< مزامیر 70 >
برای رهبر سرایندگان. مزمور داوود، که از خدا میخواهد او را به یاد آورد. خدایا، به یاری من بشتاب و مرا نجات ده! | 1 |
ऐ ख़ुदा! मुझे छुड़ाने के लिए, ऐ ख़ुदावन्द, मेरी मदद के लिए कर जल्दी कर!
بگذار آنانی که قصد جانم را دارند خجل و سرافکنده شوند و بدخواهان من پریشان گردند؛ | 2 |
जो मेरी जान को हलाक करने के दर पै हैं, वह सब शर्मिन्दा और रुस्वा हों। जो मेरे नुक़्सान से ख़ुश हैं, वह पस्पा और रुस्वा हों।
بگذار کسانی که مرا مسخره میکنند رسوا و ناکام شوند. | 3 |
अहा! हा! हा! करने वाले अपनी रुस्वाई के वजह से पस्पा हों।
بگذار کسانی که تو را طلب میکنند در تو شاد و خرسند باشند و آنانی که نجات تو را دوست دارند پیوسته بگویند: «خداوند بزرگ است!» | 4 |
तेरे सब तालिब तुझ में ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम हों; तेरी नजात के 'आशिक़ हमेशा कहा करें, “ख़ुदा की तम्जीद हो!”
من فقیر و نیازمند هستم. خدایا، به یاری من بشتاب! ای خداوند، تو مددکار و نجاتدهندۀ من هستی، پس تأخیر نکن! | 5 |
लेकिन मैं ग़रीब और मोहताज हूँ; ऐ ख़ुदा, मेरे पास जल्द आ! मेरा मददगार और छुड़ाने वाला तू ही है; ऐ ख़ुदावन्द, देर न कर!