< 1 समु 25 >
1 और समुएल मर गया और सब इस्राईली जमा' हुए और उन्होंने उस पर नौहा किया और उसे रामा में उसी के घर में दफ़न किया और दाऊद उठ कर फ़ारान के जंगल को चला गया।
καὶ ἀπέθανεν Σαμουηλ καὶ συναθροίζονται πᾶς Ισραηλ καὶ κόπτονται αὐτὸν καὶ θάπτουσιν αὐτὸν ἐν οἴκῳ αὐτοῦ ἐν Αρμαθαιμ καὶ ἀνέστη Δαυιδ καὶ κατέβη εἰς τὴν ἔρημον Μααν
2 और म'ऊन में एक शख़्स रहता था जिसकी जायदाद करमिल में थी यह शख़्स बहुत बड़ा था और उस के पास तीन हज़ार भेड़ें और एक हज़ार बकरियाँ थीं और यह कर्मिल में अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा था।
καὶ ἦν ἄνθρωπος ἐν τῇ Μααν καὶ τὰ ποίμνια αὐτοῦ ἐν τῷ Καρμήλῳ καὶ ὁ ἄνθρωπος μέγας σφόδρα καὶ τούτῳ ποίμνια τρισχίλια καὶ αἶγες χίλιαι καὶ ἐγενήθη ἐν τῷ κείρειν τὸ ποίμνιον αὐτοῦ ἐν τῷ Καρμήλῳ
3 इस शख़्स का नाम नाबाल और उसकी बीवी का नाम अबीजेल था, यह 'औरत बड़ी समझदार और ख़ूबसूरत थी लेकिन वह आदमी बड़ा बे अदब और बदकार था और वह कालिब के ख़ानदान से था।
καὶ ὄνομα τῷ ἀνθρώπῳ Ναβαλ καὶ ὄνομα τῇ γυναικὶ αὐτοῦ Αβιγαια καὶ ἡ γυνὴ αὐτοῦ ἀγαθὴ συνέσει καὶ καλὴ τῷ εἴδει σφόδρα καὶ ὁ ἄνθρωπος σκληρὸς καὶ πονηρὸς ἐν ἐπιτηδεύμασιν καὶ ὁ ἄνθρωπος κυνικός
4 और दाऊद ने वीराने में सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा, है।
καὶ ἤκουσεν Δαυιδ ἐν τῇ ἐρήμῳ ὅτι κείρει Ναβαλ ὁ Καρμήλιος τὸ ποίμνιον αὐτοῦ
5 इसलिए दाऊद ने दस जवान रवाना किए और उसने उन जवानों से कहा, “कि तुम कर्मिल पर चढ़कर नाबाल के पास जाओ, और मेरा नाम लेकर उसे सलाम कहो।
καὶ Δαυιδ ἀπέστειλεν δέκα παιδάρια καὶ εἶπεν τοῖς παιδαρίοις ἀνάβητε εἰς Κάρμηλον καὶ ἀπέλθατε πρὸς Ναβαλ καὶ ἐρωτήσατε αὐτὸν ἐπὶ τῷ ὀνόματί μου εἰς εἰρήνην
6 और उस ख़ुश हाल आदमी से यूँ कहो कि तेरी और तेरे घर कि और तेरे माल असबाब की सलामती हो।
καὶ ἐρεῖτε τάδε εἰς ὥρας καὶ σὺ ὑγιαίνων καὶ ὁ οἶκός σου καὶ πάντα τὰ σὰ ὑγιαίνοντα
7 मैंने अब सुना है कि तेरे यहाँ बाल कतरने वाले हैं और तेरे चरवाहे हमारे साथ रहे और हमने उनको नुक़्सान नहीं पहूँचाया और जब तक वह कर्मिल में हमारे साथ रहे उनकी कोई चीज़ खोई न गई।
