< ପ୍ରଥମ ଶାମୁୟେଲ 25 >

1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାମୁୟେଲ ମଲେ; ତହୁଁ ସମୁଦାୟ ଇସ୍ରାଏଲ ଏକତ୍ର ହୋଇ ତାଙ୍କ ପାଇଁ ବିଳାପ କଲେ ଓ ରାମାସ୍ଥିତ ତାଙ୍କର ଗୃହରେ ତାଙ୍କୁ କବର ଦେଲେ। ପୁଣି, ଦାଉଦ ଉଠି ପାରଣ ପ୍ରାନ୍ତରକୁ ଗଲେ।
शमुवेल मरण पावला तेव्हा सर्व इस्राएल लोकांनी एकत्र जमून त्याच्यासाठी शोक केला आणि त्यांनी त्यास रामा येथे त्याच्या घरात पुरले. दावीद उठून खाली पारान नावाच्या रानात गेला.
2 ସେହି ସମୟରେ ମାୟୋନ୍‌ସ୍ଥିତ ଜଣେ ଲୋକ କର୍ମିଲରେ ବ୍ୟବସାୟ କରୁଥିଲା; ସେ ଅତି ବଡ଼ ଲୋକ ଓ ତାହାର ତିନି ସହସ୍ର ମେଷ ଓ ଏକ ସହସ୍ର ଛାଗୀ ଥିଲେ; ପୁଣି, ସେ କର୍ମିଲରେ ଆପଣା ମେଷଲୋମ ଛେଦନ କରୁଥିଲା।
मावोनात एक पुरुष होता त्याची मालमत्ता कार्मेल येथे होती; तो पुरुष फार मोठा होता; त्याची तीन हजार मेंढरे व एक हजार बकरी होती; तो आपली मेंढरे कर्मेलात कातरीत होता.
3 ସେହି ମନୁଷ୍ୟର ନାମ ନାବଲ ଓ ତାହାର ଭାର୍ଯ୍ୟାର ନାମ ଅବୀଗଲ; ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ବୁଦ୍ଧିମତୀ ଓ ରୂପବତୀ; ମାତ୍ର ସେହି ପୁରୁଷ କଟୁଭାଷୀ ଓ କୁକର୍ମକାରୀ ଓ ସେ କାଲେବ ବଂଶଜ ଥିଲା।
त्या पुरुषाचे नाव नाबाल व त्याच्या पत्नीचे नाव अबीगईल होते; त्याची पत्नी तर बुध्दीने चांगली व सुंदर रूपवती होती परंतु तो पुरूष कठोर व वाईट चालीचा होता; तो कालेबाच्या कुळातला होता.
4 ଆଉ ନାବଲ ଆପଣା ମେଷର ଲୋମ ଛେଦନ କରୁଅଛି ବୋଲି ଦାଉଦ ପ୍ରାନ୍ତରରେ ଶୁଣିଲେ।
नाबाल आपली मेंढरे कातरीत आहे, असे दावीदाने रानात ऐकले.
5 ତହିଁରେ ଦାଉଦ ଦଶ ଜଣ ଯୁବାଙ୍କୁ ପଠାଇଲେ ଓ ଦାଉଦ ସେହି ଯୁବାମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ କର୍ମିଲକୁ ଉଠି ନାବଲ କତିକି ଯାଅ ଓ ମୋହର ନାମରେ ତାହାକୁ ନମସ୍କାର ଜଣାଅ।
मग दावीदाने दहा तरुणास पाठवले आणि दावीद त्या तरुणास म्हणाला, “कर्मेल येथे जा व नाबालाकडे जाऊन माझ्या नावाने त्यास सलाम करा.
6 ପୁଣି, ତାହାକୁ ଏପରି କୁହ, ‘ତୁମ୍ଭେ ଚିରଜୀବୀ ହୁଅ, ତୁମ୍ଭର ମଙ୍ଗଳ ହେଉ, ତୁମ୍ଭ ଗୃହର ମଙ୍ଗଳ ହେଉ ଓ ତୁମ୍ଭ ସର୍ବସ୍ୱର ମଙ୍ଗଳ ହେଉ।
त्या सुखी जिवाला असे म्हणा, ‘तुला शांती असो. व तुझ्या घराला शांती असो आणि जे काही तुझे आहे त्या अवघ्याला शांती असो.
