< भजन संहिता 119 >

1 आलेफ क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
אַשְׁרֵי תְמִֽימֵי־דָרֶךְ הַֽהֹלְכִים בְּתוֹרַת יְהוָֽה׃
2 क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
אַשְׁרֵי נֹצְרֵי עֵדֹתָיו בְּכָל־לֵב יִדְרְשֽׁוּהוּ׃
3 फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
אַף לֹֽא־פָעֲלוּ עַוְלָה בִּדְרָכָיו הָלָֽכוּ׃
4 तूने अपने उपदेश इसलिए दिए हैं, कि हम उसे यत्न से माने।
אַתָּה צִוִּיתָה פִקֻּדֶיךָ לִשְׁמֹר מְאֹֽד׃
5 भला होता कि तेरी विधियों को मानने के लिये मेरी चाल चलन दृढ़ हो जाए!
אַחֲלַי יִכֹּנוּ דְרָכָי לִשְׁמֹר חֻקֶּֽיךָ׃
6 तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूँगा, और मैं लज्जित न होऊँगा।
אָז לֹא־אֵבוֹשׁ בְּהַבִּיטִי אֶל־כָּל־מִצְוֺתֶֽיךָ׃
7 जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूँगा।
אוֹדְךָ בְּיֹשֶׁר לֵבָב בְּלָמְדִי מִשְׁפְּטֵי צִדְקֶֽךָ׃
8 मैं तेरी विधियों को मानूँगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
אֶת־חֻקֶּיךָ אֶשְׁמֹר אַֽל־תַּעַזְבֵנִי עַד־מְאֹֽד׃
9 बेथ जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन का पालन करने से।
בַּמֶּה יְזַכֶּה־נַּעַר אֶת־אָרְחוֹ לִשְׁמֹר כִּדְבָרֶֽךָ׃
10 १० मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूँ; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
בְּכָל־לִבִּי דְרַשְׁתִּיךָ אַל־תַּשְׁגֵּנִי מִמִּצְוֺתֶֽיךָ׃
11 ११ मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ।
בְּלִבִּי צָפַנְתִּי אִמְרָתֶךָ לְמַעַן לֹא אֶֽחֱטָא־לָֽךְ׃
12 १२ हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा!
בָּרוּךְ אַתָּה יְהוָה לַמְּדֵנִי חֻקֶּֽיךָ׃
13 १३ तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैंने अपने मुँह से किया है।
בִּשְׂפָתַי סִפַּרְתִּי כֹּל מִשְׁפְּטֵי־פִֽיךָ׃
14 १४ मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ।
בְּדֶרֶךְ עֵדְוֺתֶיךָ שַּׂשְׂתִּי כְּעַל כָּל־הֽוֹן׃
15 १५ मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूँगा।
בְּפִקֻּדֶיךָ אָשִׂיחָה וְאַבִּיטָה אֹרְחֹתֶֽיךָ׃
16 १६ मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा।
בְּחֻקֹּתֶיךָ אֶֽשְׁתַּעֲשָׁע לֹא אֶשְׁכַּח דְּבָרֶֽךָ׃
17 १७ गिमेल अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ, और तेरे वचन पर चलता रहूँ।
גְּמֹל עַֽל־עַבְדְּךָ אֶֽחְיֶה וְאֶשְׁמְרָה דְבָרֶֽךָ׃
18 १८ मेरी आँखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूँ।
גַּל־עֵינַי וְאַבִּיטָה נִפְלָאוֹת מִתּוֹרָתֶֽךָ׃
19 १९ मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूँ; अपनी आज्ञाओं को मुझसे छिपाए न रख!
גֵּר אָנֹכִי בָאָרֶץ אַל־תַּסְתֵּר מִמֶּנִּי מִצְוֺתֶֽיךָ׃
20 २० मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
גָּרְסָה נַפְשִׁי לְתַאֲבָה אֶֽל־מִשְׁפָּטֶיךָ בְכָל־עֵֽת׃
21 २१ तूने अभिमानियों को, जो श्रापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं से भटके हुए हैं।
גָּעַרְתָּ זֵדִים אֲרוּרִים הַשֹּׁגִים מִמִּצְוֺתֶֽיךָ׃
22 २२ मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूँ।
גַּל מֵֽעָלַי חֶרְפָּה וָבוּז כִּי עֵדֹתֶיךָ נָצָֽרְתִּי׃
23 २३ हाकिम भी बैठे हुए आपस में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।
גַּם יָֽשְׁבוּ שָׂרִים בִּי נִדְבָּרוּ עַבְדְּךָ יָשִׂיחַ בְּחֻקֶּֽיךָ׃
24 २४ तेरी चितौनियाँ मेरा सुखमूल और मेरे मंत्री हैं।
גַּֽם־עֵדֹתֶיךָ שַׁעֲשֻׁעָי אַנְשֵׁי עֲצָתִֽי׃
25 २५ दाल्थ मैं धूल में पड़ा हूँ; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!