καὶ νῦν ἰδοὺ ἀκήκοα ὅτι κείρουσίν σοι νῦν οἱ ποιμένες σου οἳ ἦσαν μεθ’ ἡμῶν ἐν τῇ ἐρήμῳ καὶ οὐκ ἀπεκωλύσαμεν αὐτοὺς καὶ οὐκ ἐνετειλάμεθα αὐτοῖς οὐθὲν πάσας τὰς ἡμέρας ὄντων αὐτῶν ἐν Καρμήλῳ
8 तू अपने जवानों से पूछ और वह तुझे बताएँगे, तब इन जवानों पर तेरे करम की नज़र हो इसलिए कि हम अच्छे दिन आए हैं, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि जो कुछ तेरे क़ब्ज़े में आए अपने ख़ादिमों को और अपने बेटे दाऊद को 'अता कर।”
ἐρώτησον τὰ παιδάριά σου καὶ ἀπαγγελοῦσίν σοι καὶ εὑρέτωσαν τὰ παιδάρια χάριν ἐν ὀφθαλμοῖς σου ὅτι ἐφ’ ἡμέραν ἀγαθὴν ἥκομεν δὸς δὴ ὃ ἐὰν εὕρῃ ἡ χείρ σου τῷ υἱῷ σου τῷ Δαυιδ
9 इसलिए दाऊद के जवानों ने जाकर नाबाल से दाऊद का नाम लेकर यह बातें कहीं और चुप हो रहे।
καὶ ἔρχονται τὰ παιδάρια καὶ λαλοῦσιν τοὺς λόγους τούτους πρὸς Ναβαλ κατὰ πάντα τὰ ῥήματα ταῦτα ἐν τῷ ὀνόματι Δαυιδ καὶ ἀνεπήδησεν
10 नाबाल ने दाऊद के ख़ादिमों को जवाब दिया “कि दाऊद कौन है? और यस्सी का बेटा कौन है? इन दिनों बहुत से नौकर ऐसे हैं जो अपने आक़ा के पास से भाग जातें हैं।
καὶ ἀπεκρίθη Ναβαλ τοῖς παισὶν Δαυιδ καὶ εἶπεν τίς ὁ Δαυιδ καὶ τίς ὁ υἱὸς Ιεσσαι σήμερον πεπληθυμμένοι εἰσὶν οἱ δοῦλοι ἀναχωροῦντες ἕκαστος ἐκ προσώπου τοῦ κυρίου αὐτοῦ
11 क्या मैं अपनी रोटी और पानी और ज़बीहे जो मैंनें अपने कतरने वालों के लिए ज़बह किए हैं, लेकर उन लोगों को दूँ जिनको मैं नहीं जानता कि वह कहाँ के हैं?”
καὶ λήμψομαι τοὺς ἄρτους μου καὶ τὸν οἶνόν μου καὶ τὰ θύματά μου ἃ τέθυκα τοῖς κείρουσίν μου τὰ πρόβατα καὶ δώσω αὐτὰ ἀνδράσιν οἷς οὐκ οἶδα πόθεν εἰσίν
12 इसलिए दाऊद के जवान उलटे पाँव फिरे और लौट गए और आकर यह सब बातें उसे बताईं।
καὶ ἀπεστράφησαν τὰ παιδάρια Δαυιδ εἰς ὁδὸν αὐτῶν καὶ ἀνέστρεψαν καὶ ἦλθον καὶ ἀνήγγειλαν τῷ Δαυιδ κατὰ τὰ ῥήματα ταῦτα
13 तब दाऊद ने अपने लोगों से कहा, अपनी अपनी तलवार बाँध लो, इसलिए हर एक ने अपनी तलवार बाँधी और दाऊद ने भी अपनी तलवार लटकाई, तब क़रीबन चार सौ जवान दाऊद के पीछे चले और दो सौ सामान के पास रहे।
καὶ εἶπεν Δαυιδ τοῖς ἀνδράσιν αὐτοῦ ζώσασθε ἕκαστος τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ καὶ ἀνέβησαν ὀπίσω Δαυιδ ὡς τετρακόσιοι ἄνδρες καὶ οἱ διακόσιοι ἐκάθισαν μετὰ τῶν σκευῶν