7 ଆମ୍ଭେ ଶୁଣିଲୁ, ତୁମ୍ଭର ଲୋମଛେଦକମାନେ ଅଛନ୍ତି; ତୁମ୍ଭର ମେଷପାଳକମାନେ ଏବେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗରେ ଅଛନ୍ତି, ଆମ୍ଭେମାନେ ସେମାନଙ୍କର କୌଣସି ଅପକାର କରି ନାହୁଁ, କିଅବା କର୍ମିଲରେ ଥିବା ସମୟଯାକ ସେମାନଙ୍କର କିଛି ହଜି ନାହିଁ।
तुझ्याकडे कातरणारे आहेत असे मी आता ऐकले. आताच तुझे मेंढपाळ आम्हाजवळ होते त्यांना आम्ही उपद्रव केला नाही आणि जितके दिवस ते कर्मेलात होते तितके दिवस त्यांचे काही हरवले नाही.
8 ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ଯୁବାମାନଙ୍କୁ ପଚାର, ସେମାନେ କହିବେ; ଏହେତୁ ଏହି ଯୁବାମାନେ ତୁମ୍ଭ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଅନୁଗ୍ରହ ପାଉନ୍ତୁ; କାରଣ ଆମ୍ଭେମାନେ ଶୁଭ ଦିନରେ ଆସିଅଛୁ। ବିନୟ କରୁଅଛୁ, ତୁମ୍ଭ ହସ୍ତରେ ଯାହା ଆସେ, ତାହା ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ ଓ ଆପଣା ପୁତ୍ର ଦାଉଦଙ୍କୁ ଦିଅ।’”
तू आपल्या तरुणास विचार म्हणजे ते तुला सांगतील; तर या तरुणावर तुझी कृपादृष्टी व्हावी कारण आम्ही चांगल्या दिवशी आलो”
9 ତହୁଁ ଦାଉଦଙ୍କର ଯୁବାମାନେ ଯାଇ ଦାଉଦଙ୍କ ନାମରେ ନାବଲକୁ ଏହିସବୁ କଥା କହି କ୍ଷାନ୍ତ ହେଲେ।
मी तुला विनंती करतो जे काही तुझ्या हाताशी येईल ते तू तुझ्या दासांना व तुझा मुलगा दावीद याला दे. मग दावीदाचे तरुण येऊन या सर्व शब्दांप्रमाणे दावीदाच्या नावाने नाबालाशी बोलून शांत राहिले.
10 ତହିଁରେ ନାବଲ ଦାଉଦଙ୍କର ଦାସମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତର ଦେଇ କହିଲା, “ଦାଉଦ କିଏ? ଯିଶୀର ପୁତ୍ର କିଏ? ଆଜିକାଲି ଅନେକ ଦାସ ଅଛନ୍ତି, ଯେଉଁମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ମୁନିବଠାରୁ ବିଗିଡ଼ି ବୁଲୁଛନ୍ତି।
१०तेव्हा नाबालाने त्याच्या चाकरांना उत्तर देऊन म्हटले, “दावीद कोण आहे? इशायाचा मुलगा कोण? जे आपआपल्या धन्याला सोडून पळतात असे पुष्कळ चाकर या दिवसात आहेत.
11 ତେବେ ମୁଁ କʼଣ ଆପଣା ରୁଟି ଓ ଆପଣା ଜଳ ଓ ଆପଣା ଲୋମଛେଦକମାନଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ହତ ପଶୁମାନଙ୍କ ମାଂସ ନେଇ କେଉଁଆଡ଼ର ଅଜ୍ଞାତ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଦେବି?”
११माझी भाकर व माझे पाणी व माझ्या मारलेल्या पशूंचे मांस जे मी आपल्या मेंढरे कातरणाऱ्यांसाठी तयार केले ते घेऊन, ही जी माणसे कोठून आली आहेत हे माला माहित नाही अशांना मी द्यावे काय?”
12 ତହୁଁ ଦାଉଦଙ୍କର ଯୁବାମାନେ ଆପଣା ବାଟରେ ଫେରିଗଲେ ଓ ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସି ସେହି ସବୁ କଥା ତାଙ୍କୁ ଜଣାଇଲେ।
१२मग दावीदाचे तरुण आपल्या वाटेने परत गेले आणि माघारे येऊन त्यांनी हे सर्व शब्द त्यास जसेच्या तसे सांगितले.
