< Iudicum 2 >
1 Ascenditque Angelus Domini de Galgalis ad Locum flentium, et ait: Eduxi vos de Ægypto, et introduxi in Terram, pro qua iuravi patribus vestris: et pollicitus sum ut non facerem irritum pactum meum vobiscum in sempiternum:
१यहोवा का दूत गिलगाल से बोकीम को जाकर कहने लगा, “मैंने तुम को मिस्र से ले आकर इस देश में पहुँचाया है, जिसके विषय में मैंने तुम्हारे पुरखाओं से शपथ खाई थी। और मैंने कहा था, ‘जो वाचा मैंने तुम से बाँधी है, उसे मैं कभी न तोड़ूँगा;
2 ita dumtaxat ut non feriretis fœdus cum habitatoribus Terræ huius, sed aras eorum subverteretis: et noluistis audire vocem meam: cur hoc fecistis?
२इसलिए तुम इस देश के निवासियों से वाचा न बाँधना; तुम उनकी वेदियों को ढा देना।’ परन्तु तुम ने मेरी बात नहीं मानी। तुम ने ऐसा क्यों किया है?
3 Quam ob rem nolui delere eos a facie vestra: ut habeatis hostes, et dii eorum sint vobis in ruinam.
३इसलिए मैं कहता हूँ, ‘मैं उन लोगों को तुम्हारे सामने से न निकालूँगा; और वे तुम्हारे पाँजर में काँटे, और उनके देवता तुम्हारे लिये फंदा ठहरेंगे।’”
4 Cumque loqueretur Angelus Domini hæc verba ad omnes filios Israel: elevaverunt ipsi vocem suam, et fleverunt.
४जब यहोवा के दूत ने सारे इस्राएलियों से ये बातें कहीं, तब वे लोग चिल्ला चिल्लाकर रोने लगे।
5 Et vocatum est nomen loci illius: Locus flentium, sive lacrymarum: immolaveruntque ibi hostias Domini.
५और उन्होंने उस स्थान का नाम बोकीम रखा। और वहाँ उन्होंने यहोवा के लिये बलि चढ़ाई।
6 Dimisit ergo Iosue populum, et abierunt filii Israel unusquisque in possessionem suam, ut obtinerent eam:
६जब यहोशू ने लोगों को विदा किया था, तब इस्राएली देश को अपने अधिकार में कर लेने के लिये अपने-अपने निज भाग पर गए।
7 servieruntque Domino cunctis diebus eius, et seniorum, qui longo post eum vixerunt tempore, et noverant omnia opera Domini, quæ fecerat cum Israel.
७और यहोशू के जीवन भर, और उन वृद्ध लोगों के जीवन भर जो यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और देख चुके थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिये कैसे-कैसे बड़े काम किए हैं, इस्राएली लोग यहोवा की सेवा करते रहे।
8 Mortuus est autem Iosue filius Nun, famulus Domini, centum et decem annorum,
८तब यहोवा का दास नून का पुत्र यहोशू एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया।
9 et sepelierunt eum in finibus possessionis suæ in Thamnathsare in monte Ephraim, a Septentrionali plaga montis Gaas.
९और उसको तिम्नथेरेस में जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नामक पहाड़ के उत्तरी ओर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई।
10 Omnisque illa generatio congregata est ad patres suos: et surrexerunt alii, qui non noverant Dominum, et opera quæ fecerat cum Israel.
१०और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपने-अपने पितरों में मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उसने इस्राएल के लिये किया था।
11 Feceruntque filii Israel malum in conspectu Domini, et servierunt Baalim.
११इसलिए इस्राएली वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और बाल नामक देवताओं की उपासना करने लगे;
12 Ac dimiserunt Dominum Deum patrum suorum, qui eduxerat eos de Terra Ægypti: et secuti sunt deos alienos, deosque populorum, qui habitabant in circuitu eorum, et adoraverunt eos: et ad iracundiam concitaverunt Dominum,
१२वे अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा को, जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, त्याग कर पराए देवताओं की उपासना करने लगे, और उन्हें दण्डवत् किया; और यहोवा को रिस दिलाई।
13 dimittentes eum, et servientes Baal et Astaroth.