דָּֽבְקָה לֶעָפָר נַפְשִׁי חַיֵּנִי כִּדְבָרֶֽךָ׃
26 २६ मैंने अपनी चाल चलन का तुझ से वर्णन किया है और तूने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियाँ सिखा!
דְּרָכַי סִפַּרְתִּי וַֽתַּעֲנֵנִי לַמְּדֵנִי חֻקֶּֽיךָ׃
27 २७ अपने उपदेशों का मार्ग मुझे समझा, तब मैं तेरे आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा।
דֶּֽרֶךְ־פִּקּוּדֶיךָ הֲבִינֵנִי וְאָשִׂיחָה בְּנִפְלְאוֹתֶֽיךָ׃
28 २८ मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल!
דָּלְפָה נַפְשִׁי מִתּוּגָה קַיְּמֵנִי כִּדְבָרֶֽךָ׃
29 २९ मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और कृपा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे।
דֶּֽרֶךְ־שֶׁקֶר הָסֵר מִמֶּנִּי וְֽתוֹרָתְךָ חָנֵּֽנִי׃
30 ३० मैंने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूँ।
דֶּֽרֶךְ־אֱמוּנָה בָחָרְתִּי מִשְׁפָּטֶיךָ שִׁוִּֽיתִי׃
31 ३१ मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूँ, हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे!
דָּבַקְתִּי בְעֵֽדְוֺתֶיךָ יְהוָה אַל־תְּבִישֵֽׁנִי׃
32 ३२ जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौड़ूँगा।
דֶּֽרֶךְ־מִצְוֺתֶיךָ אָרוּץ כִּי תַרְחִיב לִבִּֽי׃
33 ३३ हे हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग सिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूँगा।
הוֹרֵנִי יְהוָה דֶּרֶךְ חֻקֶּיךָ וְאֶצְּרֶנָּה עֵֽקֶב׃
34 ३४ मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूँगा और पूर्ण मन से उस पर चलूँगा।
הֲבִינֵנִי וְאֶצְּרָה תֽוֹרָתֶךָ וְאֶשְׁמְרֶנָּה בְכָל־לֵֽב׃
35 ३५ अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूँ।
הַדְרִיכֵנִי בִּנְתִיב מִצְוֺתֶיךָ כִּי־בוֹ חָפָֽצְתִּי׃
36 ३६ मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
הַט־לִבִּי אֶל־עֵדְוֺתֶיךָ וְאַל אֶל־בָּֽצַע׃
37 ३७ मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
הַעֲבֵר עֵינַי מֵרְאוֹת שָׁוְא בִּדְרָכֶךָ חַיֵּֽנִי׃
38 ३८ तेरा वादा जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
הָקֵם לְעַבְדְּךָ אִמְרָתֶךָ אֲשֶׁר לְיִרְאָתֶֽךָ׃
39 ३९ जिस नामधराई से मैं डरता हूँ, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
הַעֲבֵר חֶרְפָּתִי אֲשֶׁר יָגֹרְתִּי כִּי מִשְׁפָּטֶיךָ טוֹבִֽים׃
40 ४० देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।
הִנֵּה תָּאַבְתִּי לְפִקֻּדֶיךָ בְּצִדְקָתְךָ חַיֵּֽנִי׃
41 ४१ वाव हे यहोवा, तेरी करुणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वादे के अनुसार, मुझ को भी मिले;
וִֽיבֹאֻנִי חֲסָדֶךָ יְהוָה תְּשֽׁוּעָתְךָ כְּאִמְרָתֶֽךָ׃
42 ४२ तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूँगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।
וְאֶֽעֱנֶה חֹרְפִי דָבָר כִּֽי־בָטַחְתִּי בִּדְבָרֶֽךָ׃
43 ४३ मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।
וְֽאַל־תַּצֵּל מִפִּי דְבַר־אֱמֶת עַד־מְאֹד כִּי לְמִשְׁפָּטֶךָ יִחָֽלְתִּי׃
44 ४४ तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूँगा;
וְאֶשְׁמְרָה תוֹרָתְךָ תָמִיד לְעוֹלָם וָעֶֽד׃
45 ४५ और मैं चौड़े स्थान में चला फिरा करूँगा, क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।
