< स्तोत्रसंहिता 38 >

1 आठवण देण्यासाठी, दाविदाचे स्तोत्र. परमेश्वरा, तुझ्या क्रोधात मला ताडना करू नकोस, आणि तुझ्या कोपात मला शिक्षा करू नकोस.
ଦାଉଦଙ୍କର ଗୀତ, ସ୍ମରଣୋପାୟ। ହେ ସଦାପ୍ରଭୋ, ତୁମ୍ଭ କୋପରେ ମୋତେ ଅନୁଯୋଗ କର ନାହିଁ; କିଅବା ତୁମ୍ଭ ପ୍ରଚଣ୍ଡ କ୍ରୋଧରେ ମୋତେ ଶାସ୍ତି ଦିଅ ନାହିଁ।
2 कारण तुझे बाण मला छेदतात, आणि तुझा हात मला खाली दाबतो आहे.
କାରଣ ତୁମ୍ଭର ତୀରସବୁ ମୋʼ ଠାରେ ବିଦ୍ଧ ରହିଅଛି ଓ ତୁମ୍ଭର ହସ୍ତ ମୋତେ ଅତିଶୟ ଚାପୁଅଛି।
3 माझे सर्व शरीर तुझ्या क्रोधाने आजारी झाले आहे. आणि माझ्या अपराधांमुळे माझ्या हाडांत स्वस्थता नाही.
ତୁମ୍ଭ କୋପ ସକାଶୁ ମୋʼ ଶରୀର କିଛି ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ନାହିଁ; ପୁଣି, ମୋʼ ପାପ ସକାଶୁ ମୋʼ ଅସ୍ଥିରେ କିଛି ଆରାମ ନାହିଁ।
4 कारण माझ्या वाईट गोष्टींनी मला दडपून टाकले आहे. ते माझ्याकरिता फार जड असे ओझे झाले आहे.
କାରଣ ମୋହର ଅପରାଧ ମୋʼ ମସ୍ତକ ଉପରେ ଉଠିଅଛି; ତାହାସବୁ ମୋʼ ଶକ୍ତି ଅପେକ୍ଷା ଭାରୀ ବୋଝ ସ୍ୱରୂପ।
5 माझ्या पापाच्या मूर्खपणामुळे, माझ्या जखमा संसर्गजन्य आणि दुर्गंधित झाल्या आहेत.
ମୋହର ଅଜ୍ଞାନତା ସକାଶୁ ମୋହର କ୍ଷତସବୁ ଦୁର୍ଗନ୍ଧ ଓ ବିକୃତ ହୋଇଅଛି।
6 मी वाकलो आहे आणि प्रत्येक दिवशी मानहानी होते; दिवसभर मी शोक करतो.
ମୁଁ ବ୍ୟଥିତ ଓ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଅବନତ ହୋଇଅଛି। ମୁଁ ସାରାଦିନ ଶୋକ କରି ବୁଲୁଥାଏ।
7 कारण लज्जेने मला गाठले आहे, आणि माझे सर्व शरीर आजारी आहे.
କାରଣ ମୋʼ କଟିଦେଶ ଜ୍ୱାଳାରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଓ ମୋହର ମାଂସରେ କିଛି ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ନାହିଁ।
8 मी बधिर आणि पूर्णपणे ठेचला गेलो आहे. आपल्या हृदयाच्या तळमळीने मी कण्हतो.
ମୁଁ କ୍ଷୀଣ ଓ ଅତିଶୟ ଚୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଅଛି। ମୁଁ ଆପଣା ଚିତ୍ତର ଅସ୍ଥିରତା ହେତୁରୁ ଆର୍ତ୍ତନାଦ କରିଅଛି।
9 हे प्रभू, तू माझ्या हृदयाची खोल उत्कंठ इच्छा समजतोस, आणि माझे कण्हणे तुझ्यापासून लपले नाही.
ହେ ପ୍ରଭୋ, ମୋହର ସକଳ ବାଞ୍ଛା ତୁମ୍ଭ ସମ୍ମୁଖରେ ଅଛି ଓ ମୋହର କାତରୋକ୍ତି ତୁମ୍ଭଠାରୁ ଗୁପ୍ତ ନୁହେଁ।
10 १० माझे हृदय धडधडत आहे, माझी शक्ती क्षीण झाली आहे आणि माझी दृष्टीही अंधुक झाली आहे.
ମୋହର ହୃଦୟ ଧୁକ୍‍ଧୁକ୍‍ କରୁଅଛି, ମୋହର ବଳ କ୍ଷୀଣ ହେଉଅଛି; ମୋହର ଚକ୍ଷୁର ତେଜ ମଧ୍ୟ ମୋʼ ଠାରୁ ଗଲାଣି।
11 ११ माझ्या परिस्थितीमुळे माझे मित्र आणि माझे सोबती मला टाळतात, माझे शेजारी माझ्यापासून लांब उभे राहतात.
ମୋହର ପ୍ରିୟ ଲୋକେ ଓ ମୋହର ମିତ୍ରମାନେ ମୋʼ ବ୍ୟାଧିରୁ ଅଲଗା ଠିଆ ହୁଅନ୍ତି ଓ ମୋହର ଜ୍ଞାତିବର୍ଗ ଦୂରରେ ଠିଆ ହୁଅନ୍ତି।
12 १२ जे माझा जीव घेऊ पाहतात ते माझ्यासाठी पाश मांडतात. जे माझी हानी करू पाहतात ते दिवसभर विध्वंसक आणि कपटाचे शब्द बोलतात.
