< आस्त 9 >

1 अब बारहवें महीने या'नी अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ को, जब बादशाह के हुक्म और फ़रमान पर 'अमल करने का वक़्त नज़दीक आया, और उस दिन यहूदियों के दुश्मनों को उन पर ग़ालिब होने की उम्मीद थी, हालाँकि इसके अलावा यह हुआ कि यहूदियों ने अपने नफ़रत करनेवालों पर ग़लबा पाया;
וּבִשְׁנֵים עָשָׂר חֹדֶשׁ הוּא־חֹדֶשׁ אֲדָר בִּשְׁלוֹשָׁה עָשָׂר יוֹם בּוֹ אֲשֶׁר הִגִּיעַ דְּבַר־הַמֶּלֶךְ וְדָתוֹ לְהֵעָשׂוֹת בַּיּוֹם אֲשֶׁר שִׂבְּרוּ אֹיְבֵי הַיְּהוּדִים לִשְׁלוֹט בָּהֶם וְנַהֲפוֹךְ הוּא אֲשֶׁר יִשְׁלְטוּ הַיְּהוּדִים הֵמָּה בְּשֹׂנְאֵיהֶֽם׃
2 तो अख़्सूयरस बादशाह के सब सूबों के यहूदी अपने अपने शहर में इकट्ठे हुए कि उन पर जो उनका नुक़्सान चाहते थे, हाथ चलाएँ और कोई आदमी उनका सामना न कर सका, क्यूँकि उनका ख़ौफ़ सब क़ौमों पर छा गया था।
נִקְהֲלוּ הַיְּהוּדִים בְּעָרֵיהֶם בְּכׇל־מְדִינוֹת הַמֶּלֶךְ אֲחַשְׁוֵרוֹשׁ לִשְׁלֹחַ יָד בִּמְבַקְשֵׁי רָֽעָתָם וְאִישׁ לֹא־עָמַד לִפְנֵיהֶם כִּֽי־נָפַל פַּחְדָּם עַל־כׇּל־הָעַמִּֽים׃
3 और सूबों के सब अमीरों और नवाबों और हाकिमों और बादशाह के कार गुज़ारों ने यहूदियों की मदद की, इसलिए कि मर्दकै का रौब उन पर छा गया था।
וְכׇל־שָׂרֵי הַמְּדִינוֹת וְהָאֲחַשְׁדַּרְפְּנִים וְהַפַּחוֹת וְעֹשֵׂי הַמְּלָאכָה אֲשֶׁר לַמֶּלֶךְ מְנַשְּׂאִים אֶת־הַיְּהוּדִים כִּֽי־נָפַל פַּֽחַד־מׇרְדֳּכַי עֲלֵיהֶֽם׃
4 क्यूँकि मर्दकै शाही महल में ख़ास 'ओहदे पर था, और सब सूबों में उसकी शोहरत फैल गई थी, इसलिए कि यह आदमी या'नी मर्दकै बढ़ता ही चला गया।
כִּֽי־גָדוֹל מׇרְדֳּכַי בְּבֵית הַמֶּלֶךְ וְשׇׁמְעוֹ הוֹלֵךְ בְּכׇל־הַמְּדִינוֹת כִּֽי־הָאִישׁ מׇרְדֳּכַי הוֹלֵךְ וְגָדֽוֹל׃
5 और यहूदियों ने अपने सब दुश्मनों को तलवार की धार से काट डाला और क़त्ल और हलाक किया, और अपने नफ़रत करने वालों से जो चाहा किया।
וַיַּכּוּ הַיְּהוּדִים בְּכׇל־אֹיְבֵיהֶם מַכַּת־חֶרֶב וְהֶרֶג וְאַבְדָן וַיַּֽעֲשׂוּ בְשֹׂנְאֵיהֶם כִּרְצוֹנָֽם׃
6 और सोसन के महल में यहूदियों ने पाँच सौ आदमियों को क़त्ल और हलाक किया,
וּבְשׁוּשַׁן הַבִּירָה הָרְגוּ הַיְּהוּדִים וְאַבֵּד חֲמֵשׁ מֵאוֹת אִֽישׁ׃
7 और परशन्दाता और दलफ़ून और असपाता,
וְאֵת ׀ פַּרְשַׁנְדָּ תָ א וְאֵת ׀ דַּֽלְפוֹן וְאֵת ׀ אַסְפָּֽתָא׃