וְאֶתְהַלְּכָה בָרְחָבָה כִּי פִקֻּדֶיךָ דָרָֽשְׁתִּי׃
46 ४६ और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के सामने भी करूँगा, और लज्जित न होऊँगा;
וַאֲדַבְּרָה בְעֵדֹתֶיךָ נֶגֶד מְלָכִים וְלֹא אֵבֽוֹשׁ׃
47 ४७ क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूँ, और मैं उनसे प्रीति रखता हूँ।
וְאֶשְׁתַּֽעֲשַׁע בְּמִצְוֺתֶיךָ אֲשֶׁר אָהָֽבְתִּי׃
48 ४८ मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिनमें मैं प्रीति रखता हूँ, हाथ फैलाऊँगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूँगा।
וְאֶשָּֽׂא־כַפַּי אֶֽל־מִצְוֺתֶיךָ אֲשֶׁר אָהָבְתִּי וְאָשִׂיחָה בְחֻקֶּֽיךָ׃
49 ४९ ज़ैन जो वादा तूने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तूने मुझे आशा दी है।
זְכֹר־דָּבָר לְעַבְדֶּךָ עַל אֲשֶׁר יִֽחַלְתָּֽנִי׃
50 ५० मेरे दुःख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैंने जीवन पाया है।
זֹאת נֶחָמָתִי בְעָנְיִי כִּי אִמְרָתְךָ חִיָּֽתְנִי׃
51 ५१ अहंकारियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तो भी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा।
זֵדִים הֱלִיצֻנִי עַד־מְאֹד מִתּֽוֹרָתְךָ לֹא נָטִֽיתִי׃
52 ५२ हे यहोवा, मैंने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है।
זָכַרְתִּי מִשְׁפָּטֶיךָ מֵעוֹלָם ׀ יְהוָה וָֽאֶתְנֶחָֽם׃
53 ५३ जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं क्रोध से जलता हूँ।
זַלְעָפָה אֲחָזַתְנִי מֵרְשָׁעִים עֹזְבֵי תּוֹרָתֶֽךָ׃
54 ५४ जहाँ मैं परदेशी होकर रहता हूँ, वहाँ तेरी विधियाँ, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।
זְמִרוֹת הָֽיוּ־לִי חֻקֶּיךָ בְּבֵית מְגוּרָֽי׃
55 ५५ हे यहोवा, मैंने रात को तेरा नाम स्मरण किया, और तेरी व्यवस्था पर चला हूँ।
זָכַרְתִּי בַלַּיְלָה שִׁמְךָ יְהוָה וָֽאֶשְׁמְרָה תּוֹרָתֶֽךָ׃
56 ५६ यह मुझसे इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था।
זֹאת הָֽיְתָה־לִּי כִּי פִקֻּדֶיךָ נָצָֽרְתִּי׃
57 ५७ हेथ यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है।
חֶלְקִי יְהוָה אָמַרְתִּי לִשְׁמֹר דְּבָרֶֽיךָ׃
58 ५८ मैंने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिए अपने वादे के अनुसार मुझ पर दया कर।
חִלִּיתִי פָנֶיךָ בְכָל־לֵב חָנֵּנִי כְּאִמְרָתֶֽךָ׃
59 ५९ मैंने अपनी चाल चलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।
חִשַּׁבְתִּי דְרָכָי וָאָשִׁיבָה רַגְלַי אֶל־עֵדֹתֶֽיךָ׃
60 ६० मैंने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।
חַשְׁתִּי וְלֹא הִתְמַהְמָהְתִּי לִשְׁמֹר מִצְוֺתֶֽיךָ׃
61 ६१ मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूँ, तो भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।
חֶבְלֵי רְשָׁעִים עִוְּדֻנִי תּֽוֹרָתְךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃
62 ६२ तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूँगा।
חֲצֽוֹת־לַיְלָה אָקוּם לְהוֹדוֹת לָךְ עַל מִשְׁפְּטֵי צִדְקֶֽךָ׃
63 ६३ जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूँ।
חָבֵר אָנִי לְכָל־אֲשֶׁר יְרֵאוּךָ וּלְשֹׁמְרֵי פִּקּוּדֶֽיךָ׃
64 ६४ हे यहोवा, तेरी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा!