13 ଏଥିରେ ଦାଉଦ ଆପଣା ଲୋକମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ପ୍ରତ୍ୟେକେ ଆପଣା ଆପଣା ଖଡ୍ଗ ବାନ୍ଧ।” ତହିଁରେ ସେମାନେ ପ୍ରତ୍ୟେକେ ଆପଣା ଆପଣା ଖଡ୍ଗ ବାନ୍ଧିଲେ ଓ ଦାଉଦ ହିଁ ଆପଣା ଖଡ୍ଗ ବାନ୍ଧିଲେ; ତହୁଁ ଦାଉଦଙ୍କର ପଛରେ ଊଣାଧିକ ଚାରି ଶହ ଲୋକ ଗମନ କଲେ; ପୁଣି, ଦୁଇ ଶହ ଲୋକ ସାମଗ୍ରୀ ପାଖରେ ରହିଲେ।
१३तेव्हा दावीद आपल्या मनुष्यांना म्हणाला, “तुम्ही आपापली तलवार कंबरेस बांधा.” मग प्रत्येकाने आपआपली तलवार कंबरेस बांधली दावीदानेही आपली तलवार कंबरेस बांधली आणि दावीदामागे सुमारे चारशे मनुष्ये वर गेली आणि दोनशे मनुष्ये सामानाजवळ राहिली.
14 ଏଥିମଧ୍ୟରେ ଯୁବାମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଜଣେ ନାବଲର ଭାର୍ଯ୍ୟା ଅବୀଗଲକୁ ଜଣାଇ କହିଲା, “ଦେଖ, ଦାଉଦ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ କର୍ତ୍ତାଙ୍କୁ ମଙ୍ଗଳବାଦ କରିବା ନିମନ୍ତେ ପ୍ରାନ୍ତରରୁ ଦୂତମାନଙ୍କୁ ପଠାଇଥିଲେ, ତହିଁରେ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଖାଇ ଗୋଡ଼ାଇଲେ।
१४नाबालाची पत्नी अबीगईल हिला चाकरातील एकाने सांगितले, “पाहा दावीदाने रानातून आमच्या धन्याला सलाम सांगायला दूत पाठवले. परंतु तो त्यांच्या अंगावर धावून गेला.
15 ମାତ୍ର ସେହି ଲୋକମାନେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ବଡ଼ ଉପକାରୀ, ପୁଣି, ଆମ୍ଭେମାନେ କ୍ଷେତ୍ରରେ ସେମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଥିବାଯାଏ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର କୌଣସି ଅପକାର ହୋଇ ନାହିଁ, କି ଆମ୍ଭେମାନେ କିଛି ହରାଇ ନାହୁଁ।
१५ती माणसे तर आम्हाशी फार चांगली वागली; त्यांनी आम्हास काही उपद्रव केला नाही; जितके दिवस आम्ही रानात त्यांच्याबरोबर राहिलो तितके दिवस आमची काही हानी झाली नाही.
16 ଆମ୍ଭେମାନେ ସେମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ମେଷ ଜଗିବାର ସମୟଯାକ ସେମାନେ ରାତ୍ରିରେ ଓ ଦିନରେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ପ୍ରାଚୀର ସ୍ୱରୂପ ଥିଲେ।
१६आम्ही त्याच्याजवळ मेंढरे राखीत होतो तितके दिवस ती आम्हांला रात्रदिवस तटबंदीसारखी होती.
17 ଏହେତୁ ଏବେ ତୁମ୍ଭର କି କର୍ତ୍ତବ୍ୟ, ଏହା ବିବେଚନା କରି ବୁଝ; କାରଣ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ କର୍ତ୍ତା ଓ ତାଙ୍କର ସମସ୍ତ ଗୃହ ପ୍ରତିକୂଳରେ ଅମଙ୍ଗଳ ସ୍ଥିର ହୋଇଅଛି; ମାତ୍ର ସେ ଏପରି ଦୁଷ୍ଟ ଲୋକ ଯେ, ତାଙ୍କୁ କେହି କିଛି କହି ନ ପାରେ।”
१७तर आता तू काय करणार हे समजून विचार कर कारण आमच्या धन्यावर व त्याच्या सर्व घरावर वाईट येण्याचे ठरले आहे; कारण त्याच्याशी कोणाच्याने बोलवत नाही एवढा तो वाईट आहे.”
