< 1 सला 22 >

1 तीन साल वह ऐसे ही रहे और इस्राईल और अराम के बीच लड़ाई न हुई;
وَانْقَضَتْ ثَلاثُ سَنَوَاتٍ مِنْ غَيْرِ أَنْ تَنْشَبَ حَرْبٌ بَيْنَ أَرَامَ وَإِسْرَائِيلَ.١
2 और तीसरे साल यहूदाह का बादशाह यहूसफ़त शाह — ए — इस्राईल के यहाँ आया,
وَفِي السَّنَةِ الثَّالِثَةِ قَدِمَ يَهُوشَافَاطُ مَلِكُ يَهُوذَا لِزِيَارَةِ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ،٢
3 और शाह — ए — इस्राईल ने अपने मुलाज़िमों से कहा, “क्या तुम को मा'लूम है कि रामात जिल'आद हमारा है? लेकिन हम ख़ामोश हैं और शाह — ए — अराम के हाथ से उसे छीन नहीं लेते?”
فَقَالَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ لِرِجَالِهِ: «أَتَدْرُونَ أَنَّ رَامُوتَ جِلْعَادَ هِيَ لَنَا، وَمَعَ ذَلِكَ لَمْ نَفْعَلُ شَيْئاً لاِسْتِرْجَاعِهَا مِنْ أَرَامَ؟»٣
4 फिर उसने यहूसफ़त से कहा, क्या तू मेरे साथ रामात जिल'आद से लड़ने चलेगा? यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल को जवाब दिया, “मैं ऐसा हूँ जैसा तू मेरे लोग ऐसे हैं जैसे तेरे लोग और मेरे घोड़े ऐसे हैं जैसे तेरे घोड़े।”
وَسَأَلَ آخْابُ يَهُوشَافَاطَ: «هَلْ تَشْتَرِكُ مَعِي فِي الْحَرْبِ لاِسْتِرْجَاعِ رَامُوتَ جِلْعَادَ؟» فَأَجَابَهُ يَهُوشَافَاطُ: «مَثَلِي مَثَلُكَ: شَعْبِي كَشَعْبِكَ وَخَيْلِي كَخَيْلِكَ».٤
5 और यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल से कहा, “ज़रा आज ख़ुदावन्द की मर्ज़ी भी तो मा'लूम कर ले।”
ثُمَّ قَالَ يَهُوشَافَاطُ لِمَلِكِ إِسْرَائِيلَ: «اطْلُبِ الْيَوْمَ مَشُورَةَ الرَّبِّ».٥
6 तब शाह — ए — इस्राईल ने नबियों को जो क़रीब चार सौ आदमी थे इकट्ठा किया और उनसे पूछा, “मैं रामात जिल'आद से लड़ने जाऊँ, या बाज़ रहूँ?” उन्होंने कहा, जा “क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
فَجَمَعَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ نَحْوَ أَرْبَعِ مِئَةٍ مِنْ أَنْبِيَاءِ الأَصْنَامِ وَسَأَلَهُمْ: «هَلْ أَذْهَبُ لِلْحَرْبِ إِلَى رَامُوتَ جِلْعَادَ أَمْ أَمْتَنِعُ؟» فَأَجَابُوهُ: «اذْهَبْ، فَإِنَّ الرَّبَّ سَيَنْصُرُكَ وَيُسَلِّمُهَا لَكَ».٦
7 लेकिन यहूसफ़त ने कहा, “क्या इनको छोड़कर यहाँ ख़ुदावन्द का कोई नबी नहीं है, ताकि हम उससे पूछे?”