חַסְדְּךָ יְהוָה מָלְאָה הָאָרֶץ חֻקֶּיךָ לַמְּדֵֽנִי׃
65 ६५ टेथ हे यहोवा, तूने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।
טוֹב עָשִׂיתָ עִֽם־עַבְדְּךָ יְהוָה כִּדְבָרֶֽךָ׃
66 ६६ मुझे भली विवेक-शक्ति और समझ दे, क्योंकि मैंने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।
טוּב טַעַם וָדַעַת לַמְּדֵנִי כִּי בְמִצְוֺתֶיךָ הֶאֱמָֽנְתִּי׃
67 ६७ उससे पहले कि मैं दुःखित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूँ।
טֶרֶם אֶעֱנֶה אֲנִי שֹׁגֵג וְעַתָּה אִמְרָתְךָ שָׁמָֽרְתִּי׃
68 ६८ तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा।
טוֹב־אַתָּה וּמֵטִיב לַמְּדֵנִי חֻקֶּֽיךָ׃
69 ६९ अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूँगा।
טָפְלוּ עָלַי שֶׁקֶר זֵדִים אֲנִי בְּכָל־לֵב ׀ אֱצֹּר פִּקּוּדֶֽיךָ׃
70 ७० उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूँ।
טָפַשׁ כַּחֵלֶב לִבָּם אֲנִי תּוֹרָתְךָ שִֽׁעֲשָֽׁעְתִּי׃
71 ७१ मुझे जो दुःख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिससे मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ।
טֽוֹב־לִי כִֽי־עֻנֵּיתִי לְמַעַן אֶלְמַד חֻקֶּֽיךָ׃
72 ७२ तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रुपयों और मुहरों से भी उत्तम है।
טֽוֹב־לִי תֽוֹרַת־פִּיךָ מֵאַלְפֵי זָהָב וָכָֽסֶף׃
73 ७३ योध तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूँ; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूँ।
יָדֶיךָ עָשׂוּנִי וַֽיְכוֹנְנוּנִי הֲבִינֵנִי וְאֶלְמְדָה מִצְוֺתֶֽיךָ׃
74 ७४ तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है।
יְרֵאֶיךָ יִרְאוּנִי וְיִשְׂמָחוּ כִּי לִדְבָרְךָ יִחָֽלְתִּי׃
75 ७५ हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तूने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दुःख दिया है।
יָדַעְתִּי יְהוָה כִּי־צֶדֶק מִשְׁפָּטֶיךָ וֶאֱמוּנָה עִנִּיתָֽנִי׃
76 ७६ मुझे अपनी करुणा से शान्ति दे, क्योंकि तूने अपने दास को ऐसा ही वादा दिया है।
יְהִי־נָא חַסְדְּךָ לְנַחֲמֵנִי כְּאִמְרָתְךָ לְעַבְדֶּֽךָ׃
77 ७७ तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूँगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ।
יְבֹאוּנִי רַחֲמֶיךָ וְאֶֽחְיֶה כִּי־תֽוֹרָתְךָ שַֽׁעֲשֻׁעָֽי׃
78 ७८ अहंकारी लज्जित किए जाए, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा।
יֵבֹשׁוּ זֵדִים כִּי־שֶׁקֶר עִוְּתוּנִי אֲנִי אָשִׂיחַ בְּפִקּוּדֶֽיךָ׃
79 ७९ जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।
יָשׁוּבוּ לִי יְרֵאֶיךָ וידעו וְיֹדְעֵי עֵדֹתֶֽיךָ׃
80 ८० मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े।
יְהִֽי־לִבִּי תָמִים בְּחֻקֶּיךָ לְמַעַן לֹא אֵבֽוֹשׁ׃
81 ८१ क़ाफ मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।
כָּלְתָה לִתְשׁוּעָתְךָ נַפְשִׁי לִדְבָרְךָ יִחָֽלְתִּי׃
82 ८२ मेरी आँखें तेरे वादे के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुंधली पड़ गईं है; और मैं कहता हूँ कि तू मुझे कब शान्ति देगा?
כָּלוּ עֵינַי לְאִמְרָתֶךָ לֵאמֹר מָתַי תְּֽנַחֲמֵֽנִי׃
83 ८३ क्योंकि मैं धुएँ में की कुप्पी के समान हो गया हूँ, तो भी तेरी विधियों को नहीं भूला।
כִּֽי־הָיִיתִי כְּנֹאד בְּקִיטוֹר חֻקֶּיךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃
84 ८४ तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा?
כַּמָּה יְמֵֽי־עַבְדֶּךָ מָתַי תַּעֲשֶׂה בְרֹדְפַי מִשְׁפָּֽט׃
85 ८५ अहंकारी जो तेरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिये गड्ढे खोदे हैं।
כָּֽרוּ־לִי זֵדִים שִׁיחוֹת אֲשֶׁר לֹא כְתוֹרָתֶֽךָ׃
86 ८६ तेरी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!