18 ତହୁଁ ଅବୀଗଲ ଶୀଘ୍ର ଦୁଇ ଶହ ରୁଟି ଓ ଦୁଇ କୁମ୍ପା ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ଓ ପାଞ୍ଚୋଟି କଟା ମେଷ ଓ ପାଞ୍ଚ ଗଉଣୀ ଭଜା ଶସ୍ୟ ଓ ଶହେ ପେଣ୍ଡା ଦ୍ରାକ୍ଷାଫଳ ଓ ଦୁଇ ଶହ ଡିମ୍ବିରି ଚକ୍ତି ନେଇ ଗଧମାନଙ୍କ ଉପରେ ନଦିଲା।
१८अबीगईलेने घाई करून दोनशे भाकरी व द्राक्षरसाचे दोन बुधले व शिजवून तयार केलेली पाच मेंढरे व पाच मापे हुरडा व खिसमिसाचे शंभर घड व अंजिराच्या दोनशे ढेपा ही घेतली व गाढवावर लादली.
19 ପୁଣି, ସେ ଆପଣା ଯୁବାମାନଙ୍କୁ କହିଲା, “ମୋହର ଆଗେ ଆଗେ ଚାଲ; ଦେଖ, ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ପଛେ ପଛେ ଯାଉଅଛି।” ମାତ୍ର ସେ ଆପଣା ସ୍ୱାମୀ ନାବଲକୁ ଏହା ଜଣାଇଲା ନାହିଁ।
१९तिने आपल्या चाकरांना म्हटले, “माझ्यापुढे चला पाहा मी तुमच्यामागून येते.” परंतु तिने आपला पती नाबाल याला काही सांगितले नाही.
20 ଏରୂପେ ସେ ଗର୍ଦ୍ଦଭ ଉପରେ ଚଢ଼ି ପର୍ବତ ଉହାଡ଼ ନିକଟକୁ ଆସନ୍ତେ, ଦେଖ, ଦାଉଦ ଓ ତାଙ୍କର ଲୋକମାନେ ଅବୀଗଲ ସମ୍ମୁଖରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲେ ଓ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଭେଟିଲା।
२०मग असे झाले की, ती आपल्या गाढवावर बसून डोंगराच्या कडेने जात असता पाहा दावीद व त्याची माणसे समोरून येत होती आणि त्यांना ती भेटली.
21 ପୂର୍ବରେ ଦାଉଦ କହିଥିଲେ, “ମୁଁ ଏଇଟାର ପ୍ରାନ୍ତରରେ ଥିବା ଦ୍ରବ୍ୟସବୁ ଖାଲି ମିଛରେ ଜଗିଲି, ଏହାର ସବୁ ଦ୍ରବ୍ୟରୁ କିଛି ହରଣ ହୋଇ ନାହିଁ; ମାତ୍ର ସେ ଭଲ ପାଲଟେ ମୋର ମନ୍ଦ କରିଅଛି।
२१दावीदाने म्हटले होते की, “रानात त्यांचे जे होते त्या सर्वांतले हरवले नाही असे मी त्यांचे राखले ते व्यर्थ गेले; माझ्याशी बऱ्याची त्याने वाईटाने परत फेड केली आहे.
22 ଏହାର ଯାହା କିଛି ଅଛି, ସେସବୁ ମଧ୍ୟରୁ ଯେବେ ସକାଳ ଆଲୁଅ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଗୋଟିଏ ପୁରୁଷ ପିଲା ଅବଶିଷ୍ଟ ରଖେ, ତେବେ ପରମେଶ୍ୱର ଦାଉଦଙ୍କର ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କୁ ସେହି ଦଣ୍ଡ, ମଧ୍ୟ ତହିଁରୁ ଅଧିକ ଦେଉନ୍ତୁ।”
२२जे काही त्याचे आहे त्या सर्वातून एकही पुरूष जर मी सकाळ उजाडेपर्यंत राहू दिला, तर परमेश्वर दावीदाला तसे व त्यापेक्षा अधिक करो.”
23 ଏଣୁ ଅବୀଗଲ ଦାଉଦଙ୍କୁ ଦେଖନ୍ତେ, ଶୀଘ୍ର ଗର୍ଦ୍ଦଭରୁ ଓହ୍ଲାଇ ଦାଉଦଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ମୁହଁ ମାଡ଼ି ପଡ଼ି ଭୂମିଷ୍ଠ ପ୍ରଣାମ କଲା।
२३अबीगईलेने दावीदाला पाहिले तेव्हा ती लवकर गाढवा वरून उतरली आणि दावीदापुढे उपडे पडून तिने भूमीकडे नमन केले.