فَقَالَ يَهُوشَافَاطُ: «أَلا يُوْجَدُ هُنَا بَعْدُ نَبِيٌّ مِنْ أَنْبِيَاءِ الرَّبِّ فَنَسْأَلَهُ الْمَشُورَةَ؟»٧
8 शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, कि “एक शख़्स, इमला का बेटा मीकायाह है तो सही, जिसके ज़रिए' से हम ख़ुदावन्द से पूछ सकते हैं; लेकिन मुझे उससे नफ़रत हैं, क्यूँकि वह मेरे हक़ में नेकी की नहीं बल्कि बदी की पेशीनगोई करता हैं।” यहूसफ़त ने कहा, “बादशाह ऐसा न कहे।”
فَأَجَابَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ: «يُوْجَدُ بَعْدُ رَجُلٌ وَاحِدٌ، يُمْكِنُنَا عَنْ طَرِيقِهِ أَنْ نَطْلُبَ مَشُورَةَ الرَّبِّ، وَلَكِنِّي أَمْقُتُهُ لأَنَّهُ لَا يَتَنَبَّأُ عَلَيَّ بِغَيْرِ الشَّرِّ. إِنَّهُ مِيخَا بْنُ يَمْلَةَ». فَقَالَ يَهُوشَافَاطُ: «لا تَقُلْ هَذَا أَيُّهَا الْمَلِكُ».٨
9 तब शाह — ए — इस्राईल ने एक सरदार को बुलाकर कहा, कि “इमला के बेटे मीकायाह को जल्द ले आ।”
فَأَمَرَ آخْابُ أَحَدَ رِجَالِهِ بِاسْتِدْعَاءِ مِيخَا بنِ يَمْلَةَ.٩
10 उस वक़्त शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त सामरिया के फाटक के सामने, एक खुली जगह में, अपने — अपने तख़्त पर शाहाना लिबास पहने हुए बैठे थे, और सब नबी उनके सामने पेशीनगोई कर रहे थे।
وَكَانَ كُلٌّ مِنْ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوشَافَاطَ مَلِكِ يَهُوذَا يَجْلِسُ عَلَى عَرْشٍ فِي سَاحَةٍ عِنْدَ مَدْخَلِ بَابِ السَّامِرَةِ، وَقَدِ ارْتَدَيَا حُلَلَهُمَا الْمَلَكِيَّةَ، وَالأَنْبِيَاءُ جَمِيعُهُمْ يَتَنَبَّأُونَ أَمَامَهُمَا.١٠
11 और कन'आना के बेटे सिदक़ियाह ने अपने लिए लोहे के सींग बनाए और कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि “तू इन से अरामियों को मारेगा, जब तक वह मिट न जाएँ।”
وَصَنَعَ صِدْقِيَّا بْنُ كَنْعَنَةَ لِنَفْسِهِ قَرْنَيْ حَدِيدٍ وَقَالَ: «هَكَذَا يَقُولُ الرَّبُّ: بِهَذِهِ تَنْطَحُ الأَرَامِيِّينَ حَتَّى يَهْلِكُوا».١١
12 और सब नबियों ने यही पेशीनगोई की और कहा कि रामात जिल'आद पर चढ़ाई कर और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।
وَتَنَبَّأَ جَمِيعُ الأَنْبِيَاءِ بِمِثْلِ هَذَا الْكَلامِ قَائِلِينَ: «اذْهَبْ إِلَى رَامُوتَ جِلْعَادَ فَتَظْفَرَ بِها، لأَنَّ الرَّبَّ يُسَلِّمُهَا إِلَى الْمَلِكِ».١٢
13 और उस क़ासिद ने जो मीकायाह को बुलाने गया था उससे कहा, “देख, सब नबी एक ज़बान होकर बादशाह को ख़ुशख़बरी दे रहे हैं, तो ज़रा तेरी बात भी उनकी बात की तरह हो और तू ख़ुशख़बरी ही देना।”
وَقَالَ الرَّسُولُ الَّذِي انْطَلَقَ لاِسْتِدْعَاءِ مِيخَا: «لَقَدْ تَنَبَّأَ جَمِيعُ الأَنْبِيَاءِ بِفَمٍ وَاحِدٍ مُبَشِّرِينَ الْمَلِكَ بِالْخَيْرِ، فَلْيَكُنْ كَلامُكَ مُوَافِقاً لِكَلامِهِمْ يَحْمِلُ بَشَائِرَ الْخَيْرِ».١٣
14 मीकायाह ने कहा, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम, जो कुछ ख़ुदावन्द मुझे फ़रमाए मैं वही कहूँगा।”
فَأَجَابَ مِيخَا: «حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ إِنَّنِي لَنْ أَنْطِقَ إِلّا بِمَا يَقُولُهُ الرَّبُّ».١٤
15 इसलिए जब वह बादशाह के पास आया, तो बादशाह ने उससे कहा, “मीकायाह, हम रामात जिल'आद से लड़ने जाएँ या रहने दें?” उसने जवाब दिया, “जा और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
وَلَمَّا حَضَرَ أَمَامَ الْمَلِكِ سَأَلَهُ: «يَا مِيخَا، هَلْ نَذْهَبُ لِلْحَرْبِ إِلَى رَاُموتَ جِلْعَادَ، أَمْ نَمْتَنِعُ؟» فَأَجَابَهُ (بِتَهَكُّمٍ): «اذْهَبْ فَتَظْفَرَ بِها لأَنَّ الرَّبَّ يُسَلِّمُهَا إِلَى الْمَلِكِ».١٥
16 बादशाह ने उससे कहा, मैं कितनी मर्तबा तुझे क़सम देकर कहूँ, कि “तू ख़ुदावन्द के नाम से हक़ के 'अलावा और कुछ मुझ को न बताए?”
