< हिज़ि 2 >
1 और उसने मुझे कहा, “ऐ आदमज़ाद अपने पाँव पर खड़ा हो कि मैं तुझसे बातें करूँ।”
E Disse-me: Filho do homem, fica de pé, e falarei contigo.
2 जब उसने मुझे यूँ कहा, तो रूह मुझ में दाख़िल हुई और मुझे पाँव पर खड़ा किया; तब मैंने उसकी सुनी जो मुझ से बातें करता था।
Então entrou em mim o Espírito enquanto falava comigo, e fez-me ficar de pé, e ouvi àquele que estava falando comigo.
3 चुनाँचे उसने मुझ से कहा, कि 'ऐआदमज़ाद, मैं तुझे बनी — इस्राईल के पास, या'नी उस सरकश क़ौम के पास जिसने मुझ से सरकशी की है भेजता हूँ वह और उनके बाप दादा आज के दिन तक मेरे गुनाहगार होते आए हैं।
E disse-me: Filho do homem, eu te envio aos filhos de Israel, às nações rebeldes que se rebelaram contra mim; eles e seus pais têm transgredido contra mim até este dia de hoje.
4 क्यूँकि जिनके पास मैं तुझ को भेजता हूँ, वह सख़्त दिल और बेहया फ़र्ज़न्द हैं; तू उनसे कहना, 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है।
Pois são filhos duros de rosto e obstinados de coração; eu te envio a eles; e tu lhes dirás: Assim diz o Senhor DEUS.
5 तो चाहे वह सुनें या न सुने क्यूँकि वह तो सरकश ख़ान्दान हैं तोभी इतना तो होगा कि वह जानेंगे कि उनमें से एक नबी खड़ा हुआ।
E eles, quer ouçam, quer deixem [de ouvir], (pois são uma casa rebelde) mesmo assim saberão que houve profeta entre eles.
6 तू ऐ आदमज़ाद उनसे परेशान न हो और उनकी बातों से न डर, हर वक़्त तू ऊँट कटारों और काँटों से घिरा है और बिच्छुओं के बीच रहता है। उनकी बातों से तरसान न हो और उनके चेहरों से न घबरा, अगरचे वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
E tu, filho do homem, não os temas, nem temas suas palavras, ainda que estejas entre sarças e espinheiros, e tu habites com escorpiões; não temas suas palavras, nem te espantes pela presença deles, ainda que sejam uma casa rebelde.
7 तब तू मेरी बातें उनसे कहना, चाहे वह सुनें चाहे न सुनें, क्यूँकि वह बहुत बाग़ी हैं।
Tu falarás minhas palavras, quer ouçam, quer deixem [de ouvir]; pois são rebeldes.
8 “लेकिन ऐ आदमज़ाद, तू मेरा कलाम सुन। तू उस सरकश ख़ान्दान की तरह सरकशी न कर, अपना मुँह खोल और जो कुछ मैं तुझे देता हूँ खा ले।”
Porém tu, filho do homem, ouve o que eu te falo; não sejas rebelde como a casa rebelde; abre a tua boca, e come o que eu te dou.
9 और मैंने निगाह की, तो क्या देखता हूँ कि एक हाथ मेरी तरफ़ बढ़ाया हुआ है, और उसमें किताब का तूमार है।
Então eu vi e eis que uma mão foi estendida para mim, e eis que nela havia um rolo de livro.
10 और उसने उसे खोल कर मेरे सामने रख दिया। उसमें अन्दर बाहर लिखा हुआ था, और उसमें नोहा और मातम और आह और नाला मरकूम था।
E o estendeu diante de mim, e estava escrito pela frente, e por detrás: e nele estavam escritas lamentações, suspiros, e ais.