14 और जवानों में से एक ने नाबाल की बीवी अबीजेल से कहा, “कि देख, दाऊद ने वीराने से हमारे आक़ा को मुबारकबाद देने को क़ासिद भेजे लेकिन वह उन पर झुंझलाया।
καὶ τῇ Αβιγαια γυναικὶ Ναβαλ ἀπήγγειλεν ἓν τῶν παιδαρίων λέγων ἰδοὺ Δαυιδ ἀπέστειλεν ἀγγέλους ἐκ τῆς ἐρήμου εὐλογῆσαι τὸν κύριον ἡμῶν καὶ ἐξέκλινεν ἀπ’ αὐτῶν
15 लेकिन इन लोगों ने हम से बड़ी नेकी की और हमारा नुक़्सान नहीं हुआ, और मैदानों में जब तक हम उनके साथ रहे हमारी कोई चीज़ गुम न हुई।
καὶ οἱ ἄνδρες ἀγαθοὶ ἡμῖν σφόδρα οὐκ ἀπεκώλυσαν ἡμᾶς οὐδὲ ἐνετείλαντο ἡμῖν πάσας τὰς ἡμέρας ἃς ἦμεν παρ’ αὐτοῖς καὶ ἐν τῷ εἶναι ἡμᾶς ἐν ἀγρῷ
16 बल्कि जब तक हम उनके साथ भेड़ बकरी चराते रहे वह रात दिन हमारे लिए गोया दीवार थे।
ὡς τεῖχος ἦσαν περὶ ἡμᾶς καὶ τὴν νύκτα καὶ τὴν ἡμέραν πάσας τὰς ἡμέρας ἃς ἤμεθα παρ’ αὐτοῖς ποιμαίνοντες τὸ ποίμνιον
17 इसलिए अब सोच समझ ले कि तू क्या करेगी क्यूँकि हमारे आक़ा और उसके सब घराने के ख़िलाफ़ बदी का मंसूबा बाँधा गया है, क्यूँकि यह ऐसा ख़बीस आदमी है कि कोई इस से बात नहीं कर सकता।”
καὶ νῦν γνῶθι καὶ ἰδὲ τί σὺ ποιήσεις ὅτι συντετέλεσται ἡ κακία εἰς τὸν κύριον ἡμῶν καὶ εἰς τὸν οἶκον αὐτοῦ καὶ οὗτος υἱὸς λοιμός καὶ οὐκ ἔστιν λαλῆσαι πρὸς αὐτόν
18 तब अबीजेल ने जल्दी की और दो सौ रोटियाँ और मय के दो मश्कीज़े और पाँच पकी पकाई भेंडें और भुने हुए अनाज के पाँच पैमाने और किशमिश के एक सौ ख़ोशे और इन्जीर की दो सौ टिकियाँ साथ लीं और उनको गधों पर लाद लिया।
καὶ ἔσπευσεν Αβιγαια καὶ ἔλαβεν διακοσίους ἄρτους καὶ δύο ἀγγεῖα οἴνου καὶ πέντε πρόβατα πεποιημένα καὶ πέντε οιφι ἀλφίτου καὶ γομορ ἓν σταφίδος καὶ διακοσίας παλάθας καὶ ἔθετο ἐπὶ τοὺς ὄνους
19 और अपने चाकरों से कहा, “तुम मुझ से आगे जाओ, देखो मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूँ” और उसने अपने शोहर नाबाल को ख़बर न की।
καὶ εἶπεν τοῖς παιδαρίοις αὐτῆς προπορεύεσθε ἔμπροσθέν μου καὶ ἰδοὺ ἐγὼ ὀπίσω ὑμῶν παραγίνομαι καὶ τῷ ἀνδρὶ αὐτῆς οὐκ ἀπήγγειλεν
20 और ऐसा हुआ, कि जैसे ही वह गधे पर चढ़ कर पहाड़ की आड़ से उतरी दाऊद अपने लोगों के साथ उतरते हुए उसके सामने आया और वह उनको मिली।