فَقَالَ لَهُ الْمَلِكُ: «كَمْ مَرَّةٍ اسْتَحْلَفْتُكَ بِاسْمِ الرَّبِّ أَلّا تُخْبِرَنِي إِلّا الْحَقَّ».١٦
17 तब उसने कहा, मैंने सारे इस्राईल को उन भेड़ों की तरह, जिनका चौपान न हो, पहाड़ों पर बिखरा देखा; और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया कि “इनका कोई मालिक नहीं; तब वह अपने अपने घर सलामत लौट जाएँ।”
عِنْدَئِذٍ قَالَ مِيخَا: «رَأَيْتُ كُلَّ إِسْرَائِيلَ مُبَدَّدِينَ عَلَى الْجِبَالِ كَخِرَافٍ بِلا رَاعٍ. فَقَالَ الرَّبُّ: لَيْسَ لِهَؤُلاءِ قَائِدٌ، فَلْيَرْجِعْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ إِلَى بَيْتِهِ بِسَلامٍ».١٧
18 तब शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “क्या मैंने तुझ को बताया नहीं था कि यह मेरे हक़ में नेकी की नहीं बल्कि बदी की पेशीनगोई करेगा?”
فَقَالَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ لِيَهُوشَافَاطَ: «أَلَمْ أَقُلْ لَكَ إِنَّهُ لَا يَتَنَبَّأُ عَلَيَّ بِغَيْرِ الشَّرِّ؟»١٨
19 तब उसने कहा, अच्छा, तू ख़ुदावन्द की बात को सुन ले; मैंने देखा कि ख़ुदावन्द अपने तख़्त पर बैठा है, और सारा आसमानी लश्कर उसके दहने और बाएँ खड़ा है।
فَأَجَابَ مِيخَا: «إِذاً فَاسْمَعْ كَلامَ الرَّبِّ: قَدْ شَاهَدْتُ الرَّبَّ جَالِساً عَلَى كُرْسِيِّهِ وَكُلُّ أَجْنَادِ السَّمَاءِ مَاثِلَةٌ عَنْ يَمِينِهِ وَعَنْ يَسَارِهِ.١٩
20 और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, 'कौन अख़ीअब को बहकाएगा, ताकि वह चढ़ाई करे और रामात जिल'आद में मारे ग़ए?' तब किसी ने कुछ कहा, और किसी ने कुछ।
فَسَأَلَ الرَّبُّ: مَنْ يُغْرِي آخْابَ لِيَخْرُجَ لِلْحَرْبِ وَيَمُوتَ فِي رَامُوتَ جِلْعَادَ؟ فَأَجَابَ كُلٌّ مِنْهُمْ بِشَيْءٍ.٢٠
21 लेकिन एक रूह निकल कर ख़ुदावन्द के सामने खड़ी हुई, और कहा, 'मैं उसे बहकाऊँगी।
ثُمَّ تَقَدَّمَ رُوحُ الضَّلالِ وَقَالَ: أَنَا أُغْوِيهِ. فَسَأَلَهُ الرَّبُّ: بِمَاذَا؟٢١
22 ख़ुदावन्द ने उससे पूछा, “किस तरह?” उसने कहा, “मैं जाकर उसके सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह बन जाऊँगी, उसने कहा “तू उसे बहका देगी और ग़ालिब भी होगी, रवाना हो जा और ऐसा ही कर।
فَأَجَابَ: أَخْرُجُ، وَأُصْبِحُ رُوحَ ضَلالٍ فِي أَفْوَاهِ جَمِيعِ أَنْبِيَائِهِ. فَقَالَ الرَّبُّ: إِنَّكَ قَادِرٌ عَلَى إِغْوَائِهِ وَتُفْلِحُ فِي ذَلِكَ، فَامْضِ وَنَفِّذْ هَذَا الأَمْرَ.٢٢
23 इसलिए देख, ख़ुदावन्द ने तेरे इन सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह डाली है; और ख़ुदावन्द ने तेरे हक़ में बदी का हुक्म दिया है।”
وَهَا الرَّبُّ قَدْ جَعَلَ الآنَ رُوحَ ضَلالٍ فِي أَفْوَاهِ جَمِيعِ أَنْبِيَائِكَ هَؤُلاءِ، وَقَدْ قَضَى عَلَيْكَ بِالشَّرِّ».٢٣
24 तब कन'आना का बेटा सिदक़ियाह नज़दीक आया, और उसने मीकायाह के गाल पर मार कर कहा, “ख़ुदावन्द की रूह तुझ से बात करने को किस रास्ते से होकर मुझ में से गई?”