8 और पोरता और अदलियाह और अरीदता,
וְאֵת ׀ פּוֹרָתָא וְאֵת ׀ אֲדַלְיָא וְאֵת ׀ אֲרִידָֽתָא׃
9 और परमश्ता और अरीसै और अरीदै और वैज़ाता,
וְאֵת ׀ פַּרְמַ שְׁ תָּא וְאֵת ׀ אֲרִיסַי וְאֵת ׀ אֲרִדַי וְאֵת ׀ וַ יְ זָֽ תָא׃
10 या'नी यहूदियों के दुश्मन हामान — बिन — हम्मदाता के दसों बेटों को उन्होंने क़त्ल किया, पर लूट पर उन्होंने हाथ न बढ़ाया।
עֲשֶׂרֶת בְּנֵי הָמָן בֶּֽן־הַמְּדָתָא צֹרֵר הַיְּהוּדִים הָרָגוּ וּבַבִּזָּה לֹא שָׁלְחוּ אֶת־יָדָֽם׃
11 उसी दिन उन लोगों का शुमार जो सोसन के महल में क़त्ल हुए बादशाह के सामने पहुँचाया गया।
בַּיּוֹם הַהוּא בָּא מִסְפַּר הַֽהֲרוּגִים בְּשׁוּשַׁן הַבִּירָה לִפְנֵי הַמֶּֽלֶךְ׃
12 और बादशाह ने आस्तर मलिका से कहा, “यहूदियों ने सोसन के महल ही में पाँच सौ आदमियों और हामान के दसों बेटों को कत्ल और हलाक किया है, तो बादशाह के बाक़ी सूबों में उन्होंने क्या कुछ न किया होगा! अब तेरा क्या सवाल है? वह मंजूर होगा, और तेरी और क्या दरख़्वास्त है? वह पूरी की जाएगी।”
וַיֹּאמֶר הַמֶּלֶךְ לְאֶסְתֵּר הַמַּלְכָּה בְּשׁוּשַׁן הַבִּירָה הָרְגוּ הַיְּהוּדִים וְאַבֵּד חֲמֵשׁ מֵאוֹת אִישׁ וְאֵת עֲשֶׂרֶת בְּנֵֽי־הָמָן בִּשְׁאָר מְדִינוֹת הַמֶּלֶךְ מֶה עָשׂוּ וּמַה־שְּׁאֵֽלָתֵךְ וְיִנָּתֵֽן לָךְ וּמַה־בַּקָּשָׁתֵךְ עוֹד וְתֵעָֽשׂ׃
13 आस्तर ने कहा, “अगर बादशाह को मंजूर हो तो उन यहूदियों को जो सोसन में हैं इजाज़त मिले कि आज के फ़रमान के मुताबिक़ कल भी करें, और हामान के दसों बेटे सूली पर चढ़ाए जाएँ।”
וַתֹּאמֶר אֶסְתֵּר אִם־עַל־הַמֶּלֶךְ טוֹב יִנָּתֵן גַּם־מָחָר לַיְּהוּדִים אֲשֶׁר בְּשׁוּשָׁן לַעֲשׂוֹת כְּדָת הַיּוֹם וְאֵת עֲשֶׂרֶת בְּנֵֽי־הָמָן יִתְלוּ עַל־הָעֵֽץ׃
14 इसलिए बादशाह ने हुक्म दिया, “ऐसा ही किया जाए।” और सोसन में उस फ़रमान का ऐलान किया गया; और हामान के दसों बेटों को उन्होंने टाँग दिया।
וַיֹּאמֶר הַמֶּלֶךְ לְהֵֽעָשׂוֹת כֵּן וַתִּנָּתֵן דָּת בְּשׁוּשָׁן וְאֵת עֲשֶׂרֶת בְּנֵֽי־הָמָן תָּלֽוּ׃
15 और वह यहूदी जो सोसन में रहते थे, अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ को इकट्ठे हुए और उन्होंने सोसन में तीन सौ आदमियों को क़त्ल किया, लेकिन लूट के माल को हाथ न लगाया।
