< Miqueas 7 >
1 ¡Ay de mí! que he sido como cuando han cogido los frutos del verano, como cuando han rebuscado después de la vendimia, que no queda racimo para comer: mi alma deseó primeros frutos.
मुझ पर अफ़सोस! मैं ताबिस्तानी मेवा जमा' होने और अंगूर तोड़ने के बाद की ख़ोशाचीनी की तरह हूँ, न खाने को कोई ख़ोशा, और न पहला पक्का दिलपसंद अंजीर है।
2 Faltó el misericordioso de la tierra: recto no hay entre los hombres: todos asechan a la sangre: cada cual arma red a su hermano.
दीनदार आदमी दुनिया से जाते रहे, लोगों में कोई रास्तबाज़ नहीं; वह सब के सब घात में बैठे हैं कि ख़ून करें हर शख़्स जाल बिछा कर अपने भाई का शिकार करता है।
3 Para perficionar la maldad con sus manos, el príncipe demanda, y el juez juzga por la paga; y el grande habla el quebranto de su alma, y la fortalecen.
उनके हाथ बुराई में फुर्तीले हैं; हाकिम रिश्वत माँगता है और क़ाज़ी भी यही चाहता है, और बड़े आदमी अपने दिल की हिर्स की बातें करते हैं; और यूँ साज़िश करते हैं।
4 El mejor de ellos es como el cambrón: el más recto, como zarzal: el día de tus atalayas, tu visitación, viene: ahora será su confusión.
उनमें सबसे अच्छा तो ऊँट कटारे की तरह है, और सबसे रास्तबाज़ ख़ारदार झाड़ी से बदतर है। उनके निगहबानों का दिन, हाँ उनकी सज़ा का दिन आ गया है; अब उनको परेशानी होगी।
5 No creáis en amigo, ni confíeis en príncipe: de la que duerme a tu lado guarda no abras tu boca.
किसी दोस्त पर भरोसा न करो; हमराज़ पर भरोसा न रख्खो; हाँ, अपने मुँह का दरवाज़ा अपनी बीवी के सामने बंद रख्खो
6 Porque el hijo deshonra al padre, la hija se levanta contra la madre, la nuera contra su suegra, y los enemigos del hombre son los de su casa.
क्यूँकि बेटा अपने बाप को हक़ीर जानता है, और बेटी अपनी माँ के और बहू अपनी सास के ख़िलाफ़ होती है; और आदमी के दुश्मन उसके घर ही के लोग हैं।
7 Yo empero a Jehová esperaré, esperaré al Dios de mi salud, el Dios mío me oirá.
लेकिन मैं ख़ुदावन्द की राह देखूँगा, और अपने नजात देने वाले ख़ुदा का इन्तिज़ार करूँगा, मेरा ख़ुदा मेरी सुनेगा।
8 Tú, mi enemiga, no te huelgues de mí; porque si caí, levantarme he: si morare en tinieblas, Jehová es mi luz.
ऐ मेरे दुश्मन, मुझ पर ख़ुश न हो, क्यूँकि जब मैं गिरूँगा, तो उठ खड़ा हूँगा; जब अंधेरे में बैठूँगा, तो ख़ुदावन्द मेरा नूर होगा।
9 La ira de Jehová suportaré, porque pequé a él: hasta que juzgue mi causa, y haga mi juicio: él me sacará a luz, veré su justicia.
मैं ख़ुदावन्द के क़हर को बर्दाश्त करूँगा, क्यूँकि मैंने उसका गुनाह किया है जब तक वह मेरा दा'वा साबित करके मेरा इन्साफ़ न करे। वह मुझे रोशनी में लाएगा, और मैं उसकी सदाक़त को देखूँगा।
10 Y mi enemiga verá, y cubrirla ha vergüenza: la que me decía: ¿Dónde está Jehová tu Dios? Mis ojos la verán: ahora será hollada como lodo de las calles.
तब मेरा दुश्मन जो मुझ से कहता था, ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा कहाँ है ये देखकर रुस्वा होगा। मेरी आँखें उसे देखेंगी वह गलियों की कीच की तरह पायमाल किया जाएगा।
11 El día en que se edificarán tus cercas, aquel día será alejado el mandamiento.
तेरी फ़सील की ता'मीर के रोज़, तेरी हदें बढ़ाई जाएँगी।
12 En ese día vendrá hasta ti desde Asiria, y las ciudades fuertes; y desde las ciudades fuertes hasta el río; y de mar a mar, y de monte a monte.
उसी रोज़ असूर से और मिस्र के शहरों से, और मिस्र से दरिया — ए — फ़रात तक, और समन्दर से समन्दर तक और कोहिस्तान से कोहिस्तान तक, लोग तेरे पास आएँगे।
13 Y la tierra con sus moradores será asolada por el fruto de sus obras.
और ज़मीन अपने बाशिन्दों के 'आमाल की वजह से वीरान होगी।
14 Apacienta tu pueblo con tu cayado: el rebaño de tu heredad, que mora solo en la montaña, en medio del Carmelo: pazcan a Basán y a Galaad como en el tiempo pasado.
अपने 'असा से अपने लोगों, या'नी अपनी मीरास की गल्लेबानी कर, जो कर्मिल के जंगल में तन्हा रहते हैं, उनको बसन और जिलआद में पहले की तरह चरने दे।
15 Yo le mostraré maravillas como el día que saliste de Egipto.
जैसे तेरे मुल्क — ए — मिस्र से निकलते वक़्त दिखाए, वैसे ही अब मैं उसे 'अजायब दिखाऊँगा।
16 Las naciones verán, y avergonzarse han de todas sus valentías: pondrán la mano sobre su boca, sus oídos se ensordecerán.
क़ौमें देखकर अपनी तमाम तवानाई से शर्मिन्दा होंगी; वह मुँह पर हाथ रख्खेंगी, और उनके कान बहरे हो जाएँगे।
17 Lamerán el polvo como la culebra, como las serpientes de la tierra: temblarán en sus encerramientos: de Jehová nuestro Dios se despavorirán, y temerán de ti.
वह साँप की तरह ख़ाक चाटेंगी, और अपने छिपने की जगहों से ज़मीन के कीड़ों की तरह थरथराती हुई आएँगी; वह ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने डरती हुई आयेंगी हाँ वह तुझ से परेशान होंगी।
18 ¿Qué Dios como tú, que perdonas la maldad, y que pasas por la rebelión con el resto de su heredad? No retuvo para siempre su enojo, porque es amador de misericordia.
तुझ सा ख़ुदा कौन है, जो बदकिरदारी मु'आफ़ करे और अपनी मीरास के बक़िये की ख़ताओं से दरगुज़रे? वह अपना क़हर हमेशा तक नहीं रख छोड़ता, क्यूँकि वह शफ़क़त करना पसंद करता है।
19 El tornará, él tendrá misericordia de nosotros, él sujetará nuestras iniquidades, y echará en los profundos de la mar todos nuestros pecados.
वह फिर हम पर रहम फ़रमाएगा; वही हमारी बदकिरदारी को पायमाल करेगा और उनके सब गुनाह समन्दर की तह में डाल देगा।
20 Darás la verdad a Jacob, y a Abraham la misericordia, que juraste a nuestros padres desde tiempos antiguos.
तू या'क़ूब से वफ़ादारी करेगा और अब्रहाम को वह शफ़कत दिखाएगा, जिसके बारे में तू ने पुराने ज़माने में हमारे बाप — दादा से क़सम खाई थी।