כָּל־מִצְוֺתֶיךָ אֱמוּנָה שֶׁקֶר רְדָפוּנִי עָזְרֵֽנִי׃
87 ८७ वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैंने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।
כִּמְעַט כִּלּוּנִי בָאָרֶץ וַאֲנִי לֹא־עָזַבְתִּי פִקֻּודֶֽיךָ׃
88 ८८ अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूँगा।
כְּחַסְדְּךָ חַיֵּנִי וְאֶשְׁמְרָה עֵדוּת פִּֽיךָ׃
89 ८९ लामेध हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।
לְעוֹלָם יְהוָה דְּבָרְךָ נִצָּב בַּשָּׁמָֽיִם׃
90 ९० तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तूने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिए वह बनी है।
לְדֹר וָדֹר אֱמֽוּנָתֶךָ כּוֹנַנְתָּ אֶרֶץ וַֽתַּעֲמֹֽד׃
91 ९१ वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है।
לְֽמִשְׁפָּטֶיךָ עָמְדוּ הַיּוֹם כִּי הַכֹּל עֲבָדֶֽיךָ׃
92 ९२ यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दुःख के समय नाश हो जाता।
לוּלֵי תוֹרָתְךָ שַׁעֲשֻׁעָי אָז אָבַדְתִּי בְעָנְיִֽי׃
93 ९३ मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तूने मुझे जिलाया है।
לְעוֹלָם לֹא־אֶשְׁכַּח פִּקּוּדֶיךָ כִּי בָם חִיִּיתָֽנִי׃
94 ९४ मैं तेरा ही हूँ, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूँ।
לְֽךָ־אֲנִי הוֹשִׁיעֵנִי כִּי פִקּוּדֶיךָ דָרָֽשְׁתִּי׃
95 ९५ दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूँ।
לִי קִוּוּ רְשָׁעִים לְאַבְּדֵנִי עֵדֹתֶיךָ אֶתְבּוֹנָֽן׃
96 ९६ मैंने देखा है कि प्रत्येक पूर्णता की सीमा होती है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा और सीमा से परे है।
לְֽכָל תִּכְלָה רָאִיתִי קֵץ רְחָבָה מִצְוָתְךָ מְאֹֽד׃
97 ९७ मीम आहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
מָֽה־אָהַבְתִּי תוֹרָתֶךָ כָּל־הַיּוֹם הִיא שִׂיחָתִֽי׃
98 ९८ तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
מֵאֹיְבַי תְּחַכְּמֵנִי מִצְוֺתֶךָ כִּי לְעוֹלָם הִיא־לִֽי׃
99 ९९ मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
מִכָּל־מְלַמְּדַי הִשְׂכַּלְתִּי כִּי עֵדְוֺתֶיךָ שִׂיחָה לִֽֿי׃
100 १०० मैं पुरनियों से भी समझदार हूँ, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूँ।
מִזְּקֵנִים אֶתְבּוֹנָן כִּי פִקּוּדֶיךָ נָצָֽרְתִּי׃
101 १०१ मैंने अपने पाँवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिससे मैं तेरे वचन के अनुसार चलूँ।
מִכָּל־אֹרַח רָע כָּלִאתִי רַגְלָי לְמַעַן אֶשְׁמֹר דְּבָרֶֽךָ׃
102 १०२ मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
מִמִּשְׁפָּטֶיךָ לֹא־סָרְתִּי כִּֽי־אַתָּה הוֹרֵתָֽנִי׃
103 १०३ तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं!
מַה־נִּמְלְצוּ לְחִכִּי אִמְרָתֶךָ מִדְּבַשׁ לְפִֽי׃
104 १०४ तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ, इसलिए मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ।
מִפִּקּוּדֶיךָ אֶתְבּוֹנָן עַל־כֵּן שָׂנֵאתִי ׀ כָּל־אֹרַח שָֽׁקֶר׃
105 १०५ नून तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
נֵר־לְרַגְלִי דְבָרֶךָ וְאוֹר לִנְתִיבָתִֽי׃
106 १०६ मैंने शपथ खाई, और ठान लिया है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूँगा।
נִשְׁבַּעְתִּי וָאֲקַיֵּמָה לִשְׁמֹר מִשְׁפְּטֵי צִדְקֶֽךָ׃
107 १०७ मैं अत्यन्त दुःख में पड़ा हूँ; हे यहोवा, अपने वादे के अनुसार मुझे जिला।
נַעֲנֵיתִי עַד־מְאֹד יְהוָה חַיֵּנִי כִדְבָרֶֽךָ׃
108 १०८ हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
נִדְבוֹת פִּי רְצֵה־נָא יְהוָה וּֽמִשְׁפָּטֶיךָ לַמְּדֵֽנִי׃
109 १०९ मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तो भी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
נַפְשִׁי בְכַפִּי תָמִיד וְתֽוֹרָתְךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃
110 ११० दुष्टों ने मेरे लिये फंदा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
נָתְנוּ רְשָׁעִים פַּח לִי וּמִפִּקּוּדֶיךָ לֹא תָעִֽיתִי׃
111 १११ मैंने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भागकर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है।
נָחַלְתִּי עֵדְוֺתֶיךָ לְעוֹלָם כִּֽי־שְׂשׂוֹן לִבִּי הֵֽמָּה׃
112 ११२ मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूँ।
נָטִיתִי לִבִּי לַעֲשׂוֹת חֻקֶּיךָ לְעוֹלָם עֵֽקֶב׃
113 ११३ सामेख मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।
סֵעֲפִים שָׂנֵאתִי וְֽתוֹרָתְךָ אָהָֽבְתִּי׃
114 ११४ तू मेरी आड़ और ढाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।
סִתְרִי וּמָגִנִּי אָתָּה לִדְבָרְךָ יִחָֽלְתִּי׃
115 ११५ हे कुकर्मियों, मुझसे दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूँ!
