।
وَقَالَ الرَّجُلانِ لِلُوطٍ: «أَلَكَ أَقْرِبَاءُ فِي هَذِهِ الْمَدِينَةِ؟ أَصْهَارٌ وَأَبْنَاءٌ وَبَنَاتٌ أَوْ أَيُّ شَخْصٍ آخَرَ يَمُتُّ إِلَيْكَ بِصِلَةٍ؟ أَخْرِجْهُمْ مِنْ هُنَا،١٢
13 क्यूँकि हम इस मक़ाम को बर्बाद करेंगे, इसलिए कि उनका गुनाह ख़ुदावन्द के सामने बहुत बुलन्द हुआ है और ख़ुदावन्द ने उसे बर्बाद करने को हमें भेजा है।
لأَنَّنَا عَازِمَانِ عَلَى تَدْمِيرِ هَذَا الْمَكَانِ، إِذْ أَنَّ صُرَاخَ الشَّكْوَى مِنْ شَرِّهِ قَدْ تَعَاظَمَ أَمَامَ الرَّبِّ، فَأَرْسَلَنَا الرَّبُّ لِنُدَمِّرَهُ».١٣
14 तब लूत ने बाहर जाकर अपने दामादों से जिन्होंने उसकी बेटियाँ ब्याही थीं बातें कीं और कहा कि उठो और इस मक़ाम से निकलो क्यूँकि ख़ुदावन्द इस शहर को बर्बाद करेगा। लेकिन वह अपने दामादों की नज़र में मज़ाक़ सा मा'लूम हुआ।
فَمَضَى لُوطٌ وَخَاطَبَ أَصْهَارَهُ أَزْوَاجَ بَنَاتِهِ، قَائِلاً: «هَيَّا. قُومُوا وَاخْرُجُوا مِنْ هَذَا الْمَكَانِ، لأَنَّ الرَّبَّ سَيُدَمِّرُ هَذِهِ الْمَدِينَةَ». فَبَدَا كَمَازِحٍ فِي أَعْيُنِ أَصْهَارِهِ.١٤
15 जब सुबह हुई तो फ़रिश्तों ने लूत से जल्दी कराई और कहा कि उठ अपनी बीवी और अपनी दोनों बेटियों को जो यहाँ हैं ले जा; ऐसा न हो कि तू भी इस शहर की बदी में गिरफ़्तार होकर हलाक हो जाए।
وَمَا إِنْ أَطَلَّ الْفَجْرُ حَتَّى طَفِقَ الْمَلاكَانِ يَلِحَّانِ عَلَى لُوطٍ قَائِلَيْنِ: «هَيَّا انْهَضْ وَخُذْ زَوْجَتَكَ وَابْنَتَيْكَ اللَّتَيْنِ هُنَا، لِئَلّا تَهْلِكَ بِإِثْمِ الْمَدِينَةِ».١٥
16 मगर उसने देर लगाई तो उन आदमियों ने उसका और उसकी बीवी और उसकी दोनों बेटियों का हाथ पकड़ा, क्यूँकि ख़ुदावन्द की मेहरबानी उस पर हुई और उसे निकाल कर शहर से बाहर कर दिया।
وَإِذْ تَوَانَى لُوطٌ، أَمْسَكَ الرَّجُلانِ بِيَدِهِ وَأَيْدِي زَوْجَتِهِ وَابْنَتَيْهِ وَقَادَاهُمْ إِلَى خَارِجِ الْمَدِينَةِ، لأَنَّ الرَّبَّ أَشْفَقَ عَلَيْهِمْ.١٦
17 और यूँ हुआ कि जब वह उनको बाहर निकाल लाए तो उसने कहा, “अपनी जान बचाने को भाग; न तो पीछे मुड़ कर देखना न कहीं मैदान में ठहरना; उस पहाड़ को चला जा, ऐसा न हो कि तू हलाक हो जाए।”