וַיִּֽקָּהֲלוּ (היהודיים) [הַיְּהוּדִים] אֲשֶׁר־בְּשׁוּשָׁן גַּם בְּיוֹם אַרְבָּעָה עָשָׂר לְחֹדֶשׁ אֲדָר וַיַּֽהַרְגוּ בְשׁוּשָׁן שְׁלֹשׁ מֵאוֹת אִישׁ וּבַבִּזָּה לֹא שָׁלְחוּ אֶת־יָדָֽם׃
16 बाक़ी यहूदी जो बादशाह के सूबों में रहते थे, इकट्ठे होकर अपनी अपनी जान बचाने के लिए मुक़ाबिले को अड़ गए, और अपने दुश्मनों से आराम पाया और अपने नफ़रत करनेवालों में से पच्छत्तर हज़ार को क़त्ल किया, लेकिन लूट पर उन्होंने हाथ न बढ़ाया।
וּשְׁאָר הַיְּהוּדִים אֲשֶׁר בִּמְדִינוֹת הַמֶּלֶךְ נִקְהֲלוּ ׀ וְעָמֹד עַל־נַפְשָׁם וְנוֹחַ מֵאֹיְבֵיהֶם וְהָרוֹג בְּשֹׂנְאֵיהֶם חֲמִשָּׁה וְשִׁבְעִים אָלֶף וּבַבִּזָּה לֹא שָֽׁלְחוּ אֶת־יָדָֽם׃
17 यह अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ थी, और उसी की चौदहवीं तारीख़ को उन्होंने आराम किया, और उसे मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी का दिन ठहराया।
בְּיוֹם־שְׁלוֹשָׁה עָשָׂר לְחֹדֶשׁ אֲדָר וְנוֹחַ בְּאַרְבָּעָה עָשָׂר בּוֹ וְעָשֹׂה אֹתוֹ יוֹם מִשְׁתֶּה וְשִׂמְחָֽה׃
18 लेकिन वह यहूदी जो सोसन में थे, उसकी तेरहवीं और चौदहवीं तारीख़ को इकट्ठे हुए, और उसकी पन्द्रहवीं तारीख़ को आराम किया और उसे मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी का दिन ठहराया।
(והיהודיים) [וְהַיְּהוּדִים] אֲשֶׁר־בְּשׁוּשָׁן נִקְהֲלוּ בִּשְׁלוֹשָׁה עָשָׂר בּוֹ וּבְאַרְבָּעָה עָשָׂר בּוֹ וְנוֹחַ בַּחֲמִשָּׁה עָשָׂר בּוֹ וְעָשֹׂה אֹתוֹ יוֹם מִשְׁתֶּה וְשִׂמְחָֽה׃
19 इसलिए देहाती यहूदी जो बिना दीवार बस्तियों में रहते हैं, अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ की शादमानी और मेहमान नवाज़ी का और ख़ुशी का और एक दूसरे को तोहफ़े भेजने का दिन मानते हैं।
עַל־כֵּן הַיְּהוּדִים (הפרוזים) [הַפְּרָזִים] הַיֹּשְׁבִים בְּעָרֵי הַפְּרָזוֹת עֹשִׂים אֵת יוֹם אַרְבָּעָה עָשָׂר לְחֹדֶשׁ אֲדָר שִׂמְחָה וּמִשְׁתֶּה וְיוֹם טוֹב וּמִשְׁלֹחַ מָנוֹת אִישׁ לְרֵעֵֽהוּ׃
20 मर्दकै ने यह सब अहवाल लिखकर, उन यहूदियों को जो अख़्सूयरस बादशाह के सब सूबों में क्या नज़दीक क्या दूर रहते थे ख़त भेजे,
וַיִּכְתֹּב מׇרְדֳּכַי אֶת־הַדְּבָרִים הָאֵלֶּה וַיִּשְׁלַח סְפָרִים אֶל־כׇּל־הַיְּהוּדִים אֲשֶׁר בְּכׇל־מְדִינוֹת הַמֶּלֶךְ אֲחַשְׁוֵרוֹשׁ הַקְּרוֹבִים וְהָרְחוֹקִֽים׃
