< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 3 >

1 ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ନିର୍ମିତ ଭୂଚର ପଶୁମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସର୍ପ ସର୍ବାପେକ୍ଷା ଖଳ ଥିଲା। ସେ ନାରୀଙ୍କୁ କହିଲା, “ଆଗୋ, ଏ କି ସତ୍ୟ, ‘ଉଦ୍ୟାନର କୌଣସି ବୃକ୍ଷର ଫଳ ଖାଇବାକୁ ପରମେଶ୍ୱର ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ନିଷେଧ କରିଅଛନ୍ତି?’”
परमेश्वर देवाने निर्माण केलेल्या सर्व वनपशूंमध्ये सर्प हा अतिशय धूर्त होता. तो स्त्रीला म्हणाला, “‘बागेतल्या कोणत्याही झाडाचे फळ खाऊ नका’ असे देवाने तुम्हास खरोखरच सांगितले आहे काय?”
2 ନାରୀ ସର୍ପକୁ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭେମାନେ ଉଦ୍ୟାନର ସମସ୍ତ ବୃକ୍ଷର ଫଳ ଖାଇପାରୁ;
स्त्रीने सर्पाला उत्तर दिले, “बागेतल्या झाडांची फळे आम्ही खाऊ शकतो.
3 କେବଳ ଉଦ୍ୟାନର ମଧ୍ୟସ୍ଥିତ ବୃକ୍ଷର ଫଳ ବିଷୟରେ ପରମେଶ୍ୱର କହିଅଛନ୍ତି, ‘ତୁମ୍ଭେମାନେ ତାହା ଖାଇବ ନାହିଁ ଓ ଛୁଇଁବ ନାହିଁ, ତାହା କଲେ ମରିବ।’”
परंतु बागेच्या मधोमध जे झाड आहे, त्याच्या फळाविषयी देवाने म्हटले, ते खाऊ नका. त्या झाडाला स्पर्शही करू नका, नाहीतर तुम्ही मराल.”
4 ସର୍ପ ନାରୀଙ୍କୁ କହିଲା, “ତୁମ୍ଭେମାନେ କୌଣସି ରୂପେ ମରିବ ନାହିଁ;
सर्प त्या स्त्रीला म्हणाला, “तुम्ही खरोखर मरणार नाही.
5 ବରଞ୍ଚ ପରମେଶ୍ୱର ଜାଣନ୍ତି, ତୁମ୍ଭେମାନେ ଯେଉଁ ଦିନ ତାହା ଖାଇବ, ସେହି ଦିନ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ଚକ୍ଷୁ ପ୍ରସନ୍ନ ହେବ, ତହିଁରେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ପରି ଭଲ ଓ ମନ୍ଦର ଜ୍ଞାନ ପାଇବ।”
कारण देवास हे माहीत आहे की, जर तुम्ही त्या झाडाचे फळ खाल त्याच दिवशी तुमचे डोळे उघडतील, व तुम्ही देवांसारखे बरेवाईट जाणणारे व्हाल.”
6 ଏଥିରେ ନାରୀ ସେହି ବୃକ୍ଷକୁ ସୁଖାଦ୍ୟର ଉତ୍ପାଦକ ଓ ନୟନର ଲୋଭଜନକ ଓ ଜ୍ଞାନ ଦେବା ନିମିତ୍ତ ବାଞ୍ଛନୀୟ ଦେଖି ତହିଁରୁ ଫଳ ତୋଳି ଖାଇଲେ, ପୁଣି, ଆପଣା ସଙ୍ଗସ୍ଥ ସ୍ୱାମୀଙ୍କୁ ଦିଅନ୍ତେ, ସେ ମଧ୍ୟ ଖାଇଲେ।
आणि स्त्रीने पाहिले की, त्या झाडाचे फळ खाण्यास चांगले व डोळ्यांना आनंद देणारे व शहाणे करण्यासाठी इष्ट आहे, तेव्हा तिने त्याचे काही फळ घेऊन खाल्ले. आणि तिने आपल्याबरोबर आपल्या पतीसही त्या फळातून थोडे दिले व त्याने ते खाल्ले.