وَمَا إِنْ أَخْرَجَاهُمْ بَعِيداً حَتَى قَالَ أَحَدُ الْمَلاكَيْنِ: «اُنْجُ بِحَيَاتِكَ. لَا تَلْتَفِتْ وَرَاءَكَ وَلا تَتَوَقَّفْ فِي كُلِّ مِنْطَقَةِ السَّهْلِ. اهْرُبْ إِلَى الْجَبَلِ لِئَلّا تَهْلِكَ».١٧
18 और लूत ने उनसे कहा कि ऐ मेरे ख़ुदावन्द, ऐसा न कर।
فَقَالَ لُوطٌ: «لَيْسَ هَكَذَا يَا سَيِّدُ.١٨
19 देख, तूने अपने ख़ादिम पर करम की नज़र की है और ऐसा बड़ा फ़ज़ल किया कि मेरी जान बचाई; मैं पहाड़ तक जा नहीं सकता, कहीं ऐसा न हो कि मुझ पर मुसीबत आ पड़े और मैं मर जाऊँ।
هَا عَبْدُكَ قَدْ حَظِيَ بِرِضَاكَ، وَهَا أَنْتَ قَدْ عَظَّمْتَ لُطْفَكَ إِذْ أَنْقَذْتَ حَيَاتِي، وَأَنَا لَا أَسْتَطِيعُ اللُّجُوءَ إِلَى الْجَبَلِ لِئَلّا يُدْرِكَنِي مَكْرُوهٌ فَأَمُوتَ.١٩
20 देख, यह शहर ऐसा नज़दीक है कि वहाँ भाग सकता हूँ और यह छोटा भी है। इजाज़त हो तो मैं वहाँ चला जाऊँ, वह छोटा सा भी है और मेरी जान बच जाएगी।
هَا هِيَ الْمَدِينَةُ قَرِيبَةٌ يَسْهُلُ الْهَرَبُ إِلَيْهَا. إِنَّهَا مَدِينَةٌ صَغِيرَةٌ، فَدَعْنِي أَلْجَأُ إِلَيْهَا. أَلَيْسَتْ هِيَ مَدِينَةً صَغِيرَةً جِدّاً فَأَنْجُوَ فِيهَا بِحَيَاتِي؟»٢٠
21 उसने उससे कहा कि देख, मैं इस बात में भी तेरा लिहाज़ करता हूँ कि इस शहर को जिसका तू ने ज़िक्र किया, बर्बाद नहीं करूँगा।
فَقَالَ لَهُ الْمَلاكُ: «إِنِّي قَدْ قَبِلْتُ طِلْبَتَكَ بِشَأْنِ هَذَا الأَمْرِ، وَلَنْ أُدَمِّرَ هَذِهِ الْمَدِينَةَ الَّتِي ذَكَرْتَهَا٢١
22 जल्दी कर और वहाँ चला जा, क्यूँकि मैं कुछ नहीं कर सकता जब तक कि तू वहाँ पहुँच न जाए। इसीलिए उस शहर का नाम ज़ुग़र कहलाया।
أَسْرِعْ، وَاهْرُبْ إِلَيْهَا، لأَنَّنِي لَا أَسْتَطِيعُ أَنْ أَصْنَعَ شَيْئاً إِلَى أَنْ تَبْلُغَهَا». لِذَلِكَ دُعِيَ اسْمُ تِلْكَ الْمَدِينَةِ صُوغَرَ (وَمَعْنَاهَا صَغِيرَةٌ).٢٢
23 और ज़मीन पर धूप निकल चुकी थी, जब लूत ज़ुग़र में दाख़िल हुआ।
وَمَا إِنْ أَشْرَقَتِ الشَّمْسُ عَلَى الأَرْضِ حَتَّى كَانَ لُوطٌ قَدْ دَخَلَ إِلَى صُوغَرَ،٢٣
24 तब ख़ुदावन्द ने अपनी तरफ़ से सदूम और 'अमूरा पर गन्धक और आग आसमान से बरसाई,
فَأَمْطَرَ الرَّبُّ عَلَى سَدُومَ وَعَمُورَةَ كِبْرِيتاً وَنَاراً، مِنْ عِنْدِهِ مِنَ السَّمَاءِ.٢٤