סֽוּרוּ־מִמֶּנִּי מְרֵעִים וְאֶצְּרָה מִצְוֺת אֱלֹהָֽי׃
116 ११६ हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूँ, और मेरी आशा को न तोड़!
סָמְכֵנִי כְאִמְרָתְךָ וְאֶֽחְיֶה וְאַל־תְּבִישֵׁנִי מִשִּׂבְרִֽי׃
117 ११७ मुझे थामे रख, तब मैं बचा रहूँगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूँगा!
סְעָדֵנִי וְאִוָּשֵׁעָה וְאֶשְׁעָה בְחֻקֶּיךָ תָמִֽיד׃
118 ११८ जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है।
סָלִיתָ כָּל־שׁוֹגִים מֵחֻקֶּיךָ כִּי־שֶׁקֶר תַּרְמִיתָֽם׃
119 ११९ तूने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों से प्रीति रखता हूँ।
סִגִים הִשְׁבַּתָּ כָל־רִשְׁעֵי־אָרֶץ לָכֵן אָהַבְתִּי עֵדֹתֶֽיךָ׃
120 १२० तेरे भय से मेरा शरीर काँप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूँ।
סָמַר מִפַּחְדְּךָ בְשָׂרִי וּֽמִמִּשְׁפָּטֶיךָ יָרֵֽאתִי׃
121 १२१ ऐन मैंने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अत्याचार करनेवालों के हाथ में न छोड़।
עָשִׂיתִי מִשְׁפָּט וָצֶדֶק בַּל־תַּנִּיחֵנִי לְעֹֽשְׁקָֽי׃
122 १२२ अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अहंकारी मुझ पर अत्याचार न करने पाएँ।
עֲרֹב עַבְדְּךָ לְטוֹב אַֽל־יַעַשְׁקֻנִי זֵדִֽים׃
123 १२३ मेरी आँखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुँधली पड़ गई हैं।
עֵינַי כָּלוּ לִֽישׁוּעָתֶךָ וּלְאִמְרַת צִדְקֶֽךָ׃
124 १२४ अपने दास के संग अपनी करुणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।
עֲשֵׂה עִם־עַבְדְּךָ כְחַסְדֶּךָ וְחֻקֶּיךָ לַמְּדֵֽנִי׃
125 १२५ मैं तेरा दास हूँ, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूँ।
עַבְדְּךָ־אָנִי הֲבִינֵנִי וְאֵדְעָה עֵדֹתֶֽיךָ׃
126 १२६ वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है।
עֵת לַעֲשׂוֹת לַיהוָה הֵפֵרוּ תּוֹרָתֶֽךָ׃
127 १२७ इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन् कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ।
עַל־כֵּן אָהַבְתִּי מִצְוֺתֶיךָ מִזָּהָב וּמִפָּֽז׃
128 १२८ इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ।
עַל־כֵּן ׀ כָּל־פִּקּוּדֵי כֹל יִשָּׁרְתִּי כָּל־אֹרַח שֶׁקֶר שָׂנֵֽאתִי׃
129 १२९ पे तेरी चितौनियाँ अद्भुत हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूँ।
פְּלָאוֹת עֵדְוֺתֶיךָ עַל־כֵּן נְצָרָתַם נַפְשִֽׁי׃
130 १३० तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे निर्बुद्धि लोग समझ प्राप्त करते हैं।
פֵּתַח דְּבָרֶיךָ יָאִיר מֵבִין פְּתָיִֽים׃
131 १३१ मैं मुँह खोलकर हाँफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
פִּֽי־פָעַרְתִּי וָאֶשְׁאָפָה כִּי לְמִצְוֺתֶיךָ יָאָֽבְתִּי׃
132 १३२ जैसी तेरी रीति अपने नाम के प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर दया कर।
פְּנֵה־אֵלַי וְחָנֵּנִי כְּמִשְׁפָּט לְאֹהֲבֵי שְׁמֶֽךָ׃
133 १३३ मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
פְּעָמַי הָכֵן בְּאִמְרָתֶךָ וְֽאַל־תַּשְׁלֶט־בִּי כָל־אָֽוֶן׃
134 १३४ मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा।
פְּדֵנִי מֵעֹשֶׁק אָדָם וְאֶשְׁמְרָה פִּקּוּדֶֽיךָ׃
135 १३५ अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।
פָּנֶיךָ הָאֵר בְּעַבְדֶּךָ וְלַמְּדֵנִי אֶת־חֻקֶּֽיךָ׃
136 १३६ मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।