24 ପୁଣି, ତାଙ୍କ ଚରଣରେ ପଡ଼ି କହିଲା, “ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ମୋʼ ଉପରେ, ମୋହର ଉପରେ ହିଁ ସେହି ଅପରାଧ ବର୍ତ୍ତୁ; ଆପଣା ଦାସୀକୁ ଆପଣଙ୍କ କର୍ଣ୍ଣଗୋଚରରେ କହିବାକୁ ଦେଉନ୍ତୁ ଓ ଆପଣା ଦାସୀର କଥା ଆପଣ ଶୁଣନ୍ତୁ।
२४तिने त्याच्या पाया पडून म्हटले, “माझ्या प्रभू अन्याय माझ्याकडे माझ्याकडेच असावा आणि मी तुम्हास विनंती करते तुमच्या दासीला तुमच्या कानी काही बोलू द्या, आणि तुम्ही आपल्या दासीचे शब्द ऐका.
25 ବିନୟ କରୁଅଛି, ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ସେହି ଦୁଷ୍ଟ ମନୁଷ୍ୟ ନାବଲକୁ ମନରେ ନ କରନ୍ତୁ; କାରଣ ତାହାର ନାମ ଯେପରି, ସେ ସେପରି; ତାହାର ନାମ ନାବଲ ଓ ମୂଢ଼ତା ତାହାଠାରେ ଅଛି; ମାତ୍ର ଆପଣଙ୍କ ଏହି ଦାସୀ ମୋହର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ପ୍ରେରିତ ଯୁବାମାନଙ୍କୁ ଦେଖି ନାହିଁ।
२५मी तुम्हास विनंती करते, माझ्या प्रभूने त्या वाईट मनुष्यास नाबालाला मारू नये, कारण जसे त्याचे नाव तसाच आहे, त्याचे नाव नाबाल (म्हणजे मूर्ख) असे आहे. आणि त्याच्याठायी मूर्खपणच आहे. परंतु माझ्या प्रभूची तरुण माणसे जी तुम्ही पाठवली त्यांना मी तुमच्या दासीने पाहिले नाही.
26 ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ସଦାପ୍ରଭୁ ତ ଆପଣଙ୍କୁ ରକ୍ତପାତ ଦୋଷରୁ ଓ ଆପଣଙ୍କ ନିଜ ହସ୍ତରେ ଆତ୍ମ-ପ୍ରତିକାର କରିବାରୁ ବାରଣ କଲେ, ଏହେତୁ ସଦାପ୍ରଭୁ ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ ଓ ଆପଣ ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ ଆପଣଙ୍କ ଶତ୍ରୁମାନେ ଓ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଅମଙ୍ଗଳ ଅନ୍ୱେଷଣକାରୀମାନେ ନାବଲ ପରି ହେଉନ୍ତୁ।
२६तर आता माझ्या प्रभू परमेश्वर जिवंत आहे आणि तुझा जीव जिवंत आहे. रक्त पाडण्याच्या दोषापासून आणि आपल्या हाताने सूड घेण्यापासून परमेश्वराने तुम्हास आवरले आहे. तर आता जे तुमचे शत्रू व जे माझ्या प्रभूचे वाईट करायला पाहतात ते नाबालासारखे होवोत.
27 ଏଣୁ ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯେଉଁ ଭେଟି ଆଣିଅଛି, ତାହା ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଅନୁଗାମୀ ଯୁବାମାନଙ୍କୁ ଦିଆଯାଉ।
२७आता ही जी भेट तुमच्या दासीने माझ्या प्रभूकडे आणली आहे ती माझ्या प्रभूच्यामागून चालणाऱ्या तरुण मनुष्यांना द्यावी.
28 ବିନୟ କରୁଅଛି, ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀର ଅପରାଧ କ୍ଷମା କରନ୍ତୁ; ମୋର ପ୍ରଭୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ପକ୍ଷରେ ଯୁଦ୍ଧ କରୁଅଛନ୍ତି, ଏଥିପାଇଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଗୃହ ନିଶ୍ଚୟ ସୁସ୍ଥିର କରିବେ ଓ ଯାବଜ୍ଜୀବନ ଆପଣଙ୍କଠାରେ ମନ୍ଦତା ଦେଖା ନ ଯିବ।
२८मी तुम्हास विनंती करते, तुम्ही आपल्या दासीच्या अपराधाची क्षमा करा; कारण माझे प्रभू परमेश्वराच्या लढाया लढत आहेत, म्हणून परमेश्वर माझ्या प्रभूचे घर खरोखर स्थिर करील; आणि तुम्ही जिवंत आहात तो पर्यंत तुमच्याठाई दुष्टाई सापडणार नाही.