25 और उसने उन शहरों को और उस सारी तराई को और उन शहरों के सब रहने वालों को और सब कुछ जो ज़मीन से उगा था बर्बाद किया।
وَقَلَبَ تِلْكَ الْمُدُنَ وَالسَّاكِنِينَ فِيهَا، وَالسَّهْلَ الْمُحِيطَ بِها وَكُلَّ مَزْرُوعَاتِ الأَرْضِ.٢٥
26 मगर उसकी बीवी ने उसके पीछे से मुड़ कर देखा और वह नमक का सुतून बन गई।
وَتَلَفَّتَتْ زَوْجَةُ لُوطٍ السَّائِرَةُ خَلْفَهُ وَرَاءَهَا، فَتَحَوَّلَتْ إِلَى عَمُودٍ مِنَ الْمِلْحِ.٢٦
27 और अब्रहाम सुबह सवेरे उठ कर उस जगह गया जहाँ वह ख़ुदावन्द के सामने खड़ा हुआ था;
وَمَضَى إِبْرَاهِيمُ مُبَكِّراً فِي الصَّبَاحِ إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي وَقَفَ فِيهِ أَمَامَ الرَّبِّ.٢٧
28 और उसने सदूम और 'अमूरा और उस तराई की सारी ज़मीन की तरफ़ नज़र की, और क्या देखता है कि ज़मीन पर से धुवां ऐसा उठ रहा है जैसे भट्टी का धुवां।
وَتَطَلَّعَ نَحْوَ سَدُومَ وَعَمُورَةَ وَلِسَائِرِ أَرْضِ السَّهْلِ، فَأَبْصَرَ الدُّخَانَ يَتَصَاعَدُ مِنْهَا كَالأَتُونِ.٢٨
29 और यूँ हुआ कि जब ख़ुदा ने उस तराई के शहरों को बर्बाद किया, तो ख़ुदा ने अब्रहाम को याद किया और उन शहरों की जहाँ लूत रहता था, बर्बाद करते वक़्त लूत को उस बला से बचाया।
وَهَكَذَا عِنْدَمَا دَمَّرَ اللهُ مُدُنَ السَّهْلِ ذَكَرَ إِبْرَاهِيمَ، فَأَخْرَجَ لُوطاً قُبَيْلَ وُقُوعِ الْكَارِثَةِ حِينَ قَلَبَ الْمُدُنَ الَّتِي سَكَنَ فِيهَا لُوطٌ.٢٩
30 और लूत जुग़्रसे निकल कर पहाड़ पर जा बसा और उसकी दोनों बेटियाँ उसके साथ थीं; क्यूँकि उसे ज़ुग़र में बसते डर लगा, और वह और उसकी दोनों बेटियाँ एक ग़ार में रहने लगे।
وَغَادَرَ لُوطٌ وَابْنَتَاهُ بَعْدَ ذَلِكَ صُوغَرَ، وَاسْتَقَرُّوا فِي الْجَبَلِ لأَنَّهُ خَافَ أَنْ يَسْكُنَ فِي صُوغَرَ. فَلَجَأَ هُوَ وَابْنَتَاهُ إِلَى كَهْفٍ هُنَاكَ.٣٠
31 तब पहलौठी ने छोटी से कहा, कि हमारा बाप बूढ़ा है और ज़मीन पर कोई आदमी नहीं जो दुनिया के दस्तूर के मुताबिक़ हमारे पास आए।
فَقَالَتْ الابْنَةُ الْبِكْرُ لأُخْتِهَا الصَّغِيرَةِ: «إِنَّ أَبَانَا قَدْ شَاخَ وَلَيْسَ فِي الأَرْضِ حَوْلَنَا رَجُلٌ يَتَزَوَّجُنَا كَعَادَةِ كُلِّ النَّاسِ.٣١
32 आओ, हम अपने बाप को मय पिलाएँ और उससे हम — आग़ोश हों, ताकि अपने बाप से नसल बाक़ी रख्खें।
