< भजन संहिता 136 >
1 १ यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करुणा सदा की है।
O give thanks to the LORD! for he is kind; For his goodness endureth for ever!
2 २ जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करुणा सदा की है।
O give thanks to the God of gods; For his goodness endureth for ever!
3 ३ जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करुणा सदा की है।
O give thanks to the Lord of lords; For his goodness endureth for ever!
4 ४ उसको छोड़कर कोई बड़े-बड़े आश्चर्यकर्म नहीं करता, उसकी करुणा सदा की है।
To him that alone doeth great wonders; For his goodness endureth for ever!
5 ५ उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करुणा सदा की है।
To him that made the heavens with wisdom; For his goodness endureth for ever!
6 ६ उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करुणा सदा की है।
To him that spread out the earth upon the waters; For his goodness endureth for ever!
7 ७ उसने बड़ी-बड़ी ज्योतियाँ बनाईं, उसकी करुणा सदा की है।
To him that made the great lights; For his goodness endureth for ever!
8 ८ दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।
The sun to rule the day; For his goodness endureth for ever!
9 ९ और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।
The moon and stars to rule the night; For his goodness endureth for ever!
10 १० उसने मिस्रियों के पहिलौठों को मारा, उसकी करुणा सदा की है।
To him that smote in Egypt their first-born; For his goodness endureth for ever!
11 ११ और उनके बीच से इस्राएलियों को निकाला, उसकी करुणा सदा की है।
And brought Israel from the midst of them; For his goodness endureth for ever!
12 १२ बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाया, उसकी करुणा सदा की है।
With a strong hand and an outstretched arm; For his goodness endureth for ever!
13 १३ उसने लाल समुद्र को विभाजित कर दिया, उसकी करुणा सदा की है।
To him who divided the Red sea into parts; For his goodness endureth for ever!
14 १४ और इस्राएल को उसके बीच से पार कर दिया, उसकी करुणा सदा की है;
And made Israel to pass through the midst of it; For his goodness endureth for ever!
15 १५ और फ़िरौन को उसकी सेना समेत लाल समुद्र में डाल दिया, उसकी करुणा सदा की है।
And overthrew Pharaoh and his host in the Red sea; For his goodness endureth for ever!
16 १६ वह अपनी प्रजा को जंगल में ले चला, उसकी करुणा सदा की है।
To him who led his people through the wilderness; For his goodness endureth for ever!
17 १७ उसने बड़े-बड़े राजा मारे, उसकी करुणा सदा की है।
To him who smote great kings; For his goodness endureth for ever!
18 १८ उसने प्रतापी राजाओं को भी मारा, उसकी करुणा सदा की है;
And slew mighty kings; For his goodness endureth for ever!
19 १९ एमोरियों के राजा सीहोन को, उसकी करुणा सदा की है;
Sihon, the king of the Amorites; For his goodness endureth for ever!
20 २० और बाशान के राजा ओग को घात किया, उसकी करुणा सदा की है।
And Og, the king of Bashan; For his goodness endureth for ever!
21 २१ और उनके देश को भाग होने के लिये, उसकी करुणा सदा की है;
And gave their land for an inheritance; For his goodness endureth for ever!
22 २२ अपने दास इस्राएलियों के भाग होने के लिये दे दिया, उसकी करुणा सदा की है।
For an inheritance to Israel his servant; For his goodness endureth for ever!
23 २३ उसने हमारी दुर्दशा में हमारी सुधि ली, उसकी करुणा सदा की है;
Who remembered us in our low estate; For his goodness endureth for ever!
24 २४ और हमको द्रोहियों से छुड़ाया है, उसकी करुणा सदा की है।
And redeemed us from our enemies; For his goodness endureth for ever!
25 २५ वह सब प्राणियों को आहार देता है, उसकी करुणा सदा की है।
Who giveth food unto all; For his goodness endureth for ever!
26 २६ स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो, उसकी करुणा सदा की है।
O give thanks to the God of heaven; For his goodness endureth for ever!