21 ताकि उनको ताकीद करे कि वह अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ को, और उसी की पन्द्रहवीं को हर साल,
לְקַיֵּם עֲלֵיהֶם לִהְיוֹת עֹשִׂים אֵת יוֹם אַרְבָּעָה עָשָׂר לְחֹדֶשׁ אֲדָר וְאֵת יוֹם־חֲמִשָּׁה עָשָׂר בּוֹ בְּכׇל־שָׁנָה וְשָׁנָֽה׃
22 ऐसे दिनों की तरह मानें जिनमें यहूदियों को अपने दुश्मनों से चैन मिला; और वह महीने उनके लिए ग़म से शादमानी में और मातम से ख़ुशी के दिन में बदल गए; इसलिए वह उनको मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी और आपस में तोहफ़े भेजने और गरीबों को ख़ैरात देने के दिन ठहराएँ।
כַּיָּמִים אֲשֶׁר־נָחוּ בָהֶם הַיְּהוּדִים מֵאֹיְבֵיהֶם וְהַחֹדֶשׁ אֲשֶׁר נֶהְפַּךְ לָהֶם מִיָּגוֹן לְשִׂמְחָה וּמֵאֵבֶל לְיוֹם טוֹב לַעֲשׂוֹת אוֹתָם יְמֵי מִשְׁתֶּה וְשִׂמְחָה וּמִשְׁלֹחַ מָנוֹת אִישׁ לְרֵעֵהוּ וּמַתָּנוֹת לָֽאֶבְיֹנִֽים׃
23 यहूदियों ने जैसा शुरू किया था और जैसा मर्दकै ने उनको लिखा था, वैसा ही करने का ज़िम्मा लिया।
וְקִבֵּל הַיְּהוּדִים אֵת אֲשֶׁר־הֵחֵלּוּ לַעֲשׂוֹת וְאֵת אֲשֶׁר־כָּתַב מׇרְדֳּכַי אֲלֵיהֶֽם׃
24 क्यूँकि अजाजी हम्मदाता के बेटे हामान, सब यहूदियों के दुश्मन, ने यहूदियों के ख़िलाफ़ उनको हलाक करने की तदबीर की थी, और उसने पूर या'नी पर्ची डाला था कि उनको मिटाये और हलाक करे।
כִּי הָמָן בֶּֽן־הַמְּדָתָא הָֽאֲגָגִי צֹרֵר כׇּל־הַיְּהוּדִים חָשַׁב עַל־הַיְּהוּדִים לְאַבְּדָם וְהִפִּל פּוּר הוּא הַגּוֹרָל לְהֻמָּם וּֽלְאַבְּדָֽם׃
25 तब जब वह मु'आमिला बादशाह के सामने पेश हुआ, तो उसने ख़तों के ज़रिए से हुक्म किया कि वह बुरी तजवीज़, जो उसने यहूदियों के बरख़िलाफ़ की थी उल्टी उस ही के सिर पर पड़े, और वह और उसके बेटे सूली पर चढ़ाए जाएँ।
וּבְבֹאָהּ לִפְנֵי הַמֶּלֶךְ אָמַר עִם־הַסֵּפֶר יָשׁוּב מַחֲשַׁבְתּוֹ הָרָעָה אֲשֶׁר־חָשַׁב עַל־הַיְּהוּדִים עַל־רֹאשׁוֹ וְתָלוּ אֹתוֹ וְאֶת־בָּנָיו עַל־הָעֵֽץ׃
26 इसलिए उन्होंने उन दिनों को पूर के नाम की वजह से पूरीम कहा। इसलिए इस ख़त की सब बातों की वजह से, और जो कुछ उन्होंने इस मु'आमिले में ख़ुद देखा था और जो उनपर गुज़रा था उसकी वजह से भी
עַל־כֵּן קָֽרְאוּ לַיָּמִים הָאֵלֶּה פוּרִים עַל־שֵׁם הַפּוּר עַל־כֵּן עַל־כׇּל־דִּבְרֵי הָאִגֶּרֶת הַזֹּאת וּמָֽה־רָאוּ עַל־כָּכָה וּמָה הִגִּיעַ אֲלֵיהֶֽם׃