فَتَعَالَيْ نَسْقِيهِ خَمْراً وَنَضْطَجِعُ مَعَهُ فَلا تَنْقَطِعُ ذُرِّيَّةُ أَبِينَا».٣٢
33 इसलिए उन्होंने उसी रात अपने बाप को मय पिलाई और पहलौठी अन्दर गई और अपने बाप से हम — आग़ोश हुई, लेकिन उसने न जाना कि वह कब लेटी और कब उठ गई।
فَسَقَتَا فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ أَبَاهُمَا خَمْراً، وَأَقْبَلَتْ الابْنَةُ الْكُبْرَى وَضَاجَعَتْ أَبَاهَا فَلَمْ يَعْلَمْ بِاضْطِجَاعِهَا وَلا بِقِيَامِهَا.٣٣
34 और दूसरे दिन यूँ हुआ कि पहलौठी ने छोटी से कहा कि देख, कल रात को मैं अपने बाप से हम — आग़ोश हुई, आओ, आज रात भी उसको मय पिलाएँ और तू भी जा कर उससे हमआग़ोश हो, ताकि हम अपने बाप से नसल बाक़ी रख्खें।
وَفِي الْيَوْمِ الثَّانِي قَالَتْ الابْنَةُ الْبِكْرُ لأُخْتِهَا الصَّغِيرَةِ: «إِنِّي قَدِ اضْطَجَعْتُ مَعَ أَبِي لَيْلَةَ أَمْسِ، فَتَعَالَيْ نَسْقِيهِ اللَّيْلَةَ أَيْضاً خَمْراً ثُمَّ ادْخُلِي وَاضْطَجِعِي مَعَهُ فَنُحْيِيَ مِنْ أَبِينَا نَسْلاً».٣٤
35 फिर उस रात भी उन्होंने अपने बाप को मय पिलाई और छोटी गई और उससे हम — आग़ोश हुई, लेकिन उसने न जाना कि वह कब लेटी और कब उठ गई।
فَسَقَتَا أَبَاهُمَا خَمْراً فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ أَيْضاً وَأَقْبَلَتْ الابْنَةُ الصَّغِيرَةُ وَضَاجَعَتْ أَبَاهَا. فَلَمْ يَعْلَمْ بِاضْطِجَاعِهَا وَلا بِقِيَامِهَا.٣٥
36 फिर लूत की दोनों बेटियाँ अपने बाप से हामिला हुई।
وَهَكَذَا حَمَلَتْ الابْنَتَانِ كِلْتَاهُمَا مِنْ أَبِيهِمَا.٣٦
37 और बड़ी के एक बेटा हुआ और उसने उसका नाम मोआब रख्खा; वही मोआबियों का बाप है जो अब तक मौजूद हैं।
فَوَلَدَتِ الْكُبْرَى ابْناً دَعَتْهُ مُوآبَ (وَمَعْنَاهُ مِنَ الأَبِ)، وَهُوَ أَبُو الْمُوآبِيِّينَ إِلَى الْيَوْمِ،٣٧
38 और छोटी के भी एक बेटा हुआ और उसने उसका नाम बिन — 'अम्मी रख्खाः वही बनी — 'अम्मोन का बाप है जो अब तक मौजूद हैं।
أَمَّا الصُّغْرَى فَوَلَدَتِ ابْناً وَدَعَتْهُ «بِنْ عَمِّي» (وَمَعْنَاهُ ابْنُ قَوْمِي) وَهُوَ أَبُو بَنِي عَمُّونَ إِلَى الْيَوْمِ.٣٨

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