καὶ ἐγενήθη αὐτῆς ἐπιβεβηκυίης ἐπὶ τὴν ὄνον καὶ καταβαινούσης ἐν σκέπῃ τοῦ ὄρους καὶ ἰδοὺ Δαυιδ καὶ οἱ ἄνδρες αὐτοῦ κατέβαινον εἰς συνάντησιν αὐτῆς καὶ ἀπήντησεν αὐτοῖς
21 और दाऊद ने कहा, था “कि मैं इस पाजी के सब माल की जो वीराने में था बे फ़ाइदा इस तरह निगहबानी की कि उसकी चीज़ों में से कोई चीज़ गुम न हुई क्यूँकि उसने नेकी के बदले मुझ से बदी की।
καὶ Δαυιδ εἶπεν ἴσως εἰς ἄδικον πεφύλακα πάντα τὰ αὐτοῦ ἐν τῇ ἐρήμῳ καὶ οὐκ ἐνετειλάμεθα λαβεῖν ἐκ πάντων τῶν αὐτοῦ οὐθέν καὶ ἀνταπέδωκέν μοι πονηρὰ ἀντὶ ἀγαθῶν
22 इसलिए अगर मैं सुबह की रोशनी होने तक उसके लोगों में से एक लड़का भी बाक़ी छोडूँ तो ख़ुदावन्द दाऊद के दुशमनों से ऐसा ही बल्कि इससे ज़्यादा ही करे।”
τάδε ποιήσαι ὁ θεὸς τῷ Δαυιδ καὶ τάδε προσθείη εἰ ὑπολείψομαι ἐκ πάντων τῶν τοῦ Ναβαλ ἕως πρωὶ οὐροῦντα πρὸς τοῖχον
23 और अबीजेल ने जो दाऊद को देखा, तो जल्दी की और गधे से उतरी और दाऊद के आगे औंधी गिरीं और ज़मीन पर सरनगूँ हो गई।
καὶ εἶδεν Αβιγαια τὸν Δαυιδ καὶ ἔσπευσεν καὶ κατεπήδησεν ἀπὸ τῆς ὄνου καὶ ἔπεσεν ἐνώπιον Δαυιδ ἐπὶ πρόσωπον αὐτῆς καὶ προσεκύνησεν αὐτῷ ἐπὶ τὴν γῆν
24 और वह उसके पाँव पर गिर कर कहने लगी, “मुझ पर ऐ मेरे मालिक मुझी पर यह गुनाह हो और ज़रा अपनी लौंडी को इजाज़त दे कि तेरे कान में कुछ कहे और तू अपनी लौंडी की दरख़्वास्त सुन।
ἐπὶ τοὺς πόδας αὐτοῦ καὶ εἶπεν ἐν ἐμοί κύριέ μου ἡ ἀδικία λαλησάτω δὴ ἡ δούλη σου εἰς τὰ ὦτά σου καὶ ἄκουσον τῆς δούλης σου λόγον
25 मैं तेरी मिन्नत करती हूँ कि मेरा मालिक उस ख़बीस आदमी नाबाल का कुछ ख़याल न करे क्यूँकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह है उसका नाम नाबाल है और हिमाक़त उसके साथ है लेकिन मैंनें जो तेरी लौंडी हूँ अपने मालिक के जवानों को जिनको तूने भेजा था नहीं देखा।
μὴ δὴ θέσθω ὁ κύριός μου καρδίαν αὐτοῦ ἐπὶ τὸν ἄνθρωπον τὸν λοιμὸν τοῦτον ὅτι κατὰ τὸ ὄνομα αὐτοῦ οὕτως ἐστίν Ναβαλ ὄνομα αὐτῷ καὶ ἀφροσύνη μετ’ αὐτοῦ καὶ ἐγὼ ἡ δούλη σου οὐκ εἶδον τὰ παιδάριά σου ἃ ἀπέστειλας
26 और अब ऐ मेरे मालिक! ख़ुदावन्द की हयात की क़सम और तेरी जान ही की क़सम कि ख़ुदावन्द ने जो तुझे ख़ूँरेज़ी से और अपने ही हाथो अपना इन्तक़ाम लेने से बाज़ रख्खा है इसलिए तेरे दुश्मन और मेरे मालिक के बुराई चाहने वाले नाबाल की तरह ठहरें।