פַּלְגֵי־מַיִם יָרְדוּ עֵינָי עַל לֹא־שָׁמְרוּ תוֹרָתֶֽךָ׃
137 १३७ सांदे हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।
צַדִּיק אַתָּה יְהוָה וְיָשָׁר מִשְׁפָּטֶֽיךָ׃
138 १३८ तूने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।
צִוִּיתָ צֶדֶק עֵדֹתֶיךָ וֶֽאֱמוּנָה מְאֹֽד׃
139 १३९ मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूँ, क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।
צִמְּתַתְנִי קִנְאָתִי כִּֽי־שָׁכְחוּ דְבָרֶיךָ צָרָֽי׃
140 १४० तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिए तेरा दास उसमें प्रीति रखता है।
צְרוּפָה אִמְרָתְךָ מְאֹד וְֽעַבְדְּךָ אֲהֵבָֽהּ׃
141 १४१ मैं छोटा और तुच्छ हूँ, तो भी मैं तेरे उपदेशों को नहीं भूलता।
צָעִיר אָנֹכִי וְנִבְזֶה פִּקֻּדֶיךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃
142 १४२ तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।
צִדְקָתְךָ צֶדֶק לְעוֹלָם וְֽתוֹרָתְךָ אֱמֶֽת׃
143 १४३ मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ।
צַר־וּמָצוֹק מְצָאוּנִי מִצְוֺתֶיךָ שַׁעֲשֻׁעָֽי׃
144 १४४ तेरी चितौनियाँ सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूँ।
צֶדֶק עֵדְוֺתֶיךָ לְעוֹלָם הֲבִינֵנִי וְאֶחְיֶֽה׃
145 १४५ क़ाफ़ मैंने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूँगा।
קָרָאתִי בְכָל־לֵב עֲנֵנִי יְהוָה חֻקֶּיךָ אֶצֹּֽרָה׃
146 १४६ मैंने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूँगा।
קְרָאתִיךָ הוֹשִׁיעֵנִי וְאֶשְׁמְרָה עֵדֹתֶֽיךָ׃
147 १४७ मैंने पौ फटने से पहले दुहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।
קִדַּמְתִּי בַנֶּשֶׁף וָאֲשַׁוֵּעָה לדבריך לִדְבָרְךָ יִחָֽלְתִּי׃
148 १४८ मेरी आँखें रात के एक-एक पहर से पहले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूँ।
קִדְּמוּ עֵינַי אַשְׁמֻרוֹת לָשִׂיחַ בְּאִמְרָתֶֽךָ׃
149 १४९ अपनी करुणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी नियमों के रीति अनुसार मुझे जीवित कर।
קוֹלִי שִׁמְעָה כְחַסְדֶּךָ יְהוָה כְּֽמִשְׁפָּטֶךָ חַיֵּֽנִי׃
150 १५० जो दुष्टता की धुन में हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।
קָרְבוּ רֹדְפֵי זִמָּה מִתּוֹרָתְךָ רָחָֽקוּ׃
151 १५१ हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएँ सत्य हैं।
קָרוֹב אַתָּה יְהוָה וְֽכָל־מִצְוֺתֶיךָ אֱמֶֽת׃
152 १५२ बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूँ, कि तूने उनकी नींव सदा के लिये डाली है।
קֶדֶם יָדַעְתִּי מֵעֵדֹתֶיךָ כִּי לְעוֹלָם יְסַדְתָּֽם׃
153 १५३ रेश मेरे दुःख को देखकर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
רְאֵֽה־עָנְיִי וְחַלְּצֵנִי כִּי־תֽוֹרָתְךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃
154 १५४ मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वादे के अनुसार मुझ को जिला।
רִיבָה רִיבִי וּגְאָלֵנִי לְאִמְרָתְךָ חַיֵּֽנִי׃
155 १५५ दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।
רָחוֹק מֵרְשָׁעִים יְשׁוּעָה כִּֽי־חֻקֶּיךָ לֹא דָרָֽשׁוּ׃
156 १५६ हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिए अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।
רַחֲמֶיךָ רַבִּים ׀ יְהוָה כְּֽמִשְׁפָּטֶיךָ חַיֵּֽנִי׃
157 १५७ मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।
רַבִּים רֹדְפַי וְצָרָי מֵעֵדְוֺתֶיךָ לֹא נָטִֽיתִי׃