7 ତହିଁରେ ସେମାନଙ୍କ ଚକ୍ଷୁ ପ୍ରସନ୍ନ ହୁଅନ୍ତେ, ସେମାନେ ନିଜ ଉଲଙ୍ଗତାର ବୋଧ ପାଇ ଡିମ୍ବିରି ବୃକ୍ଷର ପତ୍ର ସିଁଇ ଘାଗରା ବନାଇଲେ।
तेव्हा त्या दोघांचे डोळे उघडले व आपण नग्न आहोत असे त्यांना समजले; तेव्हा त्यांनी अंजिराची पाने एकत्र जोडून आपणाला झाकण्यासाठी वस्त्रे तयार केली.
8 ତହୁଁ ଦିନାବସାନ ସମୟରେ ଉଦ୍ୟାନ ମଧ୍ୟରେ ଗମନାଗମନକାରୀ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ରବ ଶୁଣି ଆଦମ ଓ ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଛାମୁରୁ ଉଦ୍ୟାନସ୍ଥ ବୃକ୍ଷଗଣ ମଧ୍ୟରେ ଲୁଚିଲେ।
दिवसाचा थंड वारा सुटला असता परमेश्वर देव बागेत आला. त्या वेळी त्यांनी त्याचा आवाज ऐकला. आणि परमेश्वर देवाच्या समक्षतेपासून दृष्टीआड व्हावे म्हणून मनुष्य व त्याची पत्नी बागेच्या झाडांमध्ये लपली.
9 ତହିଁରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର ଆଦମଙ୍କୁ ଡାକି କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ କେଉଁଠାରେ?”
तेव्हा परमेश्वर देवाने मनुष्यास हाक मारुन म्हटले, “तू कोठे आहेस?”
10 ସେ ଉତ୍ତର କଲେ, “ମୁଁ ଉଦ୍ୟାନ ମଧ୍ୟରେ ତୁମ୍ଭ ରବ ଶୁଣି ଆପଣା ଉଲଙ୍ଗତା ସକାଶେ ଭୀତ ହୋଇ ଲୁଚିଲି।”
१०मनुष्य म्हणाला, “बागेत मी तुझा आवाज ऐकला व मला भीती वाटली, कारण मी नग्न होतो. म्हणून मी लपलो.”
11 ପରମେଶ୍ୱର କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ଉଲଙ୍ଗ ଅଛ, ଏହା କିଏ ତୁମ୍ଭକୁ ଜଣାଇଲା? ଆମ୍ଭେ ଯେଉଁ ବୃକ୍ଷର ଫଳ ଖାଇବାକୁ ନିଷେଧ କରିଥିଲୁ, ତାହା କି ତୁମ୍ଭେ ଖାଇଅଛ?”
११परमेश्वर त्यास म्हणाला, “तू नग्न आहेस हे तुला कोणी सांगितले? ज्या झाडाचे फळ तू खाऊ नकोस अशी मी तुला आज्ञा दिली होती त्या झाडाचे फळ तू खाल्लेस काय?”
12 ଆଦମ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ଯେଉଁ ସ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ମୋହର ସଙ୍ଗିନୀ ହେବାକୁ ଦେଇଅଛ, ସେ ମୋତେ ସେହି ବୃକ୍ଷର ଫଳ ଦେଲେ, ତହିଁରେ ମୁଁ ଖାଇଲି।”
१२मनुष्य म्हणाला, “तू ही स्त्री माझ्या सोबतीस म्हणून दिलीस, तिने त्या झाडाचे फळ मला दिले आणि म्हणून मी ते खाल्ले.”
13 ସେତେବେଳେ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର ନାରୀଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଏ କି କଲ?” ନାରୀ କହିଲେ, “ସର୍ପ ମୋତେ ଭୁଲାଇଲା, ତହିଁରେ ମୁଁ ଖାଇଲି।”
१३मग परमेश्वर देव त्या स्त्रीस म्हणाला, “तू हे काय केलेस?” ती स्त्री म्हणाली, “सर्पाने मला फसवले व म्हणून मी ते फळ खाल्ले.”