καὶ νῦν κύριε ζῇ κύριος καὶ ζῇ ἡ ψυχή σου καθὼς ἐκώλυσέν σε κύριος τοῦ μὴ ἐλθεῖν εἰς αἷμα ἀθῷον καὶ σῴζειν τὴν χεῖρά σού σοι καὶ νῦν γένοιντο ὡς Ναβαλ οἱ ἐχθροί σου καὶ οἱ ζητοῦντες τῷ κυρίῳ μου κακά
27 अब यह हदिया जो तेरी लौंडी अपने मालिक के सामने लाई है, उन जवानों को जो मेरे ख़ुदावन्द की पैरवी करतें हैं दिया जाए।
καὶ νῦν λαβὲ τὴν εὐλογίαν ταύτην ἣν ἐνήνοχεν ἡ δούλη σου τῷ κυρίῳ μου καὶ δώσεις τοῖς παιδαρίοις τοῖς παρεστηκόσιν τῷ κυρίῳ μου
28 तू अपनी लौंडी का गुनाह मु'आफ़ करदे क्यूँकि ख़ुदावन्द यक़ीनन मेरे मालिक का घर क़ाईम रख्खेगा इसलिए कि मेरे मालिक ख़ुदावन्द की लड़ाईयाँ लड़ता है और तुझ में तमाम उम्र बुराई नहीं पाई जाएगी।
ἆρον δὴ τὸ ἀνόμημα τῆς δούλης σου ὅτι ποιῶν ποιήσει κύριος τῷ κυρίῳ μου οἶκον πιστόν ὅτι πόλεμον κυρίου ὁ κύριός μου πολεμεῖ καὶ κακία οὐχ εὑρεθήσεται ἐν σοὶ πώποτε
29 और जो इंसान तेरा पीछा करने और तेरी जान लेने को उठे तोभी मेरे मालिक की जान ज़िन्दगी के बूक़चे में ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के साथ बंधी रहेगी लेकिन तेरे दुशमनों की जानें वह गोया गोफ़न में रखकर फेंक देगा।
καὶ ἀναστήσεται ἄνθρωπος καταδιώκων σε καὶ ζητῶν τὴν ψυχήν σου καὶ ἔσται ἡ ψυχὴ κυρίου μου ἐνδεδεμένη ἐν δεσμῷ τῆς ζωῆς παρὰ κυρίῳ τῷ θεῷ καὶ ψυχὴν ἐχθρῶν σου σφενδονήσεις ἐν μέσῳ τῆς σφενδόνης
30 और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से वह सब नेकियाँ जो उसने तेरे हक़ में फ़रमाई हैं कर चुकेगा और तुझ को इस्राईल का सरदार बना देगा।
καὶ ἔσται ὅτι ποιήσει κύριος τῷ κυρίῳ μου πάντα ὅσα ἐλάλησεν ἀγαθὰ ἐπὶ σέ καὶ ἐντελεῖταί σοι κύριος εἰς ἡγούμενον ἐπὶ Ισραηλ
31 तो तुझे इसका ग़म और मेरे मालिक को यह दिली सदमा न होगा कि तूने बे वजह ख़ून बहाया या मेरे मालिक ने अपना बदला लिया और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से भलाई करे तो तू अपनी लौंडी को याद करना।”
καὶ οὐκ ἔσται σοι τοῦτο βδελυγμὸς καὶ σκάνδαλον τῷ κυρίῳ μου ἐκχέαι αἷμα ἀθῷον δωρεὰν καὶ σῶσαι χεῖρα κυρίου μου αὐτῷ καὶ ἀγαθώσει κύριος τῷ κυρίῳ μου καὶ μνησθήσῃ τῆς δούλης σου ἀγαθῶσαι αὐτῇ