१३वे यहोवा को त्याग कर बाल देवताओं और अश्तोरेत देवियों की उपासना करने लगे।
14 Iratusque Dominus contra Israel, tradidit eos in manus diripientium: qui ceperunt eos, et vendiderunt hostibus, qui habitabant per gyrum: nec potuerunt resistere adversariis suis:
१४इसलिए यहोवा का कोप इस्राएलियों पर भड़क उठा, और उसने उनको लुटेरों के हाथ में कर दिया जो उन्हें लूटने लगे; और उसने उनको चारों ओर के शत्रुओं के अधीन कर दिया; और वे फिर अपने शत्रुओं के सामने ठहर न सके।
15 sed quocumque pergere voluissent, manus Domini super eos erat, sicut locutus est, et iuravit eis: et vehementer afflicti sunt.
१५जहाँ कहीं वे बाहर जाते वहाँ यहोवा का हाथ उनकी बुराई में लगा रहता था, जैसे यहोवा ने उनसे कहा था, वरन् यहोवा ने शपथ खाई थी; इस प्रकार वे बड़े संकट में पड़ गए।
16 Suscitavitque Dominus iudices, qui liberarent eos de vastantium manibus: sed nec eos audire voluerunt,
१६तो भी यहोवा उनके लिये न्यायी ठहराता था जो उन्हें लूटनेवाले के हाथ से छुड़ाते थे।
17 fornicantes cum diis alienis, et adorantes eos. Cito deseruerunt viam, per quam ingressi fuerant patres eorum: et audientes mandata Domini, omnia fecere contraria.
१७परन्तु वे अपने न्यायियों की भी नहीं मानते थे; वरन् व्यभिचारिणी के समान पराए देवताओं के पीछे चलते और उन्हें दण्डवत् करते थे; उनके पूर्वज जो यहोवा की आज्ञाएँ मानते थे, उनकी उस लीक को उन्होंने शीघ्र ही छोड़ दिया, और उनके अनुसार न किया।
18 Cumque Dominus iudices suscitaret, in diebus eorum flectebatur misericordia, et audiebat afflictorum gemitus, et liberabat eos de cæde vastantium.
१८जब जब यहोवा उनके लिये न्यायी को ठहराता तब-तब वह उस न्यायी के संग रहकर उसके जीवन भर उन्हें शत्रुओं के हाथ से छुड़ाता था; क्योंकियहोवा उनका कराहना जो अंधेर और उपद्रव करनेवालों के कारण होता था सुनकर दुःखी था।
19 Postquam autem mortuus esset iudex, revertebantur, et multo faciebant peiora quam fecerant patres eorum, sequentes deos alienos, servientes eis, et adorantes illos. Non dimiserunt adinventiones suas, et viam durissimam, per quam ambulare consueverunt.
१९परन्तु जब न्यायी मर जाता, तब वे फिर पराए देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना करते, और उन्हें दण्डवत् करके अपने पुरखाओं से अधिक बिगड़ जाते थे; और अपने बुरे कामों और हठीली चाल को नहीं छोड़ते थे।
20 Iratusque est furor Domini in Israel, et ait: Quia irritum fecit gens ista pactum meum, quod pepigeram cum patribus eorum, et vocem meam audire contempsit:
२०इसलिए यहोवा का कोप इस्राएल पर भड़क उठा; और उसने कहा, “इस जाति ने उस वाचा को जो मैंने उनके पूर्वजों से बाँधी थी तोड़ दिया, और मेरी बात नहीं मानी,
21 et ego non delebo gentes, quas dimisit Iosue, et mortuus est:
२१इस कारण जिन जातियों को यहोशू मरते समय छोड़ गया है उनमें से मैं अब किसी को उनके सामने से न निकालूँगा;
22 ut in ipsis experiar Israel, utrum custodiant viam Domini, et ambulent in ea, sicut custodierunt patres eorum, an non.
२२जिससे उनके द्वारा मैं इस्राएलियों की परीक्षा करूँ, कि जैसे उनके पूर्वज मेरे मार्ग पर चलते थे वैसे ही ये भी चलेंगे कि नहीं।”
23 Dimisit ergo Dominus omnes nationes has, et cito subvertere noluit, nec tradidit in manus Iosue.
२३इसलिए यहोवा ने उन जातियों को एकाएक न निकाला, वरन् रहने दिया, और उसने उन्हें यहोशू के हाथ में भी उनको न सौंपा था।