27 यहूदियों ने ठहरा दिया, और अपने ऊपर और अपनी नस्ल के लिए और उन सभों के लिए जो उनके साथ मिल गए थे, यह ज़िम्मा लिया ताकि बात अटल हो जाए कि वह उस ख़त की तहरीर के मुताबिक़ हर साल उन दोनों दिनों को मुक़र्ररा वक़्त पर मानेंगे।
קִיְּמוּ (וקבל) [וְקִבְּלוּ] הַיְּהוּדִים ׀ עֲלֵיהֶם ׀ וְעַל־זַרְעָם וְעַל כׇּל־הַנִּלְוִים עֲלֵיהֶם וְלֹא יַעֲבוֹר לִהְיוֹת עֹשִׂים אֵת שְׁנֵי הַיָּמִים הָאֵלֶּה כִּכְתָבָם וְכִזְמַנָּם בְּכׇל־שָׁנָה וְשָׁנָֽה׃
28 और यह दिन नसल — दर — नसल हर ख़ान्दान और सूबे और शहर में याद रख्खें और माने जाएँगे, और पूरीम के दिन यहूदियों में कभी मौकू़फ़ न होंगे, न उनकी यादगार उनकी नसल से जाती रहेगी।
וְהַיָּמִים הָאֵלֶּה נִזְכָּרִים וְנַעֲשִׂים בְּכׇל־דּוֹר וָדוֹר מִשְׁפָּחָה וּמִשְׁפָּחָה מְדִינָה וּמְדִינָה וְעִיר וָעִיר וִימֵי הַפּוּרִים הָאֵלֶּה לֹא יַֽעַבְרוּ מִתּוֹךְ הַיְּהוּדִים וְזִכְרָם לֹא־יָסוּף מִזַּרְעָֽם׃
29 और अबीख़ैल की बेटी आस्तर मलिका, और यहूदी मर्दकै ने पूरीम के बाब के ख़त पर ज़ोर देने के लिए पूरे इख़्तियार से लिखा।
וַ תִּ כְתֹּב אֶסְתֵּר הַמַּלְכָּה בַת־אֲבִיחַיִל וּמׇרְדֳּכַי הַיְּהוּדִי אֶת־כׇּל־תֹּקֶף לְקַיֵּם אֵת אִגֶּרֶת הַפֻּרִים הַזֹּאת הַשֵּׁנִֽית׃
30 और उसने सलामती और सच्चाई की बातें लिख कर अख़्सूयरस की बादशाहत के एक सौ सताईस सूबों में सब यहूदियों के पास ख़त भेजे
וַיִּשְׁלַח סְפָרִים אֶל־כׇּל־הַיְּהוּדִים אֶל־שֶׁבַע וְעֶשְׂרִים וּמֵאָה מְדִינָה מַלְכוּת אֲחַשְׁוֵרוֹשׁ דִּבְרֵי שָׁלוֹם וֶאֱמֶֽת׃
31 ताकि पूरीम के इन दिनों को उनके मुक़र्ररा वक़्त के लिए बरक़रार करे जैसा यहूदी मर्दकै और आस्तर मलिका ने उनको हुक्म किया था; और जैसा उन्होंने अपने और अपनी नसल के लिए रोज़ा रखने और मातम करने के बारे में ठहराया था।
לְקַיֵּם אֶת־יְמֵי הַפֻּרִים הָאֵלֶּה בִּזְמַנֵּיהֶם כַּאֲשֶׁר קִיַּם עֲלֵיהֶם מׇרְדֳּכַי הַיְּהוּדִי וְאֶסְתֵּר הַמַּלְכָּה וְכַאֲשֶׁר קִיְּמוּ עַל־נַפְשָׁם וְעַל־זַרְעָם דִּבְרֵי הַצּוֹמוֹת וְזַעֲקָתָֽם׃
32 और आस्तर के हुक्म से पूरीम की इन रस्मों की तसदीक़ हुई और यह किताब में लिख लिया गया।
וּמַאֲמַר אֶסְתֵּר קִיַּם דִּבְרֵי הַפֻּרִים הָאֵלֶּה וְנִכְתָּב בַּסֵּֽפֶר׃

< आस्त 9 >