158 १५८ मैं विश्वासघातियों को देखकर घृणा करता हूँ; क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।
רָאִיתִי בֹגְדִים וָֽאֶתְקוֹטָטָה אֲשֶׁר אִמְרָתְךָ לֹא שָׁמָֽרוּ׃
159 १५९ देख, मैं तेरे उपदेशों से कैसी प्रीति रखता हूँ! हे यहोवा, अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला।
רְאֵה כִּי־פִקּוּדֶיךָ אָהָבְתִּי יְהוָה כְּֽחַסְדְּךָ חַיֵּֽנִי׃
160 १६० तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक-एक धर्ममय नियम सदाकाल तक अटल है।
רֹאשׁ־דְּבָרְךָ אֱמֶת וּלְעוֹלָם כָּל־מִשְׁפַּט צִדְקֶֽךָ׃
161 १६१ शीन हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।
שָׂרִים רְדָפוּנִי חִנָּם ומדבריך וּמִדְּבָרְךָ פָּחַד לִבִּֽי׃
162 १६२ जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूँ।
שָׂשׂ אָנֹכִֽי עַל־אִמְרָתֶךָ כְּמוֹצֵא שָׁלָל רָֽב׃
163 १६३ झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।
שֶׁקֶר שָׂנֵאתִי וַאֲתַעֵבָה תּוֹרָתְךָ אָהָֽבְתִּי׃
164 १६४ तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बार तेरी स्तुति करता हूँ।
שֶׁבַע בַּיּוֹם הִלַּלְתִּיךָ עַל מִשְׁפְּטֵי צִדְקֶֽךָ׃
165 १६५ तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति होती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।
שָׁלוֹם רָב לְאֹהֲבֵי תוֹרָתֶךָ וְאֵֽין־לָמוֹ מִכְשֽׁוֹל׃
166 १६६ हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूँ; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूँ।
שִׂבַּרְתִּי לִֽישׁוּעָתְךָ יְהוָה וּֽמִצְוֺתֶיךָ עָשִֽׂיתִי׃
167 १६७ मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ।
שָֽׁמְרָה נַפְשִׁי עֵדֹתֶיךָ וָאֹהֲבֵם מְאֹֽד׃
168 १६८ मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूँ, क्योंकि मेरी सारी चाल चलन तेरे सम्मुख प्रगट है।
שָׁמַרְתִּי פִקּוּדֶיךָ וְעֵדֹתֶיךָ כִּי כָל־דְּרָכַי נֶגְדֶּֽךָ׃
169 १६९ ताव हे यहोवा, मेरी दुहाई तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!
תִּקְרַב רִנָּתִי לְפָנֶיךָ יְהוָה כִּדְבָרְךָ הֲבִינֵֽנִי׃
170 १७० मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।
תָּבוֹא תְחִנָּתִי לְפָנֶיךָ כְּאִמְרָתְךָ הַצִּילֵֽנִי׃
171 १७१ मेरे मुँह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है।
תַּבַּעְנָה שְׂפָתַי תְּהִלָּה כִּי תְלַמְּדֵנִי חֻקֶּֽיךָ׃
172 १७२ मैं तेरे वचन का गीत गाऊँगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएँ धर्ममय हैं।
תַּעַן לְשׁוֹנִי אִמְרָתֶךָ כִּי כָל־מִצְוֺתֶיךָ צֶּֽדֶק׃
173 १७३ तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों को अपनाया है।
תְּהִֽי־יָדְךָ לְעָזְרֵנִי כִּי פִקּוּדֶיךָ בָחָֽרְתִּי׃
174 १७४ हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूँ, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ।
תָּאַבְתִּי לִֽישׁוּעָתְךָ יְהוָה וְתֽוֹרָתְךָ שַׁעֲשֻׁעָֽי׃
175 १७५ मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूँगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।
תְּֽחִי־נַפְשִׁי וּֽתְהַֽלְלֶךָּ וּֽמִשְׁפָּטֶךָ יַעֲזְרֻֽנִי׃
176 १७६ मैं खोई हुई भेड़ के समान भटका हूँ; तू अपने दास को ढूँढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।
תָּעִיתִי כְּשֶׂה אֹבֵד בַּקֵּשׁ עַבְדֶּךָ כִּי מִצְוֺתֶיךָ לֹא שָׁכָֽחְתִּי׃

< भजन संहिता 119 >