32 दाऊद ने अबीजेल से कहा, “कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो जिसने तुझे आज के दिन मुझ से मिलने को भेजा।
καὶ εἶπεν Δαυιδ τῇ Αβιγαια εὐλογητὸς κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ ὃς ἀπέστειλέν σε σήμερον ἐν ταύτῃ εἰς ἀπάντησίν μου
33 और तेरी 'अक़ल्मंदी मुबारक तू ख़ुद भी मुबारक हो जिसने मुझको आज के दिन ख़ूँरेज़ीऔर अपने हाथों अपना बदला लेने से बाज़ रख्खा।
καὶ εὐλογητὸς ὁ τρόπος σου καὶ εὐλογημένη σὺ ἡ ἀποκωλύσασά με σήμερον ἐν ταύτῃ μὴ ἐλθεῖν εἰς αἵματα καὶ σῶσαι χεῖρά μου ἐμοί
34 क्यूँकि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हयात की क़सम जिसने मुझे तुझको नुक़्सान पहुचाने से रोका कि अगर तू जल्दी न करती और मुझ से मिलने को न आती तो सुबह की रोशनी तक नाबाल के लिए एक लड़का भी न रहता।”
πλὴν ὅτι ζῇ κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ ὃς ἀπεκώλυσέν με σήμερον τοῦ κακοποιῆσαί σε ὅτι εἰ μὴ ἔσπευσας καὶ παρεγένου εἰς ἀπάντησίν μοι τότε εἶπα εἰ ὑπολειφθήσεται τῷ Ναβαλ ἕως φωτὸς τοῦ πρωὶ οὐρῶν πρὸς τοῖχον
35 और दाऊद ने उसके हाथ से जो कुछ वह उसके लिए लाई थी क़ुबूल किया और उससे कहा, “अपने घर सलामत जा, देख मैंने तेरी बात मानी और तेरा लिहाज़ किया।”
καὶ ἔλαβεν Δαυιδ ἐκ χειρὸς αὐτῆς πάντα ἃ ἔφερεν αὐτῷ καὶ εἶπεν αὐτῇ ἀνάβηθι εἰς εἰρήνην εἰς οἶκόν σου βλέπε ἤκουσα τῆς φωνῆς σου καὶ ᾑρέτισα τὸ πρόσωπόν σου
36 और अबीजेल नाबाल के पास आई और देखा कि उसने अपने घर में शाहाना ज़ियाफ़त की तरह दावत कर रख्खी है और नाबाल का दिल उसके पहलू में ख़ुश है इसलिए कि वह नशे में चूर था, इसलिए उसने उससे सुबह की रोशनी तक न थोड़ा न बहुत कुछ न कहा,
καὶ παρεγενήθη Αβιγαια πρὸς Ναβαλ καὶ ἰδοὺ αὐτῷ πότος ἐν οἴκῳ αὐτοῦ ὡς πότος βασιλέως καὶ ἡ καρδία Ναβαλ ἀγαθὴ ἐπ’ αὐτόν καὶ αὐτὸς μεθύων ἕως σφόδρα καὶ οὐκ ἀπήγγειλεν αὐτῷ ῥῆμα μικρὸν ἢ μέγα ἕως φωτὸς τοῦ πρωί
37 सुबह को जब नाबाल का नशा उतर गया तो उसकी बीवी ने यह बातें उसे बताईं तब उसका दिल उसके पहलू में मुर्दा हो गया और वह पत्थर की तरह सुन पड़ गया।
καὶ ἐγένετο πρωί ὡς ἐξένηψεν ἀπὸ τοῦ οἴνου Ναβαλ ἀπήγγειλεν αὐτῷ ἡ γυνὴ αὐτοῦ τὰ ῥήματα ταῦτα καὶ ἐναπέθανεν ἡ καρδία αὐτοῦ ἐν αὐτῷ καὶ αὐτὸς γίνεται ὡς λίθος