29 ପୁଣି, ମନୁଷ୍ୟ ଆପଣଙ୍କୁ ତାଡ଼ନା କରିବାକୁ ଓ ଆପଣଙ୍କ ପ୍ରାଣ ନେବାକୁ ଉଠିଲେ ହେଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣଙ୍କ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ନିକଟରେ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ପ୍ରାଣ ଜୀବନରୂପ ଗଣ୍ଠିଲୀରେ ଗଣ୍ଠି ପଡ଼ି ରହିବ; ମାତ୍ର ସେ ଆପଣଙ୍କ ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କ ପ୍ରାଣକୁ ଛାଟିଣୀଖୋଲରୁ ଫିଙ୍ଗିଦେଲା ପରି ଫିଙ୍ଗି ଦେବେ।
२९जरी मनुष्ये उठून तुमच्या पाठीस लागले व तुमचा जीव घ्यायला पाहत असले, तरी माझ्या प्रभूचा जीव परमेश्वर तुमचा देव याच्याजवळ जीवांच्या समुहात बांधलेला राहील, आणि जसे गोफणीच्या खळग्यातून फेकतात, तसे तुमच्या शत्रूंचे जीव तो गोफणीतून फेकून देईल.
30 ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣଙ୍କ ବିଷୟରେ ଯେସମସ୍ତ ମଙ୍ଗଳ କଥା କହିଅଛନ୍ତି, ତାହା ଯେତେବେଳେ ସେ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ପ୍ରତି ସଫଳ କରି ଆପଣଙ୍କୁ ଇସ୍ରାଏଲର ଅଗ୍ରଣୀ ରୂପେ ନିଯୁକ୍ତ କରିବେ,
३०असे होईल की, परमेश्वराने तुमच्यविषयी जे चांगले सांगितले आहे, ते सर्व तो माझ्या प्रभूचे करून तुम्हास इस्राएलाचा अधिपती नेमील.
31 ସେତେବେଳେ ଆପଣ ଅକାରଣରେ ରକ୍ତପାତ କଲେ, କିଅବା ମୋର ପ୍ରଭୁ ନିଜେ ଆତ୍ମ-ପ୍ରତିକାର କଲେ ବୋଲି ଆପଣଙ୍କର ବିଘ୍ନ କି ହୃଦୟର ବ୍ୟସ୍ତତା ଜନ୍ମିବ ନାହିଁ; ମାତ୍ର ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ମଙ୍ଗଳ କରିବା ବେଳେ ଆପଣଙ୍କର ଏହି ଦାସୀକୁ ସ୍ମରଣ କରିବେ।”
३१तेव्हा माझ्या प्रभूने विनाकारण रक्त पाडले व सूड घेतला ह्याबद्दल तुम्हास खेद होणार नाही किंवा मनाचा संताप माझ्या प्रभूला होणार नाही. आणि परमेश्वर माझ्या प्रभूचे बरे करील तेव्हा तुम्ही आपल्या दासीचे स्मरण करा.”
32 ଏଥିରେ ଦାଉଦ ଅବୀଗଲକୁ କହିଲେ, “ଆଜି ଯେ ମୋʼ ସଙ୍ଗରେ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ ତୁମ୍ଭକୁ ପଠାଇଲେ, ସେହି ସଦାପ୍ରଭୁ ଇସ୍ରାଏଲର ପରମେଶ୍ୱର ଧନ୍ୟ ହେଉନ୍ତୁ;
३२तेव्हा दावीद अबीगईलेला म्हणाला, “परमेश्वर इस्राएलाचा देव ज्याने तुला आज मला भेटायला पाठवले तो धन्यवादित असो.
33 ପୁଣି, ତୁମ୍ଭର ସୁବିଚାର ଧନ୍ୟ ହେଉ ଓ ଆଜି ମୋତେ ରକ୍ତପାତ ଦୋଷରୁ ଓ ମୋର ନିଜ ହସ୍ତରେ ଆତ୍ମ-ପ୍ରତିକାରରୁ ନିବୃତ୍ତ କଲ ଯେ ତୁମ୍ଭେ, ତୁମ୍ଭେ ଧନ୍ୟା ହୁଅ।
३३तुझा बोध आशीर्वादित होवो; आज रक्त पाडण्याच्या दोषापासून आणि आपल्या हाताने सूड घेण्यापासून मला जिने आवरिले ती तू आशीर्वादित हो.