14 ତହୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର ସର୍ପକୁ କହିଲେ, “ଏହି କାର୍ଯ୍ୟ କରିବା ହେତୁ ତୁମ୍ଭେ ସମସ୍ତ ଗ୍ରାମ୍ୟ ଓ ବନ୍ୟପଶୁଠାରୁ ଅଧିକ ଶାପଗ୍ରସ୍ତ ହେଲ, ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ପେଟ ଦେଇ ଗମନ କରିବ ଓ ଯାବଜ୍ଜୀବନ ଧୂଳି ଖାଇବ।
१४परमेश्वर देव सर्पास म्हणाला, “तू हे केल्यामुळे सर्व गुरेढोरांमध्ये व सर्व वन्यपशूंमध्ये तू शापित आहेस. तू पोटाने सरपटत चालशील आणि आयुष्यभर तू माती खाशील.
15 ଆଉ ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭର ଓ ନାରୀର ମଧ୍ୟରେ, ପୁଣି, ତୁମ୍ଭ ବଂଶ ଓ ତାଙ୍କ ବଂଶ ମଧ୍ୟରେ ଶତ୍ରୁତା ଜନ୍ମାଇବା; ସେ ତୁମ୍ଭର ମସ୍ତକକୁ ଆଘାତ କରିବେ ଓ ତୁମ୍ଭେ ତାହାଙ୍କ ଗୋଇଠିକୁ ଆଘାତ କରିବ।”
१५तुझ्यामध्ये व स्त्रीमध्ये आणि तुझ्या बीजामध्ये व स्त्रीच्या बीजामध्ये मी शत्रूत्व ठेवीन. तो तुझे डोके ठेचील आणि तू त्याची टाच फोडशील.”
16 ତହୁଁ ସେ ନାରୀଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭର ଗର୍ଭବେଦନା ଅତିଶୟ ବଢ଼ାଇବା, ତୁମ୍ଭେ ବ୍ୟଥାରେ ସନ୍ତାନ ପ୍ରସବ କରିବ; ପୁଣି, ସ୍ୱାମୀ ପ୍ରତି ତୁମ୍ଭର ବାସନା ରହିବ, ସେ ତୁମ୍ଭ ଉପରେ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ କରିବ।”
१६परमेश्वर देव स्त्रीस म्हणाला, “मुलांना जन्म देते वेळी तुझ्या वेदना मी खूप वाढवीन तरी तुझी ओढ तुझ्या नवऱ्याकडे राहील; आणि तो तुझ्यावर अधिकार चालवील.”
17 ଆଉ ସେ ଆଦମଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଯେଉଁ ବୃକ୍ଷର ଫଳ ଖାଇବା ବିଷୟରେ ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭକୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଇ କହିଥିଲୁ, ତାହା ଖାଇବ ନାହିଁ, ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ଭାର୍ଯ୍ୟାର କଥା ଶୁଣି ତାହା ଖାଇଅଛ; ଏଣୁ ତୁମ୍ଭ ସକାଶୁ ଭୂମି ଶାପଗ୍ରସ୍ତ ହେଲା; ତୁମ୍ଭେ ଯାବଜ୍ଜୀବନ କ୍ଳେଶରେ ତହିଁରୁ ଭକ୍ଷ୍ୟ ପାଇବ।
१७नंतर परमेश्वर देव आदामाला म्हणाला, तू तुझ्या पत्नीची वाणी ऐकली आहे आणि ज्या झाडाचे फळ खाऊ नकोस अशी आज्ञा दिलेली होती, त्या झाडाचे फळ तू खाल्ले आहेस. म्हणून तुझ्यामुळे भूमीला शाप आला आहे. तू तिजपासून अन्न मिळवण्यासाठी आपल्या आयुष्याचे सर्व दिवस कष्ट करशील;
18 ତହିଁରେ କଣ୍ଟା ଓ ଗୋଖରା ଗଛ ଜାତ ହେବ, ପୁଣି, ତୁମ୍ଭେ କ୍ଷେତ୍ରର ଶାକ ଭୋଜନ କରିବ।
१८जमीन तुझ्यासाठी काटे व कुसळे उत्पन्न करील आणि शेतातील वनस्पती तुला खाव्या लागतील.