ମଧ୍ୟ ଯେଉଁମାନେ ମୋʼ ପ୍ରାଣ ଚାହାନ୍ତି, ସେମାନେ ମୋʼ ପାଇଁ ଫାନ୍ଦ ପାତନ୍ତି; ପୁଣି, ଯେଉଁମାନେ ମୋହର ଅନିଷ୍ଟ ଇଚ୍ଛା କରନ୍ତି, ସେମାନେ ସର୍ବନାଶର କଥା କହନ୍ତି ଓ ସାରାଦିନ ଛଳର ଚିନ୍ତା କରନ୍ତି।
13 १३ मी तर बहिर्‍यासारखा होऊन ऐकत नाही; मुक्यासारखा मी आपले तोंड उघडत नाही.
ମାତ୍ର ମୁଁ ବଧିର ଲୋକ ପରି ଶୁଣୁ ନାହିଁ; ପୁଣି, ମୁଁ ମୁଖ ନ ଫିଟାଇବା ଘୁଙ୍ଗା ଲୋକ ତୁଲ୍ୟ ହୁଏ।
14 १४ ऐकू न येणाऱ्या माणसासारखा मी आहे, ज्याच्याकडे काही उत्तर नाही.
ଆହୁରି, ଯେ ନ ଶୁଣେ ଓ ଯାହାର ମୁଖରେ ପ୍ରତିବାଦ ନ ଥାଏ, ଏପରି ଲୋକ ତୁଲ୍ୟ ହୁଏ।
15 १५ परमेश्वरा, खचित मी तुझी वाट पाहीन. प्रभू माझ्या देवा, तू मला उत्तर देशील.
କାରଣ ହେ ସଦାପ୍ରଭୋ, ମୁଁ ତୁମ୍ଭଠାରେ ଭରସା ରଖେ; ହେ ପ୍ରଭୋ, ମୋର ପରମେଶ୍ୱର, ତୁମ୍ଭେ ଉତ୍ତର ଦେବ।
16 १६ कारण मी जर म्हणालो तू उत्तर दिले नाही, तर माझे शत्रू माझ्यावर आनंद करतील. जर माझा पाय घसरला, तर ते भयानक गोष्टी करतील.
କାରଣ ମୁଁ କହିଲି, “କେଜାଣି ମୋହର ଶତ୍ରୁମାନେ ମୋʼ ଉପରେ ଆନନ୍ଦ କରିବେ; ମୋʼ ପାଦ ଖସିଗଲା ବେଳେ ସେମାନେ ମୋʼ ପ୍ରତିକୂଳରେ ଦର୍ପ କରନ୍ତି।”
17 १७ कारण मी अडखळून पडण्याच्या बेतास आलो आहे, आणि मी सतत यातनेत आहे.
ଯେଣୁ ମୁଁ ଝୁଣ୍ଟି ପଡ଼ିବାକୁ ଉଦ୍ୟତ ଓ ମୋହର ଦୁଃଖ ସର୍ବଦା ମୋʼ ସମ୍ମୁଖରେ ଥାଏ।
18 १८ मी माझा अपराध कबूल करतो; मी माझ्या पापासंबंधी चिंताकुल आहे.
ମୁଁ ଆପଣା ଅପରାଧ ପ୍ରକାଶ କରିବି; ମୁଁ ଆପଣା ପାପ ଲାଗି ଖେଦିତ ହେବି।
19 १९ परंतु माझे शत्रू असंख्य आहेत; जे माझा वाईटाने द्वेष करतात ते पुष्कळ आहेत.
ମାତ୍ର ମୋହର ଶତ୍ରୁମାନେ ସତେଜ ଓ ବଳବାନ; ପୁଣି, ଅନ୍ୟାୟରେ ମୋତେ ଘୃଣା କରିବା ଲୋକେ ବହୁସଂଖ୍ୟକ ହୋଇଅଛନ୍ତି।
20 २० माझ्या चांगल्याची परतफेड ते वाईटाने करतात. जरी मी चांगले अनुसरलो. तरी माझ्यावर ते दोषारोपण करतात.
ମଧ୍ୟ ଯେଉଁମାନେ ହିତର ପରିବର୍ତ୍ତେ ଅହିତ କରନ୍ତି, ସେମାନେ ମୋହର ବିପକ୍ଷ; କାରଣ ମୁଁ ଉତ୍ତମ ବିଷୟର ଅନୁଗମନ କରେ।
21 २१ हे परमेश्वरा, मला सोडू नकोस; माझ्या देवा, माझ्यापासून दूर राहू नकोस.
ହେ ସଦାପ୍ରଭୋ, ମୋତେ ପରିତ୍ୟାଗ କର ନାହିଁ; ହେ ମୋହର ପରମେଶ୍ୱର, ମୋʼ ଠାରୁ ଦୂରବର୍ତ୍ତୀ ହୁଅ ନାହିଁ।
22 २२ हे प्रभू, माझ्या तारणाऱ्या, माझे साहाय्य करण्यास त्वरा कर.
ହେ ପ୍ରଭୋ, ମୋହର ପରିତ୍ରାଣ, ମୋହର ସାହାଯ୍ୟ କରିବାକୁ ସତ୍ୱର ହୁଅ।

< स्तोत्रसंहिता 38 >