34 କାରଣ ତୁମ୍ଭକୁ ହିଂସା କରିବାରୁ ମୋତେ ବାରଣ କଲେ ଯେ ସଦାପ୍ରଭୁ ଇସ୍ରାଏଲର ପରମେଶ୍ୱର, ତାହାଙ୍କର ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ ଏହା ସତ୍ୟ ଯେ, ତୁମ୍ଭେ ଶୀଘ୍ର ମୋତେ ଭେଟିବା ପାଇଁ ଆସି ନ ଥିଲେ, ସକାଳ ଆଲୁଅ ବେଳକୁ ନାବଲର ଗୋଟିଏ ପୁରୁଷ ପିଲା ଅବଶିଷ୍ଟ ନ ଥାଆନ୍ତା।”
३४कारण तुझे वाईट मी करणार होतो ते ज्याने मला करू दिले नाही तो इस्राएलाचा देव परमेश्वर जिवंत आहे; जर तू मला भेटायला लवकर आली नसतीस तर खचित नाबालाचा एक पुरूष देखील सकाळ उजाडेपर्यंत जिवंत राहिला नसता.”
35 ତହୁଁ ସେ ତାଙ୍କ ପାଇଁ ଯାହା ଆଣିଥିଲା, ଦାଉଦ ତାହା ହସ୍ତରୁ ତାହା ଗ୍ରହଣ କଲେ ଓ ତାହାକୁ କହିଲେ, “କୁଶଳରେ ଆପଣା ଗୃହକୁ ଯାଅ; ଦେଖ, ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ରବ ଶୁଣିଲି ଓ ତୁମ୍ଭକୁ ଗ୍ରାହ୍ୟ କଲି।”
३५मग जे तिने दावीदासाठी आणले होते ते त्याने तिच्या हातातून घेतले व तिला म्हटले, “तू आपल्या घरी शांतीने जा, पाहा मी तुझी वाणी ऐकली आहे आणि तुला मान्य केले आहे.”
36 ଏଉତ୍ତାରେ ଅବୀଗଲ ନାବଲ ନିକଟକୁ ଆସିଲା, ସେତେବେଳେ ଦେଖ, ସେ ଆପଣା ଗୃହରେ ରାଜଭୋଜ ପରି ଭୋଜ କରିଥିଲା; ପୁଣି, ନାବଲ ଅତିଶୟ ମତ୍ତ ଥିବାରୁ ତାହାର ମନ ଅତି ପ୍ରଫୁଲ୍ଲ ଥିଲା; ଏହେତୁ ସକାଳ ଆଲୁଅ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅବୀଗଲ ତାହାକୁ ଅଳ୍ପ ବା ବହୁତ କୌଣସି କଥା ଜଣାଇଲା ନାହିଁ।
३६मग अबीगईल नाबालाकडे आली आणि पाहा त्याने आपल्या घरी राजाच्या मेजवाणीसारखी मेजवाणी केली होती. तेव्हा नाबालाचे मन त्याच्या आत संतुष्ट होते कारण तो मद्य पिऊन फार मस्त झाला होता, म्हणून तिने पहाट उजाडेपर्यंत त्यास अधिक उणे काहीच सांगितले नाही.
37 ମାତ୍ର ପ୍ରାତଃକାଳରେ ନାବଲର ମତ୍ତତା ତୁଟନ୍ତେ, ତାହାର ଭାର୍ଯ୍ୟା ତାହାକୁ ସେହି ସବୁ କଥା ଜଣାଇଲା; ତହିଁରେ ତାହାର ହୃଦୟ ତାହା ଅନ୍ତରରେ ମରିଗଲା ଓ ସେ ପଥର ପରି ହୋଇଗଲା।
३७मग असे झाले की, सकाळी नाबालाची नशा उतरल्यावर त्याच्या पत्नीने या गोष्टी त्यास सांगितल्या तेव्हा त्याचे मन त्याच्या आत मेल्यासारखे झाले व तो दगडासारखा झाला.
38 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଊଣାଧିକ ଦଶ ଦିନ ଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ନାବଲକୁ ଆଘାତ କରନ୍ତେ, ସେ ମଲା।
३८नंतर असे झाले की, सुमारे दहा दिवसानंतर परमेश्वराने नाबालाला मारले व तो मेला.