19 ତୁମ୍ଭେ ଯେଉଁ ମୃତ୍ତିକାରୁ ଗୃହୀତ ହେଲ, ତହିଁରେ ନ ମିଶିବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୁଖର ଝାଳରେ ଆହାର କରିବ; ଯେହେତୁ ତୁମ୍ଭେ ଧୂଳି ଓ ଧୂଳିରେ ପୁନର୍ବାର ମିଶିଯିବ।”
१९तू माघारी जमिनीमध्ये जाशील तोपर्यंत तू आपल्या निढळाच्या घामाने भाकर खाशील, तू मरणाच्या दिवसापर्यंत अतिशय काम करशील. कारण मातीमधून तू निर्माण झालेला आहेस; आणि मातीमध्ये तू परत जाशील.
20 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଆଦମ ଆପଣା ଭାର୍ଯ୍ୟାର ନାମ ହବା ଦେଲେ, ଯେହେତୁ ସେ ଜୀବିତ ଲୋକମାନଙ୍କର ମାତା ହେଲେ।
२०आदामाने आपल्या पत्नीचे नाव हव्वा ठेवले, कारण सर्व जिवंत मनुष्यांची ती आई होती.
21 ଆଉ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର ଚର୍ମର ବସ୍ତ୍ର ପ୍ରସ୍ତୁତ କରି ଆଦମ ଓ ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟାଙ୍କୁ ପିନ୍ଧାଇଲେ।
२१परमेश्वर देवाने आदाम व त्याच्या पत्नीसाठी चामड्यांची वस्त्रे केली; आणि ती त्यांना घातली.
22 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର କହିଲେ, “ଦେଖ, ମନୁଷ୍ୟ ଭଲ ଓ ମନ୍ଦର ବୋଧ ପ୍ରାପ୍ତ ହୋଇ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପରି ଜଣେ ହୋଇଅଛି, ଆଉ ଏବେ ସେ ଯେପରି ହାତ ବଢ଼ାଇ ଅମୃତ ବୃକ୍ଷର ଫଳ ମଧ୍ୟ ତୋଳି ଖାଇ ଅନନ୍ତଜୀବୀ ନ ହୁଅଇ,”
२२परमेश्वर देव म्हणाला, “पाहा, मनुष्य आपल्यातल्या एका सारखा होऊन त्यास बरे व वाईट समजू लागले आहे. तर आता त्यास त्याच्या हातांनी जीवनाच्या झाडावरून ते फळ घेऊन खाऊ देऊ नये, आणि जर का तो ते फळ खाईल तर मग सदासर्वकाळ तो जिवंत राहील.”
23 ଏଥିପାଇଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱର ଏଦନ ଉଦ୍ୟାନରୁ ତାଙ୍କୁ ବାହାର କରିଦେଲେ ଓ ସେ ଯେଉଁ ମୃତ୍ତିକାରୁ ନୀତ ହୋଇଥିଲେ, ତହିଁରେ କୃଷିକର୍ମ କରିବାକୁ ତାଙ୍କୁ ନିଯୁକ୍ତ କଲେ।
२३तेव्हा परमेश्वर देवाने मनुष्यास ज्या जमिनीतून उत्पन्न केले होते तिची मशागत करण्यासाठी एदेन बागेतून बाहेर घालवून दिले.
24 ଏହିରୂପେ ସେ ଆଦମଙ୍କୁ ତଡ଼ିଦେଲେ; ପୁଣି, ଅମୃତ ବୃକ୍ଷର ପଥ ରକ୍ଷା କରିବା ନିମିତ୍ତ ଏଦନ ଉଦ୍ୟାନର ପୂର୍ବ ଦିଗରେ କିରୂବଗଣ ଓ ଚତୁର୍ଦ୍ଦିଗରେ ଘୂର୍ଣ୍ଣାୟମାନ ତେଜୋମୟ ଖଡ୍ଗ ସ୍ଥାପନ କଲେ।
२४देवाने मनुष्यास बागेतून घालवले, आणि जीवनाच्या झाडाचे रक्षण करण्यासाठी त्याने एदेन बागेच्या पूर्वेकडे करुब ठेवले, आणि सर्व दिशांनी गरगर फिरणारी ज्वालारूप एक तलवार ठेवली.

< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 3 >