فَاقْتَرَبَ صِدْقِيَّا بْنُ كَنْعَنَةَ مِنْ مِيخَا وَضَرَبَهُ عَلَى الْفَكِّ قَائِلاً: «مِنْ أَيْنَ عَبَرَ رُوحُ الرَّبِّ مِنِّي لِيُكَلِّمَكَ؟»٢٤
25 मीकायाह ने कहा, “यह तू उसी दिन देख लेगा, जब तू अन्दर की एक कोठरी में घुसेगा ताकि छिप जाए।”
فَأَجَابَهُ مِيخَا: «سَتَعْرِفُ ذَلِكَ فِي الْيَوْمِ الَّذِي تَلْجَأُ فِيهِ لِلاخْتِبَاءِ مِنْ مُخْدَعٍ إِلَى مُخْدَعٍ».٢٥
26 और शाह — ए — इस्राईल ने कहा, मीकायाह को लेकर उसे शहर के नाज़िम अमून और यूआस शहज़ादे के पास लौटा ले जाओं;
حِينَئِذٍ أَمَرَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ قَائِلاً: «اقْبِضُوا عَلَى مِيخَا وَسَلِّمُوهُ إِلَى آمُونَ رَئِيسِ الْمَدِينَةِ وَإِلَى يُوآشَ ابْنِ الْمَلِكِ،٢٦
27 और कहना, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि इस शख़्स को कै़दख़ाने में डाल दो, और इसे मुसीबत की रोटी खिलाना और मुसीबत का पानी पिलाना, जब तक मैं सलामत न आऊँ।”
وَقُولُوا لَهُمَا: إِنَّ الْمَلِكَ أَمَرَ بِإِيْدَاعِ هَذَا فِي السِّجْنِ، وَأَطْعِمُوهُ خُبْزَ الضِّيقِ وَمَاءَ الضِّيقِ حَتَّى أَرْجِعَ مِنَ الْحَرْبِ بِسَلامٍ».٢٧
28 तब मीकायाह ने कहा, “अगर तू सलामत वापस आ जाए, तो ख़ुदावन्द ने मेरी ज़रिए' कलाम ही नहीं किया।” फिर उसने कहा, “ऐ लोगो, तुम सब के सब सुन लो।”
فَأَجَابَهُ مِيخَا: «إِنْ رَجَعْتَ بِسَلامٍ لَا يَكُونُ الرَّبُّ قَدْ تَكَلَّمَ عَلَى لِسَانِي، فَاشْهَدُوا عَلَى ذَلِكَ أَيُّهَا الشَّعْبُ جَمِيعاً».٢٨
29 इसलिए शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त ने रामात जिल'आद पर चढ़ाई की।
وَتوَجَّهَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوشَافَاطُ مَلِكُ يَهُوذَا إِلَى رَامُوتَ جِلْعَادَ.٢٩
30 और शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “मैं अपना भेस बदलकर लड़ाई में जाऊँगा; लेकिन तू अपना लिबास पहने रह।” तब शाह — ए — इस्राईल अपना भेस बदलकर लड़ाई में गया।
فَقَالَ آخْابُ لِيَهُوشَافَاطَ: «إِنَّنِي سَأَخُوضُ الْحَرْبَ مُتَنَكِّراً، أَمَّا أَنْتَ فَارْتَدِ ثِيَابَكَ الْمَلَكِيَّةَ». وَهَكَذَا تَنَكَّرَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ وَخَاضَ الْحَرْبَ.٣٠
31 उधर शाह — ए — अराम ने अपने रथों के बत्तीसों सरदारों को हुक्म दिया था, “किसी छोटे या बड़े से न लड़ना, 'अलावा शाह — ए — इस्राईल के।”
وَقَالَ مَلِكُ أَرَامَ لِقَادَةِ مَرْكَبَاتِهِ الاثْنَيْنِ وَالثَّلاثِينَ: «لا تُحَارِبُوا صَغِيراً وَلا كَبِيراً إِلّا مَلِكَ إِسْرَائِيلَ وَحْدَهُ».٣١
32 इसलिए जब रथों के सरदारों ने यहूसफ़त को देखा तो कहा, “ज़रूर शाह — ए — इस्राईल यही है।” और वह उससे लड़ने को मुड़े, तब यहूसफ़त चिल्ला उठा।