38 और दस दिन के बाद ऐसा हुआ कि ख़ुदावन्द ने नाबाल को मारा और वह मर गया।
καὶ ἐγένετο ὡσεὶ δέκα ἡμέραι καὶ ἐπάταξεν κύριος τὸν Ναβαλ καὶ ἀπέθανεν
39 जब दाऊद ने सुना कि नाबाल मर गया तो वह कहने लगा, “कि ख़ुदावन्द मुबारक हो जो नाबाल से मेरी रुसवाई का मुक़द्दमा लड़ा और अपने बन्दे को बुराई से बाज़ रख्खा और ख़ुदावन्द ने नाबाल की शरारत को उसी के सिर पर लादा।” और दाऊद ने अबीजेल के बारे में पैग़ाम भेजा ताकि उससे शादी करे।
καὶ ἤκουσεν Δαυιδ καὶ εἶπεν εὐλογητὸς κύριος ὃς ἔκρινεν τὴν κρίσιν τοῦ ὀνειδισμοῦ μου ἐκ χειρὸς Ναβαλ καὶ τὸν δοῦλον αὐτοῦ περιεποιήσατο ἐκ χειρὸς κακῶν καὶ τὴν κακίαν Ναβαλ ἀπέστρεψεν κύριος εἰς κεφαλὴν αὐτοῦ καὶ ἀπέστειλεν Δαυιδ καὶ ἐλάλησεν περὶ Αβιγαιας λαβεῖν αὐτὴν ἑαυτῷ εἰς γυναῖκα
40 और जब दाऊद के ख़ादिम करमिल में अबीजेल के पास आए तो उन्होंने उससे कहा, “कि दाऊद ने हमको तेरे पास भेजा है ताकि हम तुझे उससे शादी करने को लें जाएँ।”
καὶ ἦλθον οἱ παῖδες Δαυιδ πρὸς Αβιγαιαν εἰς Κάρμηλον καὶ ἐλάλησαν αὐτῇ λέγοντες Δαυιδ ἀπέστειλεν ἡμᾶς πρὸς σὲ λαβεῖν σε αὐτῷ εἰς γυναῖκα
41 इसलिए वह उठी, और ज़मीन पर ओंधे मुँह गिरी और कहने लगी “कि देख, तेरी लौंडी तो नौकर है ताकि अपने मालिक के ख़ादिमों के पाँव धोए।”
καὶ ἀνέστη καὶ προσεκύνησεν ἐπὶ τὴν γῆν ἐπὶ πρόσωπον καὶ εἶπεν ἰδοὺ ἡ δούλη σου εἰς παιδίσκην νίψαι πόδας τῶν παίδων σου
42 और अबीजेल ने जल्दी की और उठकर गधे पर सवार हुई और अपनी पाँच लौंडियाँ जो उसके जिलौ में थीं साथ लेलीं और वह दाऊद के क़ासिदों के पीछे पीछे गईं और उसकी बीवी बनी।
καὶ ἀνέστη Αβιγαια καὶ ἐπέβη ἐπὶ τὴν ὄνον καὶ πέντε κοράσια ἠκολούθουν αὐτῇ καὶ ἐπορεύθη ὀπίσω τῶν παίδων Δαυιδ καὶ γίνεται αὐτῷ εἰς γυναῖκα
43 और दाऊद ने यज़रएल की अख़नूअम को भी ब्याह लिया, इसलिए वह दोनों उसकी बीवियाँ बनीं।
καὶ τὴν Αχινααμ ἔλαβεν Δαυιδ ἐξ Ιεζραελ καὶ ἀμφότεραι ἦσαν αὐτῷ γυναῖκες
44 और साऊल ने अपनी बेटी मीकल को जो दाऊद की बीवी थी लैस के बेटे जिल्लीमी फिल्ती को दे दिया था।
καὶ Σαουλ ἔδωκεν Μελχολ τὴν θυγατέρα αὐτοῦ τὴν γυναῖκα Δαυιδ τῷ Φαλτι υἱῷ Λαις τῷ ἐκ Ρομμα