39 ଏଉତ୍ତାରେ ନାବଲ ମରିଅଛି, ଏହା ଦାଉଦ ଶୁଣି କହିଲେ, “ନାବଲ ହସ୍ତରୁ ମୋହର ଅପମାନଜନକ ବିବାଦର ପ୍ରତିବାଦ କଲେ ଓ ଆପଣା ଦାସକୁ ମନ୍ଦ କର୍ମରୁ ନିବୃତ୍ତ କଲେ ଯେ ସଦାପ୍ରଭୁ, ସେ ଧନ୍ୟ ହେଉନ୍ତୁ; ଆଉ ସଦାପ୍ରଭୁ ନାବଲର ମନ୍ଦ କର୍ମର ପ୍ରତିଫଳ ତାହା ମସ୍ତକରେ ବର୍ତ୍ତାଇଅଛନ୍ତି।” ଏଉତ୍ତାରେ ଦାଉଦ ଅବୀଗଲକୁ ବିବାହ କରିବା ବିଷୟ କଥାବାର୍ତ୍ତା କରିବା ପାଇଁ ତାହା ନିକଟକୁ ଲୋକ ପଠାଇଲେ।
३९नाबाल मेला असे दावीदाने ऐकले, तेव्हा तो म्हणाला, “ज्याने माझ्या अपमानाचा सूड नाबालावर उगवला आहे आणि ज्याने आपल्या सेवकाला वाईट करण्यापासून आवरून धरले तो परमेश्वर धन्यवादीत असो. परमेश्वराने नाबालाची दुष्टाई त्याच्याच मस्तकावर परत घातली आहे.” मग दावीदाने अबीगईलेकडे सेवकाला पाठवून तिला आपली पत्नी करण्याविषयीची गोष्ट काढली.
40 ତହୁଁ ଦାଉଦଙ୍କର ଦାସମାନେ କର୍ମିଲକୁ; ଅବୀଗଲ କତିକି ଆସି ତାହାକୁ କହିଲେ, “ଦାଉଦ ତୁମ୍ଭକୁ ବିବାହ କରିବା ପାଇଁ ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ନେବାକୁ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ତୁମ୍ଭ କତିକି ପଠାଇଅଛନ୍ତି।”
४०आणि दावीदाने चाकर कर्मेलास अबीगईलेकडे येऊन तिला म्हणाले, “दावीदाने तू त्याची पत्नी व्हावे म्हणून आम्हांला तूझ्याकडे पाठवले आहे.”
41 ଏଥିରେ ସେ ଉଠି ଭୂମିଷ୍ଠ ପ୍ରଣାମ କରି କହିଲା, “ଦେଖ, ତୁମ୍ଭ ଦାସୀ ମୋହର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦାସମାନଙ୍କ ପାଦ ଧୋଇବା ଦାସୀ।”
४१तेव्हा ती उठून भूमीकडे लवून नमली व म्हणाली, “पाहा तुमची दासी माझ्या प्रभूच्या चाकरांचे पाय धुवायला चाकरीण होण्यास तयार आहे.”
42 ତହୁଁ ଅବୀଗଲ ନିଜର ପାଞ୍ଚ ଅନୁଚରୀ ଯୁବତୀଙ୍କି ସଙ୍ଗେ ଘେନି ଶୀଘ୍ର ଉଠି ଗର୍ଦ୍ଦଭ ଉପରେ ଆରୋହଣ କଲା; ପୁଣି, ସେ ଦାଉଦଙ୍କର ଦୂତମାନଙ୍କ ପଶ୍ଚାଦ୍‍ଗମନ କରି ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ହେଲା।
४२मग अबीगईल घाई करून उठली व गाढवावर बसून निघाली आणि तिच्या पाच सख्या तिच्या मागे गेल्या; आणि ती दावीदाच्या सेवकाच्या मागून गेली आणि त्याची पत्नी झाली.
43 ମଧ୍ୟ ଦାଉଦ ଯିଷ୍ରିୟେଲୀୟା ଅହୀନୋୟମକୁ ବିବାହ କଲେ; ତହିଁରେ ସେ ଦୁହେଁ ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ହେଲେ।
४३दावीदाने इज्रेलकरीण अहीनवामलाही पत्नी करून घेतले; त्या दोघीही त्याच्या स्त्रिया झाल्या.
44 ମାତ୍ର ଶାଉଲ ଆପଣା ମୀଖଲ ନାମ୍ନୀ କନ୍ୟା ଦାଉଦଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟାକୁ ଗଲ୍ଲୀମ ନିବାସୀ ଲୟିଶର ପୁତ୍ର ପଲ୍ଟିକୁ ଦେଇଥିଲେ।
४४शौलाने तर आपली मुलगी मीखल दावीदाची पत्नी गल्लीमातील लईशाचा मुलगा पालती याला दिली होती.

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