فَلَمَّا شَاهَدَ قَادَةُ الْمَرْكَبَاتِ يَهُوشَافَاطَ، ظَنُّوا أَنَّهُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ، فَحَاصَرُوهُ لِيُقَاتِلُوهُ، فَأَطْلَقَ يَهُوشَافَاطُ صَرْخَةً،٣٢
33 जब रथों के सरदारों ने देखा कि वह शाह — ए — इस्राईल नहीं, तो वह उसका पीछा करने से लौट गए।
أَدْرَكُوا مِنْهَا أَنَّهُ لَيْسَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ، فَارْتَدُّوا عَنْهُ.٣٣
34 और किसी शख़्स ने ऐसे ही अपनी कमान खींची और शाह — ए — इस्राईल को जौशन के बन्दों के बीच मारा, तब उसने अपने सारथी से कहा, बाग “फेर कर मुझे लश्कर से बाहर निकाल ले चल, क्यूँकि मैं ज़ख़्मी हो गया हूँ।”
وَلَكِنْ حَدَثَ أَنَّ جُنْدِيًّا أَطْلَقَ سَهْمَهُ مِنْ قَوْسِهِ غَيْرَ مُتَعَمِّدٍ، فَأَصَابَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ بَيْنَ أَوْصَالِ دِرْعِهِ، فَقَالَ آخْابُ لِقَائِدِ مَرْكَبَتِهِ: «اسْتَدِرْ وَأَخْرِجْنِي مِنْ أَرْضِ الْمَعْرَكَةِ فَقَدْ جُرِحْتُ»٣٤
35 और उस दिन बड़े घमसान का रन पड़ा, और उन्होंने बादशाह को उसके रथ ही में अरामियों के मुक़ाबिल संभाले रखा; और वह शाम को मर गया, और ख़ून उसके ज़ख़्म से बह कर रथ के पायदान में भर गया।
وَاشْتَدَّتِ الْمَعْرَكَةُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، وَأَوْقَفَ الْمَلِكُ مَرْكَبَتَهُ فِي مُوَاجَهَةِ الأَرَامِيِّينَ، وَلَمْ يَلْبَثْ أَنْ مَاتَ عِنْدَ الْمَسَاءِ، فَجَرَى دَمُ الْجُرْحِ إِلَى أَرْضِ الْمَرْكَبَةِ.٣٥
36 और आफ़ताब ग़ुरूब होते हुए लश्कर में यह पुकार हो गई, “हर एक आदमी अपने शहर, और हर एक आदमी अपने मुल्क को जाए।”
وَعِنْدَ غُرُوبِ الشَّمْسِ تَجَاوَبَتْ صَرْخَةٌ بَيْنَ قُوَّاتِ الْجَيْشِ: «لِيَرْجِعْ كُلُّ رَجُلٍ إِلَى مَدِينَتِهِ وَإِلَى أَرْضِهِ».٣٦
37 इसलिए बादशाह मर गया और वह सामरिया में पहुँचाया गया, और उन्होंने बादशाह को सामरिया में दफ़न किया;
وَهَكَذَا مَاتَ الْمَلِكُ فَنَقَلُوهُ إِلَى السَّامِرَةِ حَيْثُ دُفِنَ فِيهَا.٣٧
38 और उस रथ को सामरिया के तालाब में धोया कस्बियाँ यहीं ग़ुस्ल करती थीं, और ख़ुदावन्द के कलाम के मुताबिक़ जो उसने फ़रमाया था, कुत्तों ने उसका ख़ून चाटा।
وَعِنْدَمَا غُسِلَتْ مَرْكَبَتُهُ وَأَسْلِحَتُهُ فِي بِرْكَةِ السَّامِرَةِ، جَاءَتِ الْكِلابُ وَلَحَسَتْ دَمَهُ. فَتَحَقَّقَ بِذَلِكَ كُلُّ مَا أَنْذَرَ بِهِ الرَّبُّ.٣٨
39 और अख़ीअब की बाक़ी बातें, और सब कुछ जो उसने किया था, और हाथी दाँत का घर जो उसने बनाया था, और उन सब शहरों का हाल जो उसने ता'मीर किए, तो क्या वह इस्राईल के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में क़लमबन्द नहीं?
أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ آخْابَ وَإِنْجَازَاتُهُ وَبَيْتُ الْعَاجِ الَّذِي بَنَاهُ، وَكُلُّ الْمُدُنِ الَّتِي عَمَّرَهَا، أَلَيْسَتْ هِيَ مُدَوَّنَةً فِي تَارِيخِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ؟٣٩
40 और अख़ीअब अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और उसका बेटा अख़ज़ियाह उसकी जगह बादशाह हुआ।
وَدُفِنَ آخْابُ مَعَ آبَائِهِ وَخَلَفَهُ ابْنُهُ أَخَزْيَا عَلَى الْمُلْكِ.٤٠
41 और आसा का बेटा यहूसफ़त शाह — ए — इस्राईल अख़ीअब के चौथे साल से यहूदाह पर हुकूमत करने लगा।
وَمَلَكَ يَهُوشَافَاطُ بْنُ آسَا عَلَى يَهُوذَا فِي السَّنَةِ الرَّابِعَةِ مِنْ حُكْمِ آخْابَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ.٤١
42 जब यहूसफ़त हुकूमत करने लगा तो पैंतीस साल का था, और उसने येरूशलेम में पच्चीस साल हुकूमत की। उसकी माँ का नाम 'अजूबाह था, जो सिल्ही की बेटी थी।
وَكَانَ يَهُوشَافَاطُ فِي الْخَامِسَةِ وَالثَّلاثِينَ حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ خَمْساً وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَاسْمُ أُمِّهِ عَزُوبَةُ بِنْتُ شَلْحِي٤٢
43 वह अपने बाप आसा के नक़्श — ए — क़दम पर चला; उससे वह मुड़ा नहीं और जो ख़ुदावन्द की निगाह में ठीक था उसे करता रहा, तोभी ऊँचे मक़ाम ढाए न गए लोग उन ऊँचे मक़ामों पर ही क़ुर्बानी करते और बख़ूर जलाते थे।
وَاقْتَفَى خُطَى أَبِيهِ آسَا، وَلَمْ يَحِدْ عَنْهَا صَانِعاً مَا هُوَ صَالِحٌ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ. إِلّا أَنَّ مَذَابِحَ الْمُرْتَفَعَاتِ لَمْ تُهْدَمْ، بَلْ كَانَ الشَّعْبُ لَا يَزَالُ يَذْبَحُ وَيُوقِدُ عَلَيْهَا.٤٣
44 और यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल से सुलह की।
وَوَقَّعَ يَهُوشَافَاطُ مُعَاهَدَةَ صُلْحٍ مَعَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ.٤٤
45 और यहूसफ़त की बाक़ी बातें और उसकी ताक़त जो उसने दिखाई, और उसके जंग करने की कै़फ़ियत, तो क्या वह यहूदाह के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में क़लमबन्द नहीं?
أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ يَهُوشَافَاطَ وَمَا أَبْدَاهُ مِنْ بَأْسٍ، وَكَيْفَ حَارَبَ، أَلَيْسَتْ هِيَ مُدَوَّنَةً فِي كِتَابِ تَارِيخِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ يَهُوذَا؟٤٥
46 और उसने बाक़ी लूतियों को जो उसके बाप आसा के 'अहद में रह गए थे, मुल्क से निकाल दिया।
كَمَا أَبَادَ مِنَ الْبِلادِ الَّذِينَ يُمَارِسُونَ الشُّذُوذَ الْجِنْسِيَّ فِي عِبَادَتِهِمِ الْوَثَنِيَّةِ مِمَّنْ بَقُوا مِنْ أَيَّامِ أَبِيهِ آسَا.٤٦
47 और अदोम में कोई बादशाह न था, बल्कि एक नाइब हुकूमत करता था।
وَلَمْ يَكُنْ فِي زَمَانِهِ مَلِكٌ عَلَى أَدُومَ، بَلْ تَوَلَّى الْحُكْمَ وَكِيلٌ لِلْمَلِكِ.٤٧
48 और यहूसफ़त ने तरसीस के जहाज़ बनाए ताकि ओफ़ीर को सोने के लिए जाएँ, लेकिन वह गए नहीं, क्यूँकि वह “अस्यून जाबर ही में टूट गए।
وَبَنَى يَهُوشَافَاطُ أُسْطُولاً تِجَارِيًّا لِكَيْ يَبْحُرَ إِلَى أُوفِيرَ وَيَعُودَ مُحَمَّلاً بِالذَّهَبِ، وَلَكِنَّ السُّفُنَ لَمْ تَبْحُرْ لأَنَّهَا تَحَطَّمَتْ فِي عِصْيُونَ جَابَرَ.٤٨
49 तब अख़ीअब के बेटे अख़ज़ियाह ने यहूसफ़त से कहा, 'अपने ख़ादिमों के साथ मेरे ख़ादिमों को भी जहाज़ों में जाने दे।” लेकिन यहूसफ़त राज़ी न हुआ।
حِينَئِذٍ قَالَ أَخَزْيَا بْنُ آخْابَ لِيَهُوشَافَاطَ: «لِيَبْحُرْ رِجَالِي مَعَ رِجَالِكَ فِي السُّفُنِ». فَأَبَى يَهُوشَافَاطُ.٤٩
50 और यहूसफ़त अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और अपने बाप दाऊद के शहर में अपने बाप — दादा के साथ दफ़्न हुआ; और उसका बेटा यहूराम उसकी जगह बादशाह हुआ।
وَمَاتَ يَهُوشَافَاطُ فَدُفِنَ مَعَ أَسْلافِهِ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ أَبِيهِ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ يَهُورَامُ عَلَى الْعَرْشِ.٥٠
51 और अख़ीअब का बेटा अख़ज़ियाह शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त के सत्रहवें साल से सामरिया में इस्राईल पर हुकूमत करने लगा, और उसने इस्राईल पर दो साल हुकूमत की।
وَمَلَكَ أَخَزْيَا بْنُ آخْابَ عَلَى إِسْرَائِيلَ فِي السَّامِرَةِ، فِي السَّنَةِ السَّابِعَةِ عَشْرَةَ لِحُكْمِ يَهُوشَافَاطَ مَلِكِ يَهُوذَا، وَدَامَ مُلْكُهُ سَنَتَيْنِ،٥١
52 और उसने ख़ुदावन्द की नज़र में बदी की, और अपने बाप की रास्ते और अपनी माँ के रास्ते और नबात के बेटे युरब'आम की रास्ते पर चला, जिससे उसने बनी — इस्राईल से गुनाह कराया;
ارْتَكَبَ فِيهِمَا الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، وَسَلَكَ فِي سُبُلِ أَبِيهِ وَأُمِّهِ، وَفِي طَرِيقِ يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ الَّذِي اسْتَغْوَى إِسْرَائِيلَ لاِقْتِرَافِ الإِثْمِ،٥٢
53 और अपने बाप के सब कामों के मुताबिक़ बा'ल की इबादत करता और उसको सिज्दा करता रहा, और ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा को ग़ुस्सा दिलाया।
وَعَبَدَ أَخَزْيَا الْبَعْلَ وَسَجَدَ لَهُ، فَأَثَارَ بِذَلِكَ غَيْظَ الرَّبِّ، تَمَاماً كَمَا فَعَلَ أَبُوهُ.٥٣

< 1 सला 22 >