< اشعیا 38 >
در آن روزها حِزِقیا سخت بیمار شد و نزدیک بود بمیرد. اشعیای نبی (پسر آموص) به عیادتش رفت و از جانب خداوند این پیغام را به او داد: «وصیتت را بکن، چون عمرت به آخر رسیده است؛ تو از این مرض شفا نخواهی یافت.» | 1 |
उन ही दिनों में हिज़क़ियाह ऐसा बीमार पड़ा कि मरने के क़रीब हो गया और यसा'याह नबी आमूस के बेटे ने उसके पास आकर उससे कहा कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू अपने घर का इन्तिज़ाम करदे क्यूँकि तू मर जाएगा और बचने का नहीं।
حِزِقیا صورت خود را به طرف دیوار برگردانید و نزد خداوند دعا کرده، گفت: | 2 |
तब हिज़क़ियाह ने अपना मुँह दीवार की तरफ़ किया और ख़ुदावन्द से दुआ की।
«خداوندا، به خاطر آور چقدر نسبت به تو وفادار و امین بودهام و چطور سعی کردهام مطابق میل تو رفتار کنم.» سپس بغض گلویش را گرفت و به تلخی گریست. | 3 |
और कहा ऐ ख़ुदावन्द मैं तेरी मिन्नत करता हूँ याद फ़रमा कि मैं तेरे सामने सच्चाई और पूरे दिल से चलता रहा हूँ, और जो तेरी नज़र में अच्छा है वही किया है और हिज़क़ियाह ज़ार — ज़ार रोया।
پیش از آنکه اشعیا قصر را ترک کند خداوند بار دیگر با او سخن گفت و فرمود: | 4 |
तब ख़ुदावन्द का ये कलाम यसायाह पर नाज़िल हुआ
«نزد حِزِقیا رهبر قوم من برگرد و به او بگو که یهوه، خدای جدت داوود دعای تو را شنیده و اشکهایت را دیده است. او پانزده سال دیگر بر عمر تو خواهد افزود. | 5 |
कि जा और हिज़क़ियाह से कह कि ख़ुदावन्द तेरे बाप दाऊद का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि मैंने तेरी दू'आ सुनी, मैंने तेरे आँसू देखे इसलिए देख मैं तेरी उम्र पन्द्रह बरस और बढ़ा दूँगा।
او تو را و این شهر را از چنگ پادشاه آشور نجات خواهد داد.» | 6 |
और मैं तुझ को और इस शहर को शाह — ए — असूर के हाथ से बचा लूँगा; और मैं इस शहर की हिमायत करूँगा।
اشعیا به او گفت: «برای اینکه بدانی سخنانی را که خداوند به تو گفته، انجام خواهد داد، او علامتی به تو میدهد. | 7 |
और ख़ुदावन्द की तरफ़ से तेरे लिए ये निशान होगा कि ख़ुदावन्द इस बात को जो उसने फ़रमाई पूरा करेगा।
آن علامت این است که خداوند سایهٔ ساعت آفتابی آحاز را ده درجه به عقب بر میگرداند.» پس سایهٔ آفتاب ده درجه به عقب برگشت. | 8 |
देख मैं आफ़ताब के ढले हुए साए के दर्जों में से आख़ज़ की धूप घड़ी के मुताबिक़ दस दर्जे पीछे को लौटा दूँगा चुनाँचे आफ़ताब जिन दर्जों से ढल गया था उनमें के दस दर्जे फिर लौट गया।
وقتی حِزِقیای پادشاه از بیماریای که داشت شفا یافت این شعر را سرایید: | 9 |
शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह की तहरीर, जब वह बीमार था और अपनी बीमारी से शिफ़ायाब हुआ।
فکر میکردم در بهار عمر خویش زندگی را بدرود خواهم گفت، و به دنیای مردگان خواهم شتافت. (Sheol ) | 10 |
मैंने कहा मैं अपनी आधी उम्र में पाताल के फाटकों में दाख़िल हूँगा, मेरी ज़िन्दगी के बाक़ी बरस मुझसे छीन लिए गए। (Sheol )
فکر میکردم در این دنیای زندگان دیگر هرگز خداوند را نخواهم دید و نگاهم بر هیچ انسانی نخواهد افتاد. | 11 |
मैंने कहा मैं ख़ुदावन्द को हाँ ख़ुदावन्द को ज़िन्दों की ज़मीन में फिर न देखूँगा, इंसान और दुनिया के बाशिन्दे मुझे फिर दिखाई न देंगे।
مانند خیمهٔ شبانان که پایین میکشند و جمع میکنند، حیات من فرو میریخت؛ همچون پارچهٔ دستباف که از دستگاه بافندگی جدا میکنند، رشتهٔ عمرم پاره میشد. | 12 |
मेरा घर उजड़ गया है और गडरिए के ख़ेमा की तरह मुझसे दूर किया गया मैंने जुलाहे की तरह अपनी ज़िन्दगानी को लपेट लिया है वह मुझको तांत से काट डालेगा सुबह से शाम तक तू मुझको तमाम कर डालता है।
تمام شب ناله و زاری میکردم، گویی شیری دندههایم را خرد میکرد؛ فکر میکردم خدا جانم را میگیرد. | 13 |
मैंने सुबह तक तहम्मुल किया; तब वह शेर बबर की तरह मेरी सब हड्डियाँ चूर कर डालता है सुबह से शाम तक तू मुझे तमाम कर डालता है।
صدایم به زحمت شنیده میشد، مانند قمری مینالیدم. از بس به آسمان چشم دوخته بودم، چشمانم ضعیف شده بود. دعا کردم که خداوند کمکم کند. | 14 |
मैं अबाबील और सारस की तरह चीं — चीं करता रहा; मैं कबूतर की तरह कुढ़ता रहा; मेरी ऑखें ऊपर देखते — देखते पथरा गईं ऐ ख़ुदावन्द, मैं बे — कस हूँ, तू मेरा कफ़ील हो।
چه بگویم که خداوند مرا بدین روز انداخته بود. از تلخی جان، خواب از چشمانم رفته بود. | 15 |
मैं क्या कहूँ? उसने तो मुझ से वा'दा किया, और उसी ने उसे पूरा किया; मैं अपनी बाक़ी उम्र अपनी जान की तल्ख़ी की वजह से आहिस्ता आहिस्ता बसर करूँगा।
ای خداوند، تنبیه تو مفید است و به انسان حیات میبخشد. تو مرا سلامتی و شفا بخشیدی تو عمر دوباره به من دادی. | 16 |
ऐ ख़ुदावन्द, इन्हीं चीज़ों से इंसान की ज़िन्दगी है, और इन्ही में मेरी रूह की हयात है; इसलिए तू ही शिफ़ा बख़्श और मुझे ज़िन्दा रख।
بله، به نفع من شد که این همه زحمت دیدم. زیرا تو مرا محبت کردی، از مرگ نجاتم دادی و همهٔ گناهان مرا بخشیدی و فراموش کردی. | 17 |
देख, मेरा सख़्त रन्ज राहत से तब्दील हुआ; और मेरी जान पर मेहरबान होकर तूने उसे हलाकी के गढे से रिहाई दी; क्यूँकि तूने मेरे सब गुनाहों को अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया।
کسی در دنیای مردگان نمیتواند تو را تمجید کند، و یا به وفاداریت توکل کند. (Sheol ) | 18 |
इसलिए कि पाताल तेरी इबादत नहीं कर सकता; और मौत से तेरी हम्द नहीं हो सकती। वह जो क़ब्र में उतरने वाले हैं तेरी सच्चाई के उम्मीदवार नहीं हो सकते। (Sheol )
زندگانند که تو را ستایش میکنند، چنانکه من امروز تو را سپاس میگویم. بله، زندگانند که برای فرزندان خود تعریف میکنند که تو امین و وفادار هستی. | 19 |
ज़िन्दा,' हाँ, ज़िन्दा ही तेरी तम्जीद करेगा जैसा आज के दिन मैं करता हूँ, बाप अपनी औलाद को तेरी सच्चाई की ख़बर देगा।
خداوندا، تو مرا شفا دادی، و من در تمام روزهای عمرم تو را با سرود ستایش خواهم کرد. | 20 |
ख़ुदावन्द मुझे बचाने को तैयार है; इसलिए हम अपने तारदार साज़ों के साथ उम्र भर ख़ुदावन्द के घर में सरोदख़्वानी करते रहेंगे।
و اما اشعیا به افراد حِزِقیای پادشاه گفته بود که مقداری انجیر بگیرند و آن را له کرده، روی دمل حِزِقیا بگذارند و او شفا خواهد یافت. | 21 |
यसा'याह ने कहा था, कि'अंजीर की टिकिया लेकर फोड़े पर बाँधे, और वह शिफ़ा पाएगा।
و حِزِقیا پرسیده بود: «برای اینکه ثابت شود که خداوند مرا شفا خواهد داد و من خواهم توانست به خانهٔ خداوند بروم او چه نشانهای به من میدهد؟» | 22 |
और हिज़क़ियाह ने कहा था, इसका क्या निशान है कि मैं ख़ुदावन्द के